#H133
कौशल
"कविता में श्रम, शिक्षा, के महत्व और श्रमिक की देश की स्थिति पर प्रकाश डाला गया है"श्रम ही है इंसान की पहचान
श्रम से ही मिलता भगवान
जो करता है सही करम
वो श्रम से ही बन जाऐ धनवान ।
पहाड़ काट सड़क सुरंग बना दे
नहर बना बंजर में पानी ला दे
वो है मेहनत कश इंसान
गगन चुंबी इमारत बनबा दे
वो होता है कर्मठ इंसान।
विडम्बना देखो इस जहाँ की
जो बनाऐ हमारा आशियाना
रहे वो जीवन भर बिना आशियाना।
खेती करे, पर खुद का खेत नहीं।
पेशगी लेता है, पर मौसम पर जोर नहीं
दूध बैचे पर, खुद की भैंस नहीं
उपले जलाऐ, खुद के मवेशी नहीं।
बीमारी है, पर इलाज नही।
अस्पताल बने दवा नहीं।
इच्छा है, पर शिक्षा नहीं।
स्कूल बने ज्ञान नहीं।
बिन धन इंसान नहीं।
करम बहुत है रहम बहुत।
पर पास धन नहीं
धन नहीं तो टूटती हैं
आशाऐं भारत के भविष्य की
नेताओं ने पाल रखें भ्रम बहुत।
किया बहुत है, पर आंखों में इनके शर्म नहीं।
नेताओं के इस भ्रम का कोई छोर नहीं।
बिन शिक्षा, बिन बल, बिन दल,
बिना कौशल, बिना मनोबल
कैसे भारत हो सम्बल ।
श्रम की पहचान करो
दिहाड़ी प्रथा का बलिदान करो
ठेकेदारी का त्याग करो।
देश के श्रम का सम्मान करो।
विदेशी देशी कम्पनियों से
ऐलान करो।
सतत् काम का संरक्षण
हो, ऐसा कानूनन ऐलान करो।
कौशल को तुम सलाम करो।
श्रमिक की पहचान करो।
कौशल को प्रणाम करो।
धन्यवाद।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ" ©
रेटिंग 9/10