चुप्पी (Silence)
चुप मैं रहता हूॅं ।
नाड़ नीचे रखता हूॅं
काम आगे नहीं खिसकाता हूॅं
किसी की नजर में नहीं आता हूॅं
मना नहीं करता हूॅं।
फोलोअप कई करवाता हूॅं।
लटका - लटका काम करता हूॅं।
धीरे से बोलता हूॅं।
चुप मैं रहता हूॅं ।
विश्लेषण करने से कतराता हूॅं।
कार्य योजना नहीं बनाता हूॅं।
सदा कमी दूसरे की बताता हूॅं।
अपने पर्यवेक्षक से
प्रभावित होता जाता हूॅं।
उप पर्यवेक्षक,
खुद को बतलाता हूॅं।
दूसरे एरिया के बारे में
सदा हाथ खड़े कर देता हूॅं।
मिलने पर
कभी-कभी मुस्कराता हूॅं।
पर्यवेक्षक से भी कतराता हूॅं।
किसी का खुलेआम
विरोध नहीं जताता हूॅं।
मैं चुप रहता हूॅं ।
खूब पढ़ा लिखा हूॅं।
पर यहाॅं पड़ा हूॅं।
अपेक्षित प्रगति नहीं पाता हूॅं
शायद इसीलिए
चुप्पी साधे रहता हूॅं।
चुप्पी तोड़ो
आगे बढ़ जाओ।
अपना मनोबल
थोड़ा और बढ़ाओ।
अभी तुम युवा हो।
कुछ करके दिखलाओ
बस थोड़ी हिम्मत दिखलाओ।
चुप्पी तोड़ो, आगे बढ़ जाओ।
जीवन में मन चाही प्रगति पाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10