#H118
सच्चाई (Truth)
भूख ही सच्चाई है, घर में नहीं लुगाई है
दिल पर लगी है चोट, जिसकी नहीं दवाई है
मौसम बड़ा हरजाई है
कामचोरी की नहीं , कोई दवाई है
खाना बनाना नही है, कोई बड़ी कमाई ,
फिर भी भूखे रहे हरजाई
कहते रहे हैं, मुश्किल बहुत सहना जुदाई
भूखों मरना ही सच्चाई है
भूख कड़वी सच्चाई है,
खा के मिटा सकते हो,
दूसरों को खिला सकते हो
इसमें बड़ी भलाई है
चेहरे पर मुस्कराहट ला सकते हो
भूखे सो जातें, बहुत से देशभाई हैं
भूख कड़वी सच्चाई है,
हो सकता है मुस्कराहट भी झूठ हो
दिखाने के लिए मुस्करा सकते हो
गुस्सा छिपा कर मुस्कुरा सकते हो
गम दबा कर मुस्कराहट दिखा सकते हो
औरों के लिए मुस्कुरा सकते हो
ऐसा भी हो मुस्कराहट सच्ची हो
अगर दिल से मुस्कराते हो
मुस्करा कर किसी का भी,
दिल जीत सकते हो
हारने पर भी
मुस्कुरा कर जीतने वाले की,
जीत को कम कर सकते हो
मुस्कराहट में बहुत दम है
हो सकता है झूठ भी सच हो
सच को झूठ बता सकते हो,
कुछ समय के लिए सच को हरा सकते हो
सदा के लिए झूठ छिपा नहीं सकते हो
दर्द और मौत सच्चाई है,
इसको गले लगाना होगा
किसी से बांट नहीं सकते हो,
चाहे कोई कितना प्यारा क्यों न हो
जिसको लगी है चोट
दर्द से उसी को कराहना होगा
जिसकी आयी है मौत,
उसी को जाना होगा
मुस्कराहट झूठी या सच्ची हो सकती है
भूख सदा सच होती है
आंखें सदा सच बोलती आंखें हैं
इनको पढ़ना सीख लिया
समझो तुमने जीना सीख लिया
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
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