#H475
7 मासूम (7 Innocents)
पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई,
सात मासूमों की जान चली गई।
स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई।
घरों में घनघोर अंधेरा कर गई,
घरों से खिलखिहाट, उछल कूद ,
शरारत सब ले गयी।
चौखट पर स्कूल से लौटते
बच्चों की आहट गायब हो गई,
मां की आंखों को पत्थर कर गई।
कई मासूमों को घायल कर गई।
जीवन भर के लिए कष्ट दे गई।
कई की जान अधभर में आ गई,
इन बच्चों की खामोशी,
आज हम सबसे कुछ कह गई।
हमारा क्या गुनाह था,
जो हमारी जान चली गई?
गांव, ब्लॉक, तहसील, जिला प्रशासन,
विधायक, सांसद और सरकार —
सबकी अनदेखी की कहानी कह गई।
मेरी आंखों में सिर्फ़ आंसू नहीं,
सवालों की झील भर गई।
झालावाड़ की काली सुबह
सबको भीतर तक हिला गई।
भ्रष्टाचार और लापरवाही की
कहानी खामोशी सबसे कह गई।
कब सुरक्षित होगी मासूमों की ज़िंदगी?
यह सवाल सबके लिए छोड़ गई।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 25 जुलाई 2025 ©
रेटिंग 9.7/10
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