Friday, May 31, 2024

#H157 मेरा तेरा हो रहा है यहाँ ( Blaming each other on pollution)

 #H157

मेरा तेरा हो रहा है यहाँ


"कविता में ठोस कचरे के निपटारे से जुड़ी स्थिति, दुष्प्रभाव और समस्याओं को उजागर किया गया है। "

जल रहा है कुछ यहाँ

जल रहा है कुछ वहाँ

जिस भी शहर गाँव में गया 

ठोस कचरा जल रहा है वहाँ

उठ रहा है धुआँ वहाँ

सरकारें आती रही है यहाँ

जाती रही हैं सरकारें वहाँ

उठता रहा है धुआँ वहाँ

दिल में कुछ जल रहा है यहाँ


जागो राम, रहीम, सिंह

सरदार, जोसेफ यहाँ

जल रहा है कुछ यहाँ

जल रहा है कुछ वहाँ


दमा बढ़ रहा है यहाँ

घुटन छा रही है यहाँ

जनता घुट घूट  मर रही है

फिर भी सरकार आती रही हैं यहाँ


कचरा न जलाना यहाँ

कचरा न जलाना वहाँ

कैंसर बढ़ रहे हैं यहाँ

हर सर्दी में दम घुट रहा है यहाँ


कूड़ा न फैंको जहाँ तहाँ

मीथेन  गैस बढ़ रही है यहाँ

छोड़ दो एकबारगी प्लास्टिक

करना उपयोग यहाँ


सूखे को, गीले में न मिलने दो अपने यहाँ

तैलीय को सूखे में न मिलने दो वहाँ

इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट को न फैंको यहाँ

यहाँ वहाँ कैंसर बढ़ने का खतरा

बढ़ जाता है यहाँ

इंसीनरेवल को इंसीनरेट कराओ

वातावरण को प्रदूषण से बचाओ यहाँ


यह सब कर पाओगे यहाँ

तभी इस धरती को

अपनी माँ कहला पाओगे यहाँ

अपने बच्चों को सुरक्षित वातावरण

भविष्य में दे पाओगे यहाँ


गर अब न जागे यहाँ

न आऐ आगे वहाँ

मर जायेंगे

घुट घुट कर जल्द भविष्य में

हमारे बच्चे यहाँ वहाँ


सरकार वही तुम लाओ

करे जो कचरे का सही निपटान यहाँ

चलाने होंगे सुचारू रूप से संयंत्र 

बच्चों के बच्चे होना

मुश्किल न बन जाऐ यहाँ


गत्ते की पैकिंग न मंगाओ अपने यहाँ

रिसाइकल्ड पैकिंग अपनाओ यहाँ

पेपर का उपय  कम करो अपने यहाँ

पेपर्स की रीसाइक्लिंग करवाओ यहाँ

पेड़ों कटने से प्रदूषण बढ़ जाता है यहाँ


दिल में जल रहा है कुछ यहाँ

धरा पर जल रहा है कुछ वहाँ

विकसित देश, विकासशील देश को

विकासशील देश, विकसित देश को 

दोष दे रहा है यहाँ

प्रदूषण अन्देखा कर आदमी

अपनी जीवन बेल को खत्म करने की

तैयारी कर रहा है यहाँ

मेरा तेरा हो रहा है यहाँ


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 05 मार्च 2023, ©

रेटिंग 8.5/10


Wednesday, May 29, 2024

#H156 एक रोल ऐसा भी जीवन में निभाऊंगा

#H156

एक रोल ऐसा भी जीवन में निभाऊंगा

"कविता में इस साल के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम को बताया गया है। यह हर साल 5 जून को मनाया जाता है "

विश्व पर्यावरण दिवस पर वचन आज मैं लेता हूँ
भूमिबहाली (Land Restoration) करवाऊंगा
मरुस्थलीकरण (Desertification) नहीं बढ़ने दूंगा
सूखे से लड़ने की ताकत (Drought Resilience)
और बढ़ वाऊंगा।
पेड़ और लगाऊंगा, एनर्जी को बचाऊंगा।
जल्दी से नेट जीरो ( Net Zero) हासिल करने को
अपना शत-प्रतिशत सहयोग दे जाऊंगा।
लैंडफिल कचरे को कम करवाऊंगा।
अपशिष्ट सही ढंग से निपटाऊंगा।
भूजल का स्तर और बढ़ वाऊंगा।
अतिपानी से होने वाली फसलें नहीं उगाऊंगा
मोटा अनाज खाने में और बढ़ाऊँगा।
यह सब करके धरती माँ को बचाऊंगा
धरती पर जीवन को आगे पहुँचाऊंगा।
अपनों के लिए सुरक्षित धरती देकर जाऊंगा।
एक रोल ऐसा भी जीवन में निभाऊंगा।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 14 मई 2024,©

रेटिंग 8/10

Tuesday, May 28, 2024

#H155 संघर्ष (Struggle)

#H155

संघर्ष

"इस कविता में किसी शोषण कर्ता के खिलाफ आवाज उठाते हुऐ संघर्ष करके हक पाने के  बारे में बताया गया है। "

अगर चुप रहना सीखा है तुमने
अच्छा है, जीवन जीना सीखा है तुमने
पर क्या अन्याय पर भी
चुप रहना सीखा है तुमने
तो फिर जीना कहाँ सीखा है तुमने
क्या संघर्ष किऐ बिना
हार जाना सीखा है तुमने।

क्या अन्याय पर
चुप्पी रखना सीखा तुमने
क्या अन्याय से
डरकर जीना सीखा है तुमने
क्या अपना हक
भीख में मांगना सीखा है तुमने
क्या संघर्ष किऐ बिना
हार जाना सीखा है तुमने।

क्यों कोई और लड़े तुम्हारे लिए
जब डर डरकर
जीना सीखा है तुमने
हक तो लेने से मिलता है उसको
अन्याय से भिड़ना सीखा है जिसने

लोगों की चुप्पी
कहीं आवाज न बन जाऐ उसकी
खुलेआम शोषण करना सीखा है जिसने
क्यों अपना हक
मांगना नहीं सीखा है तुमने
ऐसे में क्यों चुप रहना सीखा है तुमने

लगता है डर डरकर जीना सीखा है तुमने
अन्याय से लड़ना नहीं सीखा है तुमने
अगला शिकार होना चुना है तुमने।
संगठन से दूर खड़े रहना सीखा है तुमने
क्या संघर्ष किऐ बिना
हार जाना सीखा है तुमने।

भूल गये क्या वो सीख पुरानी
एक लकड़ी को तोड़ना है आसान
गठ्ठर को तोड़ना कहाँ सीखा है उसने।
संघर्ष किऐ बिना नहीं
हार जाना सीखा है तुमने।


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 22 अप्रैल 2024,©

रेटिंग 9.5/10


#H154 मुखबिर ( Informer)

#H154

मुखबिर

सबसे मिलकर रहता है

पकड़े जाने के डर से

बैचेन जल्द हो जाता है

जल्दी घुल मिल है जाता

खतरा बहुत उठाता है


थोड़े से अपने फायदे के लिए

यारों से गद्दारी कर जाता है

चुपके चुपके सारी खबरें

मालिक को पहुँचता है

तरह तरह की जुगत लगाता

तेरा बनकर तेरी ही खबरें 

मालिक तक पहुँचाता है

कभी कभी तेरे दुश्मन का दुश्मन बन

तेरे मन की पाता है

सही को भी गलत बताकर

खुद का उल्लू सीधा करवाता है


पकड़े जाने पर मालिक से

भी नहीं पहचाना जाता है

धोबी के कुत्ते की तरह

न घर का, न घाट का रह जाता है

मालिक और यारों, दोनों का

फिर साथ नहीं पाता है

ऐसा ही मुखबिर कहलाता है

नासमझ यह बतलाता है। 


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 02 सितम्बर 2023,©

रेटिंग 8.5/10


Sunday, May 26, 2024

#H153 मिडिल क्लास (Middle Class)

#H153

मिडिल क्लास


"कविता में मिडिल क्लास आदमी के संघर्ष और सिद्धांत के बारे में बताया गया है। "

मिडिल क्लास आदमी
होता है संवाहक।
संस्कृति का, मर्यादा का
और उसूलों का
समाज को लेकर चलने वाला
होता है मिडिल क्लास आदमी।

संसाधन सदा पड़ते हैं कम
व्यस्त रहे हर दम
बिजली का बिल न बढ़ जाऐ
पानी की टंकी
ओवर फ्लो  होकर न बह जाऐ
उबलता दूध न निकल जाऐ
खर्चे की चद्दर न फट जाऐ
इसी में लगा रहे हर दम।
हर रोज काम पर जाता है
फिर चाहे निकलने को हो दम।

सपने देखने में रहता है
व्यस्त हर दम
आस लगाए बैठा है
बच्चे पढ़कर, कर लें कुछ काम
पर मुस्कान नहीं होने देता है कम

उम्र नहीं है शादी की
ढूँढ रहा घर बार
विवाह करूँ बच्चों का
इससे पहले निकले मेरा दम।

संस्कार न डिगने पाऐ
चोरी का माल घर में न आये
खुद का न हो जाऐ सम्मान कम
इसी सोच रहता है हर दम।

सब कुछ सह सकता है
पर न निकले उसके सपने का दम।
मौके न छिन जाऐं बच्चों के
इसी सोच में डूबा रहता है हर दम।
भ्रष्टाचार ने कर दिया है इसको बेदम

जोगी जब भी घर आऐ
भूखा फिर न जाए
मैं भी भूखा न सोऊं
इतना मुझको देना।
ऐसी मांग रखे रब से हर दम।

धन्यवाद।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" 

©

रेटिंग 9/10






Saturday, May 25, 2024

#H152 ये ही तेरा चरित्र है (Real Character)

#H152

ये ही तेरा चरित्र है (Real Character) 

"कविता में आदर्श चरित्र के बारे में बताया गया है। 


ये ही तेरा चरित्र है

ये तेरा रक्त है, ये तेरा पुत्र है

ये तेरा मित्र है, ये तेरा शत्रु है

ये तेरा चरित्र है


समय की बर्बादी करना

संसाधन की बर्बादी करना

पर्यावरण को अनदेखा करना

ये तेरा चरित्र है


ये मेरा है, ये तेरा है

ये उसका है, ये इसका है

ये मेरे पास हैतेरे पास क्या है

ये तेरा चरित्र है


मैं इस धर्म का, तू उस धर्म का

मैं इस जाति का, तू उस जाति का

वह किसी और जाति का

ये तेरा चरित्र है


ये वो नहीं जो मैंने तुझे दिया

न कोई शत्रु है, न कोई मित्र है

न कोई अपना है, न कोई पराया है

समय का सदुपयोग करना

संसाधन का संरक्षण करना

पर्यावरण का संरक्षण करना

ये ही सच्चा चरित्र है

ये ही तेरा चरित्र है


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 01 अगस्त 2023, ©

रेटिंग 9.5/10


Friday, May 24, 2024

#H151 आबादी एक चुनौती है (Population is a challenge)

#H151

आबादी एक चुनौती है


क्या खुशी का अवसर है

या सतर्क होने का वक्त है

अधिकतर की जेब बड़ी तंग है

संसाधन बहुत सीमित हैं

भ्रष्टाचार बहुत व्याप्त है

जनता का जीवन बहुत

होने वाला बहुत सख्त है

खुशी मनाओ संख्या में

अब हम नंबर एक है

आबादी बड़ी चुन्नौती है


सबकी बड़ी भागीदारी है

हर शख्स एक बीमारी है

या हर शख्स एक अवसर है

अवसर बनना 

हम सबकी जिम्मेदारी है

आबादी बड़ी चुन्नौती है


संसाधन बचाऐंगे

भ्रष्टाचार नहीं अपनाऐंगे

तब ही अपनों को

हम लोग कुछ दे पाऐंगे

अच्छे पूर्वज कहला पाऐंगे

आबादी बड़ी चुन्नौती है


इसको अवसर में  बदलना

बहुत बड़ी चुन्नौती है

जब सब अपना 

शत प्रतिशत दे पाऐंगे

आबादी बड़ी चुन्नौती है


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 23.07.2023,©

रेटिंग 9/10


#H150 मनमोहन (Goody of all)

#H150

मनमोहन


"कविता में एक अच्छे फोलोवर को लीडर बनने की स्थिति को दर्शाया गया है। "

सबके मन को भाने वाला
मनमोहन बन जाता है
कान्हा हमें
सदियों से याद दिलाता है।

सबका अच्छा रहने वाला
अपनी नहीं चलाने वाला
हर हाल में,
फैसला पूछकर करने वाला
कलयुग का मनमोहन कहलाता है।

जहाँ चले सुई वहाँ
तलवार से क्या हो पाता है
मैडम न मिले तो
मनमोहन कहाँ चल पाता है। 

लीडर की जगह
लीडर ही भाता है
अच्छा फोलोवर
लीडर नहीं बन पाता है
खुद भी परेशान होता है
औरों को करता रहता है।

निर्णय लेने से घबराता है
पर सब कुछ पाना चाहता है।
यह असली मनमोहन कहलाता है।


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 20 अप्रैल 2024, ©

रेटिंग 9/10

#H149 गुरु की महिमा (Glory of the Guru)

#H149

गुरु की महिमा


प्रथम गुरु हैं माता

सच्चा सखा भ्राता

हर स्थिति में पिता

केवल सही राह दिखलाता


गुरु बिना ज्ञान नहीं है आता

गुरु बिना नयी राह

कोई सोच नहीं है पाता


राम हो या रावण या हो एकलव्य

सबको अपना गुरु है भाता


ईश्वर से मिलने की

गुरु ही राह बताता


कैसे मिले सच्चे झूठे का ज्ञान

यह गुरु ही बतलाता


सब को कोई न कोई गुरु भाता

तब ही जीवन पार लग पाता


गुरु बिन मानव का

उध्दार नहीं हो पाता

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर

मैं गुरु की महिमा दर्शाता


एक बार मैं दिल से

अपने गुरु के लिए

 नतमस्तक हो जाता

सदा रहूँगा  ऋणी अपने गुरु का

मन में ऐसी सोच बार बार हूँ पाता

देवेन्द्र प्रताप नासमझ "

दिनांक 03.07.2023, ©

रेटिंग 9/10



Wednesday, May 22, 2024

#H148 चुप्पी (Keeping mum)

#H148

चुप्पी
"कविता में धोखा खाने पर शोषणकर्ता ( बिल्डर, ठेकेदार, आदि) खिलाफ आवाज उठाने के बारे में है"

चुप्पी तोड़ो, आगे बढ़ जाओ
संगठन  से हाथ मिलाओ
अपना हक लेकर छोड़ो
घपलेबाज को दण्ड दिलाओ
इसको यहाँ से सिर के बल दूर भगाओ
दोषी को जेल तक पंहुचाओ।
पर ध्यान रहे कोई कानून न टूटे।

अन्याय से जो अब न लड़े
तो इंसान होने हक खो जाओ।
एक बार तो ठगे गये हो
आगे भी ठगी का शिकार बनते जाओ।
चुप्पी तोड़ो, आगे बढ़ जाओ


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 23 अप्रैल 2024,©

रेटिंग 9/10

Tuesday, May 21, 2024

#H147 प्रणाम (Greetings)

#H147

प्रणाम

"कविता में प्रणाम करने के पहलुओं के बारे में बताया गया है "
मैं यह खुद से प्रश्न करूँ।
क्यों मैं प्रणाम करूँ।
झुकने का अभ्यास करूँ।
जब लोग सोचते हैं
क्या है मतलब इसका
जो यह मुझे प्रणाम करे।
नमस्कार, दुआ सलाम करे।

क्या कोई झुक जाता है
क्या कोई बिक जाता है
जब कोई किसी को प्रणाम करे

ऐसा करने से
हालचाल मालूम हो जाता है
जब कोई प्रणाम करे।
वरना सब दिल के अन्दर
घुट घुट कर जहरीला होता जाता है
मुहं से हवा निकल जाती है
चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है
चेहरे पर कोई मुस्कुराहट दे जाता है।
दिन अच्छा हो जाता है
दिल हल्का हो जाता है।
जब कोई प्रणाम करे।

अपनापन सा जग जाता है
और किसी का कुछ भी नहीं जाता है।
फिर क्यों यह प्रश्न रहे
मैं क्यों लोगों को प्रणाम करूँ
"नासमझ" अब यहीं रुक जाता है।
ध्यान रहे हर कोई स्वार्थी हो
जग में ऐसा नहीं होता है
जब कोई प्रणाम करे
जब मैं लोगों को प्रणाम करूँ।

 देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 अप्रैल 2024,©

रेटिंग 9.5/10

Monday, May 20, 2024

#H146 लब खामोश हैं (Lips are silent)

#H146

लब खामोश हैं

" कविता में अपने प्रिय से तकरार, खामोशी और बेकरारी को दर्शाया गया है "

लब खामोश हैं

दिमाग में है बहुत गुस्सा

दिल में तूफान है

आंखों से आखें चुराना

बस इसी का नाम इन्सान है


मिलन पर प्यार है

जुदाई में प्यार है

तकरार में भी प्यार है

बस यार तेरा इंतजार है

तेरे मेरे लब खामोश हैं


लब खामोश है

मेरे ये जज्बात है

खामोशी बहुत  बोलती

दिमाग में जहर घोलती है

अगर तेरे लब खामोश हैं


गलतियां सभी से होती है

हम से भी हुई

कुछ तुमसे भी हुई

खामोशी जहर घोलती है

अगर लब खामोश हैं

बहुत हुआ गुस्सा

आ भी जाओ यार

तेरा इंतजार है

तेरी आवाज सुनने को

मन बेकरार है

पर लब खामोश है


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 22.07.2023, ©

रेटिंग 9/10


Saturday, May 18, 2024

#H145 मासूम चिड़िया और हम (Innocent Bird and We)

#H145

मासूम चिड़िया और हम


पंछी उड़ कर चले जाते

अपने मन भाए देश

आकाश नापने उड़ जाते

पंछी को नहीं है कोई  देश - विदेश

दिन निकले ही काम पर लग जाते

शाम ढले घोंसले में पहुँच जाते


फुदक फुदककर पंछी उड़ते जहाँ तहाँ

पर अब देखो फुदकने वाली चिड़िया

दिखाई नहीं देती है अब यहाँ


अगर आदमी चिड़िया हो जाते

हम भी पंछी बन कहीं उड़ जाते

रोजाना इतना ज्यादा फुदकते

न होता किसी की नजर लगने का डर

आदमी भी आकाश नापने जाते

आकाश इतना  है विशाल

इसमें कहीं गुम होकर रह जाते

जब हम  हार थक जाते

देर अबेर अपने घर पहुँच जाते


सच कहा  किसी ने, नजर तो लग गई

ये बदला हुआ वातावरण 

 चुम्बकीय विकिरण बहुत बढ़ गई

नजर लगा गई फुदकने वाली चिड़िया को

न जाने वो चिड़िया कहाँ गुम हो गई 


कौन है जिम्मेदार है

मेरे गायब हो ने के लिए

वेगुनाह चिड़िया पूछ रही है

आदमी लाजवाब है


अगर ऐसे ही जारी रहा अंधा विकास

तुम्हारा भी वंश बेल मिट जाएगी, हमारी तरह है

विकास करो ऐसा, न गायब हो कोई मेरे जैसा

धरती बचाओ, ऐसी तुमसे आस,मेरी है


अगर आदमी चिड़िया हो जाते

हम भी पंछी बन कहीं उड़ जाते


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©

रेटिंग 9/10


Thursday, May 16, 2024

#H144 सोच रहे हो, उत्तम है (Thinking, it is best)

#H144
सोच रहे हो, उत्तम है

"किसी कम्पनी के स्तर गिरने के विभिन्न संभावित कारणों को उजागर किया गया है"


बिना सोधन के,
प्रोसेस स्टेक से,
धुआँ छोड़ रहे हो वातावरण में
संयंत्र और सोधन का खर्चा बचा रहे हो,
सोच रहे हो, उत्तम है

कचरा भेज रहे हो बाहर
क्या हो रहा है कचरे का,
पता नहीं है, तुमको
निपटारे का खर्चा बचा रहे हो,
प्रदूषण परिणाम, इसी का है।
सोच रहे हो, उत्तम है

कर्मचारियों को ओवरटाइम करना पड़ रहा है
कम्पनी ओवरटाइम की लिमिट को पीछे छोड़ रही है
लेबर कानून टूट रहा है,
रिपोर्ट में नहीं आ रहा है
आडिट में उजागर नहीं हो रहा है
हेड काउंट ज्यादा कम किया है
परिणाम उसी का है
सोच रहे हो, उत्तम है।

अयोग्य लोगों को आगे बढ़ा रखा है
झूठ बताने वालों को चारों ओर बिठा रखा है
लोगों में तुमने डर बिठा रखा है।
उससे लोगों ने सच छिपा रखा है।
परिणाम उसी का है
सोच रहे हो, उत्तम है।

कई सालों से ,
कर्मचारी सक्सेशन प्रोग्राम चलाया तुमने।
पर रिटायर्ड कर्मचारियों को पास बिठा रखा है।
कर्मचारी सक्सेशन प्रोग्राम तो फेल हो गया,
फेल, रिटायर्ड कर्मचारियों  ने किया है
पीफ, ग्रेच्युटी बचा रहे हो।
सोच रहे हो, उत्तम है।

माडल प्लांट लगाया था तुमने
मटियामेट हुऐ हालात यहाँ पर
परिणाम गलत नीतियों का है
सोच रहे हो, उत्तम है।

स्किल्ड अब दूर हो रहा,
स्किल बढ़ना थम गया,
हर तरफ मनोबल टूटा,
हर कर्मचारी तुमसे रुठा है
पिछले मालिक की तुलना में
यह कितना झूठा है
परिणाम गलत नीतियों का है
सोच रहे हो, उत्तम है।

"नासमझ" ऐसा सोच रहा है
काबिल को पीछे रखना,
लालची को साथ में लेकर चलना,
डरपोक को टीम में लाना,
केवल पैसे की नीति रखना,
खुद को और खुदके लोगों (प्रवासियों) को आगे रखना,
परिणाम, सी का है
सोच रहे हो, उत्तम है।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 04 फरवरी 2024, ©

रेटिंग 9.5/10

Wednesday, May 15, 2024

#H143 रस्में (Rituals)

#H143
रस्में

"कविता में जीवन की विभिन्न रस्मों के बारे बताया गया है"

रस्मों से बंधा है जीवन
मिलाई की रस्में
सगाई की रस्में
शादी की रस्में
भात भराई की रस्में
राखी की रस्में
विदाई की रस्में
प्यार की रस्में
जुदाई की रस्में

गोद भराई की रस्में
नामकरण की रस्में
अन्नप्राशन की रस्में
कान छेदने की रस्में

विधवा की रस्में
मरने पर रस्में
मरने के बाद भी रस्में
श्राद्ध की रस्में
रस्मों से बंधा है जीवन।
सब रस्मों में निभानी होती हैं
अपनी अपनी कसमें। 

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 अप्रैल 2024,©
रेटिंग 9/10

#H142 कर्मयोगी (Karmyogi)

#H142

कर्मयोगी

 "कविता में कर्म करने के महत्व को दिखाया गया है। "

करने वाले ही सीखा करते हैं

करने वाले ही फेल हुआ करते हैं

फिर नये सिरे अगला कदम उठाया करते हैं

न करने वाले तो सिर्फ

बैठकर दोष निकाला करते हैं

किसी काम को करने से पहले

खराब होने की दलील दिया करते हैं

करने वाले ही विजयी हुआ करते हैं


लड़ने वाले ही शहीद हुआ करते हैं

कायर तो रणछोड़ हुआ करते हैं

शहीद हुए जो रण में वो

निस्वार्थ कर्म का पाठ पढ़ाया करते हैं


जो सपना देखा करते हैं

वो ही कुछ नया बनाया करते हैं

न करने वाले तो

सही समय पर, न करने का

अफसोस जताया करते हैं

करने वाले ही विजयी हुआ करते हैं

करने वाले को ही कर्मयोगी कहा करते हैं


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 04 सितम्बर 2023,©

रेटिंग 9.5/10


Friday, May 10, 2024

#H141 जिद (Stubbornness)

#H141

जिद


"कविता में बच्चों में गलत जिद न रखकर, सही जिद रखने के लिए प्रेरित किया गया है। "

जिद है अपनी करने की

अच्छा जिद है कुछ करने की

जिद है अनुशासित न रहने की

जिद है न आदर  देने की

पर जिद है आदर पाने की

जिद है न झुकने की

जिद है न गलती मानने की


पर न पढ़ने की जिद है

खेलने की जिद है

टीवी देखने की जिद है

मोबाइल की जिद है

पर सब में खानापूर्ति की ही जिद है

ऊपर वाले की भी जिद है


जैसा तू बोयेगा, बैसा ही पायेगा

जिद सही न हो तो कुछ भी नहीं हो पायेगा


अनुशासित होने की जिद हो

पढ़ने की जिद हो

आगे बढ़ने की जिद हो

अनवरत कोशिश की जिद हो

गिरकर उठने की जिद हो

लक्ष्य पाने तक, न थकने की जिद हो

फिर ऊपर वाला भी तेरी जिद पर 

नतमस्तक हो

सबकी ऐसी ही जिद हो

तब सब हासिल करना मुमकिन हो


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 03 सितम्बर 2023,©

रेटिंग 9.5/10


Wednesday, May 8, 2024

#H140 सालगिरह (Anniversary)

#H140
सालगिरह (Anniversary) 

सालगिरह आयी है
बहुत सी यादें लायी है
कहाँ से चले थे हम 
प्यार  के पथ पर
कहाँ आ गये हम
याद दिलाने आयी है
सालगिरह आयी है। 

बच्चों ने दी बधाई है
केक और मीठे की 
जुगत लगाई है
बड़ों से फिर आशीर्वाद 
लेने का मौका लाई है
सालगिरह आयी है। 

खुशी का अहसास
कराने आयी है
आती रहे ऐसे ही सालगिरह
सदा तेरा साथ रहे
हाथों में तेरा हाथ रहे
ऐसी हमने दी बधाई है। 
सालगिरह आयी है। 

खुश रहो, बधाई हो। 
ऐसी लोगों दी बधाई है। 
नासमझ भी यही कहे। 
सालगिरह आयी है

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 08 मई 2024, ©
रेटिंग 9/10

Tuesday, May 7, 2024

#H139 एकला चलो रे (👣 Walk Alone)

#H139

एकला चलो रे


एकला चलो रे

कठिन है मगर

दूर है तेरी डगर

एकला चलो रे

अपना कर्म किये जा रे

फल की मत सोच

वो तो देने वाला देगा रे

अपने करम पे 

भरोसा किये जा रे


जो आये साथ तेरे

उसको साथ ले चलो रे

लोग जुड़ते जायेंगे

एक कारवां बन जायेगा

अपना पूरा देता जा रे

सही का पता सबको

लग ही जायेगा रे

एकला चलो रे


जायेगा भी एकला रे

भय फिर किस बात का

आना एकला रे, जाना एकला रे

मोह, भय, किस बात का

एकला चलो रे

एकला चलो रे


कर्म तेरे रह जायेंगे रे

दुनिया से तेरे जाने पर 

ये ही याद रह जायेंगे रे

निर्भय एकला चलो


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" 

दिनांक 08 अगस्त 2023, ©

रेटिंग 9.5/10


Monday, May 6, 2024

#H138 प्रेम ही सर्व शक्तिमान की शक्ति है ( Love is the almighty power)

#H138

प्रेम ही सर्व शक्तिमान की शक्ति है ( Love is the almighty power) 

"कविता में प्रेम के महत्व और ताकत के बारे में बताया गया है"


प्रेम ही सर्व शक्तिमान की शक्ति है

प्रेम ही ईश्वर है, प्रेम ही सृष्टि है

प्रेम ही दृष्टि है, प्रेम ही मुक्ति है

निश्छल प्रेम ही भक्ति है


भक्ति ही कमजोर की शक्ति है

प्रहलाद की सच्ची भक्ति ही

नरसिंह अवतार रुपी शक्ति है

मीरा का प्रेम मोहन से

भक्ति में  दर्शन पाकर मुक्ति है

राधा का प्रेम किशन से

प्रेम की अटूट शक्ति है

असहाय की लाज बचाने पहुंचे मोहन

ये द्रोपदी की भक्ति  की शक्ति है

प्रेम भक्ति ही ईश्वर की शक्ति है


इंसान के अन्दर प्रेम ही

ईश्वर की शक्ति है

प्रेम से सृष्टि है

तेरे चाहने वाले ही‌

तेरे जीवन की शक्ति है

वरना जीवन तेरा साक्षात मृत्यु है


सबको मोहन को पाने की आस  है

मोहन तो सबके अन्दर है 

फिर मोहन को पाने की यह कैसी प्यास  है

मोहन दर्शन  ही अंतिम मुक्ति है

प्रेम ही सर्व शक्तिमान की शक्ति है

धन्यवाद

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©

रेटिंग 9.5/10


Sunday, May 5, 2024

#H137 लोक परलोक (Heaven, Hell and Earth)

#H137

लोक परलोक


"कविता में गरीबी और अमीरी के अंतर, इलाज की कमी, और सरकारी व्यवस्थाओं का संकेत मिलता है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं का परिप्रेक्ष्य दिखाया गया है।"


आओ मैं तुम्हें 

तीनों लोकों की यात्रा करवाता हूँ


गरीब व्यक्ति जी रहा है

ना भर पेट खाना खा रहा है

न साफ पानी रहा है

इलाज  पा रहा है

बिना थके काम कर रहा है

हर रोज जा रहा है

मैं पूछता हूँ आपसे आपसे

देश की सरकार से 

राज्य की सरकार से

और पिछली सरकार से

कब तक चलता रहेगा

कब तक यह जिंदा रहेगा

जिसको ऐतराज है

जाऐ जिला अस्पतालों में

नये राजकीय मेडिकल अस्पतालों में 

देखे यहाँ क्या हो रहा है

तड़प - तड़प कर बीमार

मर रहा है

प्रशासन सरेआम सो रहा है

सरकारी अस्पताल बन रहे हैं

वोट पाने का जरिया

न स्वच्छता है, न हवा है

न डाक्टर हैं, न दवा है

न मशीनें हैं, जो हैं वो खराब हैं

न सुरक्षा है यह कैसी 

नागरिक की रक्षा है


मैंने सुना था

नरक लोक में सजा़ऐं मिलती है

यह तो जीते जी नरक भोग रहा है

लगता है, यही नरकलोक है

मरने के बाद कुछ नहीं है

ऐसा कहने को जी कह रहा है


एक सोम रस पी रहा है

अप्सराओं से दिन रात

महफ़िल सजा रहा है

बंगलों में रह रहा है

इमपोर्टिड गाड़ियों में चल रहा हैं

धन दौलत इतनी है, पता नहीं

नेताओं को इलाज सरकारी हासिल है

अमीर पैसे से इलाज विदेश में करवा रहा है

इनके अस्पतालों को अस्पताल न कहना

इनके मुकाबले फाईव स्टार होटल शरमा रहा है

लगता है यही स्वर्ग लोक है

हर बात अपनी मनवा रहा है


मध्यम समाज 

खा रहा है पी रहा है

अच्छे से जी रहा है

अच्छा जीवन व्यतीत रहा है

जरुरत से ज्यादा जीवन में है

पर फिर भी इलाज पर

कम पड़ रहा है

अच्छे अस्पताल में जा नहीं सकता

सरकारी में जाने से डर रहा है

जबकि गरीब यहाँ मर रहा है

महंगे इलाज पर बच्चों का 

भविष्य गंवा रहा है

लगता है , यह भूलोक है

कुछ खुशी है कुछ गम खा रहा है

धन्यवाद। 

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©

रेटिंग 9/10


Saturday, May 4, 2024

#H136 नशे से न प्यार करो (Love and Drugs 💉💊)

#H136

नशे से न प्यार करो (Love and drugs💉💊) 

"कविता में अपनी अपेक्षाओं के बोझ से अपनों को बचाने और नशे से बचने के बारे में प्रकाश डाला गया है"

नशे से न प्यार करो

करना है तो जीवन से करो

संभालकर रखो खुद को

औरों का नशे से बचाव करो


अपनों को इतना प्यार करो

अपना कोई प्यार की कमी 

महसूस न करे

प्यार को बाहर  न तलाश करे

नशे में अपनी हार

टूटे प्यार और दुत्कार का 

नशे से न इलाज करे

जीवन में नशे को न स्वीकार करे


अपेक्षाओं के बोझ से 

अपनों को न दूर करो

नशा करने पर,  

उनको न मजबूर करो

बाहर  का कोई अपनों का

न शिकार कर सके

जैसा भी हो अपनों को

दिल स्वीकार करो


नशे में इतनी कशिश नहीं

कि इंसान इसमें फना हो जाऐ

इंसान रहे व्यस्त हर वक़्त ताकि

इस दुनिया को कुछ लौटा के जाये


नशे से शरीर जल्दी ढल जायेगा

चेहरे पर झुर्रियाँ आ ही जायेगी

तेरा गुरूर जल्द चला जाऐगा

फिर कोई पिलाने वाला

नशा कराने वाला

इलाज के लिए 

नजदीक भी नहीं आयेगा

सच्चा प्यार करने वाला ही 

तेरी मदद् को आगे आयेगा


इसलिए कुछ ऐसा कर

तेरे करम याद रहें 

तेरे जाने के बाद लोग

तेरे करमों को याद करें


ऐसा करो कि कोई 

नशे के चक्कर में न आए

नशे से दूर रहने का प्रचार करो

कुछ दान करो ऐसा

जिससे दान बढ़ता जाये

दान को उपजाऊ बनाओ

पेड़ लगाओ, प्यार जताओ

जो बहुतों को फल 

और छाया देता जाए

लोगों को कुशल बनाने में

अपना दान लगाओ

जो लोगों का संपन्न बनाए

यह चक्कर यों लगता जाए

फिर कोई नशे के चक्कर में न आये


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©

रेटिंग 9/10


Friday, May 3, 2024

#H135 बूंद ( Water 💧 drop)

#H135

बूंद


"पानी के महत्व, अत्यधिक संशोधन, संचयन और शोधन पर प्रकाश डाला है"


जल की एक बूंद से

जीवन बच जाता है।

एक - एक बूंद से

गागर भर जाता है।

एक - एक बूंद से

सागर बन जाता है।



पढ़ी बूंद जो चेहरे पर

फिर मन हर्षाता है।

रेगिस्तान में बूंदों से

हर भरा जीवन बन उग जाता है

पढ़ी पात पर जो बूंदें

वो मोती सा दिख जाता है।



बारिश की बूंदों से पहले

आसमान में, बादल मंडराता है।

बादल बरसे तो फिर

मैदान में पानी भर जाता है।

और पड़े बारिश अगर

फिर इंसान घबराता है।



बेहोश के चेहरे पर बूंदें पड़ने से

इंसान उठ जाता है।

पानी न मिलने पर

गला सूख जाता है।

एक एक पानी की बूंद का

तब महत्व समझ में आता है।



मूर्ख है इंसान

पानी की बर्बादी करने पर भी

बिल्कुल नहीं शर्माता है।

संचयन और शोधन से कतराता है

रिसाइक्लिंग पर्याप्त नहीं करता है

वर्षा जल संचयन प्रणाली का

रखरखाव नहीं करता है। 

पानी की लीकेज को उचित

महत्व नहीं देता है। 

खपत में भी

अंकुश नहीं लगाता है।

भू जल का स्तर

लगातार घटता जाता है।

दुनिया का भविष्य

खतरे में नजर आता है।

पानी है तब तक जीवन है।

"नासमझ" मन में

बस यही सवाल उठाता है।


देवेन्द्र प्रताप"नासमझ "

दिनांक 22 मार्च 2024, ©

रेटिंग 9/10



Wednesday, May 1, 2024

#H134 ताल ( Rhythm)

#H134

ताल

"कविता में  किसी अच्छी संस्कृति वाले संस्थान का स्तर गिरने की स्थिति में लोगों का हाल और व्यवहार को बताया गया है।"


सुर है, न ताल है
बन्दे बेहाल है।
यहाँ कैसी लोगों की चाल है।
हर कोई बहुत व्यस्त है।
पर, सब कुछ बदहाल है।

किसी को नहीं ,
यहाँ  पर कोई मलाल है
हर कोई बेताल है।
यह कैसा सुर है, कैसी ताल है

मालिक मालामाल है।
उसको पड़ता घंटा मलाल है।
बंदों का उसकाे कहाँ ख्याल है।
यह मालिक की सोची समझी चाल है।
यह कैसा सुर है, कैसी ताल है

कर्मचारी बदहाल है।
बेवजह तनाव से बेहाल है।
सपने में देख रहा अस्पताल है
यहाँ संस्कृति बदहाल है।
अपनी चला रहा है ,
यहाँ सलाहकार, दलाल है।
यह कैसा सुर है, कैसी ताल है

सीधे काम को, जलेबी जैसी बनाना,
यह तो लोगों का अंदाज है।
नासमझ होकर भी लोगों का ,
समझदार दिखना अंदाज है।

काम छोड़कर,
अपने धन्धे में, बन्दे मालामाल हैं।
कहते हैं, अपनी हाथी जैसी चाल है।
यहाँ पर लोगों की यह ताल है।

यहाँ संस्कृति बदहाल है।
"नासमझ" की भी एक चाल है।
यह कैसा सुर है, कैसी ताल है

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 16 मार्च 2024, ©

रेटिंग 8.5/10

#H133 कौशल ( Skills )

#H133

कौशल

"कविता में श्रम, शिक्षा, के महत्व और श्रमिक की देश की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है"

श्रम ही है इंसान  की पहचान

श्रम से ही मिलता  भगवान

जो करता है सही करम

वो श्रम से ही बन जाऐ धनवान । 


पहाड़ काट सड़क सुरंग बना दे

नहर बना बंजर में पानी ला दे

वो है मेहनत कश इंसान

गगन चुंबी इमारत बनबा दे

वो  होता है कर्मठ इंसान। 


विडम्बना देखो इस जहाँ की

जो बनाऐ हमारा आशियाना

रहे वो जीवन भर बिना आशियाना। 


खेती करे, पर खुद का खेत नहीं। 

पेशगी लेता है, पर मौसम पर जोर नहीं

दूध बैचे पर, खुद की भैंस नहीं

उपले जलाऐ, खुद के मवेशी नहीं। 


बीमारी है, पर इलाज नही। 

अस्पताल बने दवा नहीं। 

इच्छा है, पर शिक्षा नहीं। 

स्कूल बने ज्ञान नहीं। 

बिन धन इंसान नहीं। 


करम बहुत है रहम बहुत। 

पर पास धन नहीं

धन नहीं तो टूटती हैं

आशाऐं भारत के भविष्य की

नेताओं‌ ने पाल रखें भ्रम बहुत। 

किया बहुत है, पर आंखों में इनके शर्म नहीं। 

नेताओं के इस भ्रम का कोई छोर नहीं। 


बिन शिक्षा, बिन बल, बिन दल

बिना कौशल, बिना मनोबल 

कैसे भारत हो सम्बल । 


श्रम की पहचान करो

दिहाड़ी प्रथा का बलिदान करो

ठेकेदारी का त्याग करो। 

देश के श्रम का सम्मान करो। 

विदेशी देशी कम्पनियों से

ऐलान करो। 

सतत् काम का संरक्षण

हो, ऐसा कानूनन ऐलान करो। 

कौशल को तुम सलाम करो। 

श्रमिक की पहचान करो। 

कौशल को प्रणाम करो। 

धन्यवाद। 

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©

रेटिंग 9/10


#H475 7 मासूम (7 Innocents)

#H475 7 मासूम (7 Innocents) पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई, सात मासूमों की जान चली गई। स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई। घरों में घनघोर अंधेरा क...