निज सुलभता : आज की सच्चाई है
आज की सच्चाई है,
निज सुलभता से
सबने धाक जमाई है।
ईमानदारी गई तेल लेने,
जिससे फायदा होगा,
फिर उसको क्यों
हमने आंख दिखाई है?
बस आंख मूंद लेने की
रस्म निभाई है।
आज की सच्चाई है।
क्यों मारें पैर कुल्हाड़ी में,
जब अपने बस का न भाई है?
बस ईमानदारी और सच्चाई की
डुगडुगी दिखाने को बजाई है।
आज की सच्चाई है।
ऐसे नेतृत्व से काम नहीं चलता,
ईमानदारी, पारदर्शिता और निष्पक्षता —
प्रबंधन में इनको
प्राथमिक योग्यता बताई है।
वरना तो — तू मेरी न कहना,
मैं तेरी न कहूंगा,
ऐसी निज सुलभता अपनाई है।
सैद्धांतिक रूप से तुमने,
भ्रष्टाचार की ओर
पहला कदम उठाया है।
अब निज सुलभता ही
सबको भायी है।
आज की सच्चाई है।
अब बताओ, क्या यही
तरक्की की राह दिखाई है?
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 16 जून 2025,©
रेटिंग 9.7/10
प्रेरणा स्रोत: मौकापरस्ती की घटनाओं और कार्य स्थल के भेदभाव से प्रेरित है। समानता का अभाव हो।