#H109
निरन्तरता (Continuity)
एक कथा दौहराता हूँ मैं,
दौड़ लगाती दुनिया सारी
जीवन के सफर में ,
सफल होने के चक्कर में
हर कोई चला सफर में,
कुछ रुक गये सफर में
कुछ थक गये सफर में,
कुछ सो गये, सफर में
दुनिया बड़ी रंगीन है,
कुछ भटक गये सफर में
जीवन में बहाने बहुत हैं,
बहाना लगा कर
कुछ उतर गये सफर में,
कुछ डरकर भाग गये सफर में
कुछ थकान भूल चलते रहे सफर में,
मंजिल ने इनको पा लिया
बाकी मंजिल पाने को लगे रहे सफर में,
मंजिल सामने दिखती रही, सफर में
जीवन, मंजिल पाने की आस में,
खपा गये सफर में
वही कथा दौहराता हूँ मैं,
खरगोश कछुआ दौड़
याद दिलाता हूं मैं,
बिना रुके जो चलते रहे सफर में
निरन्तरता बनाऐ रखने की,
आस लगाता हूँ मैं
मंजिल पाने के बाद,
अगली मंजिल पाने को
जो निकल गये सफर में,
वो खुद मंजिल बन जाते हैं
औरों के लिए ,
जीवन की मंजिल हो जाते हैं
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 1 मई 2023,©
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