#H006
फितरत ( Nature)
तूने जो मांगा मैंने वो दिया
जो नहीं मांगा वो भी दिया
जब नहीं थी तेरे पास कोई संतान,
तो संतान पाने के लिए रोया
मिली तुझे बेटी किस्मत से
फिर तू बेटा पाने के लिए रोया
एक मिला तो दूजे के लिए रोया
जब मिला तुझे यह तो
फिर तू उसके लिए रोया
उसके खोने के डर से रोया
क्या होगा इसका
ये सोच सोचकर रोया
पहले बता तू कब नहीं रोया
अच्छी पढ़ाई हो जाए
नौकरी लग जाए
फिर अच्छी तन्ख्वाह वाली
नौकरी लग जाए
मकान बन जाए
बड़ी गाड़ी आ जाए
प्रमोशन हो जाए
बच्चों की शादी हो जाए
सुन्दर, सुशील, कमाऊ जीवनसाथी
मिल जाए
इन सबके लिए
हर बार तू है रोया
जब इस जग में आया
तब भी रोते हुए आया
जब तेरा कोई गया
इस जग से
तब भी तू रोया
सोच जरा
क्या किसी गैर के लिए भी रोया
अगर नहीं, तो फिर अपने लिए
तू बार बार क्यों रोया
लगता है रोना ही तेरी फितरत है
इसलिए तू हर हाल में रोया
मुश्किल है कष्टों में हंसना
रोना है आसान,
पर हर हाल में लड़ना ही है
इंसान की असली पहचान
तू हर बार है क्यों रोया
जीवन भर रहता परेशान
सीख जरा गुलाब के फूल से
कांटों में हसना कितना है आसान
रोते रहने की फितरत भी रखता है इंसान
ध्यान रहे,
हर हाल में लड़ना और मुस्कुराना ही है
इंसान की असली पहचान
मतकर इंसान का अपमान
देवेन्द्र प्रताप
दिनांक 11 नवम्बर 2023
अंक 9.2/10