#H113
हम क्यों खामोश हो गये (Why ?, they become silent)
गुम हो गयी
किसी के घर की आहट
मुस्कुराहट गुम हो गयी
गुम हो गयी खिलखिलाहट
शरारत गुम हो गयी
गुम हो गयी मासूमियत
कहाँ गुम हो गयी कदमों की आहट
आवाज कहाँ गुम हो गयी
माँ बाप के अरमान लुट गये
लुट गये किसी के सपने
अपने कहाँ गुम हो गये
अब बस घर में माँ बाप ही रह गये।
वंश को दंश लग गया
उठते हैं जनाजे
जवानों के हाथ से
बड़ों के हाथ मासूमों का
जनाजा उठा गया।
कितना भारी है बोज
नासमझ क्या समझे
जिस पर गुजरी है बस
वही समझे यह बोज।
नासमझ पूछता है
कौन मिटा गया मुस्कुराहट
कौन खामोश कर गया
माँ बाप के सपने खा गया
न मिटने वाला गम दे गया।
कोई कहे चालक दोषी है
शराब का नशा दोषी है
स्कूल प्रशासन की मदहोशी है
सड़क सुरक्षा विभाग दोषी है
सरकार की खामोशी है
लाख पीटो अब लाठी
फांसी चढ़ा दो किसी को
छ: मासूम तो खामोश हो गये
न मिटने वाला गम दे गये
"नासमझ" कहे हम सब पर
बहुत बड़ा सवालिया निशान दे गये
क्या दोष था हमारा
हम क्यों खामोश हो गये।
हम क्यों खामोश हो गये।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 अप्रैल 2024,©
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