Thursday, November 30, 2023

#H025 पेड़ (🌴 Tree)

#H025

पेड़ (🌴 Tree) 

खेत जोतकर, बीज दबाओ। 
पानी दो और खाद लगाओ। 
तब बीज से अंकुर फूटता है। 
सूरज से गर्मी लेता है। 
जल्दी से बढ़ता जाता है। 
पहले दो पत्ते आते हैं, 
जो बढ़ते जाते हैं। 
अब इस पौधे में, 
और भी पत्ते आते जाते हैं। 
जिस पर पत्ते लगते हैं, 
उसको हम तना बुलाते हैं। 

और बढ़ने पर तना में, 
शाखाएं बन जाती हैं। 
जो पौधे को ऊपर से, 
चौड़ा करती जाती हैं। 
पत्ते जहाँ निकलते हैं , 
आगे उसके फूल भी आते हैं। 
फूलों के झड़ने पर, 
फल लग जाते हैं। 

फल पकने पर तोड़े जाते हैं। 
फल तोड़कर
हम सभी मजे से खाते हैं। 
गुठली रह जाती है, 
या फल पकर बीज बन जाते हैं। 
यह बीज, फिर से लगाए जाते हैं। 

जिस पौधे में एक तना होता है, 
यह तना मजबूत है होता
उसको हम पेड़ बुलाते। 

अगर पौधे में कई तना होते हैं, 
ये तने कमज़ोर हैं होते, 
तब इस हम पौधा बुलाते। 

पेड़ों के बूढ़े होने पर, 
लकड़ी के लिए काटे जाते हैं। 
कई बार पेड़ बीमारी से मर जाते हैं। 
खेती करने वाले बीमारी से बचने के लिए, 
पेडो में दवाई लगाते हैं। 
ऐसा ही पेड़ का जीवन होता है। 
ऐसा हम को शिक्षक बतलाते हैं। 

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 15 नवम्बर 2023,©

अंक 8.5/10

Wednesday, November 29, 2023

#H024 जज्बात छिपाना मुश्किल है (It's hard to hide emotions)

#H024

जज्बात छिपाना मुश्किल है (It's hard to hide emotions) 

जिन पर वर्षों प्यार लुटाया हमने, 
बच्चों की गलती पर, 
डांट लगाना,  कितना मुश्किल है ? 
उनकी पिटाई लगाना, कितना मुश्किल है ? 
बच्चों को, इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल है। 

अगर दुत्कार मिले बच्चों से, 
तो दुलार जताना मुश्किल है। 
इस क्रोध छिपाना मुश्किल है। 
इसका  अन्दाजा लगाना मुश्किल है। 

बच्चों की लापरवाही पर, 
बच्चों को चोट लगने का, 
डर छुपाना मुश्किल है। 
अपना कोई चोटिल न हो जाए, 
अपना कोई चला न जाए, इस जग से। 

ऐसी लापरवाही में डर का गुस्से में, 
बदलने से रोकना फिर मुश्किल है। 
यह क्रोध भी प्यार का एक रुप है। 
इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल है। 

हारने के डर को दबाना मुश्किल है। 
अपना कोई भविष्य में हारे, 
ऐसी घबराहट छिपाना मुश्किल है। 

जब कोई हो, अपनों पर भारी। 
हार की घबराहट छिपाना मुश्किल है। 
पर ऐसे में जोश बढ़ाना कितना मुश्किल है ? 
इसका  अन्दाजा लगाना मुश्किल है। 

औरों से क्या डरना, 
खुद पे जीत हासिल करना मुश्किल है। 
अगर अनुशासित न हो पाएं, बच्चे
खुद की हार दिखाना मुश्किल है। 
इस दर्द को छुपाना कितना मुश्किल है?
सारी दुनिया अपनों से ही हारी, 
दुनिया पर जीत हासिल कर भी, 
ऐसी हार पर,
खुशी जताना मुश्किल है। 
बच्चों को इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल है। 

बच्चा सफल हो असफल,
बच्चा लायक हो, नालायक,
माँ पिता सदा साथ खड़े होते हैं। 
यह प्यार कितना मुश्किल है। 
प्यारे पर डांट, पिटाई, क्रोध,
करना कितना मुश्किल है? 
इसका अन्दाजा लगाना मुश्किल है। 
माँ पिता को प्यार देना क्या मुश्किल है ? 

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 30 अक्टूबर 2023,©

अंक 9/10

Tuesday, November 28, 2023

#H023 जन्मदिन मुबारक हो (Happy Birthday🎂)

#H023

जन्मदिन मुबारक हो (Happy Birthday🎂) 


जन्मदिन है आज तुम्हारा
प्रसन्न रहो और स्वस्थ रहो
केक खिलाओ या हवन कराओ
पेड़ लगाओ या दान करो
खुशी मनाओ, दोस्तों को बुलाओ
मुहं मीठा कराओ या कड़वा
पर जन्मदिन जरूर मनाओ
जन्मदिन पर बधाईयाँ पाओ
बुजुर्गों का आशीर्वाद पाओ

एक साल बीत गया
आज उसे भूल जाओ
आने वाले साल से
कुछ अच्छे की आस लगाओ
इसी तरह आगे बढ़ते जाओ
प्रसन्न रहो, अपनो के साथ रहो
खुशी खुशी जीवन बिताओ

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 04 नवम्बर 2023, ©

अंक 8.5/10

Monday, November 27, 2023

#H022 गुरुमार्ग (Teachings)

#H022

गुरु मार्ग (Teachings) 

समाज में रहे भाईचारा,
एकता,सच्चा धर्म, सेवा,
मानवता है, मूल सिद्धांत तुम्हारा ।

धर्मिक सहिष्णुता और बढ़ाओ।
इसको जन- जन तक पहुँचाओ।

लोगों की दिल से सेवा कर,
ईश्वर से मिलने का अनुभव ,
तुम जीवन में ही पाओ।

गुरुद्वारा जाकर सच्ची सेवा करने का,
तुम अनुभव कर आओ।

इन सबका पालन कर ,
सब अपना धर्म निभाओ।

गुरुनानक जी की शिक्षाओं में ,
ऐसा ही तुम पाओ।

सबसे विनती है,
गुरु मार्ग को अपनाओ।
दुनिया को और अधिक सुन्दर बनवाओ।

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 27 नवम्बर 2023,©

अंक 8/10

#H021 कलम से बदले तकदीर (Pen change life)

#H021
कलम से बदले तकदीर  (Pen change life) 

तीर चलाओ, या तलवार
या चलाओ भाला
सभी घाव करें गम्भीर
बम चलाओ या राकेट
पर न बदले लोगों की तकदीर

कलम चले तो बने तेरी तकदीर
लिखो कलम से बदलो अपनी तकदीर

अनूठा लिखकर पाए हैं, नोबेल पुरस्कार
इस दुनिया में कई कलम के वीर
लेखक बनते, कविता सुनाते
शब्दों के वाण चलाते, लोगों में चेतना जगाते
जनमानस पर प्रभाव छोड़ते गम्भीर

जज बनकर लिखते
औरों की तकदीर
कलम न चला सके जो तुम
तो न बन पाए तेरी तकदीर

युद्धों की लिखी जाती है
कलम से अन्तिम तस्वीर

अधिकारी बन पाते हैं
होतें हैं जो लिखने में वीर
और बनाते हजारों की तकदीर

वकील बनकर दिलवाते लोगों का हक
करते सच्चे सबूतों की तसदीक़
और बचाते बेगुनाह की तकदीर

अध्यापक बनकर,
अ से अनार लिखाते हैं
और दिखाते हैं आकाश
अच्छे नागरिक बनाते हैं
जो बदलें देशों की तस्वीर

वैज्ञानिक बनकर
देते लोगों को नई नई खोजें
दूर देश में बात कराते
मंगल ग्रह पर खोज कराते
लिख लिख कर, ज्ञान बढ़ाते
जो बदले लोगों की तकदीर

अच्छा नेता बनकर,
समाज सेवी बनकर
अच्छे कानून बनाकर
बदल देते हैं लोगों की तकदीर

यह कलम ही  है
जो बदले लोगों की तकदीर
अब तेरे हाथ में कलम है
तू लिख ले या लिखवा ले अपनी तकदीर
कलम से ही बदले तेरी तकदीर

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 2 नवम्बर 2023,©

अंक 8.5

Sunday, November 26, 2023

#H020 आज भी गांव बहुत है खास (Even today the village is very special)

#H020

आज भी गांव बहुत है खास  (Even today the village is very special) 

मैं गाँव में मगन था
सुविधाएं कम थी
जरुरतें भी कम थीं
दोस्त भी साथ थे
पर मन का सुकून था

अच्छे की तलाश में
चमक दमक की आस में
शहर आ गया
मन का सुकून छिन गया
लगा सुविधाएं बढ़ गयीं
पर सब खो गया
खुले में घर रहने वाला
आठ बाई आठ के कमरे
फंसकर रह गया
रहना, खाना,चूल्हा
इसमें सब हो गया
हर महीने  किराये के लिए
मालिक घर पर आ गया
मैं मालिक था गाँव में
गरीब था पर आजाद था
यहाँ नौकर बनकर रह गया

न ताजा दूध है
न हैं  ताजा सब्जियां
न साफ हवा है
न है साफ पानी
ये सब क्या हो गया

सूरज को निकलते देखना
सूर्यास्त होते देखना
अब तो बस यादों में रह गया
शहर के शोर में
सब दबकर रह गया

गरीब था पर अपने घर पर था
यहाँ बस नौकर बन रह गया
जीवन नरक सा हो गया
आजादी की लाईफ खो गया

सरकार ने गांव में रोजगार लिए
नहीं किया है अब तक कुछ खास
आज भी गांव बहुत है खास
गाँव में रोजगार के लिए
सरकार कुछ करे ऐसी है आस
गाँव से शहर न हो पलायन
सरकार को करने होंगे बहुत प्रयास
तभी बनेगें गाँव
देश की तरक्की में कुछ खास

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 24 सितम्बर 2023, ©

अंक 9/10

Saturday, November 25, 2023

#H019 पुरुषार्थ (Courage)

#H019

पुरुषार्थ ही है इन्सान की पहचान (Courage) 

एक जाति गर्व करे
एक करे संकोच
पर खुद के पुरुषार्थ का
कोई न जिक्र करे
कौन करे हम सब में ये मतभेद
इस पर न कोई नेता विचार करे

जो थे रणकौशल में अच्छे
क्षत्रिय कहलाए
व्रह्म ज्ञान रखने वाले
ब्रह्मण कहलाए
व्यापार जिन्हें भाता था
वो वैश्य कहलाए
खेती किसानी, साफ सफाई आदि करने वाले
शूद्र कहलाए
क्या कोई किसी के बिन रह पाए
फिर कामों में कैसे अन्तर ला पाए
जैसा जिसने कर्म किया
वैसा इन्सान कहलाए

कुल वंश जाति धर्म का
क्या मतलब रह जाए
राम रावण एक राशि से ही आए
महान भरत के वंश में
दुर्योधन और युधिष्ठिर भी आए
श्रंग ऋषि का सींग
शूद्र के घर में न गिर पाए
पर ब्रहामण घर में रह जाए
फिर कोई कैसे उंच नीच बन जाए
हम सब कैसे अपनों से
मुख फेर रहते आए

फिर हम सब में
कुल वंश जाति धर्म का
कौन विष फहलाए
इन्सान तो केवल कर्मों
से जाना जाए
शूद्र के घर से भी कर्ण अद्वितीय
योध्दा बन जाए
सदियों से ही पुरुषार्थ
इन्सान की पहचान कहलाए

अब तो सरकार को भी चाहिए
फिर से जातियों की विवेचना करवाए
और समाज को अमीर और गरीब में रख कर,
विकास की अच्छी योजनाएं लाए
सारे समाज को और आगे लेके जाए

 देवेन्द्र प्रताप

दिनांक 08 अक्टूबर 2023,©

अंक 9.5/10

#H018 मैं मौन हूँ (I am silent voter)

#H018

मैं मौन  हूँ  (I am silent voter)

"यह कविता मूक मतदाताओं  के महत्व पर लिखी गई है। 
मूक मतदाता बहुत बारीकी से  विपक्ष /पक्ष का   निरीक्षण करता है 
और किसी भी दल को खुलकर  समर्थन / विरोध नहीं करता है। 
मूक मतदाता आमतौर पर इलेक्शन में जीत / हार  के लिए जिम्मेदार होते हैं।"

एक पक्ष है और एक विपक्ष है  । 
बाकी मूकदर्शक सदस्य  है,     
ये मूकदर्शक हर छोटी-बढी़,  
हर हरकत को समझ रहा है
यह न पक्ष और न विपक्ष है। 
विपक्ष इसको उल्लू बना रहा है, 
यह समझ रहा है। 
पक्ष समझा रहा है, 
विपक्ष, पक्ष की गलतियां गिना रहा है। 

यह हर चीज समझ रहा है, 
जो भ्रष्ट है, वह किसी और को,  भ्रष्ट बता रहा है
मलाई खा रहा  है, 
समझ रहा है,  कोई नहीं समझ रहा है
मैं मौन हूँ, कौन हूँ, समझ रहा है

ये न बोला है और न बोलेगा। 
सिर्फ समय पर तोलेगा। 
ध्यान रहे, सत्ता किसके पास रहेगी,  ये ही बतलाएगा
हर हरकत और प्रयासों का
आंकलन कर, जब ठप्पा लगाऐगा। 
मौन था, पर आज भी मौन ही रहेगा। 
पक्ष और विपक्ष बताएगा, 
समर्थक दोनों के साथ होते हैं, 
समर्थक जिता नहीं सकते,  सिर्फ जता सकते हैं
ये मौन ही तुम्हें जिता सकते हैं। 
लोकतंत्र बचा सकते हैं,  
लोकतंत्र चलबा सकते हैं
नमन है इस मौन को
मैं मौन हूँ, न समझ मैं कौन हूँ

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक अगस्त 2022, ©
अंक 9/10

Friday, November 24, 2023

#H017 सोसायटी (Life in Society)

#H017

सोसायटी (Life in Society) 

सोसायटी में रहते हैं
हम यहाँ का कुछ हाल दिखाते हैं
रहने वाले खुद क़ो बेहतर समझते हैं
कुत्ता घर में रखते हैं,
पार्क हो या पैदल पथ
कुत्ते की सिट करवा आते हैं
लिफ्ट में कुत्ते पेशाब कर जाते है
कुछ तो लिफ्ट में थूक जाते हैं
साफ रहे सोसायटी
इसकी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं
औरों को कैसा लगता है घूमने पर
समझने की जरूरत नहीं मानते हैं
खुद क़ो बेहतर कहते हैं

कौन पड़ोसी है इनका
जानने की जरूरत नहीं समझते हैं
कौन जिये या कौन मरे
यह अपनी धुन में रहते हैं
शोर शराबे से त्योहार मनाते
एक अलग सी दुनिया में रहते हैं
सब ऐसे ही होते हैं
ऐसा हम नहीं कहते हैं
यह कैसा समाज पनपा
जिसको सोसाइटी कहते हैं

पैकेज्ड फूड्स ही खाते हैं
हर साल मेडिकल चैकअप करवाते हैं
ऋण के बोझ तले जीते हैं
पड़ोसी से मिलने कभी नहीं जाते हैं
एकाकी जीवन जीकर
अवसाद में फंसकर रह जाते हैं
डाक्टरों का मोटा बिल चुकाते हैं
सर्विसेज देने वाले भी
इसका फ़ायदा खूब उठाते हैं

खुद क़ो बेहतर समझते हैं
कैसे बेहतर हैं  ये
हम समझ नहीं पाते हैं
हर किस्त चुकाते हैं
फिर भी एक नहीं हो पाते हैं
बिल्डर की मनमानी का
शिकार बहुत हो जाते हैं
इंसा नहीं बन पाते हैं
सोसायटी में अपनी भागीदारी
कभी नहीं निभाते हैं
कमी हर काम में जरूर जताते हैं
खुद को बेहतर कहने की
हिम्मत कैसे कर पाते हैं
सोसायटी में रहने पर
लोग ऐसे कैसे हो जाते हैं

हर चीज खरीद लेंगे पैसे
ऐसा यह समझते हैं
खुशी कहाँ से लाओगे
हम तो बस यह कहते हैं
जो तेरे अन्दर है
वो बाहर कहाँ तुम पाओगे
यह कैसे बाहर आयेगी
जब तक तुम इंसा नहीं बन पाओगे

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 04 नवम्बर 2023,©

अंक 9/10

Thursday, November 23, 2023

#H016 श्रम का प्रतीक ( A Symbol of Labor )

#H016

श्रम का प्रतीक ( A Symbol of Labor ) 

मैं गधा
तू गधा, ये गधा, वो गधा
मत कहो किसी को गधा
वरना बन जाओगे तुम भी गधा
श्रम का प्रतीक होता है गधा

करता है हर काम गधा,
बिना करे आराम, गधा
फिर भी लगता है सबको
सरेआम मूरख, गधा

इसका कारण है प्यारे
बिना शिकायत जो करे
बिरोध बिना जताए जो करे,
सदा करता रहे काम गधा

ना किसी क़ो मारे
ना किसी को काटे
सदा करता है यह काम, गधा
कभी कभी दुल्लती मारे  ये गधा

ऐसा जो भी करता है
समझा जाए गधा
करता है श्रम पर अभिमान
फिर भी कहलाए गधा
श्रम का प्रतीक होता है गधा
जो बोले किसी को गधा,
सच में वो ही होता है गधा

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 24 सितम्बर 2023,©

अंक 8/10

Wednesday, November 22, 2023

#H015 समस्या ही सुधार का पहला कदम होती है (The problem is the first step towards improvement)

#H015

समस्या ही सुधार का पहला कदम होती है 

(The problem is the first step towards improvement)

यदा - कदा सबके जीवन में
आती है, कोई न कोई व्यथा ।
पर तुम खुद से न होना खफा |
व्यथा से खुद को न दूर भगाओ ।

आ जाती है, सबके जीवन में, 
कभी न कभी दुविधा  ।
कौन  सही है, कौन गलत है
सही रास्ते को हम कैसे पाएं
फंस कर रह जाता है, इंसान  ।
ऐसे में सब्र रखो, मत घबराओ

खुद की गलती को स्वीकारो।
दिन में कुछ समय,
खुद के साथ बिताओ  ।
घटनाक्रम को फिर से दोहराओ ।
क्या हुआ, कब हुआ, कैसे हुआ,
कहाँ हुआ, किससे हुआ,
क्या नही हुआ, क्यों हुआ  ।
इस पर तुम ध्यान लगाओ  ।

जो हुआ है, उसको कैसे सुधारें  ।
इस पर तुम दिमाग लगाओ  ।
अपनों के साथ विचार करो।
कभी किसी के विचार को,
जल्दबाजी में मत ठुकराओ  ।
जांचों, परखो, फिर अपनाओ  ।

किस - किस से है, सम्बन्धित समस्या
इन पर ध्यान लगाओ  ।
इन सब में ज्यादा सम्बंधित को,
तुम आगे लेकर लाओ  ।

इन सबके मूल कारण का,
जड़ में जाके पता लगाओ  ।
अब इन मूल कारणों पर,
मौजूदा नियंत्रणों का,
पता लगाओ  ।
मूल कारण को खत्म करने लिए
समाधान बनाओ ।
समाधान का परीक्षण कर,
सत्यापन करवाओ ।
अगर सुधारात्मक कार्य हुआ सत्यापित।
तो सिस्टम में दर्ज कराओ।
सिस्टम पहले से है, तो बदलाव करो  ।
अगर नहीं है सिस्टम,
तो फिर उसे बनाओ  ।

इस बदलाव को,
लागू करने वालों को सिख लाओ।
करते हुए काम, चुपचाप,
उनका निरिक्षण करवाओ  ।
अगर जरूरी हो, तो
और सुधार कराओ
पहले और बाद का
तुलनात्मक चित्रण करवाओ।
जहाँ कहीं हो सम्बंधित प्रोसेस,
उसमें यह सुधार लगाओ।

इसी ज्ञान को
अपने जीवन में अपनाओ,
हर समस्या को सुधार का
पहला कदम बनाओ  ।
पर समस्या को न दोहराओ।
हर मुश्किल को,
उसके हल तक पहुँचाओ

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक - 08 जुलाई 2023,©

अंक 8.5/10

#H014 संवाद (Dialogue)

#H014

संवाद (Dialogue) 

मुझसे न संवाद करो
मेरा न समय बर्बाद करो
मैं समय हूँ
मेरा तुम सम्मान करो

समय का सम्मान करो
आलसी बनकर तुम
अपना न अपमान करो
अभावों का न विलाप करो
मिला तुम्हें जो ईश्वर से
उसका तुम आभार व्यक्त करो
मानव रुप में आये हो तो
जग का कुछ कल्याण करो

जीवन का क्या है भरोसा
कब से तुम आराम करो
चिरनिद्रा में विश्राम करो
समय रहते,
समय का सम्मान करो

जीवन में कुछ ऐसा करो
प्राणियों का जीवन अच्छा हो
प्यार बढ़े, खुशी बढ़े, और बढ़े भाईचारा
ऐसा कुछ काम करो
किसी को न आघात करो
मानव रुप में आए हो तो
जग का कुछ कल्याण करो
समय रहते,
समय का सम्मान करो

खुद से संवाद करो
तुझे ईश्वर ने क्यों भेजा है इस जग में
बस याद करो
समय को न बर्बाद करो

जीवन में हार गए
प्यार में तुम टूट गये
अपने साथी से छूट गये
जीवन में पीछे छूट गये
कहीं से किसी  से अपमानित हो गये
इसका न तुम बिलाप करो
अपनी करनी पर न पछताना पड़े तुम्हें
सदा ऐसा प्रयास करो

ऐसा कौन है इस जग में
जिसका न अपना संघर्ष रहा
राजा रामचन्द्र को याद करो
राजपाठ को छोड़ वो
संगिनी के लिए वन वन भटके
पर जीवन में कभी न भटके
फिर कष्टों का तुम क्यों आलाप करो

वाल्मीकि को याद करो
रत्नाकर डाकू से बने ऋषि
गौतम बुद्ध को याद करो
राजपाठ को छोड़कर
जीवन समाज के नाम किया
मानव रुप में आए हो तो
जग का तुम कल्याण करो
बस खुद से संवाद करो
खुद से मिलने का प्रयास करो

ईश्वर की रणनीति पर
दिल से तुम विश्वास करो
जीवन में राह न मिले तब
बस से खुद से संवाद करो

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 06 नवम्बर 2023,©

अंक 9/10

Tuesday, November 21, 2023

#H013 गुणवत्ता को कैसे पाएं (How to achieve Quality)

#H013
गुणवत्ता को कैसे पाएं (How to achieve Quality) 

अगर गुणवत्ता को पाना चाहो
तो इन पर तुम ध्यान लगाओ ।

फोर-एम (Man-Machine-Material-Method) चैन्ज को रिकॉर्ड करो ।
रिकॉर्ड के साथ ही 
इसके इफैक्टस को वैरीफाई कराओ ।

अगर आए, कोई एबनार्मेलिटी
तो इसको, तुम न इग्नोर करो ।
ठीक कराओ, तभी चलाओ ।
बने हुए बैक ट्रेस कराओ ।

प्रोसेस में पोकायोके(Mistake Proofing) लगवाओ ।
प्रोसेस को इन्टरलोक कराओ ।

कर्मचारियों का कौशल बढ़वाओ ।
सदा मनोबल को बढ़ाने की जुगत लगाओ ।
तन्जाकु करवाओ ।
कर्मचारियों की मुश्किल दूर कराओ ।
निर्भय होकर बैड न्यूज़ फर्स्ट का
कल्चर अपनाओ ।
प्रॉब्लम्स को जल्द ठीक कराओ ।

ग्राहक, प्रोसेस और सप्लायर की 
फैलयोर्स का काकोतोरा (Problem history) बनवाओ ।
इनसे प्रोसेस को चैक कराओ ।

नये डेवलपमेंट में काकोतोरा लागू करवाओ ।
जिग फिक्सचर की डिजाइन में
पोकायोके लगवाओ ।
क्यू ए नैटवर्क (Risk Reduction) को लागू करवाओ ।

सफल एक्शन का योकोतेन (Horizontal deployment) कराओ ।

मशीनों की जेएच (Daily checking) करवाओ ।
कैलिब्रेशन को सही समय पर करवाओ।
इक्विपमेंट, गेज, फिक्सचर, पुर्जों को
सही समय पर बदलवाओ ।
प्रिवेंटिव मैंन्टीनैन्स न करने का 
कोई बहाना नहीं लगवाओ ।

इफेक्टिव  आडिट करवाओ ।
रिजल्ट मैनेजमेंट से रिव्यू करवाओ ।
बेहतरी के लिए अगला कदम उठाओ ।

यह सभी काम सप्लायर पर भी करवाओ ।
सप्लायर के साथ मिलकर काम करो, 
और उसकी मुश्किल कम करवाओ ।
गुणवत्ता वाला ही माल तुम पाओ ।

ग्राहक को गुणवत्ता का माल देकर, 
ग्राहक को संतुष्टि प्रदान कराओ ।
उसके दिल में लंबे समय तक जगह बनाओ ।
सबको गुणवत्ता का महत्व बताओ ।

देवेन्द्र प्रताप, 
दिनांक 08 नवंबर 2023, ©
अंक 8/10

#H012 प्यार का एक्सपोर्ट - इम्पोर्ट (Love beyond Borders)

#H012
प्यार का एक्सपोर्ट - इम्पोर्ट (Love beyond Borders) 

हम सामान करते हैं एक्सपोर्ट
इम्पोर्ट  कुछ ज्यादा करते हैं
सदा डिफिसिट में रहते हैं
इसलिए सौदा कम कर पाते हैं

आओ हम तुम्हें प्यार का
एक्सपोर्ट - इम्पोर्ट बतलाते हैं
कभी मुनाफा तो कभी घाटा
व्यापार में हम सभी उठाते हैं

कभी यह, कभी वो...चली गयीं
अपने महबूब के मुल्क में
यहाँ बहुतों को ठेस दे गयीं
दिलवालों का दिल तोड़कर
सब कुछ अपना छोड़कर, वो चली गयीं

सरहद पार से कोई आयी है
खुश होने का मौका लायी है
साथ पुराने प्यार की
चार निशानी लायी है
सीमाओं को तोड़ वो
पैगाम प्यार का लायी है
शादी के बन्धन में बंध कर
सनातन धर्म को गले लगाई है
प्रशासन का भी दिमाग बहुत चकराया था
पुलिस थाने में उसने पेशी कई लगायीं हैं
तहकीकात में पुलिस के हाथ कुछ नहीं आया है
पुलिस इसमें बस प्यार का चक्कर पायी है

यहाँ से किसी को,
वहाँ कोई मन भाया है
खातून बनने का भूत
उसके सिर चढ़ आया है
छोड़ सभी को यहाँ पर,
यार से मिलना उसको
बहुत मन भाया है
इस्लाम कुबूल कर उसने
अपना निकाह कराया है
बच्चों का भी प्यार उसे
जाने रोक नहीं पाया है

कुछ भी हों हालात मगर
इन सबने प्यार का बिगुल बजाया है

हवा बदली है कुछ इस तरह
जुड़ने लगे हैं जज्बात
तुम दूर रहो या पास
अब नहीं है कोई डरने की बात
इस देश या उस देश
हर जगह लोगों के दिल में
होते हैं प्यार के  जज्बात
इसलिए ऐसा दिन आया है

लगता है बदलने लगे हैं हालात
दिल में आग इधर भी लगती है,
दिल में आग उधर भी लगती है
प्यार में अगर पड़ गये तुम
फिर तुम्हारे बस की
नहीं रह जाती है बात
तभी तो फलफूल रहा है
इश्क़ का माहौल
फिर डरने की क्या है बात

लोग सोशलमीडिया से जुड़ जाते हैं
मिलने लगते हैं हर रोज
मिज़ाज एक दूसरे का भाने लगता है
फिर मिलने की लालसा जगती है
फिर मिलने को वो एक देश से
दूसरे देश चला जाता है
यह प्यार इसीलिए अंधा कहलाता है
स्वर्ग से नरक जाने में भी नहीं घबराता है

कभी कभी लोग  हनीट्रेप में फंसकर
अपना सब कुछ गंवाता है
मौजूद समय में हनीट्रेप से
अच्छा अच्छा भी घबराता है

सब छोड़कर एक यहाँ आ गयी
समझो इम्पोर्ट हो गया
सब छोड़कर एक वहाँ चली गई,
यह एक्सपोर्ट हो गया
यह है प्यार का इम्पोर्ट- एक्सपोर्ट

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक  20 अक्टूबर 2023 ©

अंक 8.5/10




Monday, November 20, 2023

#H011 काली दिवाली (Sad Diwali)

#H011

काली दिवाली (Sad Diwali) 

आज कैसी दीवाली है
यह काली दीवाली है
सबको याद दिलाने वाली है

एक का भाई, एक का पिता
एक का पति, एक का ससुर
एक का मामा, एक का बाबा
एक का बेटा, सबको
याद दिलाने वाली है
एक बार फिर से रुलाने वाली है

किसी की अच्छाई
याद कराने वाली है
किसी को भुलाने वाली है
जिंदगी यहाँ से
आगे जाने वाली है
जिदंगी अच्छे पल भी
आगे लाने वाली है
यह काली दीवाली है
आज ऐसी दीवाली है
जीवन में फिर से
रोशनी लाने वाली है
जिंदगी कहाँ रुकने वाली है

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 12 नवम्बर 2023 ©

अंक 8/10

#H010 पानी (Water 💦)

#H010

पानी (Water)

पानी कहाँ - कहाँ से आता है ?
मैं आप सबको बतलाता हूँ

बर्फ के ग्लेशियर पिघलने से आता है
फिर नदियों में बह जाता है
बहकर समुद्र में मिल जाता है
गर्मी बढ़ने से समुद्र का पानी
भाप बनकर उड़ जाता है
ठण्डा होकर बादल बन जाता है
बादल बर्ष कर जमीन पर आ जाता है
फिर नदियों और नहरों में बह जाता है
तालाबों, झीलों में भर जाता है
फसलों में भी पानी लग जाता है
धरती में भी समा जाता है
जिससे पानी का स्तर बढ़ जाता है
धरती के अन्दर से
नल से भी निकाला जाता है
पानी का चक्र यों ही चलता जाता है
फसलों में भी धरती के अन्दर का
पानी बहुत लगाया जाता है
जिससे पानी का स्तर जल्दी गिरता जाता है
यह हम सबकी चिंता बहुत बढ़ाता है

मेरे घर में तो पानी
केवल नल से आता है
बच्चों को ऐसा लगता है
ऐसा नहीं है बच्चों
ये जमीन के अन्दर से ही आता है

नल से पानी  लेता हूँ
मग  में पानी  भरता  हूँ
गिलास से पानी पीता हूँ
पानी न बर्बाद हो जाए
इसलिए आधा गिलास ही लेता हूँ
अगर जरूर पड़ी पानी की
तो फिर से थोड़ा लेता हूँ

सोकर उठने पर, पानी पीता हूँ        
खेल कर आने पर, पानी पीता हूँ
रेल  में आते - जाते पानी पीता हूँ
बस में  आते - जाते पानी पीता हूँ
पानी बिना पिए नहीं रह पाता हूँ
पानी पर ही जीता हूँ

पानी से हाथों को धोता हूँ
पानी से कपड़े धोता हूँ
पानी से बर्तन धोता हूँ
पानी से रोज नहाता हूँ
पानी को रोज पौधों में लगाता हूँ
पानी बिना पिए नहीं रह पाता हूँ

आप सबसे से विनती करता हूँ
पानी मत बर्बाद करो
मैं इंसान हूँ, मैं पौधा हूँ, मैं जीवन हूँ
मैं पानी पर ही जीता हूँ

दुनिया में पानी बहुत है
पर पीने लायक बहुत कम है
इसीलिए मैं डरता हूँ
अगर ये जल्दी खत्म हो गया
तो फिर पानी बिना मैं कैसे जीता हूँ
मैं इंसान हूँ, मैं पौधा हूँ, मैं जीवन हूँ
मैं पानी पर ही जीता हूँ

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 06 नवम्बर 2023

अंक 8.8/10

Sunday, November 19, 2023

#H009 सुरक्षित दीवाली (Safe Diwali)

#H009

सुरक्षित दीवाली (Safe Diwali) 

रोशनी से जग मग हो रहे हैं
हर घर और बाजार
बल्ब और झालर लगाओ
तरह - तरह की लाईट जलाओ
ध्यान रहे अच्छी गुणवत्ता
वाली ही तार लगाओ
आग लगने से घर को बचाओ

बच्चों धुंए वाले पटाखे न चलाओ
ग्रीन पटाखे ही चलाओ
धुआं करने से बच जाओ
पटाखे की आवाज
तुम खूब पाओ,
मुर्गा छाप पटाखे भूल जाओ
अनार, सुतली बम, रोकेट बम
तुम न चलाओ
खुद की सुरक्षा बढ़ाओ

प्राकृतिक रंगों से रंगोली बनाओ,
घर को सजाओ
गणेश और लक्ष्मी जी का
पूजन करो,
घी - तेल के दिऐ जलाओ
सपरिवार मिलकर आरती गाओ

खीलें खाओ, परवल खाओ
मुरमुरा चबाओ,
चीनी के हाथी, घोड़ा, ऊंट
तोड़ तोड़कर खाओ
मिठाई खाओ और खिलाओ
जुआ खेलकर तुम
लक्ष्मी का न अपमान करो

अपनो से आशीर्वाद पाओ
दोस्तों से मिलो और गले लगाओ
जगमग रहे सबका जीवन
ऐसी ईश्वर से दुआ लगाओ

मिठाई बाजार से मत लाओ
मिठाई घर पर ही
काजू, बादाम, किशमिश,
या बेसन से बनवाओ
नकली खाने से बच जाओ
अपने प्यारों को
बीमार होने से बचाओ
न बनानी आती हो तो
यूट्यूब से पता लगाओ

अगर हो सके तो
किसी जरूरतमन्द के घर में
दीवाली मनाने का इन्तजाम करो
उसके चेहरे पर मुस्कान लाओ
और ढेर सारी दुआऐं पाओ,
इस तरह से सुरक्षित दीवाली मनाओ

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 09 नवम्बर 2023

अंक 9/10



#H008 भावना (Emotions)

#H008

भावना (Emotions)

अच्छा है खुशी मनाना,
मिठाई खिलाना, पार्टी में बुलाना,
घर पर बुलाना, बढ़ा चढ़ाकर बतलाना
अपनी सफलता, संपन्नता जताना
अच्छा नहीं संपन्नता का उन्माद जताना
अच्छा नहीं किसी को छोटा जताना
जो जैसा भी है उसको वैसा अपनाना
गलती से किसी को ठेस न लगाना
सब सफल हो संपन्न हों आगे बढें
हमने तो बस यही जताना
अच्छा है खुशी मनाना,

जीवन नश्वर होता है,
सहज होकर खुशी मनाना
वस्तुएँ तो भौतिक है क्षणभंगुर हैं
टूटने पर दुख होता है
तुम अफसोस जताना
इनको नहीं है मुमकिन
साथ अपने ऊपर ले जाना
अच्छा है खुशी मनाना,

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 19 अक्टूबर 2023

अंक 8.7/10

#H007 सोचो कैसे पढ़ते हैं ? (Think about how to read?)

#H007
सोचो कैसे पढ़ते हैं ?  (Think about how to read?) 

जो कभी कभी पढ़ा करते हैं
वो अक्सर भूला करते हैं
ज्यादा समय तक
याद नहीं रख पाते हैं

परीक्षा में अक्सर, याद किए की
उल्टी करने ही जाया करते हैं
परीक्षा से ज्यादा घबराते हैं
परीक्षा के दिनों में अक्सर
रातों को जागा करते हैं

न पढ़ने का रोज
नया बहाना लाते हैं
थोड़ा पढने पर भी
ढिंढोरा बहुत बजाया करते हैं
हर काम को टाला करते हैं

असफल होने पर भी
खुद को ठीक बताया करते हैं
ये अपनी गलतियों से
सीखा नहीं करते
अपनी असफलता का दोष
सदा किसी और के सिर मढ़ा करते हैं

जो रोज थोड़ा - थोड़ा पढ़ा करते हैं
वो ज्यादा दिन तक याद रख पाते हैं
ऐसे पढ़ने वाले
होशियार बना करते हैं
परीक्षा से कभी नहीं डरा करते हैं
खेलकूद में भी बढ़ चढ़ कर
हिस्सा लिया करते हैं

जीवन में कभी किसी कठिनाई से
नहीं डरा करते हैं
हर मुश्किल को रणनीति से
थोड़ा थोड़ा कर,
खत्म किया करते हैं
ऐसे पढ़ने वाले अक्सर
बहुत आगे जाया करते हैं

हम सब देखा करते हैं
लम्बी दौड़ में धीरे धीरे
लगातार चला करते हैं
तभी दौड़ पूरी कर पाते हैं
और जीता करते हैं

हर माँ पिता अपने बच्चे से
ऐसा होने की आस लगाया करते हैं
ऐसे में माँ पिता क्या गलत करते हैं
सोचो आप कैसे पढ़ा करते हैं

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 08 नवम्बर 2023

अंक 9/10

#H006 फितरत ( Nature)

#H006

फितरत ( Nature)

तूने जो मांगा मैंने वो दिया
जो नहीं मांगा वो भी दिया

जब नहीं थी तेरे पास  कोई संतान,
तो संतान पाने के लिए रोया
मिली तुझे बेटी किस्मत से
फिर तू बेटा पाने के लिए रोया
एक मिला तो दूजे के लिए रोया

जब मिला तुझे यह तो
फिर तू उसके लिए रोया
उसके खोने के डर से रोया
क्या होगा इसका
ये सोच सोचकर रोया
पहले बता तू कब नहीं रोया

अच्छी पढ़ाई हो जाए
नौकरी लग जाए
फिर अच्छी तन्ख्वाह वाली
नौकरी लग जाए
मकान बन जाए
बड़ी गाड़ी आ जाए
प्रमोशन हो जाए
बच्चों की शादी हो जाए
सुन्दर, सुशील, कमाऊ जीवनसाथी
मिल जाए
इन सबके लिए
हर बार तू है रोया

जब इस जग में आया
तब भी रोते हुए आया
जब तेरा कोई गया
इस जग से
तब भी तू रोया
सोच जरा
क्या किसी गैर के लिए भी रोया
अगर नहीं, तो फिर अपने लिए
तू बार बार क्यों रोया
लगता है रोना ही तेरी फितरत है
इसलिए तू हर हाल में रोया

मुश्किल है कष्टों में हंसना
रोना है आसान,
पर हर हाल में लड़ना ही है
इंसान की असली पहचान

तू हर बार है क्यों रोया
जीवन भर रहता परेशान
सीख जरा गुलाब के फूल से
कांटों में हसना कितना है आसान
रोते रहने की फितरत भी रखता है इंसान
ध्यान रहे,
हर हाल में लड़ना और मुस्कुराना ही है
इंसान की असली पहचान
मतकर इंसान का अपमान

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 11 नवम्बर 2023

अंक 9.2/10

#H005 चूर्ण (Powder)

#H005

चूर्ण (Powder) 

माँ ने चटाया बचपन में चूर्ण
तुमने चाटा बीमारी में चूर्ण
स्वाद बने मुहं का
इसलिए भी तुमने खाया चूर्ण

चलो पता लगाएं
कैसे बनता है यह चूर्ण
कई तत्वों का मिश्रण होता है चूर्ण

औषधियों को कूट कूटकर
तत्वों को महीन पीसकर
छलनी में छानकर
एक निर्धारित अनुपात में
तत्वों को मिलाया जाता है
स्वादिष्ट लगे इसलिए इसमें
मीठा या नमक मिलाया जाता है
तब जाकर बनता है चूर्ण

फांकी मारा जाता है चूर्ण
शहद मिलाकर चाटा जाता है चूर्ण
लस्सी में पिलाया जाता है चूर्ण
मरीज को पता न चले
क्या दिया गया है पुड़िया में
इसलिए भी बनाया जाता है चूर्ण

आयुर्वेद और प्राकृतिक इलाज में
खूब खिलाया खाया जाता है चूर्ण
चूर्ण की गोलियां बनाकर भी
खिलाया जाता है चूर्ण
वैद्य, हकीमों और पंसारियों का
धन्धा खूब चलाता है चूर्ण
कभी न कभी
सबके मन भाता है चूर्ण

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 08 नवम्बर 2023

अंक 8.8/10


#H004 लापरवाही (Negligence)

#H004
लापरवाही (Negligence) 

तेरी ऐसी की तैसी हो गयी
जो की तूने लापरवाही
खेलना बन्द हो गया
साथ में गयी पढ़ाई
मिलने भी नहीं आता कोई
कहाँ गये सब सखा कन्हाई
अब सुबह दोपहर और शाम
लेता हूँ  टेबलेट और सिरप ओ मेरे भाई

दर्द के मारे हो गई
तेरी ताथा थईआ
खानी पड़ती है साथ में कड़वी दवाई
उठना बैठना हुआ मुहाल
किसी और पर हूँ मैं निर्भर
ऐसा हो गया मेरे भाई
ये तूने कैसी समझदारी दिखलाई
तेरी ऐसी की तैसी हो गयी
जो की तूने की लापरवाही

इसलिए मैं कहता हूँ
सरेआम सब भाई
मत वरतो जल्दबाजी
रखो संयम, जाने दो
अगले को तुम भाई
वरना हो जायेगी
तेरी ऐसी की तैसी
जो की तूने की लापरवाही

दिनांक 08 अक्टूबर 2023

अंक 8.5/10

#H003 नोटा (Nota - None of the above)

#H003
नोटा (Nota - None of the above) 

हम न हिन्दू बनेगा,
न मुसलमान बनेगा |
अपना तो वोट,
नोटा पे लगेगा
तेरा नोट, हमको न जमेगा
तेरी दारू, हमको न चढ़ेगी
हम न जाति-पांति में बंटेगा

तेरी शराफ़त चन्द दिनों की है
फिर हम ही लुटेगा |
यहाँ सब कुछ बिकेगा |
तू ही सरेआम,
लुटेरा निकलेगा |
हर लड़ाई की वजह
तूही निकलेगा
गलत नेता चुन गया तो
जनता को ही ठगेगा

मेरा इंसान न झुका है, न झुकेगा
मेरा ईमान न बिका है, न बिकेगा
हम न हिन्दू बनेगा,
न मुसलमान बनेगा

जो रचे आने वाले,
भारत की इबारत |
बस वही हमको जंचेगा |
न जंचा कोई हमें तो
अपना वोट,
नोटा पे लगेगा |

पता नहीं हमारा देश,
कब हिन्दू - मुसलमान,
होने से बचेगा
जाति - पांति में न बंटेगा
न पूरब, न पश्चिम में बंटेगा
न उत्तर - दक्षिण से भिड़ेगा
वोट देने में न, भावुक बनेगा
ऐसा हम सबको, कब दिखेगा

वोट सच्चे पे दबेगा
वोट अच्छे पे पड़ेगा
जो हमारी सुनेगा
खड़े जो साथ हमारे,
लड़े जो साथ हमारे,
वोट उसी नेता को, मिलेगा
अगर न जंचा कोई हमें तो
अपना वोट,
नोटा पे लगेगा
हम न हिन्दू बनेगा
न मुसलमान बनेगा
जाति - पांति में न बंटेगा

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 18 नवम्बर 2023

अंक 9.7/10



#H002 सच्चा दशहरा (Dusherra)

#H002

सच्चा दशहरा (Dusherra)


हर साल दशहरा तुमने मनाया
रावण का पुतला
तुमने हर साल जलाया
इस बार तुम अपने अंदर झांको
क्रोध, घृणा, लालच, घमंड, ऊँच-नीच, वासना
को तुम पहचानों
कैसे मारें इस पर विचार करो

इन्हें मारने का तुम प्रयास करो
सदभाव रखो, लोगों से प्यार करो
किसी का हक न मारो, सच्ची स्पर्धा रखो
जो पाया है, उसमें संतोष करो
ईश्वर को धन्यवाद करो
जिस दिन तुमने इन्हें जलाया
समझो सच्चा दशहरा तुमने मनाया

वरना समझो रावण फिर से जलने आया
हर रोज रावण ने फिर तुम्हें जलाया
रावण पुतले में नहीं, तेरे अन्दर हैं
जिसने तेरा संसार जलाया
इंसा को इंसा से लड़वाया
हर साल हजारों लोगों को मरवाया
तेरे सुख को तुझसे छीना
तेरे को तेरे से ही लड़वाया
तेरे घर का सुख खोया
जीवन को नरक बनाया
जिसने अपने अन्दर का रावण मारा
समझो सच्चा दशहरा उसने मनाया

देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 24 अक्टूबर 2023

अंक 9.5/10

#H001 मुझे कविता न लिखनी आए (I don't know writing Poetry)

#H001 

मुझे कविता न लिखनी आए (I don't know writing Poetry)

पर मेरा दिल धड़क धड़क कर जोर लगाऐ

भावनाऐं मेरी कागज पर आने को ललचाऐ

सही कविता वही, जो भावनाऐं जगाऐ

मुझे कविता न लिखनी आऐ

पर कलम मेरी चलती जाऐ

ऐसे ही मेरी कविता बन जाऐ

मुझे कविता न लिखनी आऐ

दूसरे के दर्द को

मुझे महसूस कराऐ

कभी कभी मेरी आखों में

लिखते लिखते आंसू लाऐ

मुझे कविता न लिखनी आऐ

पर कलम मेरी चलती जाऐ

ऐसे ही मेरी कविता बन जाऐ

जब मेरी कविता कभी किसी के

चेहरे पर मुसकराहट लाऐ

गमगीन कर जाऐ

कुछ याद कराऐ

जोश जगाऐ

कभी कभी गुस्सा भी लाऐ

कुछ सबाल उठाऐ

पछतावा भी लाऐ

पर कभी किसी का

दिल न दुखाऐ

गर मेरी कविता ऐसा

कुछ कर पाऐ

मैं समझूँ मेरी कविता

तब सफल कहलाऐ

मुझे कविता न लिखनी आऐ

पर कलम मेरी चलती जाऐ

मेरा हौसला बढ़ाऐ

ऐसे ही मेरी कविता बन जाऐ

कविता दिवस पर समर्पित

देवेन्द्र प्रताप

21 मार्च 2023

©

अंक 9.5/10

#H475 7 मासूम (7 Innocents)

#H475 7 मासूम (7 Innocents) पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई, सात मासूमों की जान चली गई। स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई। घरों में घनघोर अंधेरा क...