हम भी खाली, तुम भी खाली। (We are free, you are free too)
जब न निकले नतीजा
किसी मीटिंग का,
फिर लगता है,
तुम भी खाली,
हम भी खाली,
वो भी खाली
चलो मिलकर,
आज बजाएं ताली।
एक हाथ से न बजती ताली,
जब हों हाथ तुम्हारे खाली,
तब ही बजा पाते तुम ताली।
दो हाथों की होती भागीदारी,
तब ही बजती है ताली।
वरना हवा में
घूम जाए हाथ खाली।
शुरू करो अंताक्षरी,
लेकर प्रभू का नाम,
हम भी खाली, तुम भी खाली।
घर में क्यों खनक रही है थाली,
जब केवल घर में है घरवाली।
फिर भूल जाओ तुम रखवाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
ले आओ दो चाय की प्याली।
बताओ जरा, क्या लाओगी
जब आएगी दीवाली।
कब आएगी बहन तुम्हारी,
चलो बताओ कब आएगी होली।
किस-किस से खेलोगी होली?
हम होली खेलेंगे,
संग अपनी साली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
रोज करो पेट को खाली,
सलामत रखो चेहरे की लाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
शक करके न भरो दिमाग को,
रखो दिमाग को खाली।
बजती रहे,
हंसी-खुशी तेरी-मेरी ताली।
फिर भले ही क्यों न हो
अपनी जेब खाली।
जब ईश्वर करे हमारी रखवाली।
हम भी खाली, तुम भी खाली।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 नवम्बर 2024,©
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