#H316
ज्योति (Light)
कविता "विश्व विकलांगता दिवस" को समर्पित है।
दया भाव मत दिखलाना
इंसान बनकर तुम मिलना
हक पूरा तुम उनको देना
आंखें तो हैं उनकी अपनी
ज्योति उनकी तुम बन जाना
वो बिन आंखों के आगे बढ़ते जायेंगे
सतरंगी आसमान को देखेंगे
पेड़ क्या होते हैं
फूल कैसे दिखते हैं
हाथी कैसा होता है
तुम उनको ना बतलाना
वह खुद जान जाएंगे
ब्रेल लिपि से पड़ जाएंगे।
सूरदास द्वारा
भक्ति रस का ग्रंथ रच जाना
कृष्ण मोह में रम जाना
श्रीकांत को क्यों भूले हम
अपनी ज़िद पर टिक जाना
सफल उद्यमी बन जाना
औरों को मिशाल दे देना।
कमजोर नहीं हो, तुम बतलाना।
बिन आंखों के दुनिया को
मेहनत के दम पर झुका जाना।
अपनी दुनिया रचने देना।
बुरी नजर न डालें किसी पर।
ज्योति वालों को शर्माना।
जो बुरी नजर डालें इधर-उधर
आंखों की ज्योति को कलंक लगाना।
कौन कष्ट को समझें इनके
पल पल इनको लड़ना होता
खाना हो, पीना हो, उठना हो
जाना हो, आना हो।
या पढ़ना लिखना हो
अलग सदा करना होता।
देश में अंग दान बेहद कम होता है।
अंगदान कर जाओ ,
लोगों को जागरूक बनाओ।
"ओरबो वेव" पर पंजीकृत हो जाओ
किसी अपंग का जीवन अच्छा बनाओ।
किसी को आंखों की ज्योति दे जाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 3 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 10/10
ज्योति (Light)
कविता "विश्व विकलांगता दिवस" को समर्पित है।
दया भाव मत दिखलाना
इंसान बनकर तुम मिलना
हक पूरा तुम उनको देना
आंखें तो हैं उनकी अपनी
ज्योति उनकी तुम बन जाना
वो बिन आंखों के आगे बढ़ते जायेंगे
सतरंगी आसमान को देखेंगे
पेड़ क्या होते हैं
फूल कैसे दिखते हैं
हाथी कैसा होता है
तुम उनको ना बतलाना
वह खुद जान जाएंगे
ब्रेल लिपि से पड़ जाएंगे।
सूरदास द्वारा
भक्ति रस का ग्रंथ रच जाना
कृष्ण मोह में रम जाना
श्रीकांत को क्यों भूले हम
अपनी ज़िद पर टिक जाना
सफल उद्यमी बन जाना
औरों को मिशाल दे देना।
कमजोर नहीं हो, तुम बतलाना।
बिन आंखों के दुनिया को
मेहनत के दम पर झुका जाना।
अपनी दुनिया रचने देना।
बुरी नजर न डालें किसी पर।
ज्योति वालों को शर्माना।
जो बुरी नजर डालें इधर-उधर
आंखों की ज्योति को कलंक लगाना।
कौन कष्ट को समझें इनके
पल पल इनको लड़ना होता
खाना हो, पीना हो, उठना हो
जाना हो, आना हो।
या पढ़ना लिखना हो
अलग सदा करना होता।
देश में अंग दान बेहद कम होता है।
अंगदान कर जाओ ,
लोगों को जागरूक बनाओ।
"ओरबो वेव" पर पंजीकृत हो जाओ
किसी अपंग का जीवन अच्छा बनाओ।
किसी को आंखों की ज्योति दे जाओ।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 3 दिसंबर 2024,©
रेटिंग 10/10