Wednesday, February 12, 2025

#H377 दृष्टि और दृष्टिकोण (Vision and Approach)

#H377
दृष्टि और दृष्टिकोण (Vision and Approach)

नेत्रहीन देख ना पाए ।
सबको समझ में आए।
गिरकर चोट खा जाए।
चलना फिरना दूभर हो जाए।

आलसी सब कुछ देखे ।
पर फिर भी देख ना पाए 
क्षणिक सुख के लिए 
जिंदगी दांव पर गंवाए।
जीवन में बार-बार ठोकर खाए।

सूरदास बस कह सुनकर
अपना जीवन बिताए।
"कवि सूरदास" नेत्रहीन होकर भी
"सूरसागर" महाकाव्य बनाए।

नेत्रहीन, आलसी से‌ 
ज्यादा सम्मान पाए।
सोच अगर सच्ची हो ।
तो अक्षमता आड़े न आए।
कवि "नासमझ" को 
ऐसा ही समझ आए।

देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.7/10 

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