चन्दा मामा (The Moon )
दुखी होकर
बैठा चांद एक दिन
खुद से यूं बोला
सूरज की सब बातें करते
यह देख देख कर
मेरा मन है डोला
जब सूरज आता रोज सवेरे
लोग सुबह को उठकर
कसरत करते
सूरज को जल चढ़ाते
कैसी धूप है यह चर्चा भी करते
दिन खुला रहेगा या बादल आएंगे
अनुमान लगाया करते
और काम पर जाते
सूरज जाने पर घर आ जाते।
यह देख मेरा मन है डोला।
क्या कर सकता हूं मैं
क्या इनको देता हूं मैं
कोई नहीं करता है बातें मेरी
इसलिए चिढ़ जाता हूं मैं।
जब आसमान मैं आता
खाना खाकर सब सो जाते।
कोई नहीं करता है मेरी बातें
यह सोच सोच कर
मेरा मन है डोला।
समुद्रों को जगाता हूं मैं
ज्वार भाटा लाता हूं मैं
ठण्डी रौशनी देता हूं मैं
मिलन की बेला सजाता हूं मैं
दिन और रात लाता हूं मैं।
जो हटा मैं अपनी जगह से
धरती पर तबाही ला सकता हूं मैं।
थके लोगों को
नींद लेने का माहौल बनाता हूं मैं।
मेरी भी बातें करो
बस यह छोटी सी इच्छा रखता हूं मैं।
ऐसा चांद बोला।
बच्चा बोला
न मायूस हो ऐ चांद।
मामा कहता हूं मैं।
तुझे पकड़ने की हठ लगाता हूं मैं
थाली के पानी में
देख मुस्कुराता हूं मैं।
थाली में तुझे हाथ लगाता हूं मैं।
मामा तुझे देख
बहुत हर्षाता हूं मैं।
मायूस न हो मामा।
जिस रात तुम न आते
बहुत घबराता हूं मैं।
तेरे घटते बढ़ते रुप पर
पापा मम्मी से बातें करता हूं मैं।
प्रेमी, प्रेमिका को तुझे देने का
वायदा करते हैं।
अपनी मोहब्बत में
चार चांद लगाते हैं।
अपनी प्रेमिका को चांद बताते हैं।
यह तुम्हें बतलाता हूं मैं।
तुम्हें देखने और मिलने
हम चांद पर पहुंच चुके हैं।
हम यान भेज रहे हैं ।
और भी यान भेजेंगे ।
तुम्हारी शिकायत को नहीं रहने देंगे
सूरज पर न जायेंगे
तुमको ही गले लगाएंगे।
तुम्हारे ऊन के झिंगोले का
नाप लेने आऊंगा मैं।
ठंड से तुम्हें बचाऊंगा मैं।
तुम्हारा भांजा यह बोला।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 02 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10