Tuesday, April 9, 2024

#H110 फूलों से मिले जख्म (Wound from flowers)

#H110

फूलों से मिले जख्म (Wound from flowers) 


कांटों से मिले जख्म

हमें रुला न सके

फूलों से मिले जख्म 

हम भुला न सके


माशूक ने हमसे क्या मुंह फेरा 

हम फिर अपना मुंह दिखा न सके

ऐसे टूटे कि

फिर कहीं दिल लगा न सके


तेरी बेवफाई  पर भी

तुझे बेवफा कह न सके

तेरी न हो जाऐ जग में रुसवाई 

बस इसलिए तेरा नाम, ले न सके


तेरे मासूम चेहरे को

अरसे बाद भी भुला न सके

तेरा वो मुस्कराना

हस के सहेलियों संग बतियाना

हम भुला न सके


तेरी याद में ऐसे डूबे 

कि हंस न सके

दोस्त भी कहते हैं दीवाना 

हम अपना फसाना

दोस्तों से भी न कह सके


कांटों से मिले जख्म

हमें रुला न सके

फूलों से मिले जख्म 

हम भुला न सके


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

Dated 01.07.2023, ©

रेटिंग 8.5/10


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