Saturday, April 27, 2024

#H129 हमारी संस्कृति ( Indian Culture)

#H129

हमारी संस्कृति


"कविता में ग्रामीण अंचल के संस्कारों और राम- राम कहने के महत्व को दर्शाया गया है"

मैं अनजान राह गीर

जाता रहा उस राह से

जब मैं सामने  से गुजरता

उस मकान से

हाथ उठ जाता है उनका

बोलते हुए "राम राम" सम्मान से

मैं भी हाथ उठा देता जबाब में

उनके आदर सम्मान में

जब न देखूँ उनको

दिल में अजीब लगता है, ईमान से

वो क्या हुआ, कहाँ गये भगवान से

राम राम से अनजाना

नि:स्वार्थ सम्बन्ध बन जाता है, इंसान से


न मुझे उनके नाम का पता

ना कोई है काम का पता

यह वो भारतीय संस्कार है

जिसको राम राम की दरकार है

"राम राम' से होता भवसागर पार है


यह भारतीय गाँव की खूबसूरती है

पर दिन व दिन घट रही है

गाँव शहर जैसे हो रहे हैं ईमान से

शहरों में घट गई है यह खूबसूरती

पड़ोसी का नाम पड़ोसी नहीं जानता 

कहता है अभिमान से


राम - राम ही है 

जो जोड़ रखे इंसान से

राम कहो, रहमान कहो

गुरु कहो, ईशा कहो

सब जोड़ें भगवान से

राम नाम ही है 

जो जोड़ रखे इंसान से


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©

रेटिंग 8.5/10



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