मानसिक बधिर (Mentally deaf)
प्रशासन जब बधिर हो जाए ।
उसको कुछ सुनाई ना दे ।
बस अपनी बोले जाए ।
अपने ही मन की करवाए।
गलत हो जाने की ,
जिम्मेदारी लेने से ,
सदा पीछे हठ जाए।
जनता फिर ,
बहुत परेशान हो जाए।
जिसमें क्षमता ना हो सुनने की,
उसकी कमजोरी तो समझ आए।
जब कोई सुन सकता हो ।
फिर भी अपनी ही रट लगाए।
फिर मेरा मन भी उसको
मानसिक बधिर कहलाए।
यह आवाज मेरे दिल से आए।
अब जो जैसा हो रहा है ।
होने दो उसको ,
अब हमसे भी कुछ ना पाए।
जब बहरा अपनी ही ,
रट हर वक्त लगाए।
कोई समाधान न सुझाए।
सुझाया हल भी समझ न पाए।
कोई जाए और उसको समझाए।
समस्या संयम से ही होती है हल।
हड़-बड़ी में कुछ हाथ न आए।
वरना बनता काम बिगड़ जाए।
टीम वर्क से ही कुछ हो पाए।
जिसके पास न हो अधिकार
वो अपना अधिकार कैसे लगाए।
ये मानसिक बधिर न समझ पाए।
ऐसे माहौल से जनता भी
मानसिक बधिर बन जाए।
अपने कर्तव्य न निभाए।
पर हक पाने को शोर मचाए।
इस्तेमाल करते करते ।
मानसिक बधिर हो जाएं।
घरवाले आवाज लगाएं
सुनकर भी अनदेखा कर जाएं।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 24 दिसम्बर 2024,©
रेटिंग 9.5/10