प्रयास और प्रहार
जो आसानी से नहीं होता,
वो ठोंकने-पीटने से होता है।
जैसे कील गाड़ना हो,
कील उखाड़ना हो,
खूँटा गाड़ना हो,
कुछ आसानी से छेद में
अंदर न जाता हो।
जमी हुई जंग हटाना,
पीट-पीटकर
नया रूप देना हो।
फिर बस एक टूल याद आता है।
वो हथौड़ा कहलाता है।
गलत तरीके से प्रयोग करने से
गंभीर चोट झेल सकते हो।
उंगली कुट सकती है,
सिर फट सकता है,
हथौड़ा छिटककर
किसी और को लग सकता है।
इस्तेमाल में ध्यान रखो,
जब भी हथौड़ा प्रयोग करो।
हत्था ढंग से लगा हुआ हो,
हथौड़े का फलक टूटा न हो।
तरह-तरह के होते हैं हथौड़े,
सही हथौड़ा चुना हुआ हो।
चलाने वाला प्रशिक्षित हो
और साथ में आधिकारिक हो।
तभी हथौड़ा चलवाओ,
कार्यस्थल सुरक्षित बनाओ।
हथौड़े से कुछ सीख उठाओ—
कुछ नया करने के लिए,
कुछ समाधान बनाने के लिए,
अपना पसीना खूब बहाओ।
प्रयास के साथ - साथ
प्रहार भी पर्याप्त लगाओ।
अपनी मंजिल पा जाओ।
दिनांक 22 अगस्त 2025,©
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