#H461
आख़िरी हो (Be the Last )
चुनाव में भ्रष्ट आचरण पाए जाने पर,
न्यायालय का फ़ैसला टाल दिया।
और आपातकाल लगा दिया।
किस लिए? सत्ता न जाए, इसलिए।
नागरिकों के मौलिक अधिकार
निलंबित कर दिए गए।
प्रेस की स्वतंत्रता ख़त्म कर दी गई,
समाचार पत्रों की सख़्त सेंसरशिप
लागू कर दी गई।
किस लिए? सत्ता न जाए, इसलिए।
विपक्षी नेताओं को, बिना मुक़दमा चलाए,
जेल में डाला गया मीसा क़ानून के दुरुपयोग से।
जबरन नसबंदी अभियान चलाया गया,
जनता में भारी असंतोष जगाया गया।
किस लिए? सत्ता न जाए, इसलिए।
दिल्ली के तुर्कमान गेट में,
झुग्गी बस्तियाँ हटाने का
अभियान चलाया गया।
निहत्थों पर पुलिस गोलीबारी करवाई गई,
कई ग़रीबों ने अपनी जान गंवाई।
किस लिए? सत्ता न जाए, इसलिए।
'सोशलिस्ट', 'सेक्युलर' जैसे शब्द
संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए।ताकि जनता धोखे में साथ आए।
न्यायपालिका को प्रभावित किया गया।
किस लिए? सत्ता न जाए, इसलिए।
जननायक ने संपूर्ण क्रांति कराई,
विपक्ष को एकजुट किया।
देश में पहली बार सत्तापक्ष को
सत्ता से बाहर करवाया।
किस लिए? देश भ्रष्ट न हो, इसलिए।
भारत के इतिहास में
आंतरिक कारणों से
पहला आपातकाल लगाया गया,
लोकतंत्र पर धब्बा लगाया गया।
किस लिए? सत्ता न जाए, इसलिए।
यह कविता एक चेतावनी है —
यदि देश में सशक्त लोकतंत्र चाहिए,
तो संविधान, न्यायपालिका, मीडिया,
और जनता — सभी को सतर्क रहना होगा।
जो भ्रष्ट हों, उन्हें सत्ता से दूर भगाना होगा।
संकट की स्थिति को छोड़कर
इस आपातकाल को आख़िरी बनाना होगा।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 26 जून 2025,©
रेटिंग 9.8/10
प्रेरणा स्रोत: भारतीय इतिहास में आंतरिक कारणों से लगी इमर्जेंसी के कारण, प्रभाव, पर कविता इमर्जेंसी लगने के दिन लिखी। इमर्जेंसी 25 जून 1975 को लगाई गई थी।