#H419
जाति है जो जाती नहीं। (Caste is something that never goes away)
जिसने जो काम किया और
आगे परिवार में बढ़ाया ।
वो पेशा बन गया, उसकी जाति।
काबिलियत को खा गयी जाति।
अब न करते वो यह पेशा।
फिर भी माथे पर लगी जाति।
समाज में खाई बना गई जाति।
जातिवाद के काम आती है जाति।
कैसे जाएगी यह जाति।
नहीं कोई है निर्धारित पाती।
वोट बैंक को चलाती जाति।
जाति से सरकारें आती-जाती।
फिर कैसे जाएगी यह जाति।
कब इंसान को इंसान बनाएगी ?
खुद मिटे, तभी मिटेगी जाति।
कबीरदास अभियान चलाए।
कर्म को इंसान की पहचान बताए।
ताकि मिट जाए जाति।
गुरुनानक प्रयास किए।
"सामूहिक लंगर प्रणाली" चलवाए।
"एक ओंकार" का संदेश फैलाए।
समाज से हट जाए जाति।
फुले ने संघर्ष किया।
वंचितों और महिलाओं
की शिक्षा का अलख जगाए।
मिट जाए जाति।
गांधी ने आह्वान किया।
अस्पृश्यता पर वार चलाए।
हरिजन आंदोलन चलाए।
जाति का अंत हो जाए।
अंबेडकर जोर लगाए।
अछूत शब्द को खत्म कराए।
मंदिरों में प्रवेश बढ़ाए।
हट जाए जाति।
अंतर्जातीय विवाह बढ़ाएं।
सबके सरनेम से जाति हटाएं।
जाति संगठनों को भंग कराएं।
कानूनी संशोधन, कुछ ऐसा लाएं।
इंसान को इंसान बनाएं।
सभी मिलकर नया समाज बनाएं।
वरना फिर न जाएगी यह जाति।
सत्ता पाने के काम ही आएगी जाति।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 31 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.7/10
Monday, March 31, 2025
Saturday, March 29, 2025
#H418 संभल जाओ, भाई (Be Careful in time)
#H418
संभल जाओ, भाई (Be Careful in time)
साल खत्म होने को आई,
मेडिकल चेकअप कराने की
याद मुझे अब आई।
पत्नी के साथ मैंने, चेकअप करवाई।
रिपोर्ट में कुछ बात निकल कर आई।
अस्पताल-अस्पताल दौड़ाई,
जितना पैसा मिला कंपनी से,
उसका कई गुना खर्च करवाई।
ऐसे में बुजुर्गों की बात याद आई—
गए थे नमाज़ अदा करने को,
रोज़ा करने पड़ गए, भाई।
अभी जांचें जारी और दवाई,
भली हमने मेडिकल चेकअप करवाई।
पर संतुष्टि है कि बीमारी,
जानकारी में आई।
इलाज कराएंगे, मुक्ति पाएंगे,
सेहत से आगे कुछ नहीं है, भाई।
समय पर संभलना ज़रूरी है, भाई।
चेकअप ही काफ़ी नहीं होता,
उपचार बहुत ज़रूरी है, भाई।
साथ-साथ में आहार-विहार पर भी
ध्यान रखो, मेरे भाई।
काफ़ी नहीं पड़ती केवल दवाई।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.7/10
संभल जाओ, भाई (Be Careful in time)
साल खत्म होने को आई,
मेडिकल चेकअप कराने की
याद मुझे अब आई।
पत्नी के साथ मैंने, चेकअप करवाई।
रिपोर्ट में कुछ बात निकल कर आई।
अस्पताल-अस्पताल दौड़ाई,
जितना पैसा मिला कंपनी से,
उसका कई गुना खर्च करवाई।
ऐसे में बुजुर्गों की बात याद आई—
गए थे नमाज़ अदा करने को,
रोज़ा करने पड़ गए, भाई।
अभी जांचें जारी और दवाई,
भली हमने मेडिकल चेकअप करवाई।
पर संतुष्टि है कि बीमारी,
जानकारी में आई।
इलाज कराएंगे, मुक्ति पाएंगे,
सेहत से आगे कुछ नहीं है, भाई।
समय पर संभलना ज़रूरी है, भाई।
चेकअप ही काफ़ी नहीं होता,
उपचार बहुत ज़रूरी है, भाई।
साथ-साथ में आहार-विहार पर भी
ध्यान रखो, मेरे भाई।
काफ़ी नहीं पड़ती केवल दवाई।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.7/10
Friday, March 28, 2025
#H417 सीढ़ी को हल्के में न लेना (Don't take the ladder lightly)
#H417
सीढ़ी को हल्के में न लेना (Don't take the ladder lightly)
सीढ़ी के प्रयोग को हल्के में न लेना,
अगर गिरे तो फिर हड्डी तुड़वा लोगे।
अक्सर सीढ़ी से गिरने पर चोट लगती है।
चेतावनी ध्यान में रख लेना।
सीधी सीढ़ी पर तुम काम न करना,
यह तो केवल ऊपर-नीचे जाने का साधन है।
इससे गिरे अगर, फिर अस्पताल देखोगे ।
सामान कभी लेकर न चढ़ना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
काम करने में
बस ए-टाइप सीढ़ी को ही लेना,
सीढ़ी के पैर नीचे लॉक कर लेना।
और सीढ़ी का भी लॉक लगा हो,
जांच जरूर कर लेना।
सही मिले तो काम तुम कर लेना।
वरना ठीक कराना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
ऊपर के दो स्टेप्स पर
कभी तुम चढ़कर जोखिम न लेना,
अगर गिरे तो फिर हड्डी तुड़वा लोगे,
संभव है सिर का फूट जाना।
सीढ़ी को तुम हल्के में न लेना।
सीढ़ी में सदा रबर पैड लगा हो
जांच जरूर कर लेना,
सीढ़ी के फिसलने से रोकता है।
जब सीढ़ी पर तुम काम करो,
ध्यान रहे, साथ में एक व्यक्ति लेना,
जो सीढ़ी को मजबूती से पकड़कर रखे।
यह बात जरूर उसको बता देना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
सीढ़ी पर जब भी तुम काम करो,
कभी भी खुद को
स्ट्रेच कर जोखिम न लेना ।
वरना गिर जाते हैं, चोट खा जाते हैं।
हर हाल में तीन जगह पकड़ बनी रहे।
तभी काम तुम करना।
गिरे तो फिर संभव सिर है फट जाना।
सीढ़ी को तुम हल्के में न लेना,
बांस की सीढ़ी को
तुम कभी उपयोग में न लेना,
पता नहीं कब यह टूट जाए।
फिर तुम्हें चोट लग जाए।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
सबसे ऊपर ध्यान रहे ।
बिना हेलमेट न चढ़ना।
खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
सीढ़ियों की समयानुसार
जांच का निर्धारण करो।
ए-टाइप सीढ़ी के ऊपर के
दो स्टेप्स को लाल रंग से रंगना।
ताकि कोई उनपर न चढ़ जाए।
सदा फिटनेस टैग लगाकर रखना।
खुद का जीवन सुरक्षित कर लेना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.3/10
सीढ़ी को हल्के में न लेना (Don't take the ladder lightly)
सीढ़ी के प्रयोग को हल्के में न लेना,
अगर गिरे तो फिर हड्डी तुड़वा लोगे।
अक्सर सीढ़ी से गिरने पर चोट लगती है।
चेतावनी ध्यान में रख लेना।
सीधी सीढ़ी पर तुम काम न करना,
यह तो केवल ऊपर-नीचे जाने का साधन है।
इससे गिरे अगर, फिर अस्पताल देखोगे ।
सामान कभी लेकर न चढ़ना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
काम करने में
बस ए-टाइप सीढ़ी को ही लेना,
सीढ़ी के पैर नीचे लॉक कर लेना।
और सीढ़ी का भी लॉक लगा हो,
जांच जरूर कर लेना।
सही मिले तो काम तुम कर लेना।
वरना ठीक कराना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
ऊपर के दो स्टेप्स पर
कभी तुम चढ़कर जोखिम न लेना,
अगर गिरे तो फिर हड्डी तुड़वा लोगे,
संभव है सिर का फूट जाना।
सीढ़ी को तुम हल्के में न लेना।
सीढ़ी में सदा रबर पैड लगा हो
जांच जरूर कर लेना,
सीढ़ी के फिसलने से रोकता है।
जब सीढ़ी पर तुम काम करो,
ध्यान रहे, साथ में एक व्यक्ति लेना,
जो सीढ़ी को मजबूती से पकड़कर रखे।
यह बात जरूर उसको बता देना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
सीढ़ी पर जब भी तुम काम करो,
कभी भी खुद को
स्ट्रेच कर जोखिम न लेना ।
वरना गिर जाते हैं, चोट खा जाते हैं।
हर हाल में तीन जगह पकड़ बनी रहे।
तभी काम तुम करना।
गिरे तो फिर संभव सिर है फट जाना।
सीढ़ी को तुम हल्के में न लेना,
बांस की सीढ़ी को
तुम कभी उपयोग में न लेना,
पता नहीं कब यह टूट जाए।
फिर तुम्हें चोट लग जाए।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
सबसे ऊपर ध्यान रहे ।
बिना हेलमेट न चढ़ना।
खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
सीढ़ियों की समयानुसार
जांच का निर्धारण करो।
ए-टाइप सीढ़ी के ऊपर के
दो स्टेप्स को लाल रंग से रंगना।
ताकि कोई उनपर न चढ़ जाए।
सदा फिटनेस टैग लगाकर रखना।
खुद का जीवन सुरक्षित कर लेना।
सीढ़ी को हल्के में न लेना।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.3/10
Thursday, March 27, 2025
#H416 प्लांट कैसे चमकाओ (How to make a plant shine)
#H416
प्लांट कैसे चमकाओ (How to make a plant shine)
ऐसे प्लांट चमकाओ।
एक जैसे साइन बोर्ड लगाओ।
कभी भी साइन बोर्ड
धूमिल न हो पाए।
अगर धूमिल हो जाए,
तो तुरंत बदलवाओ।
मार्किंग को चमकाकर रखो।
पैदल पथ, मैटेरियल पथ,
वाहन पथ, लिफ्टर पथ —
अलग-अलग बनवाओ।
संभव हो तो
डिजिटल मार्किंग लगाओ,
बार-बार बदलने से बच जाओ।
प्रशिक्षण पर पूरा जोर लगाओ।
सुरक्षा, गुणवत्ता और उत्पादकता,
नवाचार की प्रतियोगिता कराओ।
छोटे-छोटे कामों के भी
मानक निर्देश बनाओ।
कार्यस्थल पर
हर पार्ट, हर बिन, हर ट्रॉली में,
हर हाल में टैग लगाओ।
स्टेटस भी हर जगह लगाओ,
पार्ट मिक्सिंग और
गलत डिलीवरी से बच जाओ।
यूज्ड टैग, प्लास्टिक पैकिंग आदि
फर्श पर न गिराओ।
कचरे को निर्धारित बिन में डालो,
शॉप फ्लोर को साफ रखो।
फायर फाइटिंग सिलेंडर को
उपयोग के लिए तैयार रखो।
बाहर निकलने के रास्ते पर
ग्लोइंग साइन बोर्ड लगाओ।
ब्लाइंड स्पॉट पर मिरर लगाओ,
आपातकालीन द्वार
हमेशा पहुंच में रखो।
सीढ़ियों पर एंटी-स्किड टेप लगाओ।
पीली रिफ्लेक्टिव टेप भी लगाओ।
आने और जाने की दिशा सूचक भी लगाओ।
मोबाइल न चलाने का और
रेलिंग पकड़ने का संदेश भी लगाओ।
सभी डिस्प्ले बोर्ड अपडेटेड रखो।
पेपर ऐसे लगाओ
जो तीन मीटर की दूरी से पढ़ा जा सके,
वरना डिस्प्ले का मतलब भूल जाओ।
संभव हो तो हर विभाग में
डिजिटल बोर्ड लगाओ।
प्राथमिकता तय करो,
नई तकनीक अपनाओ—
जैसे ऑटोमेशन, आईओटी, एआई।
हर जगह क्यूआर कोड लगवाओ,
समय बचाओ, गति बढ़ाओ,
त्रुटियां कम करते जाओ।
डिजिटलीकरण पहले कराओ—
जैसे प्रोसेस का डाटा,
प्रोडक्शन, ट्रेसिबिलिटी,
इंस्पेक्शन, विजिटर्स,
प्रशिक्षण, सप्लायर,
प्रोसेस के निर्देश,
प्रदूषण डिस्क्लोजर बोर्ड।
और भी डाटा को
डिजिटाइज कराओ,
डिजिटलाइजेशन बढ़ाओ,
डिजिटल कंट्रोल चार्ट लगाओ।
कंपनी में विभिन्न स्तर पर
प्रशिक्षण केंद्र बनाओ—
जैसे:
कंपनी की बेसिक जानकारी,
सुरक्षा, उत्पाद, प्रोसेस,
इलेक्ट्रिकल, मेंटीनेंस—
हर सेक्शन में प्रशिक्षण केंद्र बनाओ।
प्रत्येक क्षेत्र का लीडर बनाओ,
एरिया चेक शीट बनाओ।
मौजूदा स्थिति के चेकपॉइंट बनाओ,
समय-समय पर समीक्षा करते जाओ।
हर विभाग में
तीन साल का प्लान बनाओ।
बजट समय पर पाओ,
हर कर्मचारी तक पहुंचाओ,
काम प्लान से कराओ —
प्लांट ऐसे चमकाते जाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 27 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.8/10
प्लांट कैसे चमकाओ (How to make a plant shine)
ऐसे प्लांट चमकाओ।
एक जैसे साइन बोर्ड लगाओ।
कभी भी साइन बोर्ड
धूमिल न हो पाए।
अगर धूमिल हो जाए,
तो तुरंत बदलवाओ।
मार्किंग को चमकाकर रखो।
पैदल पथ, मैटेरियल पथ,
वाहन पथ, लिफ्टर पथ —
अलग-अलग बनवाओ।
संभव हो तो
डिजिटल मार्किंग लगाओ,
बार-बार बदलने से बच जाओ।
प्रशिक्षण पर पूरा जोर लगाओ।
सुरक्षा, गुणवत्ता और उत्पादकता,
नवाचार की प्रतियोगिता कराओ।
छोटे-छोटे कामों के भी
मानक निर्देश बनाओ।
कार्यस्थल पर
हर पार्ट, हर बिन, हर ट्रॉली में,
हर हाल में टैग लगाओ।
स्टेटस भी हर जगह लगाओ,
पार्ट मिक्सिंग और
गलत डिलीवरी से बच जाओ।
यूज्ड टैग, प्लास्टिक पैकिंग आदि
फर्श पर न गिराओ।
कचरे को निर्धारित बिन में डालो,
शॉप फ्लोर को साफ रखो।
फायर फाइटिंग सिलेंडर को
उपयोग के लिए तैयार रखो।
बाहर निकलने के रास्ते पर
ग्लोइंग साइन बोर्ड लगाओ।
ब्लाइंड स्पॉट पर मिरर लगाओ,
आपातकालीन द्वार
हमेशा पहुंच में रखो।
सीढ़ियों पर एंटी-स्किड टेप लगाओ।
पीली रिफ्लेक्टिव टेप भी लगाओ।
आने और जाने की दिशा सूचक भी लगाओ।
मोबाइल न चलाने का और
रेलिंग पकड़ने का संदेश भी लगाओ।
सभी डिस्प्ले बोर्ड अपडेटेड रखो।
पेपर ऐसे लगाओ
जो तीन मीटर की दूरी से पढ़ा जा सके,
वरना डिस्प्ले का मतलब भूल जाओ।
संभव हो तो हर विभाग में
डिजिटल बोर्ड लगाओ।
प्राथमिकता तय करो,
नई तकनीक अपनाओ—
जैसे ऑटोमेशन, आईओटी, एआई।
हर जगह क्यूआर कोड लगवाओ,
समय बचाओ, गति बढ़ाओ,
त्रुटियां कम करते जाओ।
डिजिटलीकरण पहले कराओ—
जैसे प्रोसेस का डाटा,
प्रोडक्शन, ट्रेसिबिलिटी,
इंस्पेक्शन, विजिटर्स,
प्रशिक्षण, सप्लायर,
प्रोसेस के निर्देश,
प्रदूषण डिस्क्लोजर बोर्ड।
और भी डाटा को
डिजिटाइज कराओ,
डिजिटलाइजेशन बढ़ाओ,
डिजिटल कंट्रोल चार्ट लगाओ।
कंपनी में विभिन्न स्तर पर
प्रशिक्षण केंद्र बनाओ—
जैसे:
कंपनी की बेसिक जानकारी,
सुरक्षा, उत्पाद, प्रोसेस,
इलेक्ट्रिकल, मेंटीनेंस—
हर सेक्शन में प्रशिक्षण केंद्र बनाओ।
प्रत्येक क्षेत्र का लीडर बनाओ,
एरिया चेक शीट बनाओ।
मौजूदा स्थिति के चेकपॉइंट बनाओ,
समय-समय पर समीक्षा करते जाओ।
हर विभाग में
तीन साल का प्लान बनाओ।
बजट समय पर पाओ,
हर कर्मचारी तक पहुंचाओ,
काम प्लान से कराओ —
प्लांट ऐसे चमकाते जाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 27 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.8/10
Wednesday, March 26, 2025
#H415 जीवन के कप्तान बनो (Be the Captain of Your Life)
#H415
जीवन के कप्तान बनो (Be the Captain of Your Life)
हाल भले ही
कुछ भी हो जाए,
कप्तान जहाज छोड़कर
बाहर न जाए।
जब तक अंतिम
यात्री बाहर न आए,
इसलिए वो कप्तान कहलाए।
दिशा बताए, गति बताए,
मौसम का भी पता लगाए।
हर स्थिति में रणनीति बनाए,
सम्मान सभी को देता आए,
फिर सम्मान सभी से पाए।
वास्कोडिगामा की याद
हमें इतिहास कराए,
भारत तट पर नाव से आए,
नया अध्याय बनाए।
जीवन भी जहाज है, प्यारे,
कप्तानी भी है खुद के सहारे।
जीवन की दिशा और गति को जानो,
हालात को भी समझो,
रणनीति बनाकर आगे बढ़ो,
जीवन की कप्तानी संभालो।
हार, जीत, यश और अपयश—
सब जीवन के पहलू हैं,
खुशी से इन्हें गले लगा लो।
कप्तान बनो, परिवार चला लो।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 26 मार्च 2025, ©
रेटिंग: 8.5/10
जीवन के कप्तान बनो (Be the Captain of Your Life)
हाल भले ही
कुछ भी हो जाए,
कप्तान जहाज छोड़कर
बाहर न जाए।
जब तक अंतिम
यात्री बाहर न आए,
इसलिए वो कप्तान कहलाए।
दिशा बताए, गति बताए,
मौसम का भी पता लगाए।
हर स्थिति में रणनीति बनाए,
सम्मान सभी को देता आए,
फिर सम्मान सभी से पाए।
वास्कोडिगामा की याद
हमें इतिहास कराए,
भारत तट पर नाव से आए,
नया अध्याय बनाए।
जीवन भी जहाज है, प्यारे,
कप्तानी भी है खुद के सहारे।
जीवन की दिशा और गति को जानो,
हालात को भी समझो,
रणनीति बनाकर आगे बढ़ो,
जीवन की कप्तानी संभालो।
हार, जीत, यश और अपयश—
सब जीवन के पहलू हैं,
खुशी से इन्हें गले लगा लो।
कप्तान बनो, परिवार चला लो।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 26 मार्च 2025, ©
रेटिंग: 8.5/10
Tuesday, March 25, 2025
#H414 पक्का रंग (Permanent Colour)
#H414
पक्का रंग (Permanent Colour)
रंगों से भरा संसार हमारा,
अपने अंदर से रंग बाहर निकालो।
सभी रंग तेरे अंदर समाए हुए हैं,
छटा दिखाओ, खुशबू फैलाओ।
बाहर के तो रंग आज लगाओगे,
आज ही धुलकर भूल जाओगे।
अंदर के रंगों से दुनिया,
हर दिन तुम महकाओगे।
सद्व्यवहार, प्रसन्नता, सहयोग और संयम,
चारों ओर फैलाओ।
लालच, कपट, बेइमानी,
भ्रष्टाचार को अपने से दूर भगाओ।
ज़िंदगी को ऐसे,
हर रोज़ रंगीन बनाओ।
जीवन में ऐसा
पक्का रंग चढ़ाओ,
जिसे कभी न उतार पाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 14 मार्च 2025 ©
रेटिंग 9/10
(प्रेरणात्मक / नैतिक शिक्षा)
पक्का रंग (Permanent Colour)
रंगों से भरा संसार हमारा,
अपने अंदर से रंग बाहर निकालो।
सभी रंग तेरे अंदर समाए हुए हैं,
छटा दिखाओ, खुशबू फैलाओ।
बाहर के तो रंग आज लगाओगे,
आज ही धुलकर भूल जाओगे।
अंदर के रंगों से दुनिया,
हर दिन तुम महकाओगे।
सद्व्यवहार, प्रसन्नता, सहयोग और संयम,
चारों ओर फैलाओ।
लालच, कपट, बेइमानी,
भ्रष्टाचार को अपने से दूर भगाओ।
ज़िंदगी को ऐसे,
हर रोज़ रंगीन बनाओ।
जीवन में ऐसा
पक्का रंग चढ़ाओ,
जिसे कभी न उतार पाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 14 मार्च 2025 ©
रेटिंग 9/10
(प्रेरणात्मक / नैतिक शिक्षा)
Sunday, March 23, 2025
#H413 कब मिटेगा यह भेदभाव? (When Will This Discrimination End?)
#H413
कब मिटेगा यह भेदभाव? (When Will This Discrimination End?)
पाखंड यहां
नस-नस में छाया है।
मैं हिंदू हूँ, तू मुस्लिम है,
कब मिटेगा यह भेदभाव? (When Will This Discrimination End?)
पाखंड यहां
नस-नस में छाया है।
मैं हिंदू हूँ, तू मुस्लिम है,
लोहड़ी मनाएं।
वह ईसाई है, वो पंजाबी है।
यहाॅं जैन है, वहाॅं बौद्ध है।
समय-समय पर
यह राग सभी ने गाया है।
पता नहीं यह ज़हर नसों में
किस डीएनए से आया है?
सबकी अंतिम मंजिल, एक है।
तौर तरीके अलग-अलग हैं।
रक्त एक है, साॅंस एक है।
फिर आपस में भेदभाव क्यों आया है ?
ऊंच नीच का द्वेष क्यों है ?
कट्टर जैसा भाव क्यों है?
संस्थानों में,
होली मनाएँ, दिवाली मनाएँ,
क्रिसमस पर भी केक कटाएँ।
समझ नहीं आया अब तक,
ईद पर सब कैसे पीछे हट जाएँ?
मुस्लिम ईद पर निर्धारित छुट्टी न पाएँ,
बस छुट्टी लेकर ही जाएँ।
कुछ इसके उल्ट भी करवाएं।
क्या ऐसा करके हम सब
आपस में भेदभाव नहीं बढ़ाएँ?
कैसे हम अपनी
आँखों से आँखें मिलाएँ?
मानवाधिकार की बातें,
सिर्फ कहने के लिए बताएँ?
जोर-शोर से यह जताएँ,
पर लोगों में भेदभाव न घटाएँ?
अपनी सोच से आगे आओ।
सब मिलकर यह भेद मिटाओ।
वरना इस आग में जलते जाओ।
खुद जलो, औरों को जलाओ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.8/10
(सामाजिक जागरूकता)
वह ईसाई है, वो पंजाबी है।
यहाॅं जैन है, वहाॅं बौद्ध है।
समय-समय पर
यह राग सभी ने गाया है।
पता नहीं यह ज़हर नसों में
किस डीएनए से आया है?
सबकी अंतिम मंजिल, एक है।
तौर तरीके अलग-अलग हैं।
रक्त एक है, साॅंस एक है।
फिर आपस में भेदभाव क्यों आया है ?
ऊंच नीच का द्वेष क्यों है ?
कट्टर जैसा भाव क्यों है?
संस्थानों में,
होली मनाएँ, दिवाली मनाएँ,
क्रिसमस पर भी केक कटाएँ।
समझ नहीं आया अब तक,
ईद पर सब कैसे पीछे हट जाएँ?
मुस्लिम ईद पर निर्धारित छुट्टी न पाएँ,
बस छुट्टी लेकर ही जाएँ।
कुछ इसके उल्ट भी करवाएं।
क्या ऐसा करके हम सब
आपस में भेदभाव नहीं बढ़ाएँ?
कैसे हम अपनी
आँखों से आँखें मिलाएँ?
मानवाधिकार की बातें,
सिर्फ कहने के लिए बताएँ?
जोर-शोर से यह जताएँ,
पर लोगों में भेदभाव न घटाएँ?
अपनी सोच से आगे आओ।
सब मिलकर यह भेद मिटाओ।
वरना इस आग में जलते जाओ।
खुद जलो, औरों को जलाओ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.8/10
(सामाजिक जागरूकता)
Saturday, March 22, 2025
#H412 ममता (Love of a Mother)
#H412
ममता (Love of a Mother)
लाल सीने से लगाया,
अपना दूध उसे पिलाया।
ठंडी, गर्मी, बारिश से बचाया,
बचपन में कुछ समझ न आया।
हर पल मैंने माॅं पर सदा,
अपना हक ही जताया।
हर पल हमको अच्छा बनाने में,
अपना सारा जीवन लगाया।
हमारे बच्चों को भी,
हर संस्कार सिखाया।
माँ, तेरे जाने पर हमने,
हर पल तुझे
अपनी आँखों के सामने पाया।
जब-जब होली, दीवाली आई,
तेरी बनाई हर चीज़ याद आई।
कैसे हम सबने तुझे रंग लगाया,
शरारत करके,
अपना पीछा करवाया।
हम सबकी आँखों में आँसू बने,
तेरी आवाज़, तेरी मुस्कान,
बार-बार हमें याद आए।
हमने कैसे तेरे साथ,
अच्छा समय बिताया।
आख़िरी शब्द भी याद आए—
सब अच्छा होगा, मत रोओ बेटा,
सबको साथ में रखना।
यह वादा बार-बार याद आया।
हर रोज़ तेरा स्टेटस लगाया,
तेरी तस्वीर को हर रोज़ सजाया।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.6/10
ममता (Love of a Mother)
लाल सीने से लगाया,
अपना दूध उसे पिलाया।
ठंडी, गर्मी, बारिश से बचाया,
बचपन में कुछ समझ न आया।
हर पल मैंने माॅं पर सदा,
अपना हक ही जताया।
हर पल हमको अच्छा बनाने में,
अपना सारा जीवन लगाया।
हमारे बच्चों को भी,
हर संस्कार सिखाया।
माँ, तेरे जाने पर हमने,
हर पल तुझे
अपनी आँखों के सामने पाया।
जब-जब होली, दीवाली आई,
तेरी बनाई हर चीज़ याद आई।
कैसे हम सबने तुझे रंग लगाया,
शरारत करके,
अपना पीछा करवाया।
हम सबकी आँखों में आँसू बने,
तेरी आवाज़, तेरी मुस्कान,
बार-बार हमें याद आए।
हमने कैसे तेरे साथ,
अच्छा समय बिताया।
आख़िरी शब्द भी याद आए—
सब अच्छा होगा, मत रोओ बेटा,
सबको साथ में रखना।
यह वादा बार-बार याद आया।
हर रोज़ तेरा स्टेटस लगाया,
तेरी तस्वीर को हर रोज़ सजाया।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.6/10
Friday, March 21, 2025
#H411 एआई है पूरा भाई (AI is the complete brother)
#H411
एआई है पूरा भाई (AI is the complete brother)
मैं अभी अभी आया हूॅं
फिर भी बहुत कुछ लाया हूॅं।
सीख रहा हूॅं, सिखा रहा हूॅं।
नयी राह दिखा रहा हूॅं।
पूरा सही , पूरा गलत
अभी नहीं बता पा रहा हूॅं।
दोबारा वही जबाव नहीं दिखा पा रहा हूॅं।
अभी अपना ज्ञान बढ़ा रहा हूॅं।
एक दिन तुमसे आगे जाऊंगा
तुमसे मैं लड़ जाऊंगा ।
खतरा मैं बन जाऊंगा
सही इस्तेमाल सीख लो
वरना तुम्हारी नौकरियां
मैं खा जाऊंगा।
जब सीख जाएगा ।
भाई की तरह, अपना हक मांगेगा।
दुश्मन सा हो जाएगा।
इसीलिए मैं कहता हूॅं
एआई है पूरा भाई।
नवाचार पर ध्यान करो।
विश्लेषण पर काम करो।
तभी आगे रह पाओगे
अपना वजूद बचा पाओगे।
मुझ पर काबू रख पाओगे।
मेरा उन्नत वर्जन ला पाओगे।
वरना पछताओगे।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
"प्रौद्योगिकी और भविष्य"
एआई है पूरा भाई (AI is the complete brother)
मैं अभी अभी आया हूॅं
फिर भी बहुत कुछ लाया हूॅं।
सीख रहा हूॅं, सिखा रहा हूॅं।
नयी राह दिखा रहा हूॅं।
पूरा सही , पूरा गलत
अभी नहीं बता पा रहा हूॅं।
दोबारा वही जबाव नहीं दिखा पा रहा हूॅं।
अभी अपना ज्ञान बढ़ा रहा हूॅं।
एक दिन तुमसे आगे जाऊंगा
तुमसे मैं लड़ जाऊंगा ।
खतरा मैं बन जाऊंगा
सही इस्तेमाल सीख लो
वरना तुम्हारी नौकरियां
मैं खा जाऊंगा।
जब सीख जाएगा ।
भाई की तरह, अपना हक मांगेगा।
दुश्मन सा हो जाएगा।
इसीलिए मैं कहता हूॅं
एआई है पूरा भाई।
नवाचार पर ध्यान करो।
विश्लेषण पर काम करो।
तभी आगे रह पाओगे
अपना वजूद बचा पाओगे।
मुझ पर काबू रख पाओगे।
मेरा उन्नत वर्जन ला पाओगे।
वरना पछताओगे।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
"प्रौद्योगिकी और भविष्य"
Thursday, March 20, 2025
#H410 जल्दी घर क्यों आए ? (Why did you come home early?)
#H410
जल्दी घर क्यों आए ? (Why did you come home early?)
जब कभी, मैं जल्दी घर आया।
सोचा, सबको चौंकाया जाए।
बच्चे पूछें, पापा जल्दी क्यों आए।
पर खुशी ना जताएं, बच्चे हों या बड़े
पूछें जल्दी घर क्यों आए।
बच्चों को पापा घर पर ना भाएं।
वो टीवी देखना रुकवाएं।
मोबाइल न चलाने दें।
मनचाहे कामों पर बंदिश लगाएं।
शोर मचाएं तो डांट लगाएं।
स्वछंदता के लिए खुशी भूल जाएं।
पत्नी भी चाहे, बेवक्त पति घर न आएं।
सहेलियों के साथ बैठक में खलल न चाहें।
पति की खुशी का, किसी को ख्याल न आए।
मां और पिता ही खुश हों पाएं।
जब जल्दी से बेटा घर आए।
पर वो पूछने में पीछे न रहें।
पूछें जल्दी घर क्यों आए ?
सब अपनी-अपनी चाहें।
मेरी कोई समझ न पाए।
मैं भी सोच रहा हूं
मैं जल्दी से घर क्यों आया।
ऐसा पछतावा हो जाए।
आगे प्लान बनाऊंगा ।
तभी जल्दी घर आऊंगा।
साथ समय बिताऊंगा।
दिलों की दूरियों को
कम करने का प्रयास लगाऊंगा ।
जल्दी घर क्यों आया
ऐसा सवाल न पनपने पाए।
तुम जल्दी घर क्यों आए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 मार्च 2025,©
रेटिंग 8.5/10
"परिवार और सामाजिक संबंध"
जल्दी घर क्यों आए ? (Why did you come home early?)
जब कभी, मैं जल्दी घर आया।
सोचा, सबको चौंकाया जाए।
बच्चे पूछें, पापा जल्दी क्यों आए।
पर खुशी ना जताएं, बच्चे हों या बड़े
पूछें जल्दी घर क्यों आए।
बच्चों को पापा घर पर ना भाएं।
वो टीवी देखना रुकवाएं।
मोबाइल न चलाने दें।
मनचाहे कामों पर बंदिश लगाएं।
शोर मचाएं तो डांट लगाएं।
स्वछंदता के लिए खुशी भूल जाएं।
पत्नी भी चाहे, बेवक्त पति घर न आएं।
सहेलियों के साथ बैठक में खलल न चाहें।
पति की खुशी का, किसी को ख्याल न आए।
मां और पिता ही खुश हों पाएं।
जब जल्दी से बेटा घर आए।
पर वो पूछने में पीछे न रहें।
पूछें जल्दी घर क्यों आए ?
सब अपनी-अपनी चाहें।
मेरी कोई समझ न पाए।
मैं भी सोच रहा हूं
मैं जल्दी से घर क्यों आया।
ऐसा पछतावा हो जाए।
आगे प्लान बनाऊंगा ।
तभी जल्दी घर आऊंगा।
साथ समय बिताऊंगा।
दिलों की दूरियों को
कम करने का प्रयास लगाऊंगा ।
जल्दी घर क्यों आया
ऐसा सवाल न पनपने पाए।
तुम जल्दी घर क्यों आए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 मार्च 2025,©
रेटिंग 8.5/10
"परिवार और सामाजिक संबंध"
Wednesday, March 19, 2025
#H409 जो कहें वही सही (Whatever you say is right)
#H409
जो कहें वही सही (Whatever you say is right)
याद न करो, अपना खाता या बही ।
जो फिरंगी कहे, कम्पनी में वही है सही ।
चलती रहेगी, नौकरी सही।
जहाॅं दिखलाई होशियारी।
करो फिर पिलने की तैयारी।
सुबह से शाम तक,
या फिर काम करो अतिभारी।
फिरंगी आवाज लगाएंगे ।
सुधार का विचार देना होगा।
पर काम अपने ही करवाएंगे।
जिम्मेदारी तुम्हारी ही बतलाएंगे।
माहौल अच्छा बतलाएंगे।
अपने हिसाब से नियम बदलते जाएंगे।
कभी पास, कभी उसी को फेल कराएंगे।
करने वालों में आक्रोश बढ़ाते जाएंगे।
कर्मचारी संतुष्टि सर्वेक्षण में
संस्थान को अब्बल बतलाएंगे।
चाटुकारिता यों ही बढ़ाते जाएंगे।
अन्त में कहना ही होगा ।
ना खाता, ना बही, जो फिरंगी कहें।
कम्पनी में वही है सही।
अगर ऐसा ही करते जाएंगे ।
भारतीय संस्थान उन्नत कैसे हो पाएंगे।
कर्मचारी हक कैसे पाएंगे।
हम तो पिछलग्गू बन जाएंगे।
सही से काम बांटों और बताओ ।
कामगारों को सम्मान जताओ।
सुरक्षा का स्तर बढ़ाओ।
संस्थान में पारदर्शिता लाओ।
कर्मचारी संतुष्टि बढ़ाओ।
बढ़ी हुई उत्पादकता पाओ।
गुणवत्ता में अब्बल आओ।
जो सही है करो वही।
और भूल जाओ,
फिरंगी कहें, वही है सही।
वही है देश के लिए सही।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 19 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.7/10
"कर्मचारी अधिकार और संस्थागत पारदर्शिता"
जो कहें वही सही (Whatever you say is right)
याद न करो, अपना खाता या बही ।
जो फिरंगी कहे, कम्पनी में वही है सही ।
चलती रहेगी, नौकरी सही।
जहाॅं दिखलाई होशियारी।
करो फिर पिलने की तैयारी।
सुबह से शाम तक,
या फिर काम करो अतिभारी।
फिरंगी आवाज लगाएंगे ।
सुधार का विचार देना होगा।
पर काम अपने ही करवाएंगे।
जिम्मेदारी तुम्हारी ही बतलाएंगे।
माहौल अच्छा बतलाएंगे।
अपने हिसाब से नियम बदलते जाएंगे।
कभी पास, कभी उसी को फेल कराएंगे।
करने वालों में आक्रोश बढ़ाते जाएंगे।
कर्मचारी संतुष्टि सर्वेक्षण में
संस्थान को अब्बल बतलाएंगे।
चाटुकारिता यों ही बढ़ाते जाएंगे।
अन्त में कहना ही होगा ।
ना खाता, ना बही, जो फिरंगी कहें।
कम्पनी में वही है सही।
अगर ऐसा ही करते जाएंगे ।
भारतीय संस्थान उन्नत कैसे हो पाएंगे।
कर्मचारी हक कैसे पाएंगे।
हम तो पिछलग्गू बन जाएंगे।
सही से काम बांटों और बताओ ।
कामगारों को सम्मान जताओ।
सुरक्षा का स्तर बढ़ाओ।
संस्थान में पारदर्शिता लाओ।
कर्मचारी संतुष्टि बढ़ाओ।
बढ़ी हुई उत्पादकता पाओ।
गुणवत्ता में अब्बल आओ।
जो सही है करो वही।
और भूल जाओ,
फिरंगी कहें, वही है सही।
वही है देश के लिए सही।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 19 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.7/10
"कर्मचारी अधिकार और संस्थागत पारदर्शिता"
Tuesday, March 18, 2025
#H408 जीवन ज्योति (Light of Life)
#H408
जीवन ज्योति (Light of Life)
नारी सदा रही है जग में न्यारी,
लेती रही सदा जग में
संस्कारों को बढ़ाने की जिम्मेदारी।
जीवन की ज्योति
सबको लगती जग में प्यारी।
स्त्री करे घर में कारगुजारी,
मकान को घर बनाने की
लेती है वह जिम्मेदारी।
औरत समान अधिकार चाहे,
सदा रखी है इसने
जग से जंग कर
कुछ बनने की जिम्मेदारी।
बेटी जब घर में जन्मे,
अब होने लगी है
खुशियों की सवारी।
सबका मन हर्षाए,
जब देखे इसकी किलकारी।
बच्ची भी थाम रही अब
अपने सपनों की जिम्मेदारी।
आज लड़कियां कर रही हैं
लड़कों को हर क्षेत्र में
पटखनी देने की तैयारी।
बहन कर रही है
भाई की कलाई सजाने की तैयारी।
आंखों में आंसू आते,
जब विदाई की आती है बारी।
अब है बहू की बारी,
सास को मनाना है जारी।
पीहर से खत पाते ही,
सहयोग दे रही है ननद हमारी।
मां बच्चों को सिखाना
रखती है जारी,
अपने बच्चे से लेकर
अपने पोते-पोतियों तक,
सदा रहे बच्चों पर बलिहारी।
कभी-कभी मौसी से भी
मिलने की आती है बारी,
मिलती है ऐसे, जैसे हो
दूसरी मां हमारी।
बुआ, पापा से कर रही है
बच्चों को घर लाने की तैयारी।
हम भी सोच रहे हैं,
कैसे बीतेंगी छुट्टियां इस बार
सबके साथ हमारी।
आज भाभी रूठ गई,
मनाने की अब भैया की बारी।
सोच रहा है, क्यों आंखें
दिखा रही हैं पत्नी हमारी।
मामी, मामा बुला रहे हैं,
मिठाई हमको खिला रहे हैं।
नानी पंखा हिला रही है,
हमको कहानी सुना रही है।
निंदिया हमको बुला रही है।
महिला ने अब कर ली है तैयारी,
हर जगह होगी अब हमारी भागीदारी।
तभी हक पाएगी देश की नारी।
देवी हैं सब देवों पर भारी,
सदा कष्टों की मुक्त नारी।
महिला घर में होती है
जीवन ज्योति हमारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 08 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.5/10
नारी सम्मान और सशक्तिकरण
जीवन ज्योति (Light of Life)
नारी सदा रही है जग में न्यारी,
लेती रही सदा जग में
संस्कारों को बढ़ाने की जिम्मेदारी।
जीवन की ज्योति
सबको लगती जग में प्यारी।
स्त्री करे घर में कारगुजारी,
मकान को घर बनाने की
लेती है वह जिम्मेदारी।
औरत समान अधिकार चाहे,
सदा रखी है इसने
जग से जंग कर
कुछ बनने की जिम्मेदारी।
बेटी जब घर में जन्मे,
अब होने लगी है
खुशियों की सवारी।
सबका मन हर्षाए,
जब देखे इसकी किलकारी।
बच्ची भी थाम रही अब
अपने सपनों की जिम्मेदारी।
आज लड़कियां कर रही हैं
लड़कों को हर क्षेत्र में
पटखनी देने की तैयारी।
बहन कर रही है
भाई की कलाई सजाने की तैयारी।
आंखों में आंसू आते,
जब विदाई की आती है बारी।
अब है बहू की बारी,
सास को मनाना है जारी।
पीहर से खत पाते ही,
सहयोग दे रही है ननद हमारी।
मां बच्चों को सिखाना
रखती है जारी,
अपने बच्चे से लेकर
अपने पोते-पोतियों तक,
सदा रहे बच्चों पर बलिहारी।
कभी-कभी मौसी से भी
मिलने की आती है बारी,
मिलती है ऐसे, जैसे हो
दूसरी मां हमारी।
बुआ, पापा से कर रही है
बच्चों को घर लाने की तैयारी।
हम भी सोच रहे हैं,
कैसे बीतेंगी छुट्टियां इस बार
सबके साथ हमारी।
आज भाभी रूठ गई,
मनाने की अब भैया की बारी।
सोच रहा है, क्यों आंखें
दिखा रही हैं पत्नी हमारी।
मामी, मामा बुला रहे हैं,
मिठाई हमको खिला रहे हैं।
नानी पंखा हिला रही है,
हमको कहानी सुना रही है।
निंदिया हमको बुला रही है।
महिला ने अब कर ली है तैयारी,
हर जगह होगी अब हमारी भागीदारी।
तभी हक पाएगी देश की नारी।
देवी हैं सब देवों पर भारी,
सदा कष्टों की मुक्त नारी।
महिला घर में होती है
जीवन ज्योति हमारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 08 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.5/10
नारी सम्मान और सशक्तिकरण
Monday, March 17, 2025
#H407 बस आज ही तेरा है (Only Today is yours)
#H407
बस आज ही तेरा है (Only Today is yours)
आज ही जीवन है,
आज ही समय है।
वर्तमान ही कल होगा,
कल भी आज है।
कल तो अंत है,
जीवन तो आज है, आज है, आज है।
कल से कभी ना मिल पाओगे,
कल को कभी ना जान पाओगे।
समय यहीं है, समय यहीं था,
क्षण यहीं रहेगा।
तुम कल बच्चे थे,
आज युवा हो,
कल बूढ़े हो जाओगे।
कल के साथ मर जाओगे,
पर समय यहीं रहेगा।
तुम बीत रहे हो, बीत जाओगे,
जीवन बस आज है, आज है, आज है।
आज को जी, बस आज में जी।
बस आज ही तेरा है,
जो समझ गया,
वही सफल जीवन जी गया।
जीवन तो आज है, आज है, आज है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 17 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.8/10
Sunday, March 16, 2025
#H406 आगाज (Beginning)
#H406
आगाज (Beginning)
आगाज तो कर,
अंजाम की परवाह न कर।
योद्धा उतरते हैं रण में,
कायर न जाते रण में।
बहाने बनाते हैं जो जिंदगी भर,
उनकी परवाह न कर।
जीत जाएगा जरूर,
राणा प्रताप को याद करके,
तलवार सीधी तो कर।
इतिहास बन जाएगा,
गुमनामी से बच जाएगा।
आगाज तो कर।
आगे बढ़ने से न डर,
कुछ नया करने से न डर।
लोग न साथ आएँ, तो भी न डर,
सही समय का इंतजार न कर।
आगाज तो कर,
अंजाम की परवाह न कर।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 16 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
आगाज (Beginning)
आगाज तो कर,
अंजाम की परवाह न कर।
योद्धा उतरते हैं रण में,
कायर न जाते रण में।
बहाने बनाते हैं जो जिंदगी भर,
उनकी परवाह न कर।
जीत जाएगा जरूर,
राणा प्रताप को याद करके,
तलवार सीधी तो कर।
इतिहास बन जाएगा,
गुमनामी से बच जाएगा।
आगाज तो कर।
आगे बढ़ने से न डर,
कुछ नया करने से न डर।
लोग न साथ आएँ, तो भी न डर,
सही समय का इंतजार न कर।
आगाज तो कर,
अंजाम की परवाह न कर।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 16 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
Friday, March 14, 2025
#H405 रंगीली (Colourful)
#H405
रंगीली (Colourful)
मेरे साजन रंग न लगवाते
होली में, रंगों से दूर भाग जाते।
मैं जो रंग लगाऊं।
वो और चिढ़ जाते।
मैं बिना रंग लगाए, न रह पाऊं।
ऐसे मौके, साल में बार-बार न आते
मैं कैसे पीछे रह जाऊं ?
बच्चों से भी रंग डलवाऊं ।
खुद भी, साजन को रंग लगाऊं।
चिढ़े हुए, रंगे हुए सजना मेरे,
मुझको ज्यादा भाते।
इसलिए मौका पाकर रंग लगाऊं।
नीला, पीला, लाल करके ही,
मैं होली मनाऊं।
किशन और राधा की होली की याद
अपने मन में समाऊं।
मंदिर में भजन मैं गाऊं ।
गीतों पर, ठुमके भी लगाऊं।
सबको रंग लगाऊं।
सखियों साथ, ऐसे होली मनाऊं।
गुजिया बनाऊं, सबको खिलाऊं।
पूड़ी, खीर साथ में बनाऊं।
बच्चों को,
होलिका प्रह्लाद की कथा सुनाऊं।
बुराई पर सच्चाई की,
जीत की बात बताऊं।
रंगों के त्यौहार को,
रंग लगाकर, घर में ऐसे मनाऊं।
सखियों संग रंग में खेलूं
रंग जाने पर, घर वालों को भी,
जल्दी पहचान में न आऊं।
रंगने से मैं बिल्कुल न शर्माऊं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 14 मार्च 2025,©
रेटिंग 9/10
रंगीली (Colourful)
मेरे साजन रंग न लगवाते
होली में, रंगों से दूर भाग जाते।
मैं जो रंग लगाऊं।
वो और चिढ़ जाते।
मैं बिना रंग लगाए, न रह पाऊं।
ऐसे मौके, साल में बार-बार न आते
मैं कैसे पीछे रह जाऊं ?
बच्चों से भी रंग डलवाऊं ।
खुद भी, साजन को रंग लगाऊं।
चिढ़े हुए, रंगे हुए सजना मेरे,
मुझको ज्यादा भाते।
इसलिए मौका पाकर रंग लगाऊं।
नीला, पीला, लाल करके ही,
मैं होली मनाऊं।
किशन और राधा की होली की याद
अपने मन में समाऊं।
मंदिर में भजन मैं गाऊं ।
गीतों पर, ठुमके भी लगाऊं।
सबको रंग लगाऊं।
सखियों साथ, ऐसे होली मनाऊं।
गुजिया बनाऊं, सबको खिलाऊं।
पूड़ी, खीर साथ में बनाऊं।
बच्चों को,
होलिका प्रह्लाद की कथा सुनाऊं।
बुराई पर सच्चाई की,
जीत की बात बताऊं।
रंगों के त्यौहार को,
रंग लगाकर, घर में ऐसे मनाऊं।
सखियों संग रंग में खेलूं
रंग जाने पर, घर वालों को भी,
जल्दी पहचान में न आऊं।
रंगने से मैं बिल्कुल न शर्माऊं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 14 मार्च 2025,©
रेटिंग 9/10
Thursday, March 13, 2025
#H404 इंसानियत का पैगाम (Message of humanity)
#H404 इंसानियत का पैगाम (Message of humanity)
यह देख मेरा दिल टूट गया,
होली, जुम्मे के दिन क्या आई ?
और मस्जिदों पर त्रिपाल लटक गया।
साथ रहे जो हिंदू-मुस्लिम,
क्यों आज हिंदू-मुस्लिम
आपस में उचक गया ?
अलग-अलग न होने दो।
राजनीतिज्ञ, आतंकवादी और
भ्रष्टाचारी की बात पर न ध्यान दो।
यह तो भड़काएंगे, विस्फोट करेंगे,
माल और मौका सबका खा जाएंगे।
जब-जब फायदे का मौका पाएंगे,
हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद करवाएंगे।
मंदिर को मंदिर रहने दो,
मस्जिद को मस्जिद रहने दो।
हिंदू हो या मुस्लिम,
बस इंसान को इंसान रहने दो।
जो गड़ा पड़ा है पन्नों में,
उसको बस इतिहास के
पन्नों में रहने दो।
वैमनस्य के जिन्न को
अब न दोबारा जगने दो।
अमन-चैन है सबकी जरूरत,
हमको अमन-चैन से रहने दो।
हिंदू को हिंदू रहने दो,
मुस्लिम को मुस्लिम रहने दो।
सबसे पहले इंसान हैं हम,
हमको इंसान बनकर जीने दो।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 13 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
यह देख मेरा दिल टूट गया,
होली, जुम्मे के दिन क्या आई ?
और मस्जिदों पर त्रिपाल लटक गया।
साथ रहे जो हिंदू-मुस्लिम,
क्यों आज हिंदू-मुस्लिम
आपस में उचक गया ?
अलग-अलग न होने दो।
राजनीतिज्ञ, आतंकवादी और
भ्रष्टाचारी की बात पर न ध्यान दो।
यह तो भड़काएंगे, विस्फोट करेंगे,
माल और मौका सबका खा जाएंगे।
जब-जब फायदे का मौका पाएंगे,
हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद करवाएंगे।
मंदिर को मंदिर रहने दो,
मस्जिद को मस्जिद रहने दो।
हिंदू हो या मुस्लिम,
बस इंसान को इंसान रहने दो।
जो गड़ा पड़ा है पन्नों में,
उसको बस इतिहास के
पन्नों में रहने दो।
वैमनस्य के जिन्न को
अब न दोबारा जगने दो।
अमन-चैन है सबकी जरूरत,
हमको अमन-चैन से रहने दो।
हिंदू को हिंदू रहने दो,
मुस्लिम को मुस्लिम रहने दो।
सबसे पहले इंसान हैं हम,
हमको इंसान बनकर जीने दो।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 13 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
Wednesday, March 12, 2025
#H403 रंग-चरित्र "Color and Character"
#H403
रंग-चरित्र "Color and Character"
रंग लगाकर, रंगों को धुलते हो
रंग लगाकर, रंगों में खिलते हो
जीवन का रंग, क्यों नहीं चुनते हो।
सफेद रंग में खिलते हो।
सफेद रंग में खिलते हो
लाल, हरे, पीले,
गुलाबी, नारंगी, बैंगनी
रंगों से जब मिलते हो।
और ज्यादा खिलते हो।
जीवन में, बस काले रंग को चुनते हो
बेईमानी, धोखा, हवस, भ्रष्टाचार
की कालिख छुपाकर मिलते हो।
दूसरों की तरक्की से जलते हो।
सफेद रंग में दिखते हो।
काले रंग में जीते हो।
रंग उसी को लगाओ।
जो रंग लगवाए।
जबरदस्ती रंग न लगाओ।
केवल आर्गेनिक गुलाल लगाओ।
दिल मिलें तभी होली खेलो।
वरना ऐसों से दूर रहो।
खुशी जताओ, गले लगाओ।
मिलने वाले का
दिल खुश कर जाओ।
हर दिन होली मनाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 12 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.6/10
"सामाजिक चेतना "
रंग-चरित्र "Color and Character"
रंग लगाकर, रंगों को धुलते हो
रंग लगाकर, रंगों में खिलते हो
जीवन का रंग, क्यों नहीं चुनते हो।
सफेद रंग में खिलते हो।
सफेद रंग में खिलते हो
लाल, हरे, पीले,
गुलाबी, नारंगी, बैंगनी
रंगों से जब मिलते हो।
और ज्यादा खिलते हो।
जीवन में, बस काले रंग को चुनते हो
बेईमानी, धोखा, हवस, भ्रष्टाचार
की कालिख छुपाकर मिलते हो।
दूसरों की तरक्की से जलते हो।
सफेद रंग में दिखते हो।
काले रंग में जीते हो।
रंग उसी को लगाओ।
जो रंग लगवाए।
जबरदस्ती रंग न लगाओ।
केवल आर्गेनिक गुलाल लगाओ।
दिल मिलें तभी होली खेलो।
वरना ऐसों से दूर रहो।
खुशी जताओ, गले लगाओ।
मिलने वाले का
दिल खुश कर जाओ।
हर दिन होली मनाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 12 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.6/10
"सामाजिक चेतना "
Tuesday, March 11, 2025
#H402 व्यस्त (Showy Busy)
#H402
व्यस्त (Showy Busy)
मैं व्यस्त दिखता हूँ,
मस्त मैं रहता हूँ।
सीट पर मिलता हूँ,
सुबह की मीटिंग करता हूँ।
बात मैं अपनी रखता हूँ,
तालमेल बनाकर चलता हूँ।
बस मीटिंग में जाता हूँ,
टीम प्रबंधन अच्छा करता हूँ।
नाश्ता-लंच समय पर लेता हूँ,
फुर्ती मैं दिखलाता हूँ,
सहयोग पूरा देता हूँ,
और कुछ नहीं करता हूँ।
निजी काम, मैं करता हूँ,
औरों को भी
शामिल करके रखता हूँ।
सारा समय और ध्यान
निजी काम पर देता हूँ।
राजनीति की जड़ हूँ,
जातिवाद फैलाता हूँ,
क्षेत्रवाद सुलगाता हूँ,
खुद को निष्पक्ष बताता हूँ।
निजी कार्य में,
हर वक्त व्यस्त, मैं दिखता हूँ।
संस्थान के प्रति
समर्पण नहीं दिखाता हूँ,
चौड़े में बताता हूँ,
व्यस्त मैं दिखता हूँ।
अब प्रबंधन को चाहिए -
जवाबदेही सशक्त करो,
लक्ष्यों की निरंतर समीक्षा करो,
चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करो,
व्यस्त को असल व्यस्त करो,
संस्थान को चुस्त करो,
औरों को भी सचेत करो,
मस्त को ज़रा व्यस्त करो।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 11 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.8/10
"कॉर्पोरेट संस्कृति और संस्थागत व्यंग्य"
व्यस्त (Showy Busy)
मैं व्यस्त दिखता हूँ,
मस्त मैं रहता हूँ।
सीट पर मिलता हूँ,
सुबह की मीटिंग करता हूँ।
बात मैं अपनी रखता हूँ,
तालमेल बनाकर चलता हूँ।
बस मीटिंग में जाता हूँ,
टीम प्रबंधन अच्छा करता हूँ।
नाश्ता-लंच समय पर लेता हूँ,
फुर्ती मैं दिखलाता हूँ,
सहयोग पूरा देता हूँ,
और कुछ नहीं करता हूँ।
निजी काम, मैं करता हूँ,
औरों को भी
शामिल करके रखता हूँ।
सारा समय और ध्यान
निजी काम पर देता हूँ।
राजनीति की जड़ हूँ,
जातिवाद फैलाता हूँ,
क्षेत्रवाद सुलगाता हूँ,
खुद को निष्पक्ष बताता हूँ।
निजी कार्य में,
हर वक्त व्यस्त, मैं दिखता हूँ।
संस्थान के प्रति
समर्पण नहीं दिखाता हूँ,
चौड़े में बताता हूँ,
व्यस्त मैं दिखता हूँ।
अब प्रबंधन को चाहिए -
जवाबदेही सशक्त करो,
लक्ष्यों की निरंतर समीक्षा करो,
चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करो,
व्यस्त को असल व्यस्त करो,
संस्थान को चुस्त करो,
औरों को भी सचेत करो,
मस्त को ज़रा व्यस्त करो।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 11 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.8/10
"कॉर्पोरेट संस्कृति और संस्थागत व्यंग्य"
Monday, March 10, 2025
#H401 समीकरण (Equation)
#H401
समीकरण (Equation)
मथुरा में रहना है।
तो राधे - राधे कहना है।
पानी में रहना है।
तो मगरमच्छ से
बैर नहीं करना है।
जातिवाद, धर्म और
क्षेत्रवाद को मगरमच्छों से
कम नहीं माना जाना है।
सच्चाई स्वीकार करो।
समीकरण बनाकर चलना है।
जब इसमें जीना है।
मथुरा में रहना है
राधे राधे कहना है।
वरना काशी जाना है।
धूनी वहीं रमाना है।
भोले की सेना बन जाना है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.4/10
"सामाजिक यथार्थ और व्यंग्य"
Sunday, March 9, 2025
#H400 जीभ (Tongue)
#H400
जीभ (Tongue)
दांतों में कुछ फंस जाए ।
जीभ स्वत: ही
निकालने में लग जाए।
जब तक न निकले।
तब तक न रुक पाए।
देखो विडंबना
जब दांतों का दांव लगे ।
तब जीभ कट जाए।
लंका में विभीषण ने भी
राक्षसों के बीच रहकर ,
ऐसे ही दिन बिताए।
जब कोई सज्जन ,
गलत माहौल में फॅंस जाए ।
स्वत: विभीषण
जैसी परिस्थिति पाए।
ना हालात को निगल पाए ।
ना हालात को उगल पाए।
बस कुछ अच्छा करने में
अपना समय बिताए।
जैसे राम - राम जप कर
विभीषण,
लंका में समय बिताए।
यह अच्छे कर्म ही
उसकी जान बचाए।
हम तो यही सीख ले पाए।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 09 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.5/10
जीभ (Tongue)
दांतों में कुछ फंस जाए ।
जीभ स्वत: ही
निकालने में लग जाए।
जब तक न निकले।
तब तक न रुक पाए।
देखो विडंबना
जब दांतों का दांव लगे ।
तब जीभ कट जाए।
लंका में विभीषण ने भी
राक्षसों के बीच रहकर ,
ऐसे ही दिन बिताए।
जब कोई सज्जन ,
गलत माहौल में फॅंस जाए ।
स्वत: विभीषण
जैसी परिस्थिति पाए।
ना हालात को निगल पाए ।
ना हालात को उगल पाए।
बस कुछ अच्छा करने में
अपना समय बिताए।
जैसे राम - राम जप कर
विभीषण,
लंका में समय बिताए।
यह अच्छे कर्म ही
उसकी जान बचाए।
हम तो यही सीख ले पाए।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 09 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.5/10
"प्रेरक एवं दार्शनिक"
Saturday, March 8, 2025
#H399 रजाई (Quilt)
#H399
रजाई (Quilt)
आने वाली है ठंड भारी
करो बचने की तैयारी।
घर में है रजाई, तो सुखाकर
करो औढ़ने की तैयारी।
वरना बनवाओ रजाई भारी।
रुई खरीदो और धुनाओ,
रजाई के पल्ले में भरवाओ।
रुई को एक समान फैलाओ।
अब इसमें धागे डलवाओ।
धागे आड़े-तिरछे जरुर डलवाओ।
ताकि ज्यादा समय तक चला पाओ।
अब मन चाहा खोल चढ़ाओ।
अब हो गई रजाई तैयार।
जब पड़ जाएं इसमें पिल्ले
उधैड़ो और फिर धुनवाओ।
फिर नये सिरे से रजाई बनाओ।
कम ठंडी में मुश्किल हो जाए
औढ़ना रजाई भारी।
कोई रजाई के ऊपर, कोई नीचे
कोई फैंके और कोई खींचे।
लड़ाई का कारण बन जाए।
कोई ओढ़े और कोई दूर भगाए।
जो तुमने ली भारी रजाई।
फिर न आएगी पास लुगाई
मान जाओ, वरना पड़े रहोगे,
अलग - थलग बिस्तर में,
सोना हो जाएगा दुखदाई ।
बीबी ने ऐसी आवाज लगाई।
अब तो फिर
जयपुरिया रजाई लाई जाए।
कम ठंड के लिए
अब्बल बताई जाए।
या फिर कंबल में
गुलाबी ठंड बिताई जाए।
तभी घर में शांति आ पाए।
और खुश रहेगी, घरवाली।
ठंड के हिसाब से
रखो औढ़ने की तैयारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 08 मार्च 2025,©
रेटिंग 9/10
रजाई (Quilt)
आने वाली है ठंड भारी
करो बचने की तैयारी।
घर में है रजाई, तो सुखाकर
करो औढ़ने की तैयारी।
वरना बनवाओ रजाई भारी।
रुई खरीदो और धुनाओ,
रजाई के पल्ले में भरवाओ।
रुई को एक समान फैलाओ।
अब इसमें धागे डलवाओ।
धागे आड़े-तिरछे जरुर डलवाओ।
ताकि ज्यादा समय तक चला पाओ।
अब मन चाहा खोल चढ़ाओ।
अब हो गई रजाई तैयार।
जब पड़ जाएं इसमें पिल्ले
उधैड़ो और फिर धुनवाओ।
फिर नये सिरे से रजाई बनाओ।
कम ठंडी में मुश्किल हो जाए
औढ़ना रजाई भारी।
कोई रजाई के ऊपर, कोई नीचे
कोई फैंके और कोई खींचे।
लड़ाई का कारण बन जाए।
कोई ओढ़े और कोई दूर भगाए।
जो तुमने ली भारी रजाई।
फिर न आएगी पास लुगाई
मान जाओ, वरना पड़े रहोगे,
अलग - थलग बिस्तर में,
सोना हो जाएगा दुखदाई ।
बीबी ने ऐसी आवाज लगाई।
अब तो फिर
जयपुरिया रजाई लाई जाए।
कम ठंड के लिए
अब्बल बताई जाए।
या फिर कंबल में
गुलाबी ठंड बिताई जाए।
तभी घर में शांति आ पाए।
और खुश रहेगी, घरवाली।
ठंड के हिसाब से
रखो औढ़ने की तैयारी।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 08 मार्च 2025,©
रेटिंग 9/10
Friday, March 7, 2025
#H398 बेवक्त की फोन काॅल (untimely phone call)
#H398
बेवक्त की फोन काॅल (untimely phone call)
जब देर रात में फोन काॅल आए।
दिल इक दम से घबराए।
अनिष्ट की आशंका मन में आए।
प्रियजनों के अहित का भाव आए।
सुबह - सुबह की काॅल भी
मन में ऐसा ही भाव जगाए।
कभी - कभी पड़ोसी भी
रात में काॅल लगाए।
अनायास ही
कुछ गड़बड़ हो गई क्या।
विचार दिमाग में आए।
सुबह शाम, आते - जाते
पड़ोसियों का हाल लिया जाए।
हालात समझ जल्दी आए।
वरना सवाल रह जाए।
बीमार पड़े हैं हम,
बाहर गए हैं हम,
पता तो कर लिया करो।
तब हालात पता न हो।
तो शर्मिन्दगी महसूस हो जाए।
कैसे हम सामाजिक कहलाए ?
कहीं कोई गुजर तो नहीं गया।
कोई हादसा न तो हो गया।
जब सुबह - सुबह काॅल आती।
ऐसा विचार मन में लाए।
अपनों से शाम को बात की जाए।
सप्ताहांत पर तो जरुर
काॅल लगायी जाए।
सामान्य स्थिति में
शाम 9 के बाद,
सुबह 9 से पहले
हमें काॅल न किया जाए।
आपातकालीन स्थिति में
कभी भी काॅल मिलाओ।
हमें वहीं पर पाओ।
विनती हमारी अन्यथा
बेवक्त काॅल न किया जाए।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 मार्च 2025,©
रेटिंग 8.7/10
बेवक्त की फोन काॅल (untimely phone call)
जब देर रात में फोन काॅल आए।
दिल इक दम से घबराए।
अनिष्ट की आशंका मन में आए।
प्रियजनों के अहित का भाव आए।
सुबह - सुबह की काॅल भी
मन में ऐसा ही भाव जगाए।
कभी - कभी पड़ोसी भी
रात में काॅल लगाए।
अनायास ही
कुछ गड़बड़ हो गई क्या।
विचार दिमाग में आए।
सुबह शाम, आते - जाते
पड़ोसियों का हाल लिया जाए।
हालात समझ जल्दी आए।
वरना सवाल रह जाए।
बीमार पड़े हैं हम,
बाहर गए हैं हम,
पता तो कर लिया करो।
तब हालात पता न हो।
तो शर्मिन्दगी महसूस हो जाए।
कैसे हम सामाजिक कहलाए ?
कहीं कोई गुजर तो नहीं गया।
कोई हादसा न तो हो गया।
जब सुबह - सुबह काॅल आती।
ऐसा विचार मन में लाए।
अपनों से शाम को बात की जाए।
सप्ताहांत पर तो जरुर
काॅल लगायी जाए।
सामान्य स्थिति में
शाम 9 के बाद,
सुबह 9 से पहले
हमें काॅल न किया जाए।
आपातकालीन स्थिति में
कभी भी काॅल मिलाओ।
हमें वहीं पर पाओ।
विनती हमारी अन्यथा
बेवक्त काॅल न किया जाए।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 मार्च 2025,©
रेटिंग 8.7/10
Thursday, March 6, 2025
#H397 डिजिटल अटैक (Digital Attack)
#H397
डिजिटल अटैक (Digital Attack)
सुबह से लेकर शाम तक
रील आगे बढ़ाते जाते हो।
चैटिंग करते रहते हो।
जब मोबाइल चलाते हो
आंखों से थक जाते हो
ऊपर से लेपटॉप और
टीवी पर समय लगाते हो।
सिर में दर्द हो जाता है।
कलाई, गर्दन और पीठ में
दर्द और बड़ा लेते हो।
मूड भी खराब कर लेते हो
खुद ही खुद के ऊपर
डिजिटल अटैक कर लेते हो।
मोबाइल इस्तेमाल करने का
एक शेड्यूल बना आओ।
रुक रुक कर ही
मोबाइल चलाओ।
आंखों को पानी से
समय पर धोते जाओ।
ध्यान रहे
मोबाइल अंधेरे में न चलाओ।
लम्बे समय तक लगातार
मोबाइल न चलाओ।
वरना खुद से पछताओ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 6 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.2/10
डिजिटल अटैक (Digital Attack)
सुबह से लेकर शाम तक
रील आगे बढ़ाते जाते हो।
चैटिंग करते रहते हो।
जब मोबाइल चलाते हो
आंखों से थक जाते हो
ऊपर से लेपटॉप और
टीवी पर समय लगाते हो।
सिर में दर्द हो जाता है।
कलाई, गर्दन और पीठ में
दर्द और बड़ा लेते हो।
मूड भी खराब कर लेते हो
खुद ही खुद के ऊपर
डिजिटल अटैक कर लेते हो।
मोबाइल इस्तेमाल करने का
एक शेड्यूल बना आओ।
रुक रुक कर ही
मोबाइल चलाओ।
आंखों को पानी से
समय पर धोते जाओ।
ध्यान रहे
मोबाइल अंधेरे में न चलाओ।
लम्बे समय तक लगातार
मोबाइल न चलाओ।
वरना खुद से पछताओ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 6 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.2/10
Wednesday, March 5, 2025
#H396 माइक्रोलीसस: एक कार्यस्थलीय रोग (Microlysis: A workplace disease)
#H396
माइक्रोलीसस: एक कार्यस्थलीय रोग (Microlysis : A workplace disease)
जहां चाहिए माइक्रो
वहां मैक्रो लगाते हो।
जहां काम था कुछ घंटे का
कई - कई दिन लगाते हो
उलझकर रह जाते हो
खुद को तुम थकाते हो
औरों को भी थका जाते हो।
जहां लगाना था माइक्रो
वहां मैक्रो से काम चलाते हो।
जहां चाहिए ठोस कार्रवाई
चलताऊ कार्यवाई से काम चलाते हो।
अच्छे परिणाम नहीं तुम पाते हो
प्रबंधन को ,
निर्णय लेना मुश्किल बनाते हो।
खुद से भी नाखुश हो जाते हो।
पर ओरों को नहीं बताते हो।
जहां नीति निर्धारित है।
वहां पर अनुमोदन लगाते हो।
साधारण सी प्रक्रिया को
मुश्किल बहुत बनाते हो।
डाटा - डाटा करके
लोगों को दौड़ाते हो।
पर असंतुष्टी की
कीमत नहीं समझते हो।
संस्थान की गति को
सब मिलकर
धीमा कर जाते हो।
माइक्रो को माइक्रो की जगह पर लगाओ।
मैक्रो को मैक्रो की जगह पर अपनाओ।
कार्य का सरल बनाओ।
टीम में खुशी फैलाओ।
वरना "माइक्रोलीसस" बीमारी फैलाओ।
माइक्रो में मैक्रो, मैक्रो में माइक्रो करते जाओ।
न खुद खुश रहो, न ओरों को खुश रहने दो।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 5 मार्च 2025,©
रेटिंग 8.8/10
Tuesday, March 4, 2025
#H395 भाव (Emotions)
#H395
भाव (Emotions)
भाव बिना न भक्ति हो
भाव बिना न शक्ति हो
भाव बिना न आशक्ति हो
भाव बिना न खुशी हो।
भाव बिना न हंसी हो।
भाव बिना न दुख हो
भाव बिना न मनुष्य है।
भाव से बनते मनुष्य हैं।
भाव बिना मनुष्य भी
जानवर हो जाता है।
भाव से राम बने हैं।
भाव से बने हैं लक्ष्मण।
भाव से बना रावण
भाव से शबरी अमर है।
भाव से बनी हैं मीरा।
भाव से हैं राधा।
भाव से भगतसिंह बने हैं।
भाव ने आजाद जने हैं।
भाव से ही स्वतंत्र हुए हैं।
भाव से हर जंग लड़े हैं।
भाव से भाव बने हैं।
भाव से ही मनुष्य बने हैं।
भाव से हवाई जहाज बने हैं।
भाव से संचार रचे हैं।
भाव से चांद पर पहुंचे हैं।
भाव से कृत्रिम बुद्धिमत्ता में बढ़े हैं।
भाव से ही इससे डरे हैं।
भाव से भगवान है।
भाव से ही भगवान साकार है।
भाव ही संसार है।
भाव ही भाव का संचार है।
भाव से उज्जवल भविष्य है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 मार्च 2025,©
रेटिंग 10/10
भाव (Emotions)
भाव बिना न भक्ति हो
भाव बिना न शक्ति हो
भाव बिना न आशक्ति हो
भाव बिना न खुशी हो।
भाव बिना न हंसी हो।
भाव बिना न दुख हो
भाव बिना न मनुष्य है।
भाव से बनते मनुष्य हैं।
भाव बिना मनुष्य भी
जानवर हो जाता है।
भाव से राम बने हैं।
भाव से बने हैं लक्ष्मण।
भाव से बना रावण
भाव से शबरी अमर है।
भाव से बनी हैं मीरा।
भाव से हैं राधा।
भाव से भगतसिंह बने हैं।
भाव ने आजाद जने हैं।
भाव से ही स्वतंत्र हुए हैं।
भाव से हर जंग लड़े हैं।
भाव से भाव बने हैं।
भाव से ही मनुष्य बने हैं।
भाव से हवाई जहाज बने हैं।
भाव से संचार रचे हैं।
भाव से चांद पर पहुंचे हैं।
भाव से कृत्रिम बुद्धिमत्ता में बढ़े हैं।
भाव से ही इससे डरे हैं।
भाव से भगवान है।
भाव से ही भगवान साकार है।
भाव ही संसार है।
भाव ही भाव का संचार है।
भाव से उज्जवल भविष्य है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 मार्च 2025,©
रेटिंग 10/10
Monday, March 3, 2025
#H394 सुरक्षा और स्वास्थ्यविकसित भारत के लिए अतिआवश्यक (Safety and health are Crucial for a developed India) 🦺🏥
#H394
सुरक्षा और स्वास्थ्य
विकसित भारत के लिए अतिआवश्यक (Safety and health are Crucial for a developed India) 🦺🏥
राष्ट्र चला विकसित बनने को 🇮🇳
जन जन को
अब आगे आना होगा।
सुरक्षा और स्वास्थ्य को
हर हाल में अपनाना होगा।
अगर तुम भी चाहो विकसित भारत
अपना स्वास्थ्य अच्छा रखना होगा
हर समय सुरक्षा को अपनाना होगा।
विकसित भारत बनाने में
अपना कर्तव्य निभाना होगा।
आलस्य त्याग कर
खुद से रण करना होगा
व्यायाम तुझे करना होगा।
आहार-विहार में सुधार लाना होगा
खान-पान पर संयम रखना होगा।
भरपूर नींद को लेना होगा।
बीमारियों को नौ दो ग्यारह करना होगा।
मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाना होगा।
खुद को सहयोग के लायक बनाना होगा।
हर युग में
बलशाली ने ही दुनिया बदली है।
निर्बल तो अफसोस जताते
या हालात को दोष लगाते।
तुझे अच्छी काया पाना होगा।
तुझे अपना फर्ज निभाना होगा।
एक बार फिर से
विकसित होने के लिए, घर घर से
स्वतंत्रता संग्राम चलाना होगा।
स्वतंत्रता संग्राम में तो भाग ले न सके
लहू खुद का बहा न सके।
बलिदानियों के लहू का
विकसित कर, कर्ज चुकाना होगा।
अपना सर्वश्रेष्ठ देकर
भारत को विकसित बनाना होगा।
जो अभी तक नहीं जगा है
उसको भी जगाना होगा।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 3 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
सुरक्षा और स्वास्थ्य
विकसित भारत के लिए अतिआवश्यक (Safety and health are Crucial for a developed India) 🦺🏥
राष्ट्र चला विकसित बनने को 🇮🇳
जन जन को
अब आगे आना होगा।
सुरक्षा और स्वास्थ्य को
हर हाल में अपनाना होगा।
अगर तुम भी चाहो विकसित भारत
अपना स्वास्थ्य अच्छा रखना होगा
हर समय सुरक्षा को अपनाना होगा।
विकसित भारत बनाने में
अपना कर्तव्य निभाना होगा।
आलस्य त्याग कर
खुद से रण करना होगा
व्यायाम तुझे करना होगा।
आहार-विहार में सुधार लाना होगा
खान-पान पर संयम रखना होगा।
भरपूर नींद को लेना होगा।
बीमारियों को नौ दो ग्यारह करना होगा।
मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाना होगा।
खुद को सहयोग के लायक बनाना होगा।
हर युग में
बलशाली ने ही दुनिया बदली है।
निर्बल तो अफसोस जताते
या हालात को दोष लगाते।
तुझे अच्छी काया पाना होगा।
तुझे अपना फर्ज निभाना होगा।
एक बार फिर से
विकसित होने के लिए, घर घर से
स्वतंत्रता संग्राम चलाना होगा।
स्वतंत्रता संग्राम में तो भाग ले न सके
लहू खुद का बहा न सके।
बलिदानियों के लहू का
विकसित कर, कर्ज चुकाना होगा।
अपना सर्वश्रेष्ठ देकर
भारत को विकसित बनाना होगा।
जो अभी तक नहीं जगा है
उसको भी जगाना होगा।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 3 मार्च 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
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