Sunday, December 29, 2024

#H338 सर्दी (Winter)

#H338
सर्दी (Winter)

हर साल जब सर्दी आए।
लोगों की शामत लाए।
पानी में हाथ डालने से ,
हर दूसरा भाई घबराए।

जब बिजली न आए।
तब कैसे कोई नहाये।
ठंडे पानी से दाढ़ी कैसे बनाऐ ।
हमको समझ न आए।
ठण्डी बढ़ती जाए।

ऐसे में गैस चूल्हे पर
पानी गर्म करवाए।
पर पानी कम ही पड़ जाए।
ठंडे पानी से ही नहाकर बाहर आए।
सर्दी में बहुत समझौते करते आए।

जब कोई न नहा पाए।
बालों में तेल लगाए।
फिर बालों में पानी डाल,
नहाया हुआ जैसा दिखलाए।
यह बात खुद से भूली न जाए।

बिस्तर के बाहर आने से
लोगों का मन घबराए।
रोजमर्रा के काम भी
ढंग से न कर पाए।
सर्दी हावी होती जाए।
मन से आवाज आए।
जल्दी से सर्दी जाए।

सर्दी कुछ अच्छा भी लाए।
पाचन शक्ति बढ़ाए।
सर्दी में कुछ भी खाओ।
अच्छे से सब पच जाए।
शरीर में शक्ति बढ़ जाए।

सर्दी कोहरा भी लाए।
आवागमन को मुश्किल कराए।

किसान खेत में
रात में पानी देने जाए।
सैनिक सीमा पर
सुरक्षा में हर वक्त रहे।
गरीब ठंड में ठिठुरते हुए,
अपना जीवन जीता जाए।
हम सर्दी से घर में घबराए।
कैसे कोई इनका संघर्ष समझाए।
कैसे कोई इनका पूरा मूल्य लगाए।

कोई कैसे सर्दी में  गुजर - बसर पाए।
विषम मौसम में केवल ही जज्बा बचाए।


देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 29 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9.8/10

Friday, December 27, 2024

#H337 मौन सुधारक (Silent Reformer)

#H337
मौन सुधारक (Silent Reformer)

"मौन" आज याद आए।

बंटवारे से निकल कर
श्रेष्ठ अर्थशास्त्री बने।
रिजर्व बैंक गवर्नर बने।
देश में कई सुधार किए।

उदारीकरण कर वो छाए।
देश को आर्थिक मंदी से बचाए।

लाइसेंस राज समाप्त किए।
देश में विकास गति दिए।

मनमोहन "मौन" रहकर भी
हमें बहुत कुछ सिखाए ।

गरीबों को मनरेगा बनाए।
रोजगार का भरोसा जगाए।

आम जन को "सूचना का
अधिकार" प्रदान किए।
जनता के हाथों मजबूती दिए।

बेदाग दो टर्म प्रधानमंत्री के
खामोशी से पूरे किए।

आज हम मौन को याद किए।

फूड सिक्योरिटी एक्ट दिए।
अनाज की सुरक्षा का इंतजाम किए।

असैनिक परमाणु समझौता किए।
देश की उर्जा हितों को संवार दिए।

देश से पद्मविभूषण प्राप्त किए।
श्रेष्ठ वित्तमंत्री का खिताब हासिल किए।
दुनिया में पहचान बना गए।

डाक्टर साहब कल
दुनिया से चले गए।
खामोशी रहकर
सुधार करना सिखा गए।
एक आदर्श बना गए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 27 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9.5/10

Thursday, December 26, 2024

#H336 कंधे (Shoulders)

#H336
कंधे (Shoulders)

बच्चा जब मेला घूमने जाए।
तब थक कर।
बाप के कंधों पर चढ़ जाए।
यह सोच मुझे ,
बचपन की याद दिलाए।

कंधों पर हर बच्चा ,
अपना स्कूल बैग उठाए।
सैनिक देश की रक्षा में ,
कंधों पर बंदूक उठाए।

कंधों पर बोझा ढोया जाए।
ऊॅंचे कंधे ताकत  बतलाए।
झुके कंधे कमजोरी जताए।
जिम्मेदारी भी कंधे झुकाए।

जीवन की अंतिम यात्रा भी
चार कंधों पर ही जाए।
अंत समय में ओरों के
कंधे ही काम आए।

कंधों से जब कंधा मिल जाए।
हर मुश्किल को दूर भगाए।
धूर्त सदा दूसरे का कंधा ढूंढे,
जिस पर रखकर बंदूक चलाए।
मासूमों पर इल्जाम लगाए।
खुद बचकर निकल जाए।

ऐसे साथियों से भगवान बचाए।
कंधे घर का पूरा भार उठाए।
मान न मिले घर में
तो खुद व खुद कंधे झुक जाएं।

देश की प्रगति की जिम्मेदारी
युवाओं के कंधों पर ही आए।
जो देश को आगे ले जाए।
मजबूत कंधों से दुनिया चल पाए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 26 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9.5/10

Wednesday, December 25, 2024

#H335 नारे, जो नहीं हैं हमारे (Slogans)

#H335
नारे, जो नहीं हैं हमारे (Slogan)

हिन्दुस्तान की कसम
जब तक नोट से
वोट मिलते रहेंगे
हम लुटते रहेंगे,
सरेआम पिस्ते रहेंगे
मौकापरस्त नेता हमें
नैतिकता दिखाकर ठगते रहेंगे।

"भारत जोड़ो यात्रा।"
पार्टी जोड़ो यात्रा ज्यादा है ।
वरना देश के कौन से टुकड़े को
जोड़ने के लिए यात्रा की है।
जो तोड़ा था वो तो जुड़ने से रहा।
वरना आज देश कहां बंटा हुआ है ?
लोगों को नासमझ मानते रहेंगे।

"संविधान बचाओ।"किस्से?।
जनता से, नेताओं से, पूंजीपतियों से।
एक सौ बीस से ज्यादा बार
पहले ही बदला गया है ।
बदलाव सामान्य प्रक्रिया है।
पर हम तो लोगों को भटकाते रहेंगे।

"बंटेंगे तो कटेंगे",
कहने से अपने को वोट मिलेंगे
हिन्दू हो जाओ, मुस्लिम।
बस वोट तो मिल के रहेंगे।
हम भी कहते रहेंगे।

"एक हैं तो सेफ हैं।"
डर से भी वोट मिलेंगे ।
जातियों में क्यों बंटते हो।
एकजुट होकर वोट दो।
हम ऐसी कोशिश करते रहेंगे।

"देश संविधान से चलता है।"
वक्तव्य मेरा होना चाहिए।
दिखाते हैं नेता।
इसको तोड़ा, मरोड़ा और कुचला
पर संविधान हाथ में लहराएंगे।
वोट पाने तक ऐसा करते रहेंगे ।

"हम सब एक हैं।"
कहते हैं नेता।
ऐसी आवाज देते रहेंगे।
जनता अपनी जानें।
जनहित में चेतावनी,
नासमझ तो देते रहेंगे।

"आम आदमी वोट मिलने तक मेरा है।"
बाकी समय सब जनता है ।
नेता ऐसा करते रहे हैं।
नागरिक अपनी जान,
माल, सुरक्षा और मान
का खुद जिम्मेदार है।
हम तो समझाते रहेंगे।

"आम आदमी ख़ास है ।"
जब तक वोट की आस है।
वरना नेता सदा खास रहे है।
कहने के लिए खुद को
"आम आदमी" बताते रहेंगे।


"अल्पसंख्यकों का
देश की सम्पत्ति पर पहला हक है।"
बहुसंख्यक तो बंटे हुए हैं।
वो वोट तो मिलते ही रहेंगे।
इसलिए इन पर नजर गड़ाते रहेंगे।

"दूसरे नंबर का बहुसंख्यक
देश में अल्पसंख्यक है।"
वजह साफ है,
वोट के लिए गलती माफ है।
देश को गुमराह करते रहे हैं
हम तो कहते रहेंगे।

"महात्मा हमारे हैं।"
"अंबेडकर हमारे हैं।"
"सुभाष हमारे हैं ।"
"भगत भी हमारे हैं।"
बहुत से वोट इनके सहारे मिलेंगे
लोगों को हम जताते रहेंगे।

"हिन्दुस्तान में रहने वाला
हर व्यक्ति, हिन्दू है।"
अनुसंधान से ज्यादा
स्वीकार्यता का विषय है।
एकजुट होने का
आवाहन करते रहेंगे।

"भगवान को बचाना है।"
हम नारा लगाते रहेंगे।
इंसान, भगवान को कैसे बचा सकता है।
जब ईश्वर सर्वशक्तिमान है।
फिर भी हम गाते रहेंगे।
वोट के भावुक बनाते रहेंगे।

"गाय माता है"
हम सड़क पर छोड़ते रहेंगे।
सड़क पर कितने आवारा पशुओं से
टक्कर में लोग मरते  रहे हैं।
हम आंकड़ा छुपाते रहेंगे।
वोट के भावुक बनाते रहेंगे।

" सम्मान राशि वितरण".
दूसरी पार्टी की योजना को
रेवड़ी बताते रहेंगे।
टैक्स से मिले रुपये
यों ही बांटते रहेंगे।
वोट के लिए
पैसा बर्बाद करते रहेंगे।

हम तो लोगों से गुहार लगाते रहेंगे।
भावुक न बनो, सोचो समझो।
विकास को चुनो।
तभी समाज, देश को आगे बढ़ा पायेंगे।
हम तो नासमझ बनकर
लोगों यह बताते रहेंगे।
नारे तो नेता देते रहेंगे।
भावुक कर वोट पाने की
कोशिश करते रहेंगे।
विकास का विषय टालते रहेंगे।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 25 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Tuesday, December 24, 2024

#H334 मानसिक बधिर (Mentally deaf)

#H334
मानसिक बधिर (Mentally deaf)

प्रशासन जब बधिर हो जाए ।
उसको कुछ सुनाई ना दे ।
बस अपनी बोले जाए ।
अपने ही मन की करवाए।
गलत हो जाने की ,
जिम्मेदारी लेने से ,
सदा पीछे हठ जाए।
जनता फिर ,
बहुत परेशान हो जाए।

जिसमें क्षमता ना हो सुनने की,
उसकी कमजोरी तो समझ आए।
जब कोई सुन सकता हो ।
फिर भी अपनी ही रट लगाए।
फिर मेरा मन भी उसको
मानसिक बधिर कहलाए।
यह आवाज मेरे दिल से आए।

अब जो जैसा हो रहा है ।
होने दो उसको ,
अब हमसे भी कुछ ना पाए।
जब बहरा अपनी ही ,
रट हर वक्त लगाए।
कोई समाधान न सुझाए।
सुझाया हल भी समझ न पाए।

कोई जाए और उसको समझाए।
समस्या संयम से ही होती है हल।
हड़-बड़ी में कुछ हाथ न आए।
वरना बनता काम बिगड़ जाए।
टीम वर्क से ही  कुछ हो पाए।
जिसके पास न हो अधिकार
वो अपना अधिकार कैसे लगाए।
ये मानसिक बधिर न समझ पाए।

ऐसे माहौल से जनता भी 
मानसिक बधिर बन जाए।
अपने कर्तव्य न निभाए।
पर हक पाने को शोर मचाए।

बच्चे भी मोबाइल ,
इस्तेमाल करते करते ।
मानसिक बधिर हो जाएं।
घरवाले आवाज लगाएं
सुनकर भी अनदेखा कर जाएं।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 24 दिसम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10

Monday, December 23, 2024

#H333 इतिहास बदलता नहीं (History doesn't change)

#H333
इतिहास बदलता नहीं (History doesn't change)

कहाॅं तुम पैदा हुए हो ?
क्या बदल पाओगे ?
ऐसा होता तो वैसा होता ।
रईस के घर में पैदा होता।
आज राजशी ठाठ-बाट होता ।
यह मिथ्या संसार है।
यह एक घटिया विचार है।

जहाॅं खड़े हो, जहाॅं जन्में हो।
वो तेरा संसार है।
सनातन से बौद्ध, इस्लाम, क्रिस्चियन ,
लोग अपनाते आए।
जो, जैसा भी है
वही उसका संसार है।
उसका व्यवहार है।
यहाॅं से आगे जाना ही,
तेरा कर्तव्य और‌ अधिकार है।
बाकी सब मिथ्या विचार है।

इतिहास कभी बदलता नहीं है।
सदा लिखा जाता है।
युवाओं के हाथ नया आयाम,
रचकर बनाया जाता है।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 23 दिसम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10





Saturday, December 21, 2024

#H332 सांड (Bull)

#H332
सांड (Bull)

मस्त चाल से चलता जाए।
कहां खड़ा हो जाए
कहां चलता जाए
कहां घुस जाए
कहां गोबर कर जाए
कहां अड़ जाए
कब लड़ जाए
कब किसी को दौड़ाए
कब सींग हिलाए।
किसी को पता नहीं।
डर का अहसास कराए
लाल दिखे तो पीछे पड़ जाए
गाय के वंश से आए
किसी के काम न आए
सड़क पर घूमता मिल जाए।
फसलों में घुस जाए।
नुकसान बहुत करवाए।

हर साल हजारों को
चोटिल करवाए
कभी कभी मरने कारण बन जाए।
सरकार को
बिलकुल नजर न आए।

आज आदमी भी
सांड सा होता जाए।
अपनी मर्जी से जीवन जीता जाए।
औरों ख्याल न उसको आए।
पशु को तो समझ न आए।
सत्ता, शक्ति से
इंसान सांड बनता जाए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10

Friday, December 20, 2024

#H331 धरना (Strike)

#H331
धरना  (Strike)

आज के मौकापरस्त नेता
अक्सर धरने पर बैठ जाते हैं।
असली वजह नहीं बताते हैं।
बस अपना नारा लगवाते हैं।
खुद की छवि को चमकाते हैं।

तख्तियां बनवाते हैं ।
लोगों के हाथ में थमाते हैं।
पैसे देकर भीड़ जुटाते हैं।
जगह-जगह पर बैनर लगवाते हैं।
बैग पर नारे छपवाते हैं।
कपड़ों पर लिखवाते हैं।

सड़क पर बैठ जाते हैं
रेल को बाधित कर देते हैं।
जनमानस की नहीं सोचते हैं।
बस अपना मकसद
हासिल करने को
धरने को बदनाम कर जाते हैं।

धरने में गाड़ियां जलाते हैं।
दंगें भी करवाते हैं।
जनमानस की जान,
खतरे में डालते हैं।
लोग अपनी जान भी गंवाते हैं।
ज़ख्मी भी हो जाते हैं।
देश की परिसम्पतियों को जलाते हैं।
खुद को बड़ा
देश का हितैषी बताते हैं।

गांधीजी ने बहुत धरने किए
स्वतंत्रता हासिल करने को
लाठी खायीं, जेल भी गए ।
मकसद को सदा आगे रखा।
सीख सभी को दे गए ।
देश के लिए सब एक हो जाओ।

धरने को हथियार बनाओ।
अपनी आवाज
पहुंचाने का माध्यम बनाओ।
पर ध्यान रखो।
धरना हिंसक न हो।
धरने को व्यवसाय न बनाओ।
धरने से विश्वास न डिगाओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10

Wednesday, December 18, 2024

#H330 जरिया (Means)

#H330
जरिया (Means)

धन्यवाद बाद जताओ।
तिनके को भी न भूलो।
जिसने तुम्हें बचाया हो।
आगे बढ़ाने का जरिया बन,
तेरा तुझे मूल्य दिलाया।

कभी-कभी अंजाना होता ।
कभी अकड़ू भी मिलता ।
कोई दोस्त भी होता।
कभी अपना होता ।
कभी-कभी पड़ोसी होता ।
कभी-कभी साथी होता ।
तुम्हें आगे बढ़ाने का मौका देता ।
तेरा तुझे मूल्य दिलाता।
कोई चाहत न रखता
तब ही जरिया बनता।

कभी-कभी तेरा रिश्तेदार भी ,
पीछे हट जाता ।
मौका नहीं बताता।
मन में खटास जगाता।
तुम जरिया बन जाओ।
ऐसी तुमसे आस लगाता।

जिसने तेरा साथ निभाया ।
हाथ पकड़ कर आगे लाया ।
उसका धन्यवाद जताओ ।
मौका पड़े कुछ करने का,
तो कभी पीछे न जाओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 18 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10

Tuesday, December 17, 2024

#H329 लेट्स ट्राई (Let's Try)

#H329
लेट्स ट्राई (Let's Try)

लेट्स  ट्राई ,
दूर क्यों खड़े हो भाई
यह नहीं है कोई
मधुमक्खी का छत्ता।
जो छिड़ जाएगी।
घबराओ मत भाई।
लेट्स ट्राई।

नई प्रोसेस ही है यह
नहीं कोई कुत्ता
जो पीछे पड़ जायेगा।
कुछ सीखने को मिलेगा।
या होगा या रह जायेगा।
अनुभव भी हासिल हो जायेगा।
सदा कहो, लेट्स ट्राई।



कुछ भी नया ट्राई करो
देखो, खाओ, पहनो,
बोलो, मिलो,
परिणाम से न घबराओ
बस ट्राई करते जाओ।
वस पाॅजिटीव ही अपनाओ।
पाॅजिटीव लोगों  में रहो।
कहते जाओ, लेट्स ट्राई।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 17 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8/10

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कोशिश करो

कोशिश करने से न करो लड़ाई।
दूर क्यों खड़े हो भाई
यह नहीं है कोई
मधुमक्खी का छत्ता।
जो छिड़ जाएगी।
घबराओ मत भाई।
कोशिश करने से न करो लड़ाई।

नया काम ही है यह
नहीं कोई कुत्ता
जो पीछे पड़ जायेगा।
कुछ सीखने को मिलेगा।
या होगा या रह जायेगा।
अनुभव भी हासिल हो जायेगा।
सदा कहो,
कोशिश करने से न करो लड़ाई।



कुछ भी नया करने की कोशिश करो, भाई
देखो, खाओ, पहनो,
बोलो, मिलो,
परिणाम से न घबराओ
बस कोशिश करते जाओ।
वस सकारात्मक विचारों को ही अपनाओ।
सकारात्मक लोगों में रहो।
कहते जाओ,
कोशिश करने से न घबराओ भाई





Monday, December 16, 2024

#H328 पीड़ा (Pain)

#H328
पीड़ा "Pain"

दर्द से कोई कराहे
जब चोट लग जाए।
कट जाए, टूट जाए
अकड़न हो जाए।
या फिर शरीर के अन्दर
कुछ गड़बड़ हो जाए।
दवा खाकर, सर्जरी से
इलाज हो जाए।
दर्द से मुक्ति मिल जाए।

जब संस्कार न आए
बच्चों में, अपनों में
बच्चे झगड़ालू बन जाएं
गाली देने से न कतराएं
जिद्दी बन जाएं
घर में चीखें, और चिल्लाएं।
फिर देखा न जाए।
चुपचाप ही रहा जाए।

ऐसे में जो दर्द उठे सीने में
उसे सहा न जाए,
किसी से कहा न जाए।
कैसे कोई इस मानसिक पीड़ा
का इलाज कराए
कहां हुई गलती परवरिश में
कोई कैसे पता लगाए।
हमें समझ न आए ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 16 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Sunday, December 15, 2024

#H327 समझ (Understanding)

#H327
समझ (Understanding)

मैं जब छोटा बच्चा था
पापा को सुपरमैन समझता था
ज्यों ज्यों बड़ा हुआ मैं
फिर मुझको ऐसा लगता था
इनको तो कुछ ना आता
इससे तो ऐसा करना अच्छा था
वैसा करना अच्छा था।
हर बात पर भड़क दिखाता था।

अब मैं बड़ा हो गया
बच्चों का बाप हो गया
मेरे आगे समस्याओं का
पहाड़ खड़ा हो गया
कैसे इन्हें संभालूं
समझ से परे हो गया

पढ़ाई, घर के खर्चे
हारी बीमारी में साथ निभाना
रिश्तेदारी निभाना।
कम पैसों में घर चलाना
मम्मी को बहलाना
अपनी बात समझाना
मिलकर त्योहार मनाना

हर साल रिश्तेदारों के
घर मिलने जाना
नाना नानी फूफा बुआ
के घर हर साल जाना
यह सब पापा कैसे करते थे
अब मुझको समझ आ गया
अब फिर से लगता है
उनको सब आता था, आता है।
बस मैं ही नासमझ था
क्योंकि मैं बच्चा था।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 15 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Saturday, December 14, 2024

#H326 शोर (Noise)

#H326
शोर (Noise)

हर तरफ शोर है
डीजे का शोर
टीवी का शोर
मोबाइल का शोर
रील का जोर है
बस शोर ही शोर है

बच्चों का शोर
बीबी का शोर
चुनाव का शोर
धर्म का शोर
दिमाग में भी शोर है

मन के अंदर शोर है
शोर से हो रहा
आदमी कमजोर है।
भावुक हो रहा है
दृढ़ता खो रहा है
श्रवण शक्ति खो रहा है।
शोर से बैचेन हो रहा है।
यहां शोर ही शोर है।

मधुर संगीत कहाॅं खो गया।
सुरीलापन सपना हो गया।
भजन कीर्तन सब खो गये
समर्पण का भाव अब न रहा
अब तो बस रह गया।
मैं ही मैं हो गया है।
चारों ओर
शोर ही शोर छा गया है।

संगीत को अपनाओ
समर्पण को जगाओ
अपने अन्दर से
मैं - मैं के शोर को भगाओ।
शांत रखो मन, शांत हो जाओ।
शोर से मुक्ति पा जाओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 14 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9.5/10

Friday, December 13, 2024

#H325 धूप (Sunlight)

#H325
धूप (Sunlight)

धूप क्या होती है
धूप रोशनी होती है
धूप शक्ति होती है

धूप कैसी होती है
धूप गर्मी होती है

धूप कब आती है
धूप सुबह को आती है
धूप दिन में रहती है

धूप कहां से आती है
धूप सूरज से आती है

धूप कहां को जाती है
धूप कण-कण में समाती है

धूप कब जाती है
धूप शाम को जाती है
धूप बादलों में छुप जाती है

धूप क्या बनाती है
धूप जीवन लाती है
धूप पेड़ पौधे बढ़ाती है
धूप फसलों को पकाती है
धूप सबको सुखाती है

धूप हमको क्या सिखाती है
धूप कण-कण में समाती है
कण-कण को सब कुछ दे जाती है
धूप खुद मिट जाती है
धूप हमको यह सिखाती है

धूप हमको क्यों भाती है
धूप हमको ऊर्जा दे जाती है
धूप लोगों के मन को हर्षाती है

धूप हमको पछताने का भी
मौका क्यों नहीं देती है
धूप न लेने वालों की
हड्डियां गलती जाती हैं
धूप न लेने की आदत
जीवन को मुश्किल बनाती है।

धूप कब धीमी हो जाती है
दोपहर बाद में धीमी हो जाती है
शाम को गायब हो जाती है

धूप कब हमको झुलसाती है
गर्मियों में धूप हमको झुलसाती है
लू लगने का कारण भी बन जाती हैं

धूप बिना हड्डियां क्यों
कमजोर होती जाती है
डी3 ने मिलने कमजोर हो जाती है।
धूप विटामिन डी3 का
असीमित श्रोत होती है।

धूप सूरज का आशीर्वाद
बन आती है।
प्रकृति को जिंदा होने का
एहसास कराती है

धूप का सेवन करते जाओ
बल बुद्धि को पाते जाओ।
जीवन में हर मंजिल पाओ।
खुशी से धूप का धन्यवाद बताओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 13 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Thursday, December 12, 2024

#H324 हनन (Violations)

#H324
हनन (Violations)

हर मात पिता सिखाए।
एक मानव है,
एक मूल्य है, एक धरा है।
एक जैसा सबका अधिकार होता।
फिर शोषण को कौन सिखाए ?
हमें समझ न आए।
न हो किसी का हनन
यह उद्देश्य हमारा है।

फिर क्यों हर कोई दूर खड़ा है।
मानव को डसने वाला मानव ही है।
बम चलाए, गोला बारूद जलाए।
घर तोड़े, शहरों को नष्ट करे
फिर बोले
सबको समान अधिकार मिले ।
यह उद्देश्य हमारा है।

हर किसी को मान मिले
सम्मान मिले
कोई न बंचित हो
न कोई शोषित हो।
यह सोच हमारा है।
यह उद्देश्य हमारा है।

मानव ने संगठन बनाए
ताकि शोषण से बचाया जाए।
यह हनन की रिपोर्ट बनाए।
यातना, भेद-भाव, युद्ध अपराध
दुनिया को बताए।
युद्ध बंदियों को बचाए।
शिक्षा का अधिकार दिलाए।
कानूनी हक दिलवाए।
आपदा में सहायता जुटाए।
बंदिशें भी लगवाए।


राजनीतिक हस्तक्षेप से
मान इसका घटता जाए।
धन की कमी से
काम न कर पाए।
शोषित करने वाले
सहायता देने की बात दोहराए।
मानव, मानव से ही
सबसे ज्यादा डसा जाए।
सांप तो व्यर्थ में बदनाम हो जाए।

चुनिंदा जगह पर शोर मचाए।
वरना मूकदर्शक बन समय बिताए।
मानवाधिकार संगठन संदेह आ जाए।
सबको मिलकर चाहिए ।
संगठन को ऐसी बीमारी से बचाए।
पारदर्शिता और
सशक्त भागीदारी बढ़ाई जाए।
तभी इसका मान रह पाए।
ताकि  उद्देश्य पूरा कर पाए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10

Wednesday, December 11, 2024

#H323 सर्दी में हम क्या सब्जी खाएं (what vegetables should we eat in winter)

#H323
सर्दी में हम क्या सब्जी खाएं (what vegetables should we eat in winter)

आलू मटर बनाएं
या फिर आलू गाजर मटर खाएं

पालक का साग बनाएं
या फिर सरसों का साग खाएं
साथ में मक्के की रोटी बनवाएं
गुड़ की एक डली भी चटकर जाएं।

आलू बींस बनाएं
या पालक पनीर खाएं
आलू मेथी की सब्जी बनवाएं
या फिर पका हुआ ही पेठा खाएं
साथ में पूरी भी बनवाएं।

आलू गोभी बनाएं
या  मिक्स वेज से काम चलाएं।
बथुआ लेकर आएं
पूड़ी या परांठा बनवाएं
सर्दी को‌ दूर भगाएं।

हरी सब्जियां जब थाली में आएं
तब चट कर जाएं।
कोई सब्जी रह गयी हो तो
हमें बताएं।
कविता को आगे बढ़वाएं।

मूली का सलाद लगाएं
गाजर, शलगम और चुकंदर से
सलाद की सुंदरता को और बढ़ाएं।
साथ में नींबू जरूर लगाएं।

खाने का हरी सब्जियों के सूप से
शुरुआत कराएं।
पालक सूप, ब्रोकली सूप,
मिक्स वेजिटेबल सूप,
मटर सूप, धनिया नींबू सूप
मैथी सूप,......को बनाएं।

सर्दी में सर्दी की ही सब्जियां खाएं।
अपनी सेहत को बनाएं।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 11 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Tuesday, December 10, 2024

#H322 मेरी सास, तेरी की सास (My mother in law, your mother in law)

#H322
मेरी सास, तेरी की सास (My mother in law, your mother in law)

तेरी सास, मेरी सास
तेरी माॅं, मेरी सास
मेरी माॅं, तेरी सास।
सब की सास होती है खास।
फिर तुम क्यों हो उदास।

ससुराल तुम जाते हो
तो हो जाते खास
रखती ख्याल खास
मेरी माॅं जो है तेरी सास।

स्वेटर बुनकर देती
तुम पहनोगे
रखती है आस।
बेटा बन तुम न देते साथ
आस लगाए तेरी सास
मेरी माॅं जो है तेरी सास।

मैं रहती तेरे पास।
साथ में है
तेरी माॅं, मेरी सास।
काम करूं मैं दिन रात।
फूल जाए मेरी सांस।
पर फिर भी रहती है
नाखुश मेरी सास।
बेटी सबकी रहती खास

सास क्यों न रख पाती
बहू से खुश होने की आस।
बहू भी बनती एक दिन सास

अपनी सास में माॅं न ढूंढों
पछताओगी, बेटी न बन पाओगी
सास रखती है कुछ आस।
दोस्त बना लो अपनी सास
जीवन में बनी रहेगी
कुछ अच्छा होने की आस।

दोस्त अगर बन जाएं सास
सदा रखें अपने पास।
दुख हो या सुख
सदा साथ देती है साथ।
तेरे प्रियतम को भी
सीधा करके से रखती सास।

मत घबराया करो
जब जाना हो,
अपनी सास के पास।
अनुशासन अपनाओ
सास को भी रहती है
अपनी बहू से मिलने की आस।

जब तक है सांस में सांस
साथ रहेगी तेरी सास।
मत तोड़ो सास की आस।
सास की भी होती है
प्यार और सम्मान की आस।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 10 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Monday, December 9, 2024

#H321 चमड़ी (Skin)

#H321
चमड़ी (Skin)

तेरी चमड़ी ही बतलाएगी,
कैसी है फितरत तेरी।
सबके सामने आएगी,
तेरी पहचान बन जाएगी।

जल्दी से घबरा जाना,
जिम्मेदारी न ले पाना।
निर्णय किसी और के
बल पर लेना,
तेरी फितरत बतलाता।
जल्दी ही तेरी पतली चमड़ी
पकड़ी जाएगी,
डरपोक घोषित करवाएगी।

कोई कुछ भी कह जाए,
पर जब कोई अपनी चाल में
बदलाव न लाए।
हाथी की तरह चलता जाए,
तब चमड़ी मोटी ही
समझी जाएगी,
गैर-जिम्मेदार बतलाई जाएगी।

न पतली से जीवन चल पाए,
न मोटी लोगों को भाए।
जो संतुलन बना पाए,
वही चमड़ी सभी को मन भाए।

घबराना तो बचपन दर्शाता है,
परिपक्व चरित्र शांत बनाता है।
जब ऐसा न हो पाए,
तब कोई तुझे समझदार न बताए।

काली, गोरी, भूरी से
कोई अंतर न आए।
सूखी हो या तैलीय,
कोई फर्क न ला पाए।

जिसकी जैसी प्रतिक्रिया,
लोगों को वैसी ही समझ आएगी।
चमड़ी तेरी पोल खोल जाएगी।
तुम्हें मन्दबुद्धि या 
अतिसंवेदनशील बतलाएगी।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 09 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10

Sunday, December 8, 2024

#H320 कागज (Paper)

#H320
कागज (Paper)

चिठ्ठी संदेशा पहुंचाए
पुस्तक ज्ञान संजोए
जनमानस में ज्ञान बढ़ाए।
पाठक अन्दर से जगमग हो जाए।

कार्यपुस्तिका हिसाब रखे
समाचार पत्र खबरें लाए
सरकारी आदेश समझाए
प्रेमपत्र दिल की बात बताए

विवाह पत्रिका आयोजन बताए।
जन्मपत्री जीवन की चाल छुपाए ।
निमंत्रण पत्र मेहमान बुलाए।
शोकपत्र आंखों में आंसू लाए।

अभिलेखों में जानकारी रखी जाए।
सही ग़लत का फैसला कराए।
परीक्षा पत्र प्रशन बताए
प्रमाण पत्र साक्ष्य बन जाए
डिब्बा बन सामान संभाले
एक जगह से दूसरी तक जाए।
यह सब कागज से हो पाए।

पेड़ों को काट बनाया जाए
उपयोग जंगल कटवाए ।
पर्यावरण प्रभावित होता जाए
स्वच्छ हवा घटती जाए।

न बरती सावधानी तो
हाथ में कट लग जाए
आसानी से फट जाए
इसके फटने पर आवाज आए
नमी में गल जाए
जल्दी से जल जाए
राख बन हवा में उड़ जाए ।

खपत कम करने की
हर संभव कोशिश की जाए।
रिसाइक्लिंग ध्यान दिया जाए
तभी भविष्य के लिए
सांसों को बचाया जाए।

डिजिटल को बढ़ाया जाए
संदेश के लिए ई-मेल चैट अपनाएं
दस्तावेजों को डिजिटल बनाया जाए।
पासवर्ड से सुरक्षा और बढ़ाई जाए।

यह डिजिटल होता जाए।
पर भविष्य में भी समझौता
सदा कागज पर ही आए।
ताजे कागज की खुशबू
मन से न जाए।
कोरा कागज मन हर्षाए।
कोरे कागज पर लिखने की
अलग ही अनुभूति आए।

कागज की कश्ती, फिरकी,
हवाई जहाज भी याद आए।
जो हमें बचपन में ले जाए।
कागज की पतंग भूली न जाए।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 08 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Friday, December 6, 2024

#H319 तेल का खेल (Game of Oil)

#H319
तेल का खेल (Game of Oil)

सर्दी का मौसम आता,
शरीर शुष्क हो जाता।
अब शरीर तेल मांगता,
जब तेल लगाया जाता।
शरीर को फिर से चमकाता,
खुश्की दूर भगाता।
तन-मन अच्छा हो जाता।
इसलिए सर्दी में लोगों द्वारा
शरीर पर तेल लगाया जाता।

कुछ लोग हर मौसम में
तेल लगाते।
हम आगे बताते,
लोग कैसे लगाते,
किसे लगाते।
हम तेल नहीं लगाते।

हम ही तेल नहीं लगाते,
इस जहां में
यहां लोगों ने दरिया बहा रखा है,
लोगों को सरेआम डुबो रखा है।

खुद को भी
तेल में डुबो रखा है।
क्या मजाल किसी की,
जो फंसा पाए इनको,
फिसलने का पूरा
इंतजाम कर रखा है।

काम को मना न करने का
उसूल बना रखा है।
जुबान पर शहद लगा रखा है।
दूसरे के काम का श्रेय
लेने का जाल बिछा रखा है।
अपने साहब को पटा रखा है।
सुबह-शाम काम का जिक्र
करने का प्रोग्राम बिठा रखा है।

साहब से पेठ बन गई है,
इस खुशफहमी में तरकीबों का
जाल बना रखा है।
काम छोड़कर दफ्तर को
दरबार बना रखा है।
खुद को दरबान बना रखा है।
तेल को हथियार बना रखा है।
तेल को ढाल बना रखा है।
तेल से माहौल बिगाड़ रखा है।

सब यों ही तेल नहीं लगाते,
तेल को बहुत फायदेमंद बताते।
शरीर पर लगे तो काया बनाते,
वरना सरेआम साहब पटाते।
तेल से मेल कराते,
तेल से सरपट रेल चलाते।
हम सब बचपन से सुन आते।
लोग तेल का खेल यों चलाते।
आज के समय में, 
ऐसे लोग स्मार्ट समझे जाते।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 6 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9.5/10

Thursday, December 5, 2024

#H318 एक वतन, एक इंसान (One Nation, One National)

#H318
एक वतन, एक इंसान (One Nation, One National)

मस्जिद खोदो,
मंदिर खोदो,
यहां पर खोदो,
वहां पर खोदो।

अपने धर्म को खोदो,
जाति को खोदो,
समय निकालो,
ज़रा खुद को भी खोदो।

क्या निकलेगा,
ज़रा यह सोचो।
एक अंश है,
एक वंश है।
एक परम है,
फिर क्यों खड़ा किया है
कैसा यह दंश है।
बस इंसान को न खोदो।
जहां जो गड़ा है, रहने दो।
बस समय निकालो,
खुद को खोदो।

बस अपना इंसान
धूमिल न होने दो।
एक वतन, एक रक्त,
धर्म-जाति को रहने दो।
घर से बाहर न आने दो।
जीवन को सुहाना बनने दो।
नेताओं को जाने दो।

एक बार धर्म खोदकर
बंटवारा कर डाला।
लोगों को बेघर कर डाला।
पंजाब को भी
अलग राह न चुनने दो।
अब न देश को खुदने दो।
धर्म और राजनीति को
अलग-अलग ही रहने दो।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 05 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10

Wednesday, December 4, 2024

#H317 भौंकना (Barking)

#H317
भौंकना (Barking)

भौंकना, दुम हिलाना
जीभ लपलपाना
पिटकर  वापस आना
सदा वफादारी निभाना

आपस में मिलजुल कर रहते
दूसरी गली वालों पर
एक साथ गुर्राना।
अपना क्षेत्र जताना।

अनजाने को काट खाना।
इंजेक्शन चौदह लगवाना ।
सब कुत्ते के गुण होते
चाहे हो पालतू या आवारा।
जरुरी है भौंकना आना।
वरना नकली कहलाना।

बदलाव हुआ है बहुत
मुश्किल है इंसान में
सारे गुण आना।
जीभ लपलपाना,
गाहे-बगाहे भौंकते जाना।
इंसान से वफादारी की
उम्मीद तो भूल जाना।
उसका दांव लगे तो
मालिक को ही काट खाना।
मुश्किल है इंसान को
पूरा कुत्ता बन पाना।

इंसान हो, इंसान बन दिखाओ
वचन पर टिक जाओ।
सबके साथ हाथ बढ़ाओ।
खुद बढ़ो, साथ में आगे बढ़ाओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 04 दिसंबर 2024,©

रेटिंग 9.5/10

Tuesday, December 3, 2024

#H316 ज्योति (Light)

#H316
ज्योति (Light)

कविता "विश्व विकलांगता दिवस" को समर्पित है।

दया भाव मत दिखलाना
इंसान बनकर तुम मिलना
हक पूरा तुम उनको देना
आंखें तो हैं उनकी अपनी
ज्योति उनकी तुम बन जाना

वो बिन आंखों के आगे बढ़ते जायेंगे
सतरंगी आसमान को देखेंगे
पेड़ क्या होते हैं
फूल कैसे दिखते हैं
हाथी कैसा होता है
तुम उनको ना बतलाना
वह खुद जान जाएंगे
ब्रेल लिपि से पड़ जाएंगे।

सूरदास द्वारा
भक्ति रस का ग्रंथ रच जाना
कृष्ण मोह में रम जाना

श्रीकांत को क्यों भूले हम
अपनी ज़िद पर टिक जाना
सफल उद्यमी बन जाना
औरों को मिशाल दे देना।

कमजोर नहीं हो, तुम बतलाना।
बिन आंखों के दुनिया को
मेहनत के दम पर झुका जाना।
अपनी दुनिया रचने देना।

बुरी नजर न डालें किसी पर।
ज्योति वालों को शर्माना।
जो बुरी नजर डालें इधर-उधर
आंखों की ज्योति को कलंक लगाना।

कौन कष्ट को समझें इनके
पल पल इनको लड़ना होता
खाना हो, पीना हो, उठना हो
जाना हो, आना हो।
या पढ़ना लिखना हो
अलग सदा करना होता।

देश में अंग दान बेहद कम होता है।
अंगदान कर जाओ ,
लोगों को जागरूक बनाओ।
"ओरबो वेव" पर पंजीकृत हो जाओ
किसी अपंग का जीवन अच्छा बनाओ।
किसी को आंखों की ज्योति दे जाओ।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 3 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 10/10

Sunday, December 1, 2024

#H315 पत्थर (Stone)

#H315
पत्थर (Stone)

कल तक लोगों ने
मेरे हुनर को जाना ।
हुनरमंद मैं आज भी हूॅं
शायद कोई कद्रदान ना रहा ।
मैं अब  हुनरमंद न रहा।
धूल में छुपा हीरा बन गया।

जिसकी जैसी फितरत रही ।
उसने उसको देखा वैसे
पत्थर पड़ा रहा राह में
कोई रोड़ा समझता रहा
कोई शंकर बना पूजता रहा।

समय बदलेगा जरुर ।
पत्थर भी फिर से हीरा ,
बनकर चमक देगा जरुर।
फिर से हीरा पायेगा अपना गुरुर।

जो टूटा तो गहनों में लगेगा जरूर।
किसी के गले में दमकेगा जरुर।
मेरा हुनर लोगों में महकेगा जरुर।
लोगों की यादों में जिंदा रहेगा जरुर।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 30 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10

#H475 7 मासूम (7 Innocents)

#H475 7 मासूम (7 Innocents) पिपलोदी स्कूल की छत गिर गई, सात मासूमों की जान चली गई। स्कूली प्रार्थना आखरी हो गई। घरों में घनघोर अंधेरा क...