#H115
तेरा कितना हुआ (Increment)
"यह कविता वेतन वृद्धि और पदोन्नति की घोषणा के बाद कर्मचारियों में उत्पन्न मानवीय वातावरण को दर्शाती है। "
क्या हुआ, बताओ न क्या हुआ।
तेरा कितना हुआ, मेरा इतना हुआ।
अगर सामने वाले से ज्यादा हुआ।
अन्दर खुशी का बड़ा अहसास हुआ।
चलो मेरा इससे तो ज्यादा हुआ।
क्या हुआ, बताओ न क्या हुआ
तेरा कितना हुआ, मेरा इतना हुआ
अगर सामने वाले का ज्यादा हुआ
बड़ा धक्का लगा दिल में,
इसका इतना कैसे हुआ।
सामने वाले के बराबर हुआ।
हाँ यार मेरा भी इतना ही हुआ।
इस बार कुछ खास न हुआ।
जिसका उम्मीद से ज्यादा हुआ।
सातवें आसमान का हुआ।
उसके लिए सब कुछ अच्छा हुआ।
कई लोगों का वर्षों से कम हुआ।
हर बार गम हुआ,
फिर भी कहते हैं, यह भी ज्यादा हुआ,
अब से काम और कम हुआ।
समय आगे बड़ा, अगला साल आया।
फिर से तेरा कितना हुआ, मेरा इतना हुआ।
कई लोगों का वर्षों से हर बार ज्यादा हुआ।
फिर भी लगता है उनको, हर बार कम हुआ।
जो किया सही किया, गलत भी सही लगा।
ऐसा गुमान हुआ।
सच में ऐसा कई अन्य वजहों से हुआ।
मदहोश होकर गाता गया,
अपने काम का गुणगान करता गया।
काम से ज्यादा शोर मचाता गया।
हर बार ज्यादा पाता गया।
अगला साल आया,
फिर से तेरा कितना हुआ, मेरा इतना हुआ।
जिसको पदोन्नति प्राप्त हुआ,
वो भी इस चक्कर में रहता।
मुझसे ज्यादा किसका हुआ।
या मेरा सबसे ज्यादा हुआ।
कुछ लोग वर्षों से कहते आये हैं
तेरा कितना हुआ,
अपना सच न बताकर पूछते आऐ
मेरा इतना हुआ, तेरा कितना हुआ।
कुछ ऐसे भी होते हैं,
कई बार पूछने पर भी न बताते।
किसी से पूछते भी नहीं,
तेरा कितना हुआ, मेरा इतना हुआ
"नासमझ" कहलाते हैं।
विशेष लोग आकर बताते हैं
तुम्हारा इतना हुआ।
एच आर बताऐ, गोपनीयता क्या हुआ।
क्या हुआ, बताओ न क्या हुआ।
तेरा कितना हुआ, मेरा इतना हुआ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 12 अप्रैल 2024, ©
रेटिंग 9/10