#H132
अभी भी मैं नादान हूँ
"कविता में वर्तमान और हासिल का मज़ा लेकर जीवन जीने के बारे में है"अभी भी मैं नादान हूँ
मैं आज परेशान हूँ
लगता है अभी भी मैं नादान हूँ
मैं जो कर सकता था
वो लेके बैठा रहा
जो नहीं कर सकता था
उस पर योजना बनाता रहा
मैं आज परेशान हूँ
लगता है अभी भी मैं नादान हूँ
जो मेरे पास है
उसको अन्देखा करता रहा
और अधिक पाने की आस में
हासिल का मजा खोता रहा
इसलिए मैं आज परेशान हूँ
लगता है अभी भी मैं नादान हूँ
चिराग बुझ गये
जगमगा उठी महफ़िल
जीते जीते उम्र हो चली
तब कहीं जीने का सलीके हुए हासिल
इसलिए मैं आज परेशान हूँ
लगता है अभी भी मैं नादान हूँ
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 जुलाई 2023,©
रेटिंग 9/10