#H335
नारे, जो नहीं हैं हमारे (Slogan)
हिन्दुस्तान की कसम
जब तक नोट से
वोट मिलते रहेंगे
हम लुटते रहेंगे,
सरेआम पिस्ते रहेंगे
मौकापरस्त नेता हमें
नैतिकता दिखाकर ठगते रहेंगे।
"भारत जोड़ो यात्रा।"
पार्टी जोड़ो यात्रा ज्यादा है ।
वरना देश के कौन से टुकड़े को
जोड़ने के लिए यात्रा की है।
जो तोड़ा था वो तो जुड़ने से रहा।
वरना आज देश कहां बंटा हुआ है ?
लोगों को नासमझ मानते रहेंगे।
"संविधान बचाओ।"किस्से?।
जनता से, नेताओं से, पूंजीपतियों से।
एक सौ बीस से ज्यादा बार
पहले ही बदला गया है ।
बदलाव सामान्य प्रक्रिया है।
पर हम तो लोगों को भटकाते रहेंगे।
"बंटेंगे तो कटेंगे",
कहने से अपने को वोट मिलेंगे
हिन्दू हो जाओ, मुस्लिम।
बस वोट तो मिल के रहेंगे।
हम भी कहते रहेंगे।
"एक हैं तो सेफ हैं।"
डर से भी वोट मिलेंगे ।
जातियों में क्यों बंटते हो।
एकजुट होकर वोट दो।
हम ऐसी कोशिश करते रहेंगे।
"देश संविधान से चलता है।"
वक्तव्य मेरा होना चाहिए।
दिखाते हैं नेता।
इसको तोड़ा, मरोड़ा और कुचला
पर संविधान हाथ में लहराएंगे।
वोट पाने तक ऐसा करते रहेंगे ।
"हम सब एक हैं।"
कहते हैं नेता।
ऐसी आवाज देते रहेंगे।
जनता अपनी जानें।
जनहित में चेतावनी,
नासमझ तो देते रहेंगे।
"आम आदमी वोट मिलने तक मेरा है।"
बाकी समय सब जनता है ।
नेता ऐसा करते रहे हैं।
नागरिक अपनी जान,
माल, सुरक्षा और मान
का खुद जिम्मेदार है।
हम तो समझाते रहेंगे।
"आम आदमी ख़ास है ।"
जब तक वोट की आस है।
वरना नेता सदा खास रहे है।
कहने के लिए खुद को
"आम आदमी" बताते रहेंगे।
"अल्पसंख्यकों का
देश की सम्पत्ति पर पहला हक है।"
बहुसंख्यक तो बंटे हुए हैं।
वो वोट तो मिलते ही रहेंगे।
इसलिए इन पर नजर गड़ाते रहेंगे।
"दूसरे नंबर का बहुसंख्यक
देश में अल्पसंख्यक है।"
वजह साफ है,
वोट के लिए गलती माफ है।
देश को गुमराह करते रहे हैं
हम तो कहते रहेंगे।
"महात्मा हमारे हैं।"
"अंबेडकर हमारे हैं।"
"सुभाष हमारे हैं ।"
"भगत भी हमारे हैं।"
बहुत से वोट इनके सहारे मिलेंगे
लोगों को हम जताते रहेंगे।
"हिन्दुस्तान में रहने वाला
हर व्यक्ति, हिन्दू है।"
अनुसंधान से ज्यादा
स्वीकार्यता का विषय है।
एकजुट होने का
आवाहन करते रहेंगे।
"भगवान को बचाना है।"
हम नारा लगाते रहेंगे।
इंसान, भगवान को कैसे बचा सकता है।
जब ईश्वर सर्वशक्तिमान है।
फिर भी हम गाते रहेंगे।
वोट के भावुक बनाते रहेंगे।
"गाय माता है"
हम सड़क पर छोड़ते रहेंगे।
सड़क पर कितने आवारा पशुओं से
टक्कर में लोग मरते रहे हैं।
हम आंकड़ा छुपाते रहेंगे।
वोट के भावुक बनाते रहेंगे।
" सम्मान राशि वितरण".
दूसरी पार्टी की योजना को
रेवड़ी बताते रहेंगे।
टैक्स से मिले रुपये
यों ही बांटते रहेंगे।
वोट के लिए
पैसा बर्बाद करते रहेंगे।
हम तो लोगों से गुहार लगाते रहेंगे।
भावुक न बनो, सोचो समझो।
विकास को चुनो।
तभी समाज, देश को आगे बढ़ा पायेंगे।
हम तो नासमझ बनकर
लोगों यह बताते रहेंगे।
नारे तो नेता देते रहेंगे।
भावुक कर वोट पाने की
कोशिश करते रहेंगे।
विकास का विषय टालते रहेंगे।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 25 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 9/10
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