फादर्स डे पर कविता प्रस्तुत करता हूॅं।
#H457
खामोशी से सिखाया मुझे
(Taught Me Silently)
मन्नतें मांग कर पाया मुझे,
गोद में उठाया, दुलराया मुझे।
उंगली पकड़ कर चलाया मुझे,
हाथों में बार-बार झुलाया मुझे।
कंधों पर बिठा कर मेला घुमाया,
दुनिया के बारे में बताया मुझे।
रातों में घबराकर उठा,
तो ढांढस बंधाया मुझे।
बीमारी में रात-रात जागे,
मेरे लिए खुद को भी भुलाया,
तकलीफ़ में ऐसे बचाया मुझे।
जब कभी हारा,
तो नया रास्ता बताया मुझे।
फैसला करना सिखाया मुझे,
खुद समझ न रखते हुए भी,
सही रास्ता दिखाया मुझे।
सब कुछ हासिल कराया मुझे,
खुद महरूम रहे सुविधाओं से,
सदा अच्छा दिखाया मुझे।
जब मनोबल टूटा मेरा,
सदा आगे की राह दिखाई मुझे।
अच्छे संस्कार देकर,
अच्छा बनाया मुझे।
सच को जानना सिखाया मुझे,
तर्क को आगे रखना सिखाया मुझे।
दिमाग से स्वतंत्र बनाया मुझे,
भगवान को मानो या न मानो,
मर्यादा रखने को प्रथम बताया मुझे।
खामोश रहना भी सिखाया मुझे,
गुस्से को काबू में रखना,
थोड़े शब्दों में बताया मुझे।
खुद से आगे निकलने को,
सक्षम बनाया मुझे।
पिता की खामोशी ने डराया मुझे,
वक्त सभी का सीमित होता है।
डरने की कोई बात नहीं,
सभी को एक दिन जाना होता है।
खामोशी से सिखाया मुझे,
पापा ने ऐसे पाला मुझे।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक: 15 जून 2025 ©
रेटिंग: 9.8/10
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