रीति और ईमान
जैसी रीति, गाओ वैसे गीत
तुम नहीं बजाओगे प्यारे
तो कोई और बजाएगा।
पर बजता रहेगा यह संगीत
यही है दुनिया की रीति।
तू भी जल्दी से सीख।
दूसरों से कुछ तो सीख।
झूठी मुस्कान, झूठा सम्मान।
झूठा साथ, हाथों में हाथ।
मत जगा खुद का ईमान।
करो सही दांव का इंतजार
यही है आज का व्यवहार।
पैसा हकीकत बना रखा है।
बाकी है सब मिथ्या संसार ।
ईमान अनमोल है प्यारे।
थाम ले झूठ की डोर प्यारे।
पर कहीं न कहीं बचा है इंसान।
जो सीखे रीत पर न छोड़े ईमान।
दिनांक 9 जुलाई 2025,©
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