#H200
सामाजिक सौहार्द (Social Harmony)
"कविता में हिन्दू मुस्लिम एकता को बताते हुए मौकापरस्त नेताओं की बातों को अनदेखा करने को बताया गया है। "
नाम बताते, जाति लगाते।
जाति बताते, धर्म जताते,
वोट इस सब के नाम पर पाते
यह सब नेता, बिल्कुल नहीं शर्माते।
हर बार जनता को बरगलाते।
अपना उल्लू सीधा करवाते।
गोश्त का प्रकार बताते।
हलाल या झटका लिखा हुआ तुम पाते।
गाय या सुअर मांस का
यहाँ प्रयोग में नहीं होता है
यह भी तुम लिखा हुआ पाते।
टोपी लगाकर अपना धर्म बताते।
गोल टोपी लगाते मुस्लिम
लम्बी टोपी हिन्दू अपनाते।
अकबर के सेनापति मानसिंह
महाराणा प्रताप के सेनापति हकीम खां सूर
इतिहास में कैसे हम इक दूजे पर भरोसा जताते
लड़ते लड़ते रण में अपनी जान गंवाते।
इतना सब कुछ अलग करके भी
हम सब सामाजिक सौहार्द बनाते।
खुशी से साथ - साथ होली ईद मनाते।
कावंड बनाते, खूब सजाते
दोनों कावड़ियों पर फूल बरसाते।
हर संभव चिकित्सा सुविधा दिलवाते
हर साल सावन ऐसे बिताते।
फिर आज क्या हुआ
नाम लिखने तुम से क्यों हो घबराते।
अगर लिखने से हिन्दू भाई की
पवित्रता को रखने में सहयोग करपाते।
धर्म भ्रष्ट होने से उन्हें बचाते।
उपद्रवियों को काबू करवाओ।
जो हर साल कुछ न कुछ गलत कराते।
अस्पष्ट जानकारी का लाभ उठाते।
सब मिलकर
इक दूजे पर भरोसा दिलाओ
नेताओं की बातों पर
तुम ज्यादा ध्यान न लाओ।
साथ साथ ही जीते आये
साथ साथ ही सब त्योहार मनाते।
नासमझ यह फरमाते।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ '
दिनांक 20 जुलाई 2024,©
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