Friday, February 28, 2025

#H393 सशक्त नेतृत्व (Empowered Leadership)

#H393
सशक्त नेतृत्व (Empowered Leadership)

काम बताते हो।
समय सीमा भी बतलाते हो।
काम सिखलाते हो।
काम पूरा पाने पर
प्रसन्नता नहीं जताते हो।
पीठ नहीं थपथपाते हो।
ताली नहीं बजवाते हो।
जहां काम हुआ है कम, 
वहां नहीं मिलेंगे हम।
ऐसा व्यवहार दिखाते हो।

अगर न मिलता पूरा काम,
केवल पूरा करने की
रट बार बार लगाते हो ।
चिड़ चिड़े हो जाते हो।
डांट डपट में समय लगाते हो।
टीम से सहयोग भी न पाते हो।
टीम भावना नहीं जगा पाते हो।
जहां काम हुआ है कम, 
वहां मिलेंगे नहीं हम।
ऐसा कर टीम से कट जाते हो।

ऐसे में समाधान को हाथ बंटाओ।
साथियों कमी को समझो।
फिर से अधूरा काम सिखाओ।
समय प्रबंधन का ज्ञान दिलाओ।
आपसी तालमेल का महत्व समझाओ।
कौशल को उन्नत कर जाओ।

फिर  टीम में आवाज लगाओ
जहां काम हुआ है कम,
वहां मिलेंगे हम।
टीम को मजबूत बनाओ।
खुद के नेतृत्व को सशक्त बनाओ।
टीम भावना को विकसित कर जाओ।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10

Thursday, February 27, 2025

#H392 बैट उठाओ, छक्का लगाओ (Pick up the bat and hit a six)

#H392
बैट उठाओ, छक्का लगाओ (Pick up the bat and hit a six)

क्रिकेट को अंग्रेजों ने बनाया।
इंग्लैंड का राष्ट्रीय खेल कहलाए।
अपने  देश का दबदबा भी
विश्व क्रिकेट में खूब पाया जाए।

मैदान पर सबसे पहले
टीम के कप्तानों के बीच
टॉस उछाला जाता है।
जिसका विकल्प आए,
वो अपना निर्णय बताता।
बैटिंग चुनेगा या
क्षेत्ररक्षण को जाए।

एक बॉल होती है इसमें,
साथ में दो बल्ले भी होते।
जिस पर बॉलर दौड़े,
वो क्रीज कहलाए।
22 गज लंबाई होती है।
दोनों ओर तीन-तीन डंडे गाड़े जाते।
ये डंडे स्टंप कहलाएं।

जो गेंद फेंके "बॉलर" कहलाए।
गेंद को जिससे रोकते, वो बैट कहलाए।
बैट चलाने वाले को "बल्लेबाज" ।
गेंद रोकने वाले "क्षेत्ररक्षक" कहलाए।
वो एक-एक रन को बचाए।
जो यह सब कर सके, "आलराउंडर" कहलाए।
जो रहे विकेट के पीछे, "विकेटकीपर" कहलाए।

एक बॉलर एक बार में छह गेंदें ही डाले।
ये 6 गेंदें एक "ओवर" कहलाए।

पूरा खेल एक गोल क्षेत्र में खेला जाए।
यहां बाउंड्री भी बनाई जाए।

जमीन पर सरपट दौड़कर
गेंद जब बाउंड्री पार करे,
तब "चौका" माना जाए।

अगर गेंद हवा में उड़ती जाए,
तो फिर "छक्का" माना जाए।
अगर क्षेत्ररक्षक ने गेंद कैच की
तो बल्लेबाज आउट हो जाए।

अगर ऐसा न हो पाए,
तो बल्लेबाज जल्दी छोर बदलते।
एक बार बदले, तो एक रन मिलता।
अगर जितनी बार छोर बदल दे,
तो उतने रन बन जाए।
अगर दौड़ के दौरान
क्षेत्ररक्षक गेंद स्टंप में मार दे,
तो बल्लेबाज आउट हो जाए।
फिर वापस पवेलियन जाए
नया बल्लेबाज फिर आए।

ऐसे ही दस खिलाड़ी आउट किए जाते
या ओवर पूरे हो जाते।
फिर दूसरी टीम बैटिंग करने आए।

जब ओवर पूरा होता,
नियम से बल्लेबाज छोर बदलते।
और दूसरा बाॅलर बालिंग को आए।

अगर गेंद स्टंप में लगती,
या स्टंप उखड़ जाते,
तो बल्लेबाज आउट हो जाए।
शर्त यह कि बॉलर ने गेंद
निर्धारित जगह से डाली हो,
वरना आउट न दिया जाए।
अगर गेंद पैड्स में लगती, तो
एल.बी.डब्ल्यू. आउट हो जाए।
अगर बल्लेबाज क्रीज से बाहर चला जाए,
तो विकेटकीपर स्टंप उखाड़कर,
और खिलाड़ी को आउट कर जाए।

अगर क्रीज के बाहर
पैर रखकर गेंद फेंकी,
तो फ्री-हिट बॉल देनी पड़ जाए।
इस बॉल पर बल्लेबाज
केवल रन आउट या
थ्रो से ही आउट हो पाए।
खुलकर बाउंड्री लगाने का मौका पाए।

जो खेल में फैसले देते,
अंपायर कहलाते।
एक मैच में मैदान पर
दो अंपायर लगाए जाते।
थर्ड अंपायर दर्शक दीर्घा में
स्क्रीन पर बैठाया जाए।
बहुत नजदीकी निर्णयों की
अंपायर के मांगने पर
जांच करके बताए।

ज्यादा रन बनाने वाली टीम
विजयी घोषित की जाए।

जब कभी मैच में बारिश होती,
तो डकवर्थ-लुईस नियम लगाया जाए।
मैच छोटा कर, पूरा माना जाए।

कभी-कभी क्रिकेट में
बाॅल खिलाड़ी को लग जाती,
खिलाड़ी जख्मी भी हो जाएं।

हेलमेट, पैड्स, गार्ड्स, दस्ताने,
बचाव के लिए पहनते।

50 ओवर का मैच हो तो
"एकदिवसीय" कहलाता।
दर्शकों का पूरा दिन लग जाए।
खूब भीड़ जुटाए।
पैसा भी बहुत कमाए।

"पांच दिवसीय" क्रिकेट मैच
"टेस्ट" कहलाता।
इसमें तो टीम की पूरी क्षमता
हर स्तर पर जांची जाए।
दर्शक कम ही जुटा पाए।

छोटा क्रिकेट मैच भी बनाया।
"टी-20" फॉर्मेट कहलाए।
इसमें 20-20 ओवर डाले जाते।
जल्दी ही मैच खत्म हो जाते।
"टी-20" फॉर्मेट
लोगों को बहुत भाए।
मैच जल्दी खत्म हो जाए,
रन जल्दी-जल्दी बनते,
मनोरंजन भी खूब करता,
साथ में समय भी बच जाए।

क्रिकेट में अंधाधुंध पैसा
और शौहरत आए।
इसीलिए खिलाड़ियों को
खूब पैसा मिलता।
विज्ञापन से पैसा आता।
टेलीविजन राइट्स से खूब पैसे आते।
स्पॉन्सरशिप से भी
खिलाड़ी पैसा कमाए।

कई अमीर तो अपनी टीम बनाते।
आईपीएल में भागीदारी कर
पैसा अंधाधुंध कमाए।

विश्व स्तर पर सारे मैच
आईसीसी करवाए।
मैच क्रिकेट स्टेडियम में करवाए।
नियम बनाए, लागू करवाए।
टीमों और खिलाड़ियों की रैंक बताए।
नियम तोड़ने पर दंड लगाए।

एकदिवसीय वर्ल्डकप
हर चार साल में आयोजित होते।
टी-20, वर्ल्डकप
हर दो साल में खेलते।
टेस्ट का वर्ल्डकप "टेस्ट चैंपियनशिप"
दो साल में खेला जाए।

मैच फिक्सिंग से खेल पर
काला दाग लगाए।
बॉल टैंम्परिंग भी
एक तरह की चोरी मानी जाती।
खेल भावना को आहत कर जाए।

संस्थान भी क्रिकेट मैचों का
आयोजन करवाते।
कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाएं।

अब तक हमने वर्ल्ड कप
दो बार जीता है।
एक बार तो देखा हमने,
पर पहली जीत न देख पाए।
केवल रेडियो से सुन पाए।

यह सब देख-देख
देश का बच्चा-बच्चा
क्रिकेटर बनना चाहे।
सनी, कपिल, सचिन, धोनी, ....
सब बनने की चाह जगाए।

हमारे देश में गली-गली में
क्रिकेट खेला जाए।
बच्चों के हाथ में
बैट-बॉल का खिलौना
एक बार जरूर आए।
क्रिकेट सारे बच्चों को भाए।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 27 फरवरी 2025, ©
रेटिंग: 9.4/10

Wednesday, February 26, 2025

#H391 जीवनधारा ( Life Stream)

#H391
जीवनधारा ( Life Stream)

जब हालात बस में न हों ।
फिर तो भगवान बचाए।
मरने का विचार दिमाग में आए।
किसी प्रिय की मौत से
सब बदल जाए।
यह मौत बचाव को आगे आए।
समय ही समाधान दे पाए।

ऐसे में जरुरी हो जाए।
हालात पर छोड़ा जाए।
खुद पर काबू रखा जाए।
वरना फिर जिया न जाए।

मौत समाधान जब लाए।
आदमी धक्के से ही सीख पाए।
बहुत कुछ गंवाकर सीखा
फिर तो नासमझ ही कहलाए।

ऐसे में आदमी खुद पछताए।
बस छटपटा कर रह जाए।
रोते हुए धीरे - धीरे फिर से
जीवन की कश्ती को संवारता जाए।
जीवन नैया बस ऐसे ही हिचकौले खाए।

जीवन तो एक धारा है
पानी कम हो या ज्यादा
बस आगे बढ़ना ही रह जाए।
धारा सूखी गई यानि
मौत अब और रुप में लाए।
पर सफ़र सदा चलता जाए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 26 फरवरी 2025,©
रेटिंग 8.5/10

Tuesday, February 25, 2025

#H390 खुद का संसार (Own World)

#H390
खुद का संसार (Own World)

खुद में रहता मगन है
खुद को समझता सर्वज्ञ है
खुद को मानता मर्मज्ञ है
खुद को मानता निःस्वार्थ है।
खुद सच में
बहुत बड़ा खुदगर्ज है।

खुद अक्सर बोलता झूठ है।
खुद मानता, बोलता है सच।
खुद कमियों का भंडार है।
खुद बहाने बनाता अपार है।

खुद को जानने को
बिल्कुल नहीं तैयार है।
खुद हर क्रिया को
बना रहा व्यापार है।
खुद बोलता है जग प्यार को
बना रहा व्यापार है।
खुद,  केवल खुद से करता है प्यार।
खुद बाकी सबके प्यार को
समझता मिथ्या संसार है।

सच यह भी है, खुद का चित्र
कैसे बनाए चित्रकार ?
वो देख रहा संसार है।
खुद की कमियां कैसे ढूंढे ?
दुनिया अपरंपार है।

ऐसे में सबको एक सच्चे
गुरु की दरकार है।
खुद जल्दी से ढूंढ ले गुरु को
वहीं तेरा बेड़ा पार है।
वरना खुद में खुद का संसार है।

गुरु तुझको तब तक न मिल पाएगा ।
जब तलक तेरा संसार
तेरे अंदर से बाहर न जाएगा।
जब तक समर्पण का भाव ,
तू अपने अंदर न जगाएगा।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 25 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10

Monday, February 24, 2025

#H389 कौन है ? वो। (Who is She ?)

#H389
कौन है ? वो। (Who is She ?)

बादल गरज रहे हैं
रात अंधेरी छाई हुई है
बिजली चमक रही है।
हरी घास पर,
सांप मचल रहा है।

पास में पायल खनकी रही है।
गोरी कंगन आपस में  लड़ा रही है।
लगता है जैसे प्रियतम बुला रही है।
बारिश माहौल को संगीन बना रही है।

हवा फुहार को छितरा रही है।
गोरी का पल्लू उड़ा रही है।
मेंढकी जोर से टर्रा रही है।
लगता है जैसे मेंढक बुला रही है।
झींगुर सुर लगा रहे हैं
मक्खी भिनभिना रही हैं।
घोड़े की टापों की आवाज
टपटप से आ रही है।
साथ में घण्टी की आवाज आ रही है।

झरने की आवाज आ रही है।
रह रह ध्यान भटका रही है
मच्छर टिन्ना रहे हैं।
जुगनू भी टिमटिमा रहे हैं।

बंदर बारिश में ठिठुर रहे हैं।
डालियों पर सिकुड़
झुंड में बैठ रहे हैं।

मुर्गा भी इधर उधर भाग रहा है।
खरगोश पर सांप लपक रहा है।
केकड़ा जमीन पर रेंग रहा है।

चारों ओर सन्नाटा सा छाया हुआ है।
जब बिजली चमक रही है।
कुछ - कुछ चीजें दमक रही हैं।
गोरी सुर लगा रही है।
प्रियतम को बुला रही है।

सुनसान में गोरी की आवाज
हम सबको डरा रही है।
रस्ते पर आगे बढ़ने से
जान हलक में आ रही है।
कौन है वो ? और किसे बुला रही है ?
वीराने में सरगम की आवाज
कहां से आ रही है ?
कौन वियोग को जता रही है ?

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 24 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.7/10

Sunday, February 23, 2025

#H388 नींद (Sleep) 😴

#H388
नींद (Sleep) 😴

अगर तुम चाहो सुंदर काया,
तो हर रोज जल्दी से सो जाओ ।

देर रात तक जग-जग कर तुम
खुद को रुग्ण बनाओ।
चिढ़ चिढ़े होते जाओ।
दिन में न खुश दिख पाओ।
और न ही अपना
शत-प्रतिशत दे पाओ।
दफ्तर में अपना मान घटाओ।

पति से पत्नी न बात करे ।
पत्नी से पति न बोले।
पर दोनों रात्रि में विश्राम करे ।
प्रेमालाप की फिर कौन बात करे ?

नींद पूरी न होने से
क्यों बीमारियों को पास बुलाओ।
फिर चिकित्सक के
अक्सर चक्कर लगाओ।

कभी-कभी नींद के कारण
सड़क पर टक्कर कर जाओ।

नींद तुम रोज पूरी लो‌।
नींद सदा तुम गहरी लो।
थकने पर ही सोने जाओ।
जीवन में आनंद उठाओ।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 23 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10

Saturday, February 22, 2025

#H387 नखरे (Tantrums)

#H387
नखरे (Tantrums)

बच्चे करें नखरे ।
समझ हमें आता है ।

नयी नयी दुल्हन के नखरे।
परिवार सह लेता है।

पत्नी करें नखरे ।
झुकना पड़ जाता है।
माशूक करे जो नखरे
नाज उठना पड़ता है।

युवा भी  अड़ जाए।
मनाना मुश्किल पड़ जाता है।

कभी-कभी बूढ़े भी करते नखरे।
समझाना फिर बस से बाहर हो जाता है।

कुछ और भी होते हैं ,
जो करते हैं नखरे ।
यहां ना बचपन आडे़ आता है ।
ना यौवन तुमको तड़पाता है ।
ना बुढ़ापा यहां डर से जिद करता है।

यह तो आत्ममुग्धता है।
लोगों की ना समझी है।
खुद की ईर्ष्या, नहीं समझ पाता है।
जो नखरे दिखलाता है।
यह भी समझ नहीं पाता है
उसका हर नखरा एक पल में
लोगों की नजर में आता है

व्यक्तित्व का बहुत
नुकसान करवा जाता है।
अहंकार से तो बस दुनिया में
इंसान खुद का ही नुकसान कराता है।

मत उठाओ
किसी की कमजोरी का फायदा।
अंजान भी जल्द सीख जाता है।
नखरेबाज पर
फिर अंकुश‌ लग जाता है।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 22 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.5/10

Friday, February 21, 2025

#H386 उड़ान (Fly)

#H386
उड़ान (Fly)

अगर पौधे को बड़ा होना है ।
दरख्तों से अलग होना होगा।
सूरज  की तपिश को सहना होगा
तभी पेड़ बन, तनकर खड़ा होगा।

वरना छोटा रह जाएगा।
छाया में मर जाएगा।
किसी की परछाई में रहकर
कोई इतिहास नहीं रचता।
जल्दी भुलाया जाता है।

जिन्हें आगे बढ़ना होता है
उन्हें जमीन से बाहर आना होता है।
वरना मिट्टी में मिल जाना होता है।
बिना मिट्टी, हवा, खाद, पानी के
बीज कहां कुछ होता है।
चिड़िया दाना चुगती है।
बच्चों को खिलाया करती है।
पर उड़ना तो बच्चों को होता है।
आसमान तो खुद ही नापना होता है।
जो सीखा नापना, बड़ा वही होता है।

कुछ कर गुजरने वाला ही
लोगों के जहन में रहता है।
परछाई में चलने वाला तो
सहायक कलाकार होता है।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 फरवरी 2025,©
रेटिंग 10/10

Thursday, February 20, 2025

#H385 खामोशी की आवाज (The Sound of Silence)

#H385
खामोशी की आवाज (The Sound of Silence)

सदा से दीवारें
सुनती आयीं हैं हर बात ।
खामोशी भी बोलती है, जज़्बात।
लफ्ज़ खामोश हो जाते हैं।
जब लोग बन जाते हैं बहरे।
अक्सर लोग बन जाते हैंं, अंधे
जब आती है
किसी और के हक की बात।

किसी की नहीं पचा‌ पाते हैं, खुशहाली
तरक्की पर नजर लगाते हैं।
शुभचिंतक बन करते हैं, हर बात
सदा रखते हैं, झूठे जज़्बात।

ऐसों से न कहो,
अपने दिल की बात।
छलनी कर देंगे, तेरे जज़्बात।
केवल मायने रखती है इनको
इनके  फायदे, दर्द और जज्बात।
भाड़ में जाए समाज, जनता,
और देश की बात।

"दीवारों के भी कान होते हैं "
भूल जाते हैं ये बात।
फिजाएं भी बोलती हैं हर बात।
कहाॅं छिपी है आज तक
फरेब और धोके की बात।
देर भले ही हो जाए।
समय सामने लाता है हर बात।
केवल रखो, सच को अपने साथ।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10

Wednesday, February 19, 2025

#H384 बकलोल (Nonsense)

#H384
बकलोल (Nonsense)

मिलने पर मुस्कुराता हूॅं।
अपनापन जताता हूॅं
मन में कड़वाहट रखता हूॅं
सांठगांठ से रहता हूॅं

हर मुद्दे में टांग अड़ाता हूॅं।
दूसरों के मुद्दों में
जानकार बन जाता हूॅं।
"बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना " बन
कहावत सार्थक कर देता हूॅं।
चौधराहट दिखलाता हूॅं
जब खुद का मुद्दा आता है,
मुंह में दही जमाता हूॅं।
नज़रें नीची कर जाता हूॅं।
टीम से जबाब चाहता हूॅं।

जानकार हर विषय का
बन दिखलाता हूॅं
समाधान किसी का
नहीं दे पाता हूॅं
सामान्य बात बतलाता हूॅं।

सदा दूसरों को बैसाखी,
बनाकर चलता आया हूॅं।
जब खुद चलने की बारी आती है।
अक्सर मैदान छोड़ भाग जाता हूॅं।

फटे बांस सा बजता हूॅं।
बकलोल समझा जाता हूॅं।
जल्दी आगे बढ़ना चाहता हूॅं।
सब पर धौंस जमाता हूॅं।

अगर जल्दी आगे जाना चाहते हो।
व्यवहार में पारदर्शिता लाओ।
सबके प्रति सम्मान जताओ।
टीम में काम करो, आगे बढ़ जाओ।
वरना फंस के रह जाओ।

सेना के बिना ,
कभी जंगें नहीं जीती जाती।
भविष्य में हारी सेना के
सेनापति कहलाओ।

कभी-कभी अज्ञानी बनकर,
समझदार बन जाओ।
साथियों का हौसला बढ़ाओ।
उनका भी महत्व जताओ।
एक अच्छी टीम बनाओ।
बकलोल से बुद्धिमान कहलाओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 19 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.5/10

Tuesday, February 18, 2025

#H383 संस्कार और सबक (Rites and lessons)


#H383
संस्कार और सबक (Rites and lessons)

गुरबत से न गुजरे ।.
तो अमीरी न संभलेगी।

दर्दे जुदाई न सहा तुमने
तो मोहब्बत न संभलेगी।

ताकतवर न बने तुम
तो मुंह से माफी न निकलेगी।

हिम्मत न जुटाई तुमने
तो मंजिल न हासिल होगी।

न किया  हासिल भरोसा तुमने
तो टीम न संभलेगी।

ज़बान न संभाली तुमने
तो रिश्तेदारी न संभलेगी।

अंधेरे से न गुजरे कभी
तो आंखों में रोशनी न चुभेगी।

दिनचर्या का न पालन किया
तो सेहत न संवरेगी।

कभी असफलता न चखी
तो सफलता न संभलेगी।

व्यवहार में विनम्रता न रही।
तो इज्जत न संभलेगी।

रात की अंधेरी न झेली
रात की खामोशी न झेली
तो भोर की खुशी न मिलेगी।

जब तलक तेरे अंदर
"मैं" की भावना रहेगी।
भक्ति की ज्योति न जलेगी।


देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 18 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10








Monday, February 17, 2025

#H382 खुद से आगे निकल (Get ahead of yourself)

#H382
खुद से आगे निकल (Get ahead of yourself)

दौड़ में
कौन जीत गया , कौन हार गया
सब एक साथ भागे
सब एक दूरी तक दौड़े
कोई आगे, कोई पीछे, दौड़ा।
एक हार गया, एक जीत गया

जीवन की दौड़
हर कोई दौड़ रहा है
कौन जीत गया, कौन हार गया
जीवन में इसका कोई मायने नहीं है

मत इतराओ, जीत पर
मत शोक मनाओ हार पर।
हर एक की जीत अलग है
हर एक की हार अलग है।
किसने‌ कितना झेला है
कौन कितना अकेला है।
सबका भार अलग - अलग है।

कौन कहां से दौड़ा है
कहां - कहां पर दौड़ा है
दौड़ - दौड़ कर यहां पर पहुंचा है
कोई जीवन में कितना दौड़ गया
खुद को कितना पीछे छोड़ गया
जो जीवन में खुद से दौड़ गया
वही जीवन में जीत गया
खुद से आगे निकल गया।
एक रास्ता पीछे छोड़ गया।


देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 17 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.9/10

Sunday, February 16, 2025

#H381 भगदड़ (Stampede)

#H381
भगदड़ (Stampede)

कुछ करो या ना करो
भगदड़ में मारे गए,
लोगों का पता करो।
महाकुंभ में ऐसा ना करो।
ना मिल पाए उनको हक।
ऐसा ना इंतजाम करो।

ऐसी खबरें दिल तोड़ रही हैं।
पीड़ितों के परिजनों के
आंसू पूछ रहे हैं।
कहां गए हमारे
पापा, पति, मां, बहिना, भईया
बताने का कष्ट करो।
खामोशी का न प्रहार करो।
अपनी छवि न बर्बाद करो।

सनातन को ऐसे न,
जग में बदनाम करो।
प्रदेश हो या देश प्रशासक,
ऐसे लोगों को मान मिले ।
पहचान मिले ।
मुखाग्नि का सम्मान मिले।
न्याय मिलने का इंतजाम करो

भगदड़ फिर कहीं ना हो पाए।
पूर्व कुंभ घटनाओं से
कुछ सबक धारण करो।
ऐसे कड़े इंतजाम करो।
नियंत्रित प्रवेश का विकल्प करो।
विशिष्ट व्यक्ति सम्मान
यहां बन्द करो।
कैमरे में स्नान बैन करो।
पूजा प्रार्थना गुप्त रखो।
पर भीड़ पर भविष्य के लिए
निर्धारित सशक्त नियम करो।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 16 फरवरी 2025,©
रेटिंग 8.8/10

Saturday, February 15, 2025

#H380 ज़ुल्म ऐ मोहब्बत (The Cruelty of Love)

#H380
ज़ुल्म ऐ मोहब्बत (The Cruelty of Love)

मोहब्बत न संभलेगी ।
मेरे भाई तुमसे।
जब तलक दर्दे जुदाई 
न सहेंगे प्रियतम।

रुठती रहेगी माशूक ।
सताती रहेगी लुगाई ।
तुम मनाते रहोगे।
पर वजह
समझ न पाओगे।
हर बार
नई वजह ही पाओगे।
कोशिशें करते रहो।
संसार में ‌सदा से
ऐसी रीति चली आई।

जब तलक आती रहेगी कमाई।
तुम्हें इज्जत मिलती रहेगी,
घर में मेरे भाई।
जब बंद हुई कमाई,
फिर न रहेगा कोई खुश ,
बेटा हो या तेरी लुगाई।

संभल जाओ यारो।
देखकर दूसरों की जग हॅंसाई।
न हो जाए ,
ज़माने में अपनी रुसवाई।
इसीलिए सहे जाते हैं हम
जुल्म ऐ मोहब्बत मेरे भाई।

सितम सहे जा रहे हैं।
उफ्फ भी न करते।
अब भी ‌न संभले, प्रियतम।
क्यों की हमने मोहब्बत ,
बार-बार ,
यह बात दिमाग में आई।

सिमटती सोच के दायरों ने,
खाई बना दी भाई।
हम, हम न रहे अब,
मैं - मैं हो गए मेरे भाई।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 10/10

Friday, February 14, 2025

#H379 आकाशवाणी (All India Radio)

#H379
आकाशवाणी (All India Radio)

ट्रांजिस्टर की याद आए 
लोगों को कान लगाकर 
पहले हम सुनता पाए ।
चाहे पैदल चलता जाए ।
या साइकिल पर जाए ।
ट्रांजिस्टर बजाता जाए ।
शादियों में ट्रांजिस्टर देना।
एक समय शान समझा जाए।

पूरे परिवार मनोरंजन कराए
ज्ञान बढ़ाए, संस्कार‌ फैलाए।
खेती किसानी भी सिखलाए।
स्वास्थ्य पर हर रोज बताए।
योग पर भी सबका ज्ञान बढ़ाए।
रोड जाम के बारे में बतलाए।
क्रिकेट मैच का भी हाल सुनाए।

फिल्मी गाने हमें सुनाए।
भजन सुबह शाम दोहराए।
हर घंटे समाचार हम तक पहुंचाए।
"युगवाणी" युवाओं को भाए।
"स्पोर्ट्स स्कैन" खेलों पर बतलाए।
"रोजगार समाचार" 
रोजगार के अवसरों से मिलाए।

शिक्षा पर बहुत से कार्यक्रम लाए।
भाषाओं का प्रचार कराए।
कई विश्वविद्यालय तो
अपने रेडियो भी चलाए।

"छाया गीत" हमें सुलाए।
सैनिक भाईयों के लिए
हर रोज "जयमाला" कार्यक्रम आए।
हमें बहुत मन भाए।
कई बार भावुक कर जाए।

"भूले बिसरे" गीत 
दिल को अंदर तक छू जाए।
रामचरितमानस का पाठ
राम के बारे में रोज बताए।

जब से एफ एम रेडिओ आए।
आवाज और अधिक साफ सुनाए।
इंटरनेट रेडियो तो
दुनिया के हर कोने में सुना जाए।

संकट में सूचना सबको पहुंचाए।
भूकंप, मौसम पर 
सबको जानकारी मिल जाए।

"मार्केट मंत्रा" 
निवेश की बारिकियां सिखाए।
आर्थिक जगत की हर बात बताए।
"सखी सहेली" 
महिलाओं को सजग बनाए।
"परिक्रमा" हमें दुनिया से मिलाए।

"मन की बात" अब कोई न भूल पाए।
हर महीने प्रधानमंत्री 
 देश की कुछ नई बात बताए।
अच्छा करने की आस जगाए।

सबसे अच्छी‌ बात रेडियो की
दूर दराज में भी पाया‌ जाए।
काम करने से न रुकवाए।
सुनने वाला अपना काम करता जाए।

एफ एम गोल्ड, विविध भारती 
हम वर्षों से सुनते आए।
अब तो रेडियो मोबाइल 
और टीवी पर मिल जाए।

रेडियो दिवस की सूचना 
हम रेडियो पर पाए।
दिल से फिर यह कविता बनाए।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.7/10

Thursday, February 13, 2025

#H378 लकीरें (Limits)

#H378
लकीरें (Limits)

लकीरों के बीच रहोगे।
सीमित होकर रह जाओगे ।
सीमा में रहकर ,
जब लकीरों से बाहर जाओगे ।
प्रगति कर पाओगे ।
समाज में बदलाव ला पाओगे।
कुछ अलग करने के लिए
लोगों में जाने जाओगे।

रहे सड़क पर,
तब मंजिल तक ही जाओगे ।
उतर गये सड़क से,
तो नया रास्ता पाओगे।

सीमा में किया तो हक दोगे।
हट कर कुछ‌ कर जाओगे।
तभी लोगों को
आनन्दित कर पाओगे।
समाज का कुछ भला कर पाओगे।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.2/10

Wednesday, February 12, 2025

#H377 दृष्टि और दृष्टिकोण (Vision and Approach)

#H377
दृष्टि और दृष्टिकोण (Vision and Approach)

नेत्रहीन देख ना पाए ।
सबको समझ में आए।
गिरकर चोट खा जाए।
चलना फिरना दूभर हो जाए।

आलसी सब कुछ देखे ।
पर फिर भी देख ना पाए 
क्षणिक सुख के लिए 
जिंदगी दांव पर गंवाए।
जीवन में बार-बार ठोकर खाए।

सूरदास बस कह सुनकर
अपना जीवन बिताए।
"कवि सूरदास" नेत्रहीन होकर भी
"सूरसागर" महाकाव्य बनाए।

नेत्रहीन, आलसी से‌ 
ज्यादा सम्मान पाए।
सोच अगर सच्ची हो ।
तो अक्षमता आड़े न आए।
कवि "नासमझ" को 
ऐसा ही समझ आए।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.7/10 

Tuesday, February 11, 2025

#H376 तीसरा (Third)

#H376
तीसरा (Third)

जब ना निगला जाए ।
ना ही उगला जाए।
फिर उसको क्या कहा जाए।
मत सोचो ज्यादा, बन्धू
प्रबंधन की दृष्टि में उसको
तीसरे दर्जे का बतलाया जाए।

गाय को बैल बनाया जाए।
वो "बेल कर्व" में बैल बन जाए।
पर दूध देना बन्द न कर पाए।
प्रबंधन का काम चलता जाए।

कुछ सालों बाद, निम्न दर्जे का
कर्मचारी बतलाया जाए।
प्रबंधन से दुत्कार पाए।
तुम हर बार तीसरा ही क्यों पाए
कुछ तो हमें बताओ।
ऐसा सुनने में आए।

बैल बेचारा कुछ समझ न पाए।
सोचता रहा, मैं दुधारू गाय था।
मुझे कौन बैल बनाया।
हर बार तीसरे दर्जे में लाए।
अब वो तीसरे दर्जे मुक्ति कैसे पाए ?
कोई कैसे उसको समझा पाए।

अपना काम दिखलाओ,
समय - समय पर बतलाओ।
फिर कुछ आस जगाओ।
पर गारंटी न समझो।
और मिले निकल जाओ।
वरना फिर तीसरा पाओ।

"बेल कर्व" से आगे की
बात कौन बतलाए ?
एक कर्मचारी छोड़ जाए।
दूसरा लाया जाए।
बीच में पद खाली ही रह जाए।
काम लटक कर रह जाए।
कंपनी का काफी खर्चा हो जाए।
गुणवत्ता गिरती जाए।
मनोबल धराशायी हो जाए।
इस नुकसान को कोई क्यों
आंकलन न करवाए।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 11 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.7/10

Monday, February 10, 2025

#H375 गुलदस्ता (Bouquet) 💐

#H375
गुलदस्ता (Bouquet) 💐

गुलों का आगाज हुआ है
गुलों से सजा बजार है।
गुलाबी, पीले, लाल, बैंगनी,
सफेद रंगों से भरा बजार है।
फूलों की आयी बहार है।

आई है बसंत ऋतु,
बागों में बहार है।
जिया मेरा बेकरार है।
कब मिलेंगे नैन यार से
मुझे प्यार का इंतजार है।
उसे गुल नजर करूं मैं।
मेरा दिल बेकरार है।
छोड़ो दिल को मेरे यार।
गुलदस्ता तैयार है।

प्यार चढ़ेगा परवान, अगर।
गुलाबी गुल स्वीकार है।
फिर वो तेरा प्यार है।

वरना दोस्त बन जाओगे
पीला फूल नजरे यार है।

बात न बनी तो
सफेद से हार स्वीकार है।
शांति की बहार है।

सभी रंग के गुलों से सजा
गुलदस्ता तैयार है।
मेरे दोस्त अब किसका इंतज़ार है।
तेरा प्यार नजरे यार है।

रंगों से जीवन में आती बहार है।
जहां न हों रंग तो जीवन बेजार है।

दोस्ती में भी
दोस्तों का गुलदस्ता होता है।
सीधे, तेजतर्रार, भावुक
आलोचक, मस्ती करने वाले,
परीक्षा लेने वाले
आगे बढ़ाने वाले मिलते यार हैं।
जिंदगी में चार चांद लगाते यार हैं।
दोस्तों से जिंदगी में रहती बहार है।
सलामत सभी की दोस्ती का गुलदस्ता
ऐसी मंशा- ऐ - यार है।
सलामत रहो दोस्तों, आती रहती बहार है।
तुम्हारी यादों से चेहरे पर आती बहार है।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.8/10

Sunday, February 9, 2025

#H374 तू कितना गरीब है (How poor are you ?)

#H374
तू कितना गरीब है (How poor are you ?)

हम न रहे तो बेटा,
तेरा क्या होगा ?
मैं तो अमीर हूॅं पापा।

तेरी अमीरी बता रही है
तू कितना गरीब है ?
मुझे भविष्य का
खतरा दिखा रही है।

तू अपनों का प्यार ,
न समझ रहा अभी।
खुद से प्यार ही कर रहा।
अपनी दुनिया में जी रहा, अभी।

तू कितना बदनसीब है ?
सब ऐसा ही रहेगा,
सोचता है अभी।
यह कुदरत का कानून है।
आने वाला जाएगा।
सब यहीं रह जाएगा।

अपनाओं से बिछड़ने पर भी
तुझे लगता है, तू अमीर है।
सबका प्यार तेरे साथ है।
तब तक तू अमीर है।

जब रह जाएगा अकेला ।
तब समझ आएगा।
तू कितना बदनसीब है ?
बुध्दि से कितना गरीब है ?

धन, दौलत सब यहीं रह जाता है।
जब इंसान पहुंचता है,
भगवान के करीब ।
तेरे अच्छे कर्मों से जाना जाता है
तू कितना अमीर रहा है ?
या तू कितना गरीब रहा है ?

तेरी अमीरी बता रही है
तू कितना गरीब है ?

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 9 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10

Saturday, February 8, 2025

#H373 तुम्हें जीत मिल गयी है । (You have got the victory)

#H373
तुम्हें जीत मिल गयी है । (You have got the victory)

"कमल" खिल गया‌।
"आप" की कीचड़ में।
"झाड़ू" का बंधन टूट गया।
तिनका - तिनका बिखर गया।

"हाथ" खाली रह गया।
लगातार तीसरी बार
शून्य सीट पाने का
इतिहास रच गया।

पर तुम भूल न जाना।
झाड़ू अपने हाथ उठाना।

दिल्ली की सफाई में
कुछ करके दिखलाना।
सड़कों को गढ्ढा मुक्त बनाना।
घर - घर तक
साफ जल पहुंचाना।
पर पानी की बर्बादी पर
अंकुश जरुर लगाना।
यमुना सदियों से बहती आयी।
इसको साफ़ जरुर बनाना।
प्रदूषण और परिवहन में 
सुधार करके दिखलाना।
चुनौतियों को स्वीकार कर
समाधान तुम लाना ।

विभागों को भ्रष्टाचार से
मुक्त करके दिखलाना।
सुरक्षा सबसे अब्बल रखना।
महिलाओं का भरोसा और बढ़ाना।
मुद्दों को तुम भूल न जाना।
वरना वोटर के हाथ में
फिर पांच साल में झाड़ू आ जाना ।

तुम्हें जीत मिल गयी है।
इसको जरुर दोहरा के दिखलाना।
तब कहना विकास से जीत गए हैं।
वरना इस जीत के लिए
"आप" का शुक्रिया भी जताना।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 08 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.7/10

Friday, February 7, 2025

#H372 कुछ कदम प्यार में(A few steps in Love 💕)

#H372
कुछ कदम प्यार में
(A few steps in Love 💕)

प्रेम सहित गुलाब 🌹
तुम्हें अर्पित करता हूॅं।
प्रस्ताव प्यार का रखता हूॅं। 🫴
स्वीकार करो, या इनकार करो
मैं तुम्हें अवसर देता हूॅं।

चाकलेट तुम्हें चखवाता हूॅं। 🍫
खुद भी चखकर जाता हूॅं।


टैडी भी तुम आज रखो। 🧸
याद आने का कारण दे जाता हूॅं।

आज वायदा करने आया हूॅं। 🤝
तेरा सदा साथ निभाऊंगा।


गले लगाओगे मुझे 🫂
उम्मीद साथ में लाया हूॅं।
झप्पी का अनुभव ले जाता हूॅं।

चुम्बन मिल जायगा । 💏
चुम्बन ही ले जाओगे।
जीवन भर के लिए
यादें संजोए जाता हूॅं।

आज मेरे साथ
वेलेंटाइन दिवस मनाओगे। 💞
कुछ अच्छा समय बिताता हूॅं।
भविष्य के लिए यादें पाता हूॅं।

कल क्या होगा
थप्पड़ खाने से घबराता हूॅं। 👋

जोखिम लेने से पीछे नहीं हटता हूॅं।
संयम से तेरा मान बढ़ाता हूॅं।

रोज डे से स्लैप डे तक का
हाल सभी को बतलाता हूॅं।
बाजार वेलेंटाइन वीक मनवाता है।
नवयौवन को बहकाता है।

कुछ कदमों के प्यार से कतराता हूॅं।
मैं तो जीवन भर प्यार निभाता हूॅं।
भारतीय हूॅं, इसलिए सकुचाता हूॅं।
तू हीर और मैं रांझा बन जाता हूॅं।
राधा और कृष्ण को पूजता हूॅं।
प्यार में मर-मिटने के लिए जीता हूॅं।
छद्म प्यार से बेहद घबराता हूॅं।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 07 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9/10

Thursday, February 6, 2025

#H371 कद्दू (Pumpkin)

#H371
कद्दू (Pumpkin)

क्या खाया आज तुमने, कद्दू ।
क्या आज उखाड़ा तुमने, कद्दू ।
नहीं करूंगा तो क्या कर लोगे, कद्दू ।
मोटे होने पर, लोग बोलते मुझको,
तुम दिखते हो जैसे हो, कद्दू ।

खेत में बेल पर लगता,
भिटोड़ा पर लटकते, कद्दू।
गोल होता, कद्दू।
लंबा भी होता, कद्दू ।
ढोल जैसा भी होता कद्दू।
हरे रंग का होता कद्दू ।
पककर पीला हो जाता कद्दू ।
कई महीनों तक रख पाते, कद्दू।
सड़ने पर फैंकना पड़ता, कद्दू।

बीजों की नमकीन ,
खाकर सेहत बनवाता, कद्दू ।
आंखों को भी दुरुस्त कराता, कद्दू ।

पुड़ी के साथ बनाया जाता कद्दू ।
अक्सर दावत में मिलता, कद्दू।
खट्टा मीठा बनाया जाता  कद्दू।
बहुत स्वादिष्ट लगता कद्दू ।
रोटी से भी खाया जाता कद्दू ।
सब मिलकर चटकर देते, कद्दू।

हलवा भी बनाया जाता है ।
जब घर में आता, कद्दू।
पानी, विटामिनों ,
कम कैलोरी और उच्च फाइबर का
अच्छा स्रोत होता, कद्दू।
वजन घटाने में काम आता, कद्दू
सांभर में डाला जाता, कद्दू
सूप बनाने में भी काम आता, कद्दू।
सलाद में भी डाला जाता है
पर सलाद में हमने नहीं खाया, कद्दू।
बड़ा उपयोगी होता, कद्दू।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 06 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 8.5/10

Wednesday, February 5, 2025

#E010 "Embrace Pain, Embrace Change"

#E010
"Embrace Pain, Embrace Change"

Touching a hot surface,
You quickly remove your hand.
Similarly, seeing a big dog,
You take another path.
This is a reaction.
A reaction is the result of fear.

Wearing gloves, you touch the hot surface.
Similarly, you take a stick and face the dog.
This is your decision.
A decision is the result of courage.

Everyone has fears...
Decide to face them. Show courage.
Take risks, get hurt,
Endure the pain of labor,
Bear the pain of discipline.

Change your life.
Keep in mind:
Without pain, there is no change in life.
Get hurt, learn, and grow,
Or learn from others,
Stay disciplined,
And transform your life.

Devendra Pratap "नासमझ"
Date 05 Feb 2025,©
Rating 8.8/10

Tuesday, February 4, 2025

#H370 मोमबत्ती (Candle) 🕯️

#H370
मोमबत्ती (Candle) 🕯️

सूरज अस्त‌ हो गया।
अब अंधेरा छा गया
मोमबत्ती जला ली ।
जलती मोमबत्ती पर
मेरी नज़र जाती रही ।
दिमाग में सोच आती रही ।

मोमबत्ती रोशनी देती रही
खुद जलती रही ।
मोम पिघलती रही।
लौ हवा से हिलती रही।
पर वो जलती रही।
खुद अंधेरे में खड़ी रही।
पर और चीजों को दमकाती रही
अंधेरे से  लड़ती रही
अंधेरे में तारे सी चमकती रही।
रास्ता दिखाती रही।
अस्तित्व को खोती रही।
अंत तक रोशनी देती रही

सुगंधी हो, सामान्य‌‌ मोमबत्ती
रोशनी‌ सदा सभी देती रहीं।

सीख हमें देती रही ।
बने अगर तुम मोमबत्ती ।
रोशनी देते रहोगे ।
खुद में जलते रहोगे ।
दिक्कत से दो - चार होते रहोगे।
अस्तित्व को खो दोगे।
पहचान को मोहताज रहोगे।
पर बाद में याद आते रहोगे।
सम्मान पाते रहोगे।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.8/10

Monday, February 3, 2025

#H369 एक ऐसी प्रार्थना हो जाए (Let there be such a prayer)

#H369
एक ऐसी प्रार्थना हो जाए (Let there be such a prayer)

सुबह से शाम तक मांगते ।
मांग मांगकर न थकते।
प्रभू यह दे दो, प्रभू वो दे दो।
यह हो जाएगा तो
इतना चढ़ावा देने का वायदा करते।
वो हो जाएगा तो
वहां  की यात्रा का वायदा  करते।
यह कैसी पूजा है, कैसी साधना है।
जो व्यापार को भी शर्मा दे।

पूजा नाम है देने का।
पर देना न सीख पाते ।
प्रार्थना को कैसे सार्थक बनाते ?
फिर तो व्यापारी बन जाते।

भिखारी कभी पूजा न कर पाते।
कोई मांगे कुछ भी,
मांगने वाले भिखारी कहलाते।

जब कुछ न दे पाते ।
स्वर्ग का सपना क्यों देखते ?
जो देते दान किसी को,
भगवान उसी को,
सोना बनाकर लौटाते।
तेरी झोली संपन्न बनाते।

जिसने कभी कुछ दिया नहीं।
उसे भव सागर कैसे लेकर जाते ?
पूजा कर ले , चाहे कर ले यज्ञ।
बिना दिए कोई मोक्ष,
हासिल नहीं कर पाते।

असल पूजा तो देना।
अर्पण कर ही प्रभू को पाते।
विद्वान, दान देने को ही धर्म बताते।
मांगने को अधर्म फरमाते।
जो दान करते, शांति पाते।
अपनी क्षमता से ही करना,
यह भी बतलाते।
दान देने में ध्यान रहे,
जरुरतमंद को ही दान देते।
वरना इसको व्यर्थ बताते।

भिखारी बन कभी पूजा न कर पाते।
केवल व्यापारी बनकर रह जाते।
या भगवान को घूस दिखाते।
भक्त की मर्यादा दांव पर लगाते।

आज लोग भोग विलास में पैसा उड़ाते।
दान के नाम पर अक्सर पीछे हठ जाते।
आगे आओ एक अनाथ का खर्च उठाओ।
देश से गरीबी, लाचारी दूर भगाओ।
प्रभू की शरण में साक्षात स्थान पाओ।

जाते समय शांत मन से जाओ।
बढ़ता हुआ पौधा छोड़ जाओ।
देने से पाने की कला, सिखा जाओ।
प्रार्थना को सफल बनाओ।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 03 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.9/10

Sunday, February 2, 2025

#H368 अंगूठे की व्यथा (Thumb 👍 soreness)

#H368
अंगूठे की व्यथा (Thumb 👍 soreness)

अंगूठा परेशान है
आजकल हैरान है।
अपनी छाप खो रहा है।
खुद को थका
महसूस कर रहा है।

सुबह से चलने लगता है।
दिन भर चलता रहता है
शाम को भी न रुकता है।
देर रात तक चलता है
सोने के बाद
रात में उठने पर भी चलता है।

गर्दन में जकड़न कराता है।
पीठ दर्द भी कराता है।
आंखों को थका जाता है।
साथ-साथ बैठे लोगों में
बात कम करावा रहा है।
क्योंकि दोनों का अंगूठा चल रहा है।

पहले कलम पकड़ने में,
तिलक लगाने में,
इंक पैड पर चलता था।
या कुछ दबाने में आता था।

आज तो बस सरकता है।
फिसल - फिसल अपनी
छाप छोड़ रहा है।
आधार सत्यापन में विफल हो रहा है।
उपस्थिति पंजीकरण में भी हार रहा है।
अनुपस्थिति दर्ज करा जाता है।
अंगूठा तड़प रहा है।
अपनी व्यथा बता रहा है।
दर्द से कराह रहा है।
आंखों से गुहार लगा रहा है।
कम देखा करो, चश्मा चढ़ जाएगा ।
मैं हुआ बेकार तो लिखना, फिसलना ।
सत्यापन सब रुक जाएगा।
एकलव्य की याद दिला रहा है।
आजकल अंगूठा, अंगूठा दिखा रहा है।
मोबाइल को दोषी बता रहा है।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 2 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.7/10

Saturday, February 1, 2025

#H367 डायरी ऐसे बनाओ (Maintain a diary like this)

#H367
डायरी ऐसे बनाओ (Maintain a diary like this)

कार्य पंजीयन सेक्शन
के लिए कुछ पृष्ठ निर्धारित करो।
काम की सूची बनाओ
पूरा करने के लिए
दिनांक निर्धारित करो।
जिम्मेदारी निर्धारित करो।
रोज सुबह को जांच करो।

जो पूरा होता जाए
कार्य की स्थिति दर्ज करो।
न पूरा हो, फिर उस पर बात करो।
काम को कभी न भूल पाओ।
अपने काम में छाप छोड़ जाओ।

रोजनामचा सेक्शन अलग रखो।
रोज की गतिविधियां
दिनांक के आधार पर
अलग लिखो।
जरुरत पड़ने पर
व्याख्यान करो।
डायरी ऐसे बनाओ।
औरों को भी सिखाओ।
समय का महत्व समझ जाओ।
अच्छा करते‌ जाओ।
मालिक से डांट खाने से
खुद को बचाओ।
मासिक मूल्यांकन करो।
आगे माह की रणनीति बनाओ।

व्यक्ति सुधार के लिए
अगर चाहो करना खुद में सुधार
हर रोज लिखो, क्या करना है।
क्या किया, कितना हुआ।
आज क्या सही किया ?
आज क्या ग़लत किया ?
और क्या सुधारा जाए ?
विचार करो,
रोज खुद में सुधार करो।
लिखें हुए को छुपाकर रखो।
या रोज नष्ट करो।


देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक  01 फरवरी 2025,©
रेटिंग 9.9/10

#H475 7 मासूम (7 Innocents)

#H475 7 मासूम (7 Innocents) पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई, सात मासूमों की जान चली गई। स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई। घरों में घनघोर अंधेरा क...