#H106
जिंदगी (Life)
जिंदगी में कोई कहीं जा पहुँचा,
कोई कहीं खड़ा रहा,
पर अपने उसूलों पर डटा रहा।
कोई चलता रहा। भटकता रहा।
जिंदगी से दो - दो हाथ करता रहा।
किस्मत सबकी अपनी होती है
पर फिर भी, क्यों कोई हाथ मलता रहा।
खुद से खफ़ा होकर जिंदगी जीता रहा।
जिंदगी बिना समझे।
जिंदगी का सफर करता रहा।
जिंदगी न रेस है, जिंदगी न द्वेष है।
जिंदगी न क्लेश है, जिंदगी न विनाश है
जिंदगी धनअर्जन का केवल, न उद्देश्य है
जिंदगी संतानोंत्पत्ति का, न उद्देश्य है
जिंदगी में केवल मृत्यु, न उद्देश्य है।
जिंदगी जिंदादिली का आवेश है।
जिंदगी दुनिया को जानना, उद्देश्य है।
घूमो फिरो , लोगों का जानो,
खुद को बेहतर बनाने का, उद्देश्य है।
जिंदगी में इज्जत, स्वदेश में है।
जिंदगी, सृजन का आदेश है।
जिंदगी, हंसी खुशी का परिवेश है।
जिंदगी, समाज को
बेहतर बनाना, उद्देश्य है।
जिंदगी वो है,
जो जिऐ तो देश के लिए
जो मिटे देश के लिए
मरने के बाद,
याद आऐ वो जिंदगी है।
जिंदगी में जिन्दादिली,
जीवन का उद्देश्य है।
जिंदगी, सृजन का आदेश है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 24 मार्च 2024, ©
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