#H385
खामोशी की आवाज (The Sound of Silence)
सदा से दीवारें
सुनती आयीं हैं हर बात ।
खामोशी भी बोलती है, जज़्बात।
लफ्ज़ खामोश हो जाते हैं।
जब लोग बन जाते हैं बहरे।
अक्सर लोग बन जाते हैंं, अंधे
जब आती है
किसी और के हक की बात।
किसी की नहीं पचा पाते हैं, खुशहाली
तरक्की पर नजर लगाते हैं।
शुभचिंतक बन करते हैं, हर बात
सदा रखते हैं, झूठे जज़्बात।
ऐसों से न कहो,
अपने दिल की बात।
छलनी कर देंगे, तेरे जज़्बात।
केवल मायने रखती है इनको
इनके फायदे, दर्द और जज्बात।
भाड़ में जाए समाज, जनता,
और देश की बात।
"दीवारों के भी कान होते हैं "
भूल जाते हैं ये बात।
फिजाएं भी बोलती हैं हर बात।
कहाॅं छिपी है आज तक
फरेब और धोके की बात।
देर भले ही हो जाए।
समय सामने लाता है हर बात।
केवल रखो, सच को अपने साथ।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 फरवरी 2025, ©
रेटिंग 9.5/10
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