#H314
हरफनमौला (All Rounder)
वो सीमा में रहता है
उधार किसी का न रखता है।
काम समय पर कर देता है।
या फिर मना कर देता है।
बच्चों की भांति हंसता है।
गुस्सा भी जाता है।
सहयोगियों के घुल मिलकर
जीवन जीता है।
खेलना, कूदना, घूमना
पार्टी करना ,
हर गतिविधि में आगे रहता है।
साथियों में अच्छा माहौल रखता है।
भ्रमण में रुचि रखता है।
हर क्षण का मजा लूटता है।
आगे आने की चाहत रखता है।
जीवन में कहाॅं पहुंचा
इसकी नहीं सोचता है।
बंदा हमको जंचता है।
काया से कुछ हल्का है।
हमें बढ़ा हर्षाता है।
मुस्कराते मिलता है।
जोश सदा झलकाता है।
बंदा अच्छा लगता है।
हरफनमौला दिखता है।
बंदा हमको जंचता है।
दिनांक 30 नवम्बर 2024, ©
रेटिंग 8.5/10
Saturday, November 30, 2024
Friday, November 29, 2024
#H313 योद्धा (Warrior)
#H313
योद्धा (Warrior)
योद्धा या तो जंग जीतते
या फिर हार गले लगाते।
यदि किस्मत वाले होते
तो वीरगति को पाते।
जो किसी और पर,
हार का दोष लगाते
निसंकोच वो नेता कहलाते।
जब चुनाव जीतते
तो खुशी - खुशी सरकार बनाते।
जब हार जाते
तो फिर ईवीएम को
चीख - चीखकर दोष लगाते।
सहयोगी पार्टी को पनौती बताते।
गठबंधन से भी बाहर हो जाते।
खुद को कभी भी
हार का कारण न बताते।
देश की संस्थाओं पर
अपनी सहूलियत से
असंतोष जताते।
नेता हर बार मौसम में
अपना रंग बदल जाते।
नेता कभी भी
योद्धा न बन पाते।
योद्धा कभी भी
वचन से पीछे न जाते।
जनता को नेता
कभी समझ न पाते ।
इसीलिए सदा झांसे देकर
चुनाव जीतने की जुगत लगाते।
कभी बहलाते, कभी फुसलाते
लोगों को भड़काते, आपस में लड़वाते
अपने हित को, सदा देश से पहले लाते।
इसी वजह से चुनाव में
हार - जीत का मजा चखते जाते।
योद्धा सदा देश को पहले लाते।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 नवम्बर 2024, ©
रेटिंग 9.5/10
Thursday, November 28, 2024
#H312 रावणम (Evil - Good)
#H312
रावणम (Evil - Good)
तू कौन है
मैं कौन हूॅं
वो कौन है
पहचान तू कौन है।
रावण भी तेरे अंदर है
राम भी तेरे अंदर है।
बस पहचान
कब- कब तू कौन है।
जब तेरा मन मचले
बस रहना तुझे मौन है।
फिर सोच जरा
तू कौन है।
तू कौन बनेगा ?
कैसा इतिहास रचेगा ?
सुमार्ग पर चलेगा
या कुमार्ग चलेगा,
समाज का उत्थान करेगा
जब तू खुद को समझेगा ?
तू कौन है। तू रावणम है
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 नवम्बर 2024,©
अंक 9/10
Wednesday, November 27, 2024
#H311 उम्मीद (Hope)
#H311
उम्मीद (Hope)
अपनी सारी गाढ़ी कमाई ।
बच्चों की पढ़ाई में लगाई।
अगर वह फिर भी ,
संतान कुछ ना बन पाई।
फिर अपनी शामत आई।
बाप के सीने में सांस भी,
धीरे-धीरे रुकती आयी ।
आगे कैसे हो ?
इस पैसे की भरपाई ।
सोचा था कुछ दिन काम आएगी ,
संतान की कमाई।
अब कैसे कराएगी ।
वह अपने छोंटों की पढ़ाई।
अपनी तो बस ,
जल्दी जाने की बारी आई ।
कभी कहीं पढ़ा था हमने
वो बात याद आई।
"जो होता है अच्छे के लिए होता है "
बस यह बात आज तक समझ न आयी।
क्या अच्छा है ?
बच्चों की पढ़ाई काम न आयी।
बेरोज़गारी मुंह फाड़कर,
हमारे बच्चों के सामने आयी।
कैसे एक पिता के चेहरे पर,
अंधेरे वाली खामोशी छाई।
क्या हमने ज्यादा उम्मीद लगाई ?
जिसने सदा सबकी उम्मीद बंधाई।
आज क्या हुआ उसकी हिम्मत घबराई।
भरोसा है बच्चों पर,
जीवन कुछ बन जायेंगे।
पर आज भावना
कुछ ज्यादा हावी पाई।
क्या ग़लत किया ?
अच्छी किस्मत की भी उम्मीद जताई।
शिक्षा प्रणाली सुधारी जाए ।
किताबी ज्ञान छोड़,
प्रायोगिक बनाई जाए।
तो पक्की आयपरक बन जाए।
भ्रष्टाचार से कोई ,
युवा न शिकार हो पाए।
भ्रष्टाचार में सख्ती बरती जाए।
तब ही पिता की उम्मीदों का
बेड़ा पार हो पाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 27 नवम्बर 2024,©
उम्मीद (Hope)
अपनी सारी गाढ़ी कमाई ।
बच्चों की पढ़ाई में लगाई।
अगर वह फिर भी ,
संतान कुछ ना बन पाई।
फिर अपनी शामत आई।
बाप के सीने में सांस भी,
धीरे-धीरे रुकती आयी ।
आगे कैसे हो ?
इस पैसे की भरपाई ।
सोचा था कुछ दिन काम आएगी ,
संतान की कमाई।
अब कैसे कराएगी ।
वह अपने छोंटों की पढ़ाई।
अपनी तो बस ,
जल्दी जाने की बारी आई ।
कभी कहीं पढ़ा था हमने
वो बात याद आई।
"जो होता है अच्छे के लिए होता है "
बस यह बात आज तक समझ न आयी।
क्या अच्छा है ?
बच्चों की पढ़ाई काम न आयी।
बेरोज़गारी मुंह फाड़कर,
हमारे बच्चों के सामने आयी।
कैसे एक पिता के चेहरे पर,
अंधेरे वाली खामोशी छाई।
क्या हमने ज्यादा उम्मीद लगाई ?
जिसने सदा सबकी उम्मीद बंधाई।
आज क्या हुआ उसकी हिम्मत घबराई।
भरोसा है बच्चों पर,
जीवन कुछ बन जायेंगे।
पर आज भावना
कुछ ज्यादा हावी पाई।
क्या ग़लत किया ?
अच्छी किस्मत की भी उम्मीद जताई।
शिक्षा प्रणाली सुधारी जाए ।
किताबी ज्ञान छोड़,
प्रायोगिक बनाई जाए।
तो पक्की आयपरक बन जाए।
भ्रष्टाचार से कोई ,
युवा न शिकार हो पाए।
भ्रष्टाचार में सख्ती बरती जाए।
तब ही पिता की उम्मीदों का
बेड़ा पार हो पाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 27 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.9/10
Tuesday, November 26, 2024
#H310 रिश्तेदारी में होशियारी (Smartness in relationships)
#H310
रिश्तेदारी में होशियारी (Smartness in relationships)
खून का रिश्ता
व्यवहार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता
यार का रिश्ता
वफ़ा का रिश्ता
बहुत से रिश्ते
जीवन में मिल जाएंं।
हनुमान राम का रिश्ता
भक्ति का रिश्ता
स्वामी के लिए जलधि लांघा जाए।
बिन मोह के रिश्ता निभाया जाए।
कुंभकर्ण रावण का रिश्ता
कुटम्बी का रिश्ता
परिवार के साथ
मर मिटा जाए।
विभीषण रावण का रिश्ता
धर्म का रिश्ता
धर्म न छोड़ें
चाहे कोई भी बिछड़ जाए।
दुर्योधन कर्ण का रिश्ता
दोस्ती का रिश्ता
भले ही ग़लत हो
दोस्त छोड़ा न जाए।
द्रोपदी कृष्ण का रिश्ता
प्रभू प्रेम का रिश्ता
विपदा में
भक्त की लाज बचाए।
पन्ना धाय उदय सिंह का रिश्ता
कर्तव्य का रिश्ता
अपना सब कुछ जाए
पर कर्तव्य बिमुख
न हुआ जाए।
जो जैसे निभाए,
वैसा ही मान पाए।
पर इतिहास से
ज्यादा न सीख पाए।
रिश्ता तो वही चल पाए
एक आए, दूजा जाए ।
संकट आऐ, फिर भी आए
विपदा में भी सदा साथ में
खड़ा मिल जाए
वरना लोग अपना हक जताएं
बंटवारे पर हिस्सा मांगने आऐं।
हर बार कोई नया बहाना बनाएं।
पर रिश्तेदारी कभी न निभाएं।
ऐसे केवल मतलब पर ही
दरवाजा तुम्हारा खटखटाएं
ऐसों से तो फिर प्रभू बचाएं।
सदा निभाओ, दिल से रिश्तेदारी,
अच्छी नहीं, रिश्तेदारी में होशियारी।
वरना भूल जाओ रिश्तेदारी।
दोनों की होती समान जिम्मेदारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 26 नवम्बर 2024,©
रिश्तेदारी में होशियारी (Smartness in relationships)
खून का रिश्ता
व्यवहार का रिश्ता
प्यार का रिश्ता
यार का रिश्ता
वफ़ा का रिश्ता
बहुत से रिश्ते
जीवन में मिल जाएंं।
हनुमान राम का रिश्ता
भक्ति का रिश्ता
स्वामी के लिए जलधि लांघा जाए।
बिन मोह के रिश्ता निभाया जाए।
कुंभकर्ण रावण का रिश्ता
कुटम्बी का रिश्ता
परिवार के साथ
मर मिटा जाए।
विभीषण रावण का रिश्ता
धर्म का रिश्ता
धर्म न छोड़ें
चाहे कोई भी बिछड़ जाए।
दुर्योधन कर्ण का रिश्ता
दोस्ती का रिश्ता
भले ही ग़लत हो
दोस्त छोड़ा न जाए।
द्रोपदी कृष्ण का रिश्ता
प्रभू प्रेम का रिश्ता
विपदा में
भक्त की लाज बचाए।
पन्ना धाय उदय सिंह का रिश्ता
कर्तव्य का रिश्ता
अपना सब कुछ जाए
पर कर्तव्य बिमुख
न हुआ जाए।
जो जैसे निभाए,
वैसा ही मान पाए।
पर इतिहास से
ज्यादा न सीख पाए।
रिश्ता तो वही चल पाए
एक आए, दूजा जाए ।
संकट आऐ, फिर भी आए
विपदा में भी सदा साथ में
खड़ा मिल जाए
वरना लोग अपना हक जताएं
बंटवारे पर हिस्सा मांगने आऐं।
हर बार कोई नया बहाना बनाएं।
पर रिश्तेदारी कभी न निभाएं।
ऐसे केवल मतलब पर ही
दरवाजा तुम्हारा खटखटाएं
ऐसों से तो फिर प्रभू बचाएं।
सदा निभाओ, दिल से रिश्तेदारी,
अच्छी नहीं, रिश्तेदारी में होशियारी।
वरना भूल जाओ रिश्तेदारी।
दोनों की होती समान जिम्मेदारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 26 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.8/10
Sunday, November 24, 2024
#H309 जमघट की सफलता (Successful Get-together)
#H309
जमघट की सफलता (Successful Get-together)
सफल रहा आयोजन,
हमने तो बस यही कहना है।
नुक्स निकालने वालों को तो
नुक्स निकाल कर ही देना है।
जो होना होता है,
वो अच्छा ही होता है।
अच्छा लगा आयोजन,
परिवार और
बच्चों का यह कहना है।
कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने
जमकर रंग जमाया,
सबके मन को भाया।
लॉटरी योजना ने
प्रोग्राम में चार चांद लगाए।
लोकनृत्य ने सबको हर्षाया।
खेलों ने भी रंग जमाया।
बच्चों ने खूब गर्दा उड़ाया।
खाने का प्रबंधन
सबके मन को भाया।
मेहनत कहाँ किसी को दिखनी है।
यहाँ के सुझाव, संकल्पना,
योजना और समन्वय पर
कितना समय लगाया,
यह किसी को न दिखना है।
पर हमने तो लिखना है।
सफल हुआ आयोजन,
यह सबका कहना है।
संतुष्टि की प्रतिक्रिया ने
पूरी टीम का मनोबल
और ऊंचा कर दिया है।
किसे जाना है,
किसे नहीं जाना है,
कंपनी बस से जाना है
या अपनी गाड़ी से आना है।
फैमिली साथ में लाना है
या अकेले ही आना है।
इसमें कितना दिमाग
टीम ने खपाया है,
हमने तो बस
अंदाजा लगाना है।
हर स्तर के लोग न होते तो
परिवार और बच्चे न होते तो
अच्छा लगना मुश्किल था।
सफल होने का असल कारण
इनका शामिल होना है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 23 नवंबर 2024,©
जमघट की सफलता (Successful Get-together)
सफल रहा आयोजन,
हमने तो बस यही कहना है।
नुक्स निकालने वालों को तो
नुक्स निकाल कर ही देना है।
जो होना होता है,
वो अच्छा ही होता है।
अच्छा लगा आयोजन,
परिवार और
बच्चों का यह कहना है।
कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने
जमकर रंग जमाया,
सबके मन को भाया।
लॉटरी योजना ने
प्रोग्राम में चार चांद लगाए।
लोकनृत्य ने सबको हर्षाया।
खेलों ने भी रंग जमाया।
बच्चों ने खूब गर्दा उड़ाया।
खाने का प्रबंधन
सबके मन को भाया।
मेहनत कहाँ किसी को दिखनी है।
यहाँ के सुझाव, संकल्पना,
योजना और समन्वय पर
कितना समय लगाया,
यह किसी को न दिखना है।
पर हमने तो लिखना है।
सफल हुआ आयोजन,
यह सबका कहना है।
संतुष्टि की प्रतिक्रिया ने
पूरी टीम का मनोबल
और ऊंचा कर दिया है।
किसे जाना है,
किसे नहीं जाना है,
कंपनी बस से जाना है
या अपनी गाड़ी से आना है।
फैमिली साथ में लाना है
या अकेले ही आना है।
इसमें कितना दिमाग
टीम ने खपाया है,
हमने तो बस
अंदाजा लगाना है।
हर स्तर के लोग न होते तो
परिवार और बच्चे न होते तो
अच्छा लगना मुश्किल था।
सफल होने का असल कारण
इनका शामिल होना है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 23 नवंबर 2024,©
रेटिंग 9.6/10
Friday, November 22, 2024
#H308 क्या चाहते हो ? उत्कृष्टता। (What do you want? Excellence.)
#H308
क्या चाहते हो ? उत्कृष्टता। (What do you want? Excellence.)
क्या चाहते हो
उत्कृष्टता चाहते हो
चलो हम बताते हैं
कैसे उत्कृष्टता बनाते हैं
पांच सूत्र अपनाओ
उत्कृष्टता पाओ।
बहुत सरल है
यही मुश्किल है।
अनुशासित होकर अपनाओ।
प्रथम
अनावश्यक और आवश्यक का ज्ञान करो।
मौजूद वस्तुओं का उद्धार करो।
आवश्यक को रखो।
अनावश्यक का निपटान करो।
उत्कृष्टता के पहले कदम को सलाम करो।
द्वितीय
आवश्यक वस्तुओं को व्यवस्थित करो।
हर वस्तु का स्थान निश्चित करो।
हर वस्तु को निर्धारित स्थान पर रखो।
हर वस्तु पर लेबल लगाओ।
जरूरत पड़ने पर आसानी से पाओ।
भारी को नीचे रखो
हल्की को ऊपर रखो
चोटिल होने का खतरा घटाओ।
रोज जो इस्तेमाल हो
उसको पास में सजाओ।
कभी कभी लगने वाली वस्तुओं को
दूर स्थान पर सजाओ
उत्कृष्टता लाने के
दूसरे सूत्र को पूरा कर जाओ।
तृतीय
झाड़ू कर खूब चमकाओ।
खुशी का अहसास जताओ।
जल्दी ही इसको गन्दा पाओ।
मायूसी और शर्मिन्दगी उठाओ।
सफाई का समय निर्धारित करो।
सफाई मत करो।
साफ रखो, सब साफ पाओ।
ध्यान रहे,
इसको निर्धारित समय पर करते जाओ।
वरना फिर अव्यवस्थित पाओ।
तीसरे सूत्र को पूरा कर जाओ।
चतुर्थ
सवाल यह सामने लाओ।
कैसे इसे बनाकर रख पाओ।
इसका मानकीकरण करो।
जिम्मेदारी निर्धारित करो
प्रथम सूत्र की पुनरावृत्ति का
समय निर्धारित करो
दूसरे सूत्र की जांच करने का
समय तय करो
तीसरे सूत्र के करने के
पैमाने निश्चित करो
पालन करते जाओ।
समय पर परिवर्तन लाते जाओ।
कोई भी बदले।
तुम सदा उत्कृष्टता पाओ।
पंचम
अब क्या बचा
जल्दी बतलाओ।
सबसे कठिन, और महत्वपूर्ण
दौर अब तुम पाओ।
यह सभी सूत्र पूरे करते जाओ।
स्व अनुशासन को अपनाओ।
परिवर्तन को समझते जाओ।
आगे बढ़ते जाओ।
उत्कृष्टता लाने का
अन्तिम सूत्र पार कर जाओ।
यह सारे सूत्र बार-बार दौहराओ।
अपना कार्यस्थल चमचमाता पाओ।
गुणवत्ता, उत्पादकता, सुरक्षा, मनोबल में
हर रोज सुधार पाओ।
बस सुधारों को मानक बनाते जाओ।
उत्कृष्टता लाते जाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 नवम्बर 2024,©
क्या चाहते हो ? उत्कृष्टता। (What do you want? Excellence.)
क्या चाहते हो
उत्कृष्टता चाहते हो
चलो हम बताते हैं
कैसे उत्कृष्टता बनाते हैं
पांच सूत्र अपनाओ
उत्कृष्टता पाओ।
बहुत सरल है
यही मुश्किल है।
अनुशासित होकर अपनाओ।
प्रथम
अनावश्यक और आवश्यक का ज्ञान करो।
मौजूद वस्तुओं का उद्धार करो।
आवश्यक को रखो।
अनावश्यक का निपटान करो।
उत्कृष्टता के पहले कदम को सलाम करो।
द्वितीय
आवश्यक वस्तुओं को व्यवस्थित करो।
हर वस्तु का स्थान निश्चित करो।
हर वस्तु को निर्धारित स्थान पर रखो।
हर वस्तु पर लेबल लगाओ।
जरूरत पड़ने पर आसानी से पाओ।
भारी को नीचे रखो
हल्की को ऊपर रखो
चोटिल होने का खतरा घटाओ।
रोज जो इस्तेमाल हो
उसको पास में सजाओ।
कभी कभी लगने वाली वस्तुओं को
दूर स्थान पर सजाओ
उत्कृष्टता लाने के
दूसरे सूत्र को पूरा कर जाओ।
तृतीय
झाड़ू कर खूब चमकाओ।
खुशी का अहसास जताओ।
जल्दी ही इसको गन्दा पाओ।
मायूसी और शर्मिन्दगी उठाओ।
सफाई का समय निर्धारित करो।
सफाई मत करो।
साफ रखो, सब साफ पाओ।
ध्यान रहे,
इसको निर्धारित समय पर करते जाओ।
वरना फिर अव्यवस्थित पाओ।
तीसरे सूत्र को पूरा कर जाओ।
चतुर्थ
सवाल यह सामने लाओ।
कैसे इसे बनाकर रख पाओ।
इसका मानकीकरण करो।
जिम्मेदारी निर्धारित करो
प्रथम सूत्र की पुनरावृत्ति का
समय निर्धारित करो
दूसरे सूत्र की जांच करने का
समय तय करो
तीसरे सूत्र के करने के
पैमाने निश्चित करो
पालन करते जाओ।
समय पर परिवर्तन लाते जाओ।
कोई भी बदले।
तुम सदा उत्कृष्टता पाओ।
पंचम
अब क्या बचा
जल्दी बतलाओ।
सबसे कठिन, और महत्वपूर्ण
दौर अब तुम पाओ।
यह सभी सूत्र पूरे करते जाओ।
स्व अनुशासन को अपनाओ।
परिवर्तन को समझते जाओ।
आगे बढ़ते जाओ।
उत्कृष्टता लाने का
अन्तिम सूत्र पार कर जाओ।
यह सारे सूत्र बार-बार दौहराओ।
अपना कार्यस्थल चमचमाता पाओ।
गुणवत्ता, उत्पादकता, सुरक्षा, मनोबल में
हर रोज सुधार पाओ।
बस सुधारों को मानक बनाते जाओ।
उत्कृष्टता लाते जाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.7/10
Thursday, November 21, 2024
#H307 चुप्पी (Silence)
#H307
चुप्पी (Silence)
चुप मैं रहता हूॅं ।
नाड़ नीचे रखता हूॅं
काम आगे नहीं खिसकाता हूॅं
किसी की नजर में नहीं आता हूॅं
मना नहीं करता हूॅं।
फोलोअप कई करवाता हूॅं।
लटका - लटका काम करता हूॅं।
धीरे से बोलता हूॅं।
चुप मैं रहता हूॅं ।
विश्लेषण करने से कतराता हूॅं।
कार्य योजना नहीं बनाता हूॅं।
सदा कमी दूसरे की बताता हूॅं।
अपने पर्यवेक्षक से
प्रभावित होता जाता हूॅं।
उप पर्यवेक्षक,
खुद को बतलाता हूॅं।
दूसरे एरिया के बारे में
सदा हाथ खड़े कर देता हूॅं।
मिलने पर
कभी-कभी मुस्कराता हूॅं।
पर्यवेक्षक से भी कतराता हूॅं।
किसी का खुलेआम
विरोध नहीं जताता हूॅं।
मैं चुप रहता हूॅं ।
खूब पढ़ा लिखा हूॅं।
पर यहाॅं पड़ा हूॅं।
अपेक्षित प्रगति नहीं पाता हूॅं
शायद इसीलिए
चुप्पी साधे रहता हूॅं।
चुप्पी तोड़ो
आगे बढ़ जाओ।
अपना मनोबल
थोड़ा और बढ़ाओ।
अभी तुम युवा हो।
कुछ करके दिखलाओ
बस थोड़ी हिम्मत दिखलाओ।
चुप्पी तोड़ो, आगे बढ़ जाओ।
जीवन में मन चाही प्रगति पाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 नवम्बर 2024,©
चुप्पी (Silence)
चुप मैं रहता हूॅं ।
नाड़ नीचे रखता हूॅं
काम आगे नहीं खिसकाता हूॅं
किसी की नजर में नहीं आता हूॅं
मना नहीं करता हूॅं।
फोलोअप कई करवाता हूॅं।
लटका - लटका काम करता हूॅं।
धीरे से बोलता हूॅं।
चुप मैं रहता हूॅं ।
विश्लेषण करने से कतराता हूॅं।
कार्य योजना नहीं बनाता हूॅं।
सदा कमी दूसरे की बताता हूॅं।
अपने पर्यवेक्षक से
प्रभावित होता जाता हूॅं।
उप पर्यवेक्षक,
खुद को बतलाता हूॅं।
दूसरे एरिया के बारे में
सदा हाथ खड़े कर देता हूॅं।
मिलने पर
कभी-कभी मुस्कराता हूॅं।
पर्यवेक्षक से भी कतराता हूॅं।
किसी का खुलेआम
विरोध नहीं जताता हूॅं।
मैं चुप रहता हूॅं ।
खूब पढ़ा लिखा हूॅं।
पर यहाॅं पड़ा हूॅं।
अपेक्षित प्रगति नहीं पाता हूॅं
शायद इसीलिए
चुप्पी साधे रहता हूॅं।
चुप्पी तोड़ो
आगे बढ़ जाओ।
अपना मनोबल
थोड़ा और बढ़ाओ।
अभी तुम युवा हो।
कुछ करके दिखलाओ
बस थोड़ी हिम्मत दिखलाओ।
चुप्पी तोड़ो, आगे बढ़ जाओ।
जीवन में मन चाही प्रगति पाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
Wednesday, November 20, 2024
#E008 How will Improve Systems
#E008
How will Improve Systems
In Industry nowadays
Employees don't know the systems.
Mostly thinks here,
their boss also doesn't know the systems.
Top management says,
"Always follow the systems."
How will Improve Systems ?
Employees lack self-motivation.
Employees have no time
to refer to the systems.
No time
to get training on systems.
Bosses don’t give training to members.
Always market themselves
For deviations, always ready
to follow the systems.
Always follow instructions,
pass instructions,
always demand the work.
Don’t think
how to implement the instructions.
No time to think
how to improve systems.
No scope in the hands of the plant
to change the systems.
Excuses abound:
“This is a multi-location system,”
even though
many different systems exist.
Systems compromised,
not challenging the present systems.
How will Improve Systems ?
Employees don’t know the systems.
Mostly thinks
their boss also doesn’t know the systems.
Top management says,
"Always follow the systems."
Every year, industries gain
maturity in systems.
We are still trying to understand systems,
following what is written,
writing what is required to follow.
Looking for the records:
“Have you filled the records?
Forgot to record in the records?”
Manipulate the records,
always saying,
“There is no 4M change.”
Adjust countermeasures,
hide facts,
showing stories.
Becoming customary.
What is the type of such systems?
Ignore facts,
keep stories in the systems.
No one wants to face the truth.
Truth is always
raw, blunt, asymmetrical, sharp.
No one wants to see and
face the truth.
Without facts, evidence,
no one can change systems.
Demonstrate ready to help
But always have closed mind
How will Improve Systems ?
Identify risks in systems.
Identify root causes.
Eliminate problems.
Decide corrective actions.
Deploy horizontally.
Sustain actions.
Be responsible.
Demonstrate leadership at all levels.
Be accountable and fix members.
Build a positive-minded team.
Keep transparency.
Follow “check on check.”
Regularly revise systems.
These will bring Improvement in the systems
Devendra Pratap "नासमझ"
Date 20 November 2024, ©
Rating 8.5/10
Monday, November 18, 2024
#H306 बीज (Seed)
#H306
बीज (Seed)
अंकुर तुम नहीं बन पाओगे,
अगर तुम सीमाओं को तोड़
बाहर नहीं आओगे।
मिट्टी में पड़े रह जाओगे,
सड़कर अपना अस्तित्व खो जाओगे।
मौसम का मज़ा
कहां ले पाओगे?
अगर धूप की तपिश से,
बारिश की झावट से,
शीत के पाले से घबराओगे।
अंकुर तुम नहीं बन पाओगे।
पौधा फिर कहां बन पाओगे?
फूलों की गंध कहां फैला पाओगे?
बीज न बना पाओगे,
किसान को खाली हाथ छोड़ जाओगे।
अनाज न बन पाओगे,
जो मौसम की मार से घबराओगे।
तो अंकुर तुम नहीं बन पाओगे।
अगर दायरे में रहे,
तो प्यार कहां से पाओगे?
कुछ होने के डर से रुक जाओगे,
तो दुनिया कैसे आगे बढ़ाओगे?
न आगे कदम बढ़ाने के किस्से
बच्चों को बतलाओगे।
बिन प्यार के मर जाओगे,
अंकुर बिना बने रह जाओगे।
आज़ाद और भगत डर जाते,
अंग्रेजों से लड़ने रुक जाते,
क्या फिर वो अपना नाम कर पाते?
क्या हमें याद आते?
क्या हम गर्व महसूस कर पाते?
सूखे के शिकार हो जाओगे,
बिन खाद के न बढ़ पाओगे।
विपरीत वातावरण में
समय से पहले मर जाओगे।
बाढ़ आयी तो बह जाओगे,
किस्मत से कैसे आगे जाओगे?
जब जोखिम नहीं उठाओगे,
अंकुर बनने का सपना
पूरा नहीं कर पाओगे।
अगर न डरे नया करने से,
तो नाम अपना कर जाओगे।
तुम अंकुर बन जाओगे,
सबको महकाओगे,
फल भी सबको खिलाओगे।
बीज का जीवन सार्थक बनाओगे।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 17 नवम्बर 2024,©
बीज (Seed)
अंकुर तुम नहीं बन पाओगे,
अगर तुम सीमाओं को तोड़
बाहर नहीं आओगे।
मिट्टी में पड़े रह जाओगे,
सड़कर अपना अस्तित्व खो जाओगे।
मौसम का मज़ा
कहां ले पाओगे?
अगर धूप की तपिश से,
बारिश की झावट से,
शीत के पाले से घबराओगे।
अंकुर तुम नहीं बन पाओगे।
पौधा फिर कहां बन पाओगे?
फूलों की गंध कहां फैला पाओगे?
बीज न बना पाओगे,
किसान को खाली हाथ छोड़ जाओगे।
अनाज न बन पाओगे,
जो मौसम की मार से घबराओगे।
तो अंकुर तुम नहीं बन पाओगे।
अगर दायरे में रहे,
तो प्यार कहां से पाओगे?
कुछ होने के डर से रुक जाओगे,
तो दुनिया कैसे आगे बढ़ाओगे?
न आगे कदम बढ़ाने के किस्से
बच्चों को बतलाओगे।
बिन प्यार के मर जाओगे,
अंकुर बिना बने रह जाओगे।
आज़ाद और भगत डर जाते,
अंग्रेजों से लड़ने रुक जाते,
क्या फिर वो अपना नाम कर पाते?
क्या हमें याद आते?
क्या हम गर्व महसूस कर पाते?
सूखे के शिकार हो जाओगे,
बिन खाद के न बढ़ पाओगे।
विपरीत वातावरण में
समय से पहले मर जाओगे।
बाढ़ आयी तो बह जाओगे,
किस्मत से कैसे आगे जाओगे?
जब जोखिम नहीं उठाओगे,
अंकुर बनने का सपना
पूरा नहीं कर पाओगे।
अगर न डरे नया करने से,
तो नाम अपना कर जाओगे।
तुम अंकुर बन जाओगे,
सबको महकाओगे,
फल भी सबको खिलाओगे।
बीज का जीवन सार्थक बनाओगे।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 17 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.8/10
Saturday, November 16, 2024
#H305 मुझे आज भी याद है (I still remember it)
#H305
मुझे आज भी याद है (I still remember it)
वजीरगंज में पहली फोटो खिंचाना
मेले में चिड़ियाघर देखना
पहली मूवी (बृजभूमि) याद आना
दूसरी मूवी (अंधा कानून) में
रील उल्टी चलना
फिल्म का रोका जाना।
मुझे आज भी याद है।
स्कूल में दाखिले पर
पापा का कहना,
तेरी वजह से मुझे स्कूल न आना पड़े।
पूरी शिक्षा में ध्यान रख पाना।
मुझे आज भी याद है।
पहली मूवी (हत्या)
खुद जाकर देखना
झांसी शादी में जाना
लक्ष्मीबाई का किला देखना
मुझे आज भी याद है।
एक बार स्कूल से बाहर जाना
क्लास में मेरे बारे में पूछा जाना
आत्मसम्मान के लिए घबराना
फिर ऐसा न करना
मुझे आज भी याद है।
एकीकृत छात्रवृत्ति
परीक्षा पास करना।
पूरी छात्रवृत्ति खुद पर उड़ाना,
बैंक से दस - दस,
बीस - बीस रुपये निकालना
मुझे आज भी याद है।
कक्षा 8 में पहली बार प्रथम आना
साइंस लेने से कतराना
पापा का भरोसा दिलाना
मुझे आज भी याद है।
घर का माहौल,
घर से भाग जाना।
फिर वापस घर आना
मुझे आज भी याद है।
किसी का चेहरा
गुरूओं का पहरा।
साथियों का साथ
धुऐं का पहला घूंट
पहले और आखिरी बार
गुटखे का चखना।
सिट्रा कोला का पहला घूंट।
मुझे आज भी याद है।
वरिष्ठों की शिक्षा
आत्मसम्मान की रक्षा
भटकाव का आकर्षण
भगवान की कृपा से
सदमार्ग पर चल पाना।
मुझे आज भी याद है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 16 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
#H304 जमघट (Get-together)
#H304
जमघट (Get-together)
बहुत दिनों बाद
यह दिन आया हैं
कंपनी ने जब यहाॅं पर
कर्मचारियों का
जमघट लगाया है
इस फार्म हाउस पर
हम सभी को बुलाया है
बहुत अच्छा किया
जो सबको यहां बुलाया है।
न कोई छोटा है आज
न कोई बड़ा है आज
बस आज यहाॅं खुशियों
का मेला सजा है।
घूमो फिरो यहां पर खुलकर
स्टेज पर नाचो, गाओ, झूमो
अपना कौशल दिखलाओ
देशी पकवान खाओ।
साथियों का मन बहलाओ
और साथियों,
यहाॅं तुम पुरस्कार भी पाओ।
खुशी से आज दिन मनाओ
कुछ अच्छे पल
यहां से लेकर जाओ
अपनों को घर पर ये सुनाओ।
जीता हुआ पुरस्कार दिखाओ।
साथियों की खुशी बढ़ाओ।
कल से फिर काम में जुट जाओ।
हम प्रबंधन से गुहार लगाते
सभी को अगले साल
फिर किसी और जगह बुलाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 14 नवम्बर 2024,©
जमघट (Get-together)
बहुत दिनों बाद
यह दिन आया हैं
कंपनी ने जब यहाॅं पर
कर्मचारियों का
जमघट लगाया है
इस फार्म हाउस पर
हम सभी को बुलाया है
बहुत अच्छा किया
जो सबको यहां बुलाया है।
न कोई छोटा है आज
न कोई बड़ा है आज
बस आज यहाॅं खुशियों
का मेला सजा है।
घूमो फिरो यहां पर खुलकर
स्टेज पर नाचो, गाओ, झूमो
अपना कौशल दिखलाओ
देशी पकवान खाओ।
साथियों का मन बहलाओ
और साथियों,
यहाॅं तुम पुरस्कार भी पाओ।
खुशी से आज दिन मनाओ
कुछ अच्छे पल
यहां से लेकर जाओ
अपनों को घर पर ये सुनाओ।
जीता हुआ पुरस्कार दिखाओ।
साथियों की खुशी बढ़ाओ।
कल से फिर काम में जुट जाओ।
हम प्रबंधन से गुहार लगाते
सभी को अगले साल
फिर किसी और जगह बुलाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 14 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
#H303 भ्रम (Confusion)
#H303
भ्रम (Confusion)मैं माल बिकवाता हूॅं
मैं ही माल मंगवाता हूॅं
मैं ही माल बनवाता हूॅं
अगर कोई माल रोके
तो गुस्से में आ जाता हूॅं
फिर भी
आड़े हाथ लिया जाता हूॅं।
लोगों से अक्सर टकरा जाता हूॅं।
मुझे लगता है
प्लान्ट मैं ही चलाता हूॅं।
मैं प्लान्ट हेड से कम नहीं हूॅं।
इसी भ्रम में जीता जाता हूॅं।
तर्क बहुत लगाता हूॅं
समझदार खुद को बहुत दिखाता हूॅं
आसानी से काम नहीं मानता हूॅं
सबसे पहले मना ,
करने का प्रयास लगाता हूॅं ।
नहीं चली तो आगे बढ़ाता हूॅं।
उच्च अफसर की ही बात मानता हूॅं।
वरना भ्रम जताता हूॅं।
टीम को आगे नहीं बढ़ने देता हूॅं।
उनकी स्किल नहीं चमकाता हूॅं।
सबको लाइम लाइट से दूर रखता हूॅं।
सत्ता छिन जाने से डरता हूॅं।
जातिवाद, क्षेत्रवाद,
भाई-भतीजावाद बढ़ाता हूॅं।
काम में स्पष्टता दिखाता हूॅं।
पर बिल्कुल नहीं अपनाता हूॅं।
तिकड़म से काम चलाता हूॅं।
यह सब अपने दिमागी भ्रम
से करता जाता हूॅं।
हम चाहेंगे आप और तरक्की करो।
पर इन कमियों में सुधार करो।
ताकि सबके आदर्श बन पाओ।
भविष्य में प्लान्ट हेड बनकर
कम्पनी भी चलाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
#H302 मेरी छोटी सी गलतियां (My Small Mistakes)
#H302
मेरी छोटी सी गलतियां (My Small Mistakes)समय गंवाया
ढंग से न पढ़ पाया।
घबराहट में भविष्य की
ना सोच पाया।
जल्दी से
खुद को जाॅब में फंसाया।
प्लान्ट लगाने में अहम रोल निभाया
उत्पादन और प्रोसेस क्वालिटी को
स्थापित कराया
बाॅस से न ताल मेल बिठाया
अपने ही ढंग से काम चलाया।
अनबन में ही समय जाता पाया।
सदा खुद को नियमों बंध में पाया।
नौकरी गंवायी,
फिर काम वहीं पर पाया।
नई उत्पादन लाइन को
खुद की निगरानी में लगवाया।
पुर्जों की आपूर्ति को भी
स्थापित कराया।
उत्पादन को और बढ़ाया।
उत्पादन और प्रोसेस क्वालिटी से
गुणवत्ता प्रबंधन तंत्र में आया।
बहुत सीखा, प्रयोग किया।
स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन
पर काम कराया।
पर लोगों की समझ न आया
प्रबंधन तंत्र को लोगों ने सदा,
दूर का रिश्तेदार ही बताया।
एक कंपनी छोड़ दूसरी में आया
दूसरी से तीसरी में
सिलसिला फिर रुक न पाया।
जब रुका तो फिर चल न पाया ।
प्रबंधन पर जोर लगाया
उत्कृष्टता की ओर कदम बढ़ाया
फिर खुद को अकेला ही पाया।
कंपनी का भला चाहा।
और फिर जाॅब गंवाया।
पर खुद को न बदल पाया।
गुणवत्ता प्रबंधन तंत्र से
बाहर न जा पाया ।
कुछ समय
सप्लायर क्वालिटी भी में लगाया।
कहां से चला ।
देर तक चला।
पर यहां अटका हुआ पाया।
जो न हुआ, उसमें सोच सोच कर
बढ़ा समय लगाया।
बहुतों को बनाया
अपना सब कुछ सिखाया ।
पर अब लगता है।
खुद को न बना पाया।
मैं मेरी गलतियों से
समय पर न सीख पाया।
ईश्वर की कृपा से
मैंने जीवन में बहुत कुछ पाया।
बहुतों को इतना भी नहीं मिल पाया।
सदा मैंने ईश्वर को धन्यवाद जताया।
लेखन में अपना हाथ आजमाया।
मैं कुछ खास सफलता न पाया।
सदा भविष्य, समय पर छोड़ा है, हमने
देखते है, अगला कदम कहां पे आया।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 06 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 8.5/10
#H301 भूख (Greed)
#H301
भूख (Greed)
"कविता में आज के लोगों के विशेष तरह के व्यक्तित्व की भूख को लालच, मौकापरस्ती, छोटा मार्ग अपनाने के रुप में बताया गया है। जो सदा अतृप्त रहती है।"
मैं खूब खाना खाती हूँ।
मोटी होती जाती हूँ।
फिर भी भूखी रह जाती हूँ
समझ नहीं पाती हूँ।
किस भूख में जीती जाती हूँ।
लालच में फंस जाती हूँ।
वाह - वाही चाहती हूँ।
मौके नहीं गंवाती हूँ।
हर दांव लगाती हूँ।
हाँ में हाँ मिलाती हूँ।
फिर भी पर समय से,
आगे नहीं बढ़ पाती हूँ।
कुछ समझ नहीं पाती हूँ
भूखी रह जाती हूँ।
बिलकुल नहीं शरमाती हूँ।
ऊपर पहुँच लगाती हूँ।
छोटा रास्ता अपनाती हूँ।
नया काम,
बहुत कम कर पाती हूँ।
थोड़े से काम चलाती हूँ।
जल्दी आगे बढ़ने की चाह में,
फंसकर रह जाती हूँ।
मैं भूखी रह जाती हूँ।
अपना महत्व दिखाने को
काम को लटकाती हूँ।
अन्तिम समय में करती हूँ
फंसकर रह जाती हूँ
लोगों की नजर में आ जाती हूँ।
मैं भूखी रह जाती हूँ।
गलत रोकने से कतराती,
संबंध खराब होने का
जोखिम नहीं उठाती हूँ।
फंसकर रह जाती हूँ।
लोगों से ठगी जाती हूँ।
मैं भूखी रह जाती हूँ।
यारों का साथ निभाती हूँ।
ईश्वर को भी ढोक लगाती हूँ।
जनसम्पर्क बढ़ाती हूँ।
फिर क्यों फंसकर रह जाती हूँ।
क्या लक्ष्य है मेरा
क्या रणनीति है मेरी
किसी को नहीं बताती हूँ
समझदार बन जाती हूँ।
फिर भी फंसकर रह जाती हूँ।
भूखी रह जाती हूँ।
किस भूख में जीती जाती हूँ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 सितम्बर 2024,©
"कविता में आज के लोगों के विशेष तरह के व्यक्तित्व की भूख को लालच, मौकापरस्ती, छोटा मार्ग अपनाने के रुप में बताया गया है। जो सदा अतृप्त रहती है।"
मैं खूब खाना खाती हूँ।
मोटी होती जाती हूँ।
फिर भी भूखी रह जाती हूँ
समझ नहीं पाती हूँ।
किस भूख में जीती जाती हूँ।
लालच में फंस जाती हूँ।
वाह - वाही चाहती हूँ।
मौके नहीं गंवाती हूँ।
हर दांव लगाती हूँ।
हाँ में हाँ मिलाती हूँ।
फिर भी पर समय से,
आगे नहीं बढ़ पाती हूँ।
कुछ समझ नहीं पाती हूँ
भूखी रह जाती हूँ।
बिलकुल नहीं शरमाती हूँ।
ऊपर पहुँच लगाती हूँ।
छोटा रास्ता अपनाती हूँ।
नया काम,
बहुत कम कर पाती हूँ।
थोड़े से काम चलाती हूँ।
जल्दी आगे बढ़ने की चाह में,
फंसकर रह जाती हूँ।
मैं भूखी रह जाती हूँ।
अपना महत्व दिखाने को
काम को लटकाती हूँ।
अन्तिम समय में करती हूँ
फंसकर रह जाती हूँ
लोगों की नजर में आ जाती हूँ।
मैं भूखी रह जाती हूँ।
गलत रोकने से कतराती,
संबंध खराब होने का
जोखिम नहीं उठाती हूँ।
फंसकर रह जाती हूँ।
लोगों से ठगी जाती हूँ।
मैं भूखी रह जाती हूँ।
यारों का साथ निभाती हूँ।
ईश्वर को भी ढोक लगाती हूँ।
जनसम्पर्क बढ़ाती हूँ।
फिर क्यों फंसकर रह जाती हूँ।
क्या लक्ष्य है मेरा
क्या रणनीति है मेरी
किसी को नहीं बताती हूँ
समझदार बन जाती हूँ।
फिर भी फंसकर रह जाती हूँ।
भूखी रह जाती हूँ।
किस भूख में जीती जाती हूँ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
#H300 आज की तीज
#H300
आज की तीज
अब ना बाग हैं, ना झूले हैं
कैसे कहोगे हम
तीज पर झूला झूले हैं
सखियों संग मेला घूमें हैं
सखियों संग बागों में
मनोहर गीत गाये हैं
और उन पर झूमे हैं
आज पूजा में
शंकर पार्वती की
सगाई कराई है
सपने अपने प्रतीम के
मन में सजोयी हैं
सखियों संग
तीज मनाई है।
मेहंदी लगाओ
रंग-बिरंगी चूड़ियां पहनो
मेकअप कराओ
नये परिधान पहनो
सखियों को दिखाओ
अब ऐसे ही तीज मनाओ।
कैसे कहोगे हम
तीज पर झूला झूले हैं
अब ना बाग हैं, ना झूले हैं
सब तीज का रंग विरंगा
हम लोग त्योहार भूले हैं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
©
रेटिंग 9/10
#H299 धनतेरस (Dhanteras)
#H299
धनतेरस (Dhanteras)धनतेरस मनाओ
कुछ ना कुछ
खरीद कर घर जरूर लाओ
लाला जी का
खूब मुनाफा करवाओ।
धनतेरस पर खरीदारी से
धन-धान्य संपन्नता घर आएगी
कौन बतलाया है
यह तो व्यापारियों
झोल झाल है।
वरना आज तक कोई
खर्चा कर
संपन्नता घर लाया है।
हमें अब तक समझ नहीं आया है।
कोई चम्मच खरीद लाया है।
कोई आभूषणों में माल लगाया है।
लाला ने खूब मुनाफा कमाया है।
त्योहार मनाओ
पर जरूरत का सामान ही
खरीदकर घर लाओ।
बचत और निवेश को
अगला कदम बनाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 अक्टूबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10
#H298 जंग रहती है जारी (The battle continues)
#H298
जंग रहती है जारी (The battle continues)
दर्द की मारी, वो बेचारी
उसको हो गयी
न जाने वाली बीमारी
दर्द सहते - सहते हारी
जंग अभी है जारी।
वो दुखियारी, रोगिणी बेचारी
बीमारी से लड़ते-लड़ते
करहा - कराहकर रात गुजारे
वो बेचारी , वो दुखियारी
दवाईयां खा खाकर हारी।
पर हिम्मत कभी न हारी।
जंग अभी है जारी।
जीवन में न आए,
किसी के ऐसी लाचारी।
आखरी समय की लड़ाई
लड़ती-रहती, रोगिणी बेचारी।
हौसला देती हम सबको ।
जंग अभी है जारी।
दर्द उसी को सहना पड़ता।
हम कुछ न कर पाते
कैसी है हमारी लाचारी।
वो दुखियारी, रोगिणी बेचारी।
सबकी अपनी-अपनी होती
जीवन में जंग
चाहो या न चाहो
तुम्हें लड़नी होगी
जंग तुम्हारी।
चाहे हो, लाचारी,
खुद की जंग रहती है जारी।
जब तक चलती सांस हमारी।
अगर हो कोई न जाने वाली बीमारी।
अम्मा , दादी चाहे, तुम्हारी हो या हमारी।
ढांढस बांधने की भी ले रखती जिम्मेदारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 नवम्बर 2024,©
जंग रहती है जारी (The battle continues)
दर्द की मारी, वो बेचारी
उसको हो गयी
न जाने वाली बीमारी
दर्द सहते - सहते हारी
जंग अभी है जारी।
वो दुखियारी, रोगिणी बेचारी
बीमारी से लड़ते-लड़ते
करहा - कराहकर रात गुजारे
वो बेचारी , वो दुखियारी
दवाईयां खा खाकर हारी।
पर हिम्मत कभी न हारी।
जंग अभी है जारी।
जीवन में न आए,
किसी के ऐसी लाचारी।
आखरी समय की लड़ाई
लड़ती-रहती, रोगिणी बेचारी।
हौसला देती हम सबको ।
जंग अभी है जारी।
दर्द उसी को सहना पड़ता।
हम कुछ न कर पाते
कैसी है हमारी लाचारी।
वो दुखियारी, रोगिणी बेचारी।
सबकी अपनी-अपनी होती
जीवन में जंग
चाहो या न चाहो
तुम्हें लड़नी होगी
जंग तुम्हारी।
चाहे हो, लाचारी,
खुद की जंग रहती है जारी।
जब तक चलती सांस हमारी।
अगर हो कोई न जाने वाली बीमारी।
अम्मा , दादी चाहे, तुम्हारी हो या हमारी।
ढांढस बांधने की भी ले रखती जिम्मेदारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Thursday, November 14, 2024
#H297 बाल दिवस (Children's Day)
#H297
बाल दिवस (Children's Day)
बाल दिवस आज आया है,
हमें भी कुछ पुरानी यादें
याद दिलाया है।
बचपन का
बाल दिवस याद आया है।
बच्चों, खूब मुस्कुराओ,
ड्राइंग बनाओ,
प्रतियोगिता में हाथ आजमाओ।
आज के दिन पढ़ाई भूल जाओ,
बस बाल दिवस मनाओ।
चाचा नेहरू को भी
एक बार याद कराओ।
गाना गाओ,
नाच के दिखाओ,
कुछ ऐसा कर जाओ
कि बड़ा होने पर
बाल दिवस न भूल पाओ।
मिठाइयां खाओ,
मनचाहे पकवान बनवाओ।
घर वालों पर धौंस जताओ,
दिल से बाल दिवस मनाओ।
माँ को यशोदा
और खुद को कान्हा बन जाओ,
कुछ रासलीला दिखाओ,
बाल दिवस खुलकर मनाओ।
दोस्तों संग खिलखिलाओ,
कट्टी भूल जाओ।
आगे बढ़कर हाथ मिलाओ,
हो सके तो
एक पेड़ ज़रूर लगाओ।
परिवार जनों का प्यार पाओ,
और सबको सम्मान देते जाओ।
बाल दिवस खुलकर मनाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 14 नवम्बर 2024,©
बाल दिवस (Children's Day)
बाल दिवस आज आया है,
हमें भी कुछ पुरानी यादें
याद दिलाया है।
बचपन का
बाल दिवस याद आया है।
बच्चों, खूब मुस्कुराओ,
ड्राइंग बनाओ,
प्रतियोगिता में हाथ आजमाओ।
आज के दिन पढ़ाई भूल जाओ,
बस बाल दिवस मनाओ।
चाचा नेहरू को भी
एक बार याद कराओ।
गाना गाओ,
नाच के दिखाओ,
कुछ ऐसा कर जाओ
कि बड़ा होने पर
बाल दिवस न भूल पाओ।
मिठाइयां खाओ,
मनचाहे पकवान बनवाओ।
घर वालों पर धौंस जताओ,
दिल से बाल दिवस मनाओ।
माँ को यशोदा
और खुद को कान्हा बन जाओ,
कुछ रासलीला दिखाओ,
बाल दिवस खुलकर मनाओ।
दोस्तों संग खिलखिलाओ,
कट्टी भूल जाओ।
आगे बढ़कर हाथ मिलाओ,
हो सके तो
एक पेड़ ज़रूर लगाओ।
परिवार जनों का प्यार पाओ,
और सबको सम्मान देते जाओ।
बाल दिवस खुलकर मनाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 14 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Wednesday, November 13, 2024
#H296 सुरक्षा की बात (A matter of safety)
#H296
सुरक्षा की बात (A matter of safety)
वो मुलाकात,
जब बस की न रही बात
बिगड़ गए हालात
हो गई ऐसी बात
लाज शर्म सब रह गई
जब फूटे जज्बात
सुरक्षा धरी रह गई।
हो गई ऐसी बात।
पछताने से होगा क्या
जब समाधान पर आ गई बात
जल्दी से करो
डाक्टर से मुलाकात
वरना इतिहास में दर्ज होगी
वो मुलाकात।
काबू में रखा करो जज्बात।
उम्र कोई भी हो
सुरक्षा रखना साथ।
वरना "बधाई हो " की
दिमाग में रखना बात।
काबू में रखा करो जज्बात।
पहली बार, पहला प्यार
जीवन भर रहे
अच्छी यादों का आधार
अगर भरोसा हो साथी पर
ना हो शंका लेश मात्र भी
प्यार ना कारण बन जाए
पछताने का आधार।
तभी पहला कदम बढ़ाना
करने को पहला प्यार।
सदा सुरक्षा रहे साथ
निर्भय होने का आधार।
करो सदा तुम खुल के प्यार
अफसोस की न हो बात
वरना काबू में रखो जज्बात।
सुरक्षा की बात (A matter of safety)
वो मुलाकात,
जब बस की न रही बात
बिगड़ गए हालात
हो गई ऐसी बात
लाज शर्म सब रह गई
जब फूटे जज्बात
सुरक्षा धरी रह गई।
हो गई ऐसी बात।
पछताने से होगा क्या
जब समाधान पर आ गई बात
जल्दी से करो
डाक्टर से मुलाकात
वरना इतिहास में दर्ज होगी
वो मुलाकात।
काबू में रखा करो जज्बात।
उम्र कोई भी हो
सुरक्षा रखना साथ।
वरना "बधाई हो " की
दिमाग में रखना बात।
काबू में रखा करो जज्बात।
पहली बार, पहला प्यार
जीवन भर रहे
अच्छी यादों का आधार
अगर भरोसा हो साथी पर
ना हो शंका लेश मात्र भी
प्यार ना कारण बन जाए
पछताने का आधार।
तभी पहला कदम बढ़ाना
करने को पहला प्यार।
सदा सुरक्षा रहे साथ
निर्भय होने का आधार।
करो सदा तुम खुल के प्यार
अफसोस की न हो बात
वरना काबू में रखो जज्बात।
करो बन्धन का इन्तजार।
भूल जाओ, प्यार व्यार।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 नवम्बर 2024,©
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 8.5/10
Tuesday, November 12, 2024
#H295 हम न समझ पाए (We couldn't understand)
#H295
हम न समझ पाए (We couldn't understand)
लोगों के इनाम,
हमने निकलते पाए।
कई सौ रुपये हमने भी
इनामी पर्ची में लगाए,
सारे के सारे गंवाए।
पर कुछ समझ न पाए
कैसे लोगों के
इनाम निकलते आए।
अधिक कमाने की चाहत में
हजारों रुपये
नेटवर्क मार्केटिंग में लगाए,
हाथ में कुछ न पाए।
दूसरी किस्त न चुका पाए,
इसमें भी घाटा उठाए।
एक एचआर मैनेजर ने
कंसल्टेंसी चार्ज के नाम पर
एक महीने का वेतन झटका।
हम तो समझ ही न पाए
किसके पैसे किसने पाए।
बीबीए में दाखिला लिए,
पर परीक्षा ही न दे पाए।
यहां भी पैसे गंवाए।
स्टॉक्स में हाथ आजमाए।
पहले कदम ने ही
सब रंग दिखाए।
एक गलती ने ही
बुरी तरह से हाथ जलाए।
लाखों गंवाए, लाखों फंसाए,
अब तक उभर न पाए।
अब तो उम्मीद भी जाती जाए।
अब बच्चे ही भविष्य में भुनाए।
एआई की ट्रेनिंग में
हजारों लगाए,
पर खास सीख न पाए।
हम न समझ पाए (We couldn't understand)
लोगों के इनाम,
हमने निकलते पाए।
कई सौ रुपये हमने भी
इनामी पर्ची में लगाए,
सारे के सारे गंवाए।
पर कुछ समझ न पाए
कैसे लोगों के
इनाम निकलते आए।
अधिक कमाने की चाहत में
हजारों रुपये
नेटवर्क मार्केटिंग में लगाए,
हाथ में कुछ न पाए।
दूसरी किस्त न चुका पाए,
इसमें भी घाटा उठाए।
एक एचआर मैनेजर ने
कंसल्टेंसी चार्ज के नाम पर
एक महीने का वेतन झटका।
हम तो समझ ही न पाए
किसके पैसे किसने पाए।
बीबीए में दाखिला लिए,
पर परीक्षा ही न दे पाए।
यहां भी पैसे गंवाए।
स्टॉक्स में हाथ आजमाए।
पहले कदम ने ही
सब रंग दिखाए।
एक गलती ने ही
बुरी तरह से हाथ जलाए।
लाखों गंवाए, लाखों फंसाए,
अब तक उभर न पाए।
अब तो उम्मीद भी जाती जाए।
अब बच्चे ही भविष्य में भुनाए।
एआई की ट्रेनिंग में
हजारों लगाए,
पर खास सीख न पाए।
लगता है फ्राॅड से टकराए।
जॉब ढूंढने के तरीकों
की सेमिनार में कई हजार लगाए,
पर कुछ समझ न पाए।
मार्केटिंग के झांसे में आए।
जॉब ढूंढने के तरीकों
की सेमिनार में कई हजार लगाए,
पर कुछ समझ न पाए।
मार्केटिंग के झांसे में आए।
ऐसे लोग ही नासमझ कहलाए।
कुछ इस तरह से पैसे गंवाए।
अब तक कुछ समझ न पाए।
चाहते हैं आप लोगों से,
बिना गंवाए ही समझ जाओ।
अपने पैसे बचाओ,
सतर्क हो जाओ।
हम ऐसी सबसे उम्मीद लगाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 12 नवंबर 2024,©
कुछ इस तरह से पैसे गंवाए।
अब तक कुछ समझ न पाए।
चाहते हैं आप लोगों से,
बिना गंवाए ही समझ जाओ।
अपने पैसे बचाओ,
सतर्क हो जाओ।
हम ऐसी सबसे उम्मीद लगाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 12 नवंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10
Monday, November 11, 2024
#H294 उत्पादक नागरिक (Productive Citizens)
उत्पादक नागरिक (Productive Citizens)
जन जन ने ठाना है
समस्याओं को जड़ से मिटाना है
विकसित होते जाना है।
यह युवाओं का जमाना है।
कौशल विकसित करते जाना है।
देश की उत्पादकता बढ़ाना है
खुद के खर्चे घटाना है
खुद का निवेश बढ़ाना है।
काम की गुणवत्ता बढ़ाना है
सुरक्षा को अचूक बनाना है
गलती नहीं दौरान है।
देश का मुनाफा बढ़ाना है।
जन जन ने ठाना है
उत्पादक नागरिक बनना है
आय को बढ़ाना है।
समाज को लौटाना है।
विकसित होते जाना है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 सितम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Sunday, November 10, 2024
#H293 लाइन में आओ (Be in Queue)
#H293
लाइन में आओ (Be in Queue)
आपको क्या चाहिए ?
पंक्ति/कतार में आइए ?
क्या ?
लाइन में लग जाओ ।
नंबर आने पर
अपना काम बताओ।
गेट के सामने
लाइन ना लगाओ।
चलिए दांए हो जाओ।
साहब जब आयेंगे
आप को बारी बारी बुलाएंगे।
चलो चलो, जल्दी करो।
लाइन में खड़े हो जाओ।
स्कूल में
एडमिशन फॉर्म की लाइन
किताबों के लिए लाइन
यूनिफॉर्म के लिए लाइन
फीस जमा करने की लाइन
सदा लाइन ही पाओ।
वरना काम न पूरा कर पाओ।
स्कूल में जाओ
प्रार्थना की लिए
लाइन लगाओ
शोर न बचाओ।
अपनी यूनिफॉर्म की
जांच कराओ।
खराब मिली तो
लाइन से बाहर आ जाओ।
कल अपनी माॅं को बुलाओ।
शिक्षक अभिभावक मंत्रणा में
लाइन में आओ।
पहले आने वाले पहले
और सब यहां बैठ जाओ।
कृपया लाइन में लग जाओ।
खेल में लाइन लगाओ
अपनी बारी पर कदम बढ़ाओ।
अस्पताल में
अस्पताल में जाओ
लाइन में लग जाओ
शोर न बचाओ
शांति से काम चलाओ।
क्लर्क जल्द आयेगा
लाइन में लग जाओ।
लाइन से बुलाएंगे
जब डाक्टर साहब आयेंगे।
धीरे धीरे बतलाओ।
लाइन तोड़ कर आगे न जाओ।
रोको उसको,
अपने स्थान पर जाओ।
अपनी पर्ची दिखाओ।
यहां न बैठो,
दूसरी लाइन में जाओ।
बीमारी के अनुभव
लोगों से सुनने का मौका पाओ।
सिफारिश के साथ आने वाले को भी पाओ।
देर से आए, जल्दी दिखाए
बाकियों में गुस्सा पाओ।
दवाईयों की लाइन
मनोबल तुड़वाती लाइन।
मरीजों को थकाती लाइन।
लाइन के लिए भगाती लाइन।
काम के लिए
लाइन में आओ।
बैंक में आओ
लाइन में लग जाओ
निकासी वाले उधर जाओ।
कम वाले मशीन से जमा कराओ।
अन्य सभी इस काउंटर पर आओ।
पहचान पत्र दिखाओ।
यह फार्म भरकर लाओ।
कृपया लाइन में आओ।
सर्वर डाउन है।
इन्तजार करो।
लाइन में खड़े रहो।
काम बताओ।
मंदिर में जाओ
लाइन में आ जाओ।
धक्का मुक्की न करो
सभी दर्शन करने के
बाद ही जायेंगे।
जल्दबाज़ी न मचाओ।
पुजारी से मिलो
बिना लाइन के दर्शन करो
बस अधिक चुकाओ।
वरना लाइन में आओ।
कैंटीन में खाने के लिए
लाइन लगाओ।
कभी छोटी, पर कभी
लंबी लाइन पाओ।
शाकाहार के लिए लाइन
मांसाहार के लिए लाइन
मसालेदार और
कम मसाले वाले खाने की लाइन
जो चाहिए,
उसकी लाइन में लग जाओ।
श्मशान में जाओ
लाइन में आओ
तभी मृत शरीर जलाओ।
ईश्वर से डर जाओ।
जीवन का अन्त क्या है
खुद ही समझ जाओ।
यमराज भी कहते हैं।
अपनी बारी पर आओ।
लाइन तोड़कर गाड़ी न चलाओ।
मुझे जल्दी न बुलाओ
गाड़ी अपनी लाइन में चलाओ।
जगह-जगह पर
तुम लाइन पाओ
राशन की लाइन,
नौकरी के लिए लाइन,
ड्राइविंग लाइसेंस की लाइन
रजिस्ट्री के लाइन
दाखिले की लाइन
परीक्षा की लाइन,
खाद के लिए लाइन
वोटिंग की लाइन
यात्रियों की लाइन
मेट्रो की लाइन
फोन खरीदने की लाइन
बिलिंग की लाइन
और होती हैं बहुत सी लाइन
बिना लाइन के देश में
कोई काम न करवा पाओ।
या फिर भ्रष्टाचार को गले लगाओ।
अधिक पैसा खर्च करो
सुविधादायकों और
अफसरों को पैसा पहुंचाओ।
जल्दी से परिणाम पाओ।
कभी कभी फंस भी जाओ।
लाइन से मुक्त हो जाओ।
देश में लाइन सच्चाई है।
कितना भी भागो
पर लाइन से न बच पाओ।
काम पूरा करना है तो
लाइन में आओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 09 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
Saturday, November 9, 2024
#H292 भूतों के भूत (Ghosts of past)
#H292
भूतों के भूत (Ghosts of past)
रात को
बहुत सपने मुझे आते हैं ।
मुझको बड़ा डराते हैं ।
पता नहीं यह क्या है ?
ऐसा लगता है ,
भूत मुझसे मिलने आते हैं।
पापा मुझे बताते हैं ,
दुनिया में भूत नहीं होते हैं ।
खुद के विचार ही ,
खुद को बहुत डराते हैं ।
वही भूत बन आते हैं।
होमवर्क पूरा न करने का भूत ।
स्कूल न जाने का भूत ।
किसी चीज को लेने के लिए ,
अड़ जाने का भूत।
नंबर कम आने के ,
डर का भूत ।
टीवी और मोबाइल देखने का भूत ।
टीवी और मोबाइल के ,
किरदारों का भूत ।
खेलने जाने का भूत।
ये सब तुमसे मिलने आते हैं ।
तुमको रोज ,
सपने में बहुत डराते हैं ।
तुम ही
इन सब भूतों के कारण हो ।
सुन लो मेरे प्यारे पूत।
कम कर दो, देखना ये सब
फिर न आयेंगे मिलने ये भूत।
फिर भी ना माने तो ,
तुम्हें डंडे दो पड़ जाएंगे ।
थप्पड़ दो मिल जाएंगे ।
उतर जाएंगे सारे भूत।
सपने में तुमको नहीं ।
फिर मिलने आएंगे ये भूत।
सुनो ध्यान से ,
आग में जो जाता है ।
कुंदन बन जाता है।
पवित्र हो जाता है।
जिसकी सशरीर आहुति होती है।
केवल भस्म वहां रह जाती है।
फिर कहां कोई भूत बन पाता है।
वो तो पवित्र होकर,
ईश्वर से मिल जाता है।
नहीं होते हैं दुनिया में भूत ।
तुम खुद ही हो ।
इन भूतों के भूत ।
ध्यान से सुन लो मेरे पूत।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 09 नवम्बर 2024,©
भूतों के भूत (Ghosts of past)
रात को
बहुत सपने मुझे आते हैं ।
मुझको बड़ा डराते हैं ।
पता नहीं यह क्या है ?
ऐसा लगता है ,
भूत मुझसे मिलने आते हैं।
पापा मुझे बताते हैं ,
दुनिया में भूत नहीं होते हैं ।
खुद के विचार ही ,
खुद को बहुत डराते हैं ।
वही भूत बन आते हैं।
होमवर्क पूरा न करने का भूत ।
स्कूल न जाने का भूत ।
किसी चीज को लेने के लिए ,
अड़ जाने का भूत।
नंबर कम आने के ,
डर का भूत ।
टीवी और मोबाइल देखने का भूत ।
टीवी और मोबाइल के ,
किरदारों का भूत ।
खेलने जाने का भूत।
ये सब तुमसे मिलने आते हैं ।
तुमको रोज ,
सपने में बहुत डराते हैं ।
तुम ही
इन सब भूतों के कारण हो ।
सुन लो मेरे प्यारे पूत।
कम कर दो, देखना ये सब
फिर न आयेंगे मिलने ये भूत।
फिर भी ना माने तो ,
तुम्हें डंडे दो पड़ जाएंगे ।
थप्पड़ दो मिल जाएंगे ।
उतर जाएंगे सारे भूत।
सपने में तुमको नहीं ।
फिर मिलने आएंगे ये भूत।
सुनो ध्यान से ,
आग में जो जाता है ।
कुंदन बन जाता है।
पवित्र हो जाता है।
जिसकी सशरीर आहुति होती है।
केवल भस्म वहां रह जाती है।
फिर कहां कोई भूत बन पाता है।
वो तो पवित्र होकर,
ईश्वर से मिल जाता है।
नहीं होते हैं दुनिया में भूत ।
तुम खुद ही हो ।
इन भूतों के भूत ।
ध्यान से सुन लो मेरे पूत।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 09 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Friday, November 8, 2024
#H291 ऐतिहासिक एक छोटी सी गलती (a small historical mistake)
#H291
ऐतिहासिक एक छोटी सी गलती (a small historical mistake)
एक छोटी सी गलती
क्या से क्या करवा सकती है।
एक छोटी सी गलती
निर्वासन करवा सकती है
युद्ध करवा सकती है।
अलगाव करा सकती है।
प्राण गंवाने का कारण हो सकती है।
एक छोटी सी गलती।
राम को वनवास करायी।
एक छोटी सी गलती।
वगैरह निश्चित किए
वरदान दिए दशरथ ने।
एक छोटी सी गलती।
सीता माता,
लक्ष्मण रेखा लांघ गयी
रावण के जाल में आ गयीं
एक छोटी सी गलती।
बलशाली का मान घटाती
सुग्रीव की बीवी का हरण
बाली की इज्जत ले गयी
एक छोटी सी गलती
रावण ने परस्त्री का हरण किया
भ्रात का अपमान किया।
लात मार कर दूर किया।
प्राण गए, मान गए, कुल ले गयी
एक छोटी सी गलती।
भीष्म लिए प्रतिज्ञा
आजीवन रहूंगा कुंवारा।
जो कारण बना अजन्मे ,
युवराज बनाने का वायदा
एक छोटी सी गलती ।
द्रोपदी की हंसी,
दुर्योधन के गिरने पर
महाभारत का कारण बनी।
एक छोटी सी गलती।
गुरु द्रोण ने एकलव्य का लिया अंगूठा।
गुरु को कलंकित कराती
एक छोटी सी गलती
गौरी को बार बार छोड़ना
पृथ्वीराज के हारने का कारण बनी
एक छोटी सी गलती।
धर्म के नाम पर अपना देश बांटा
पर समस्या ज्यों त्यों रही
हजारों ने जान गंवाई
बंटवारे से कुछ न दे पायी।
एक छोटी सी गलती।
परमाणु बम का परीक्षण
60 के दशक में न करना
आज तक यूएन एससी में
पक्की सीट न मिल पायी
एक छोटी सी गलती।
आरक्षण का जारी रखना
जाति का आधार बनाकर चलना
समाज से कौशल को विसराई।
एक छोटी सी गलती।
सभी को जग में खूब रूलाई
बड़ा नुक़सान कराई।
प्रगति में बार बार रुकावट लायी।
एक छोटी सी गलती।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 06 नवम्बर 2024,©
ऐतिहासिक एक छोटी सी गलती (a small historical mistake)
एक छोटी सी गलती
क्या से क्या करवा सकती है।
एक छोटी सी गलती
निर्वासन करवा सकती है
युद्ध करवा सकती है।
अलगाव करा सकती है।
प्राण गंवाने का कारण हो सकती है।
एक छोटी सी गलती।
राम को वनवास करायी।
एक छोटी सी गलती।
वगैरह निश्चित किए
वरदान दिए दशरथ ने।
एक छोटी सी गलती।
सीता माता,
लक्ष्मण रेखा लांघ गयी
रावण के जाल में आ गयीं
एक छोटी सी गलती।
बलशाली का मान घटाती
सुग्रीव की बीवी का हरण
बाली की इज्जत ले गयी
एक छोटी सी गलती
रावण ने परस्त्री का हरण किया
भ्रात का अपमान किया।
लात मार कर दूर किया।
प्राण गए, मान गए, कुल ले गयी
एक छोटी सी गलती।
भीष्म लिए प्रतिज्ञा
आजीवन रहूंगा कुंवारा।
जो कारण बना अजन्मे ,
युवराज बनाने का वायदा
एक छोटी सी गलती ।
द्रोपदी की हंसी,
दुर्योधन के गिरने पर
महाभारत का कारण बनी।
एक छोटी सी गलती।
गुरु द्रोण ने एकलव्य का लिया अंगूठा।
गुरु को कलंकित कराती
एक छोटी सी गलती
गौरी को बार बार छोड़ना
पृथ्वीराज के हारने का कारण बनी
एक छोटी सी गलती।
धर्म के नाम पर अपना देश बांटा
पर समस्या ज्यों त्यों रही
हजारों ने जान गंवाई
बंटवारे से कुछ न दे पायी।
एक छोटी सी गलती।
परमाणु बम का परीक्षण
60 के दशक में न करना
आज तक यूएन एससी में
पक्की सीट न मिल पायी
एक छोटी सी गलती।
आरक्षण का जारी रखना
जाति का आधार बनाकर चलना
समाज से कौशल को विसराई।
एक छोटी सी गलती।
सभी को जग में खूब रूलाई
बड़ा नुक़सान कराई।
प्रगति में बार बार रुकावट लायी।
एक छोटी सी गलती।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 06 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Thursday, November 7, 2024
#H290 हम भी खाली, तुम भी खाली। (We are free, you are free too)
#H290
हम भी खाली, तुम भी खाली। (We are free, you are free too)
जब न निकले नतीजा
किसी मीटिंग का,
फिर लगता है,
तुम भी खाली,
हम भी खाली,
वो भी खाली
चलो मिलकर,
आज बजाएं ताली।
एक हाथ से न बजती ताली,
जब हों हाथ तुम्हारे खाली,
तब ही बजा पाते तुम ताली।
दो हाथों की होती भागीदारी,
तब ही बजती है ताली।
वरना हवा में
घूम जाए हाथ खाली।
शुरू करो अंताक्षरी,
लेकर प्रभू का नाम,
हम भी खाली, तुम भी खाली।
घर में क्यों खनक रही है थाली,
जब केवल घर में है घरवाली।
फिर भूल जाओ तुम रखवाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
ले आओ दो चाय की प्याली।
बताओ जरा, क्या लाओगी
जब आएगी दीवाली।
कब आएगी बहन तुम्हारी,
चलो बताओ कब आएगी होली।
किस-किस से खेलोगी होली?
हम होली खेलेंगे,
संग अपनी साली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
रोज करो पेट को खाली,
सलामत रखो चेहरे की लाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
शक करके न भरो दिमाग को,
रखो दिमाग को खाली।
बजती रहे,
हंसी-खुशी तेरी-मेरी ताली।
फिर भले ही क्यों न हो
अपनी जेब खाली।
जब ईश्वर करे हमारी रखवाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 नवम्बर 2024,©
हम भी खाली, तुम भी खाली। (We are free, you are free too)
जब न निकले नतीजा
किसी मीटिंग का,
फिर लगता है,
तुम भी खाली,
हम भी खाली,
वो भी खाली
चलो मिलकर,
आज बजाएं ताली।
एक हाथ से न बजती ताली,
जब हों हाथ तुम्हारे खाली,
तब ही बजा पाते तुम ताली।
दो हाथों की होती भागीदारी,
तब ही बजती है ताली।
वरना हवा में
घूम जाए हाथ खाली।
शुरू करो अंताक्षरी,
लेकर प्रभू का नाम,
हम भी खाली, तुम भी खाली।
घर में क्यों खनक रही है थाली,
जब केवल घर में है घरवाली।
फिर भूल जाओ तुम रखवाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
ले आओ दो चाय की प्याली।
बताओ जरा, क्या लाओगी
जब आएगी दीवाली।
कब आएगी बहन तुम्हारी,
चलो बताओ कब आएगी होली।
किस-किस से खेलोगी होली?
हम होली खेलेंगे,
संग अपनी साली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
रोज करो पेट को खाली,
सलामत रखो चेहरे की लाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
शक करके न भरो दिमाग को,
रखो दिमाग को खाली।
बजती रहे,
हंसी-खुशी तेरी-मेरी ताली।
फिर भले ही क्यों न हो
अपनी जेब खाली।
जब ईश्वर करे हमारी रखवाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 8.5/10
Wednesday, November 6, 2024
#H289 एक छोटी सी गलती ( A small mistake)
#H289
एक छोटी सी गलती ( A small mistake)
पहली बार कोई ग्राहक
तेरे नाम से आ जाए,
दोबारा तो ग्राहक
केवल तेरी गुणवत्ता से ही आए।
जो ग्राहकों में और नाम बनाए,
दुनिया में पहचान बनती जाए।
एक छोटी सी गलती
पार्ट रिजेक्ट कराए,
असेंबली रिजेक्ट कराए,
कार रिजेक्ट कराए।
गलती ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती जाए,
हानि भी बढ़ती जाए।
दुर्घटना भी करवाए,
लोगों की जान जाए।
पूरा लॉट रिजेक्ट कराए,
जुर्माना ऊपर से लगवाए,
अप्रत्याशित दावा भरवाए।
कंपनी का नाम डुबोए,
कभी-कभी कंपनी बंद कराए।
एक छोटी सी गलती
गुणवत्ता का महत्व बताए।
गलती पहले स्तर
पर ही पकड़ी जाए,
फिर न दोहराई जाए।
एक छोटी सी गलती,
बड़ा नुकसान कराए।
हम डिजाइन में पोकायोके
अधिक से अधिक लगाएं,
गलतियों से तभी बच पाएं।
बस भाइयों,
आप ही के द्वारा कंपनी
ऐसी छोटी गलती से बच पाए।
जेएच शिद्दत से करो,
"फोर एम चेंज" की हर हाल में
परिणामों की जांच करो।
"स्टॉप-काॅल-वेट" का पालन करो।
सक्षम को ही काम पर लगाओ,
एक छोटी सी गलती से ,
कंपनी को बचाओ।
गुणवत्ता से कंपनी का नाम बनाओ,
जग में गुणगान कराओ।
खुद को गुणवत्ता का रचयिता बनाओ,
ईमानदारी से कर्तव्य निभाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 05 नवम्बर 2024,©
एक छोटी सी गलती ( A small mistake)
पहली बार कोई ग्राहक
तेरे नाम से आ जाए,
दोबारा तो ग्राहक
केवल तेरी गुणवत्ता से ही आए।
जो ग्राहकों में और नाम बनाए,
दुनिया में पहचान बनती जाए।
एक छोटी सी गलती
पार्ट रिजेक्ट कराए,
असेंबली रिजेक्ट कराए,
कार रिजेक्ट कराए।
गलती ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती जाए,
हानि भी बढ़ती जाए।
दुर्घटना भी करवाए,
लोगों की जान जाए।
पूरा लॉट रिजेक्ट कराए,
जुर्माना ऊपर से लगवाए,
अप्रत्याशित दावा भरवाए।
कंपनी का नाम डुबोए,
कभी-कभी कंपनी बंद कराए।
एक छोटी सी गलती
गुणवत्ता का महत्व बताए।
गलती पहले स्तर
पर ही पकड़ी जाए,
फिर न दोहराई जाए।
एक छोटी सी गलती,
बड़ा नुकसान कराए।
हम डिजाइन में पोकायोके
अधिक से अधिक लगाएं,
गलतियों से तभी बच पाएं।
बस भाइयों,
आप ही के द्वारा कंपनी
ऐसी छोटी गलती से बच पाए।
जेएच शिद्दत से करो,
"फोर एम चेंज" की हर हाल में
परिणामों की जांच करो।
"स्टॉप-काॅल-वेट" का पालन करो।
सक्षम को ही काम पर लगाओ,
एक छोटी सी गलती से ,
कंपनी को बचाओ।
गुणवत्ता से कंपनी का नाम बनाओ,
जग में गुणगान कराओ।
खुद को गुणवत्ता का रचयिता बनाओ,
ईमानदारी से कर्तव्य निभाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 05 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Tuesday, November 5, 2024
#H288 अर्थ (Meaning)
#H288
अर्थ (Meaning)
अर्थ का भी अर्थ है
कोई नहीं व्यर्थ है।
धरती केवल एक है
सबके लिए अनमोल है
यह भी
धरती का एक अर्थ है।
जल ही जीवन है
वायु तो प्राण है
अन्न तो उर्जा है
यह जीवन का अर्थ है।
व्यर्थ का भी अर्थ है।
जल दूषित हो जाए
वायु विषैली हो जाए
अन्न हासिल न हो पाए
तब जीने की सोचना व्यर्थ है।
व्यर्थ का अर्थ है।
अर्थ का भी अर्थ है।
संसाधन का
अति संदोहन अनर्थ है।
यदि संरक्षण न हो पाए
विकास भी बेअर्थ है।
अनर्थ का यह अर्थ है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 नवम्बर 2024,©
अर्थ (Meaning)
अर्थ का भी अर्थ है
कोई नहीं व्यर्थ है।
धरती केवल एक है
सबके लिए अनमोल है
यह भी
धरती का एक अर्थ है।
जल ही जीवन है
वायु तो प्राण है
अन्न तो उर्जा है
यह जीवन का अर्थ है।
व्यर्थ का भी अर्थ है।
जल दूषित हो जाए
वायु विषैली हो जाए
अन्न हासिल न हो पाए
तब जीने की सोचना व्यर्थ है।
व्यर्थ का अर्थ है।
अर्थ का भी अर्थ है।
संसाधन का
अति संदोहन अनर्थ है।
यदि संरक्षण न हो पाए
विकास भी बेअर्थ है।
अनर्थ का यह अर्थ है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
Monday, November 4, 2024
#H287 आगे बढ़ने तो दो (Let it go ahead)
#H287
आगे बढ़ने तो दो (Let it go ahead)
यादों में रहे कोई जिंदा
ठीक नहीं
हर किसी को
उसकी मंजिल पर जाने तो दो
तेरी शमा यहां जल रही है,
उसको वहां जलाने तो दो।
यादों को जंजीर न बना
मंजिलों को बदलने तो दो
आज तक तेरा मेरा साथ था,
अब किसी और के साथ चलने तो दो।
राहगीर हैं सब इस जहां में,
लोगों को राह में उतरने तो दो।
जिसका जहां तक साथ है,
हंसी-खुशी सफर करने तो दो।
यादों को जंजीर न बना,
मंजिलों को बदलने तो दो
तरक्की में लोगों को
आगे बढ़ने तो दो।
हसरतें सबकी होती हैं,
कली को फूल बनने तो दो।
अभी बचपन है, बच्चों को
बच्चा रहने तो दो।
कल यह फूल महकेंगे,
बहार आने तो दो।
यह अपने भारत का
गुलिस्तां खिलेगा एक दिन,
नौजवानों को आगे बढ़ने तो दो।
मोहब्बत है इन्हें भी अपने वतन से,
बस नये तरीकों से समझने तो दो।
नये तरीके खुद से परखने तो दो।
खुद से मोहब्बत करते हैं,
एक बार मोहब्बत होने तो दो।
रूह मिल जाती है जब,
शरीर को खाक होने दो।
यादों को जंजीर बनने न दो।
खुद को बुरी यादों का गुलाम न बना।
खुद को आगे बढ़ने तो दो।
कुछ नया करने से
खुद को न रोक,
नये तजुर्बे हासिल होने तो दो।
जिंदगी बढ़ती है आगे,
उसे हिम्मत के साथ आगे बढ़ने तो दो।
पिता का पैसा उड़ाया है अभी तक,
चंद पैसे कमाने तो दो।
दाल-चीनी का भाव पता चल जाएगा,
बस हाथ पीले होने तो दो।
मत बता अपनों को ज्यादा,
गर्म-ठंडे का अनुभव होने तो दो।
खुद से तजुर्बा हासिल करने तो दो।
दुनिया क्या है खुद से समझने तो दो।
जूझने की शक्ति पैदा करने तो दो।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 03 नवम्बर 2024,©
आगे बढ़ने तो दो (Let it go ahead)
यादों में रहे कोई जिंदा
ठीक नहीं
हर किसी को
उसकी मंजिल पर जाने तो दो
तेरी शमा यहां जल रही है,
उसको वहां जलाने तो दो।
यादों को जंजीर न बना
मंजिलों को बदलने तो दो
आज तक तेरा मेरा साथ था,
अब किसी और के साथ चलने तो दो।
राहगीर हैं सब इस जहां में,
लोगों को राह में उतरने तो दो।
जिसका जहां तक साथ है,
हंसी-खुशी सफर करने तो दो।
यादों को जंजीर न बना,
मंजिलों को बदलने तो दो
तरक्की में लोगों को
आगे बढ़ने तो दो।
हसरतें सबकी होती हैं,
कली को फूल बनने तो दो।
अभी बचपन है, बच्चों को
बच्चा रहने तो दो।
कल यह फूल महकेंगे,
बहार आने तो दो।
यह अपने भारत का
गुलिस्तां खिलेगा एक दिन,
नौजवानों को आगे बढ़ने तो दो।
मोहब्बत है इन्हें भी अपने वतन से,
बस नये तरीकों से समझने तो दो।
नये तरीके खुद से परखने तो दो।
खुद से मोहब्बत करते हैं,
एक बार मोहब्बत होने तो दो।
रूह मिल जाती है जब,
शरीर को खाक होने दो।
यादों को जंजीर बनने न दो।
खुद को बुरी यादों का गुलाम न बना।
खुद को आगे बढ़ने तो दो।
कुछ नया करने से
खुद को न रोक,
नये तजुर्बे हासिल होने तो दो।
जिंदगी बढ़ती है आगे,
उसे हिम्मत के साथ आगे बढ़ने तो दो।
पिता का पैसा उड़ाया है अभी तक,
चंद पैसे कमाने तो दो।
दाल-चीनी का भाव पता चल जाएगा,
बस हाथ पीले होने तो दो।
मत बता अपनों को ज्यादा,
गर्म-ठंडे का अनुभव होने तो दो।
खुद से तजुर्बा हासिल करने तो दो।
दुनिया क्या है खुद से समझने तो दो।
जूझने की शक्ति पैदा करने तो दो।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 03 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.7/10
Sunday, November 3, 2024
#H286 चन्दा मामा (The Moon )
#H286
चन्दा मामा (The Moon )
दुखी होकर
बैठा चांद एक दिन
खुद से यूं बोला
सूरज की सब बातें करते
यह देख देख कर
मेरा मन है डोला
जब सूरज आता रोज सवेरे
लोग सुबह को उठकर
कसरत करते
सूरज को जल चढ़ाते
कैसी धूप है यह चर्चा भी करते
दिन खुला रहेगा या बादल आएंगे
अनुमान लगाया करते
और काम पर जाते
सूरज जाने पर घर आ जाते।
यह देख मेरा मन है डोला।
क्या कर सकता हूं मैं
क्या इनको देता हूं मैं
कोई नहीं करता है बातें मेरी
इसलिए चिढ़ जाता हूं मैं।
जब आसमान मैं आता
खाना खाकर सब सो जाते।
कोई नहीं करता है मेरी बातें
यह सोच सोच कर
मेरा मन है डोला।
समुद्रों को जगाता हूं मैं
ज्वार भाटा लाता हूं मैं
ठण्डी रौशनी देता हूं मैं
मिलन की बेला सजाता हूं मैं
दिन और रात लाता हूं मैं।
जो हटा मैं अपनी जगह से
धरती पर तबाही ला सकता हूं मैं।
थके लोगों को
नींद लेने का माहौल बनाता हूं मैं।
मेरी भी बातें करो
बस यह छोटी सी इच्छा रखता हूं मैं।
ऐसा चांद बोला।
बच्चा बोला
न मायूस हो ऐ चांद।
मामा कहता हूं मैं।
तुझे पकड़ने की हठ लगाता हूं मैं
थाली के पानी में
देख मुस्कुराता हूं मैं।
थाली में तुझे हाथ लगाता हूं मैं।
मामा तुझे देख
बहुत हर्षाता हूं मैं।
मायूस न हो मामा।
जिस रात तुम न आते
बहुत घबराता हूं मैं।
तेरे घटते बढ़ते रुप पर
पापा मम्मी से बातें करता हूं मैं।
प्रेमी, प्रेमिका को तुझे देने का
वायदा करते हैं।
अपनी मोहब्बत में
चार चांद लगाते हैं।
अपनी प्रेमिका को चांद बताते हैं।
यह तुम्हें बतलाता हूं मैं।
तुम्हें देखने और मिलने
हम चांद पर पहुंच चुके हैं।
हम यान भेज रहे हैं ।
और भी यान भेजेंगे ।
तुम्हारी शिकायत को नहीं रहने देंगे
सूरज पर न जायेंगे
तुमको ही गले लगाएंगे।
तुम्हारे ऊन के झिंगोले का
नाप लेने आऊंगा मैं।
ठंड से तुम्हें बचाऊंगा मैं।
तुम्हारा भांजा यह बोला।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 02 नवम्बर 2024,©
चन्दा मामा (The Moon )
दुखी होकर
बैठा चांद एक दिन
खुद से यूं बोला
सूरज की सब बातें करते
यह देख देख कर
मेरा मन है डोला
जब सूरज आता रोज सवेरे
लोग सुबह को उठकर
कसरत करते
सूरज को जल चढ़ाते
कैसी धूप है यह चर्चा भी करते
दिन खुला रहेगा या बादल आएंगे
अनुमान लगाया करते
और काम पर जाते
सूरज जाने पर घर आ जाते।
यह देख मेरा मन है डोला।
क्या कर सकता हूं मैं
क्या इनको देता हूं मैं
कोई नहीं करता है बातें मेरी
इसलिए चिढ़ जाता हूं मैं।
जब आसमान मैं आता
खाना खाकर सब सो जाते।
कोई नहीं करता है मेरी बातें
यह सोच सोच कर
मेरा मन है डोला।
समुद्रों को जगाता हूं मैं
ज्वार भाटा लाता हूं मैं
ठण्डी रौशनी देता हूं मैं
मिलन की बेला सजाता हूं मैं
दिन और रात लाता हूं मैं।
जो हटा मैं अपनी जगह से
धरती पर तबाही ला सकता हूं मैं।
थके लोगों को
नींद लेने का माहौल बनाता हूं मैं।
मेरी भी बातें करो
बस यह छोटी सी इच्छा रखता हूं मैं।
ऐसा चांद बोला।
बच्चा बोला
न मायूस हो ऐ चांद।
मामा कहता हूं मैं।
तुझे पकड़ने की हठ लगाता हूं मैं
थाली के पानी में
देख मुस्कुराता हूं मैं।
थाली में तुझे हाथ लगाता हूं मैं।
मामा तुझे देख
बहुत हर्षाता हूं मैं।
मायूस न हो मामा।
जिस रात तुम न आते
बहुत घबराता हूं मैं।
तेरे घटते बढ़ते रुप पर
पापा मम्मी से बातें करता हूं मैं।
प्रेमी, प्रेमिका को तुझे देने का
वायदा करते हैं।
अपनी मोहब्बत में
चार चांद लगाते हैं।
अपनी प्रेमिका को चांद बताते हैं।
यह तुम्हें बतलाता हूं मैं।
तुम्हें देखने और मिलने
हम चांद पर पहुंच चुके हैं।
हम यान भेज रहे हैं ।
और भी यान भेजेंगे ।
तुम्हारी शिकायत को नहीं रहने देंगे
सूरज पर न जायेंगे
तुमको ही गले लगाएंगे।
तुम्हारे ऊन के झिंगोले का
नाप लेने आऊंगा मैं।
ठंड से तुम्हें बचाऊंगा मैं।
तुम्हारा भांजा यह बोला।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 02 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
Saturday, November 2, 2024
#H285 पंगा न लेना (Don't mess with)
#H285
पंगा न लेना (Don't mess with)
अपनी स्त्री से,
पंगा न लेना
खाने में कब जहर मिला दे
तुमको नशा पिला दे
कब तुम्हें कत्ल करा दे।
रसोइया से,
पंगा न लेना
खाने में कब जहर मिला दे
आयोजन को उल्टा कर दे
सबको नशा पिला दे
समाज में फजीहत करा दे।
चालक से,
पंगा न लेना
वाहन से कब टक्कर कर दे
कूदकर तुम्हें खाई में डाले
कब तुम्हें फंसा दे
सरेआम तुम्हें लुटवा दे।
कब तुम्हें कत्ल करा दे।
चौकीदार से,
पंगा न लेना
कब डाका डलवा दे
आते जाते कब चोरी करवा दे
कब तुम्हारा माल लुटवा दे
नौकर - नौकरानी से ,
पंगा न लेना
कब तुम्हारे यहां चोरी करा दे
घर का सारा भेद बता दे
टैक्स का छापा भी पड़वा दे।
मालिक तुमको रहना है।
इनसे डर कर नहीं जीना है
संतुलन बनाकर चलना है
इनका आत्मसम्मान
नहीं डिगाना है।
इन सब पर
निगरानी भी रखना है।
पंगा नहीं लेना है।
और भी होते हैं ऐसे करीबी साथी,
उनसे पंगा न लेना।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 01 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
Friday, November 1, 2024
#H284 चिराग (Lamp)
#H284
चिराग (Lamp)
चिराग तब तक जले,
जब तक उनमें तेल था।
हम तो वो चिराग हैं,
जो बिना तेल के जले जाते हैं।
बिना शिकवा किए,
अपनी जिम्मेदारी
हर हाल में निभाए जाते हैं।
लोगों की जिंदगी
रोशन किए जाते हैं।
अपनी सभी क्षमताएं
लोगों को दिए जाते हैं।
अमृत मिले, या जहर,
मुस्करा कर पिए जाते हैं।
बस इसलिए,
गिनती में नहीं लिए जाते हैं।
पर बुझने के बाद
बहुत याद आते हैं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 01 नवम्बर 2024,©
चिराग (Lamp)
चिराग तब तक जले,
जब तक उनमें तेल था।
हम तो वो चिराग हैं,
जो बिना तेल के जले जाते हैं।
बिना शिकवा किए,
अपनी जिम्मेदारी
हर हाल में निभाए जाते हैं।
लोगों की जिंदगी
रोशन किए जाते हैं।
अपनी सभी क्षमताएं
लोगों को दिए जाते हैं।
अमृत मिले, या जहर,
मुस्करा कर पिए जाते हैं।
बस इसलिए,
गिनती में नहीं लिए जाते हैं।
पर बुझने के बाद
बहुत याद आते हैं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 01 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10
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