#H332
सांड (Bull)
मस्त चाल से चलता जाए।
कहां खड़ा हो जाए
कहां चलता जाए
कहां घुस जाए
कहां गोबर कर जाए
कहां अड़ जाए
कब लड़ जाए
कब किसी को दौड़ाए
कब सींग हिलाए।
किसी को पता नहीं।
डर का अहसास कराए
लाल दिखे तो पीछे पड़ जाए
गाय के वंश से आए
किसी के काम न आए
सड़क पर घूमता मिल जाए।
फसलों में घुस जाए।
नुकसान बहुत करवाए।
हर साल हजारों को
चोटिल करवाए
कभी कभी मरने कारण बन जाए।
सरकार को
बिलकुल नजर न आए।
आज आदमी भी
सांड सा होता जाए।
अपनी मर्जी से जीवन जीता जाए।
औरों ख्याल न उसको आए।
पशु को तो समझ न आए।
सत्ता, शक्ति से
इंसान सांड बनता जाए।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 21 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 8.5/10
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