कब मिटेगा यह भेदभाव? (When Will This Discrimination End?)
पाखंड यहां
नस-नस में छाया है।
मैं हिंदू हूँ, तू मुस्लिम है,
लोहड़ी मनाएं।
वह ईसाई है, वो पंजाबी है।
यहाॅं जैन है, वहाॅं बौद्ध है।
समय-समय पर
यह राग सभी ने गाया है।
पता नहीं यह ज़हर नसों में
किस डीएनए से आया है?
सबकी अंतिम मंजिल, एक है।
तौर तरीके अलग-अलग हैं।
रक्त एक है, साॅंस एक है।
फिर आपस में भेदभाव क्यों आया है ?
ऊंच नीच का द्वेष क्यों है ?
कट्टर जैसा भाव क्यों है?
संस्थानों में,
होली मनाएँ, दिवाली मनाएँ,
क्रिसमस पर भी केक कटाएँ।
समझ नहीं आया अब तक,
ईद पर सब कैसे पीछे हट जाएँ?
मुस्लिम ईद पर निर्धारित छुट्टी न पाएँ,
बस छुट्टी लेकर ही जाएँ।
कुछ इसके उल्ट भी करवाएं।
क्या ऐसा करके हम सब
आपस में भेदभाव नहीं बढ़ाएँ?
कैसे हम अपनी
आँखों से आँखें मिलाएँ?
मानवाधिकार की बातें,
सिर्फ कहने के लिए बताएँ?
जोर-शोर से यह जताएँ,
पर लोगों में भेदभाव न घटाएँ?
अपनी सोच से आगे आओ।
सब मिलकर यह भेद मिटाओ।
वरना इस आग में जलते जाओ।
खुद जलो, औरों को जलाओ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.8/10
(सामाजिक जागरूकता)
वह ईसाई है, वो पंजाबी है।
यहाॅं जैन है, वहाॅं बौद्ध है।
समय-समय पर
यह राग सभी ने गाया है।
पता नहीं यह ज़हर नसों में
किस डीएनए से आया है?
सबकी अंतिम मंजिल, एक है।
तौर तरीके अलग-अलग हैं।
रक्त एक है, साॅंस एक है।
फिर आपस में भेदभाव क्यों आया है ?
ऊंच नीच का द्वेष क्यों है ?
कट्टर जैसा भाव क्यों है?
संस्थानों में,
होली मनाएँ, दिवाली मनाएँ,
क्रिसमस पर भी केक कटाएँ।
समझ नहीं आया अब तक,
ईद पर सब कैसे पीछे हट जाएँ?
मुस्लिम ईद पर निर्धारित छुट्टी न पाएँ,
बस छुट्टी लेकर ही जाएँ।
कुछ इसके उल्ट भी करवाएं।
क्या ऐसा करके हम सब
आपस में भेदभाव नहीं बढ़ाएँ?
कैसे हम अपनी
आँखों से आँखें मिलाएँ?
मानवाधिकार की बातें,
सिर्फ कहने के लिए बताएँ?
जोर-शोर से यह जताएँ,
पर लोगों में भेदभाव न घटाएँ?
अपनी सोच से आगे आओ।
सब मिलकर यह भेद मिटाओ।
वरना इस आग में जलते जाओ।
खुद जलो, औरों को जलाओ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 मार्च 2025,©
रेटिंग 9.8/10
(सामाजिक जागरूकता)