#H020
आज भी गांव बहुत है खास (Even today the village is very special)
मैं गाँव में मगन था
सुविधाएं कम थी
जरुरतें भी कम थीं
दोस्त भी साथ थे
पर मन का सुकून था
अच्छे की तलाश में
चमक दमक की आस में
शहर आ गया
मन का सुकून छिन गया
लगा सुविधाएं बढ़ गयीं
पर सब खो गया
खुले में घर रहने वाला
आठ बाई आठ के कमरे
फंसकर रह गया
रहना, खाना,चूल्हा
इसमें सब हो गया
हर महीने किराये के लिए
मालिक घर पर आ गया
मैं मालिक था गाँव में
गरीब था पर आजाद था
यहाँ नौकर बनकर रह गया
न ताजा दूध है
न हैं ताजा सब्जियां
न साफ हवा है
न है साफ पानी
ये सब क्या हो गया
सूरज को निकलते देखना
सूर्यास्त होते देखना
अब तो बस यादों में रह गया
शहर के शोर में
सब दबकर रह गया
गरीब था पर अपने घर पर था
यहाँ बस नौकर बन रह गया
जीवन नरक सा हो गया
आजादी की लाईफ खो गया
सरकार ने गांव में रोजगार लिए
नहीं किया है अब तक कुछ खास
आज भी गांव बहुत है खास
गाँव में रोजगार के लिए
सरकार कुछ करे ऐसी है आस
गाँव से शहर न हो पलायन
सरकार को करने होंगे बहुत प्रयास
तभी बनेगें गाँव
देश की तरक्की में कुछ खास
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 24 सितम्बर 2023, ©
अंक 9/10