Wednesday, November 27, 2024

#H311 उम्मीद (Hope)

#H311
उम्मीद (Hope)

अपनी सारी गाढ़ी कमाई ।
बच्चों की पढ़ाई में लगाई।
अगर वह फिर भी ,
संतान कुछ ना बन पाई।
फिर अपनी शामत आई।

बाप के सीने में सांस भी,
धीरे-धीरे रुकती आयी ।
आगे कैसे हो ?
इस पैसे की भरपाई ।
सोचा था कुछ दिन काम आएगी ,
संतान की कमाई।
अब कैसे कराएगी ।
वह अपने छोंटों की पढ़ाई।

अपनी तो बस ,
जल्दी जाने की बारी आई ।
कभी कहीं पढ़ा था हमने
वो बात याद आई।
"जो होता है अच्छे के लिए होता है "
बस यह बात आज तक समझ न आयी।
क्या अच्छा है ?
बच्चों की पढ़ाई काम न आयी।
बेरोज़गारी मुंह फाड़कर,
हमारे बच्चों के सामने आयी।
कैसे एक पिता के चेहरे पर,
अंधेरे वाली खामोशी छाई।
क्या हमने ज्यादा उम्मीद लगाई ?

जिसने सदा सबकी उम्मीद बंधाई।
आज क्या हुआ उसकी हिम्मत घबराई।
भरोसा है बच्चों पर,
जीवन कुछ बन जायेंगे।
पर आज भावना
कुछ ज्यादा हावी पाई।
क्या ग़लत किया ?
अच्छी किस्मत की भी उम्मीद जताई।

शिक्षा प्रणाली सुधारी जाए ।
किताबी ज्ञान छोड़,
प्रायोगिक बनाई जाए।
तो पक्की आयपरक बन जाए।
भ्रष्टाचार से कोई ,
युवा न शिकार हो पाए।
भ्रष्टाचार में सख्ती बरती जाए।
तब ही पिता की उम्मीदों का
बेड़ा पार हो पाए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक  27  नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9.9/10

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