#H380
ज़ुल्म ऐ मोहब्बत (The Cruelty of Love)
मोहब्बत न संभलेगी ।
मेरे भाई तुमसे।
जब तलक दर्दे जुदाई
न सहेंगे प्रियतम।
रुठती रहेगी माशूक ।
सताती रहेगी लुगाई ।
तुम मनाते रहोगे।
पर वजह
समझ न पाओगे।
हर बार
नई वजह ही पाओगे।
कोशिशें करते रहो।
संसार में सदा से
ऐसी रीति चली आई।
जब तलक आती रहेगी कमाई।
तुम्हें इज्जत मिलती रहेगी,
घर में मेरे भाई।
जब बंद हुई कमाई,
फिर न रहेगा कोई खुश ,
बेटा हो या तेरी लुगाई।
संभल जाओ यारो।
देखकर दूसरों की जग हॅंसाई।
न हो जाए ,
ज़माने में अपनी रुसवाई।
इसीलिए सहे जाते हैं हम
जुल्म ऐ मोहब्बत मेरे भाई।
सितम सहे जा रहे हैं।
उफ्फ भी न करते।
अब भी न संभले, प्रियतम।
क्यों की हमने मोहब्बत ,
बार-बार ,
यह बात दिमाग में आई।
सिमटती सोच के दायरों ने,
खाई बना दी भाई।
हम, हम न रहे अब,
मैं - मैं हो गए मेरे भाई।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 10/10
#H475 7 मासूम (7 Innocents)
#H475 7 मासूम (7 Innocents) पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई, सात मासूमों की जान चली गई। स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई। घरों में घनघोर अंधेरा क...
-
#H054 नया सवेरा (New Dawn) विदाई को अन्त न समझो। यह तो एक नया सवेरा है। जो जोड़ा है, अब तक तुमने, उसमें नया और कुछ जुड़ जाना है। सीख...
-
#H022 गुरु मार्ग (Teachings) समाज में रहे भाईचारा, एकता,सच्चा धर्म, सेवा, मानवता है, मूल सिद्धांत तुम्हारा । धर्मिक सहिष्णुता और बढ़ाओ।...
-
#H115 तेरा कितना हुआ (Increment) "यह कविता वेतन वृद्धि और पदोन्नति की घोषणा के बाद कर्मचारियों में उत्पन्न मानवीय वातावरण को दर्शाती ...