#H315
पत्थर (Stone)
कल तक लोगों ने
मेरे हुनर को जाना ।
हुनरमंद मैं आज भी हूॅं
शायद कोई कद्रदान ना रहा ।
मैं अब हुनरमंद न रहा।
धूल में छुपा हीरा बन गया।
जिसकी जैसी फितरत रही ।
उसने उसको देखा वैसे
पत्थर पड़ा रहा राह में
कोई रोड़ा समझता रहा
कोई शंकर बना पूजता रहा।
समय बदलेगा जरुर ।
पत्थर भी फिर से हीरा ,
बनकर चमक देगा जरुर।
फिर से हीरा पायेगा अपना गुरुर।
जो टूटा तो गहनों में लगेगा जरूर।
किसी के गले में दमकेगा जरुर।
मेरा हुनर लोगों में महकेगा जरुर।
लोगों की यादों में जिंदा रहेगा जरुर।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 30 नवम्बर 2024,©
रेटिंग 9/10
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