#H014
संवाद (Dialogue)
मुझसे न संवाद करो
मेरा न समय बर्बाद करो
मैं समय हूँ
मेरा तुम सम्मान करो
समय का सम्मान करो
आलसी बनकर तुम
अपना न अपमान करो
अभावों का न विलाप करो
मिला तुम्हें जो ईश्वर से
उसका तुम आभार व्यक्त करो
मानव रुप में आये हो तो
जग का कुछ कल्याण करो
जीवन का क्या है भरोसा
कब से तुम आराम करो
चिरनिद्रा में विश्राम करो
समय रहते,
समय का सम्मान करो
जीवन में कुछ ऐसा करो
प्राणियों का जीवन अच्छा हो
प्यार बढ़े, खुशी बढ़े, और बढ़े भाईचारा
ऐसा कुछ काम करो
किसी को न आघात करो
मानव रुप में आए हो तो
जग का कुछ कल्याण करो
समय रहते,
समय का सम्मान करो
खुद से संवाद करो
तुझे ईश्वर ने क्यों भेजा है इस जग में
बस याद करो
समय को न बर्बाद करो
जीवन में हार गए
प्यार में तुम टूट गये
अपने साथी से छूट गये
जीवन में पीछे छूट गये
कहीं से किसी से अपमानित हो गये
इसका न तुम बिलाप करो
अपनी करनी पर न पछताना पड़े तुम्हें
सदा ऐसा प्रयास करो
ऐसा कौन है इस जग में
जिसका न अपना संघर्ष रहा
राजा रामचन्द्र को याद करो
राजपाठ को छोड़ वो
संगिनी के लिए वन वन भटके
पर जीवन में कभी न भटके
फिर कष्टों का तुम क्यों आलाप करो
वाल्मीकि को याद करो
रत्नाकर डाकू से बने ऋषि
गौतम बुद्ध को याद करो
राजपाठ को छोड़कर
जीवन समाज के नाम किया
मानव रुप में आए हो तो
जग का तुम कल्याण करो
बस खुद से संवाद करो
खुद से मिलने का प्रयास करो
ईश्वर की रणनीति पर
दिल से तुम विश्वास करो
जीवन में राह न मिले तब
बस से खुद से संवाद करो
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 06 नवम्बर 2023,©
अंक 9/10