Saturday, February 15, 2025

#H380 ज़ुल्म ऐ मोहब्बत (The Cruelty of Love)

#H380
ज़ुल्म ऐ मोहब्बत (The Cruelty of Love)

मोहब्बत न संभलेगी ।
मेरे भाई तुमसे।
जब तलक दर्दे जुदाई 
न सहेंगे प्रियतम।

रुठती रहेगी माशूक ।
सताती रहेगी लुगाई ।
तुम मनाते रहोगे।
पर वजह
समझ न पाओगे।
हर बार
नई वजह ही पाओगे।
कोशिशें करते रहो।
संसार में ‌सदा से
ऐसी रीति चली आई।

जब तलक आती रहेगी कमाई।
तुम्हें इज्जत मिलती रहेगी,
घर में मेरे भाई।
जब बंद हुई कमाई,
फिर न रहेगा कोई खुश ,
बेटा हो या तेरी लुगाई।

संभल जाओ यारो।
देखकर दूसरों की जग हॅंसाई।
न हो जाए ,
ज़माने में अपनी रुसवाई।
इसीलिए सहे जाते हैं हम
जुल्म ऐ मोहब्बत मेरे भाई।

सितम सहे जा रहे हैं।
उफ्फ भी न करते।
अब भी ‌न संभले, प्रियतम।
क्यों की हमने मोहब्बत ,
बार-बार ,
यह बात दिमाग में आई।

सिमटती सोच के दायरों ने,
खाई बना दी भाई।
हम, हम न रहे अब,
मैं - मैं हो गए मेरे भाई।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 10/10

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