जुगनू (Firefly)
रात रंगीली है,
लाल, हरी, पीली-पीली
रोशनी हर घर छाई है।
चारों ओर घोर अंधेरा छाया है,
पर यह रोशनी मेरे मन भायी है।
याद मुझे जुगनूओं की आई है।
घनघोर अंधेरे में भी
एक रोशनी की आस जगाई है।
टिमटिमाए हजारों जुगनू जब एक साथ,
अनोखी रोशनी छाई है।
लोगों को खुशियां लाई है,
गुलाबी ठंड ने दस्तक लगाई है।
दिवाली आई है, दिवाली आई है।
पटाखों की आवाज लाई है,
झिलमिल होती रोशनी
सबके मन भायी है।
पटाखों के धुएं की बदबू भी आई है।
खील, खिलौने और मिठाई लाई है।
लोगों से मिलने का
एक मौका भी लाई है।
जहां न जले चिराग,
ना झिलमिल रोशनी आई है,
वहां ग़म की दिवाली आई है।
अगले साल
उस घर में शमा जलाने आई है।
रात अमावस की है,
चारों ओर घोर अंधेरा छाया है।
रोशनी जगमग होकर छाई है,
यह रोशनी सबके मन भायी है।
याद मुझे जुगनूओं की आई है।
दिवाली आई है, दिवाली आई है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 28 अक्टूबर 2024,©
रेटिंग 9.5/10