#H135
बूंद
"पानी के महत्व, अत्यधिक संशोधन, संचयन और शोधन पर प्रकाश डाला है"
जल की एक बूंद से
जीवन बच जाता है।
एक - एक बूंद से
गागर भर जाता है।
एक - एक बूंद से
सागर बन जाता है।
पढ़ी बूंद जो चेहरे पर
फिर मन हर्षाता है।
रेगिस्तान में बूंदों से
हर भरा जीवन बन उग जाता है
पढ़ी पात पर जो बूंदें
वो मोती सा दिख जाता है।
बारिश की बूंदों से पहले
आसमान में, बादल मंडराता है।
बादल बरसे तो फिर
मैदान में पानी भर जाता है।
और पड़े बारिश अगर
फिर इंसान घबराता है।
बेहोश के चेहरे पर बूंदें पड़ने से
इंसान उठ जाता है।
पानी न मिलने पर
गला सूख जाता है।
एक एक पानी की बूंद का
तब महत्व समझ में आता है।
मूर्ख है इंसान
पानी की बर्बादी करने पर भी
बिल्कुल नहीं शर्माता है।
संचयन और शोधन से कतराता है
रिसाइक्लिंग पर्याप्त नहीं करता है
वर्षा जल संचयन प्रणाली का
रखरखाव नहीं करता है।
पानी की लीकेज को उचित
महत्व नहीं देता है।
खपत में भी
अंकुश नहीं लगाता है।
भू जल का स्तर
लगातार घटता जाता है।
दुनिया का भविष्य
खतरे में नजर आता है।
पानी है तब तक जीवन है।
"नासमझ" मन में
बस यही सवाल उठाता है।
देवेन्द्र प्रताप"नासमझ "
दिनांक 22 मार्च 2024, ©
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