Monday, May 20, 2024

#H146 लब खामोश हैं (Lips are silent)

#H146

लब खामोश हैं

" कविता में अपने प्रिय से तकरार, खामोशी और बेकरारी को दर्शाया गया है "

लब खामोश हैं

दिमाग में है बहुत गुस्सा

दिल में तूफान है

आंखों से आखें चुराना

बस इसी का नाम इन्सान है


मिलन पर प्यार है

जुदाई में प्यार है

तकरार में भी प्यार है

बस यार तेरा इंतजार है

तेरे मेरे लब खामोश हैं


लब खामोश है

मेरे ये जज्बात है

खामोशी बहुत  बोलती

दिमाग में जहर घोलती है

अगर तेरे लब खामोश हैं


गलतियां सभी से होती है

हम से भी हुई

कुछ तुमसे भी हुई

खामोशी जहर घोलती है

अगर लब खामोश हैं

बहुत हुआ गुस्सा

आ भी जाओ यार

तेरा इंतजार है

तेरी आवाज सुनने को

मन बेकरार है

पर लब खामोश है


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"

दिनांक 22.07.2023, ©

रेटिंग 9/10


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