#H404 इंसानियत का पैगाम (Message of humanity)
यह देख मेरा दिल टूट गया,
होली, जुम्मे के दिन क्या आई ?
और मस्जिदों पर त्रिपाल लटक गया।
साथ रहे जो हिंदू-मुस्लिम,
क्यों आज हिंदू-मुस्लिम
आपस में उचक गया ?
अलग-अलग न होने दो।
राजनीतिज्ञ, आतंकवादी और
भ्रष्टाचारी की बात पर न ध्यान दो।
यह तो भड़काएंगे, विस्फोट करेंगे,
माल और मौका सबका खा जाएंगे।
जब-जब फायदे का मौका पाएंगे,
हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद करवाएंगे।
मंदिर को मंदिर रहने दो,
मस्जिद को मस्जिद रहने दो।
हिंदू हो या मुस्लिम,
बस इंसान को इंसान रहने दो।
जो गड़ा पड़ा है पन्नों में,
उसको बस इतिहास के
पन्नों में रहने दो।
वैमनस्य के जिन्न को
अब न दोबारा जगने दो।
अमन-चैन है सबकी जरूरत,
हमको अमन-चैन से रहने दो।
हिंदू को हिंदू रहने दो,
मुस्लिम को मुस्लिम रहने दो।
सबसे पहले इंसान हैं हम,
हमको इंसान बनकर जीने दो।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 13 मार्च 2025, ©
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