मुझे खुद से दिक्कत है।
मुझे इससे दिक्कत है।
मुझे उससे दिक्कत है।
मुझे उससे भी दिक्कत है।
मुझे किससे दिक्कत नहीं है ?
मुझे वरिष्ठ से दिक्कत है।
मुझे कनिष्ठ से दिक्कत है।
मुझे साथियों से दिक्कत है।
मुझे चापलूसों से दिक्कत है।
मुझे मिलने वालों से दिक्कत है।
मुझे ना मिलने वालों से भी दिक्कत है।
मुझे फ़ोन लगाने वालों से दिक्कत है।
बताकर न आने वालों से दिक्कत है।
मुझे बीवी से दिक्कत है।
मुझे बच्चों से दिक्कत है।
मुझे मां-बाप से दिक्कत है।
मुझे पड़ोसियों से भी दिक्कत है।
मुझे दोस्तों से दिक्कत है।
मुझे अपनों से दिक्कत है।
मुझे गैरों से दिक्कत है।
मुझे ढोंगियों से भी दिक्कत है।
मुझे प्रेमिका से दिक्कत है।
मुझे पूर्व प्रेमिका से दिक्कत है।
मुझे गुलाबी होंठों से दिक्कत है।
उसकी यादों से दिक्कत है।
मुझे उसके आशिक से भी दिक्कत है।
मुझे अपने टूटे सपनों से दिक्कत है।
मुझे अच्छे नतीजों से दिक्कत है।
मुझे दिक्कतों के बिना भी,
बहुत बड़ी दिक्कत है।
मुझे प्रशासन से दिक्कत है।
मुझे सड़क जाम से दिक्कत है।
मुझे जलभराव से दिक्कत है।
मुझे भ्रष्टाचार से दिक्कत है।
मुझे नेताओं से दिक्कत है।
मुझे उनके वायदों से दिक्कत है।
न पूरे होने वाले सपनों से दिक्कत है।
उनके दावों से भी दिक्कत है।
मुझे न गरीबों से दिक्कत है।
मुझे लोगों की गरीबी से दिक्कत है।
मुझे न अमीरों से दिक्कत है।
उनके बेफिजूल खर्चों से दिक्कत है।
मुझे न हिन्दू से दिक्कत है।
मुझे न मुस्लिम से दिक्कत है।
मुझे धर्म के ठेकेदारों से दिक्कत है।
मुझे पाखंड से दिक्कत है।
मुझे गर्मी से दिक्कत है।
मुझे बारिश से दिक्कत है।
मुझे सर्दी से दिक्कत है।
मुझे बैमौसम मौसम से दिक्कत है।
मुझे हर मौसम से दिक्कत है।
मुझे शब्दों से दिक्कत है।
मुझे तेरी तर्जों से दिक्कत है।
मुझे शोर से दिक्कत है।
मुझे खामोशी से दिक्कत है।
मुझे खुद से भी दिक्कत है।
मुझे खुदा से भी दिक्कत है।
किसको किस्से दिक्कत नहीं है।
दिक्कतों का नाम ही जीवन है।
हर दूसरे की दिक्कत का
खामोशी से मजा लिए जाओ।
हालत जो भी हों तुम्हारे
मुस्कुराते जाओ।
लोगों को मुस्कान दिए जाओ।
मुझे दिक्कत है,
किसी को न बताओ।
किसको दिक्कत नहीं जहां में
किसी को जमीन पर आशियाना मिला
किसी को मिला आसमां में।
किसी को सुकून न मिला जमीं पर
पर सुकून मिला आसमां में।
दिनांक 12 अगस्त 2025,©
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