#H201
सरकारी सितम (Government Atrocities)
"कविता में बेरोजगारी और सरकारी नीतियों के बारे बताया गया है। "
ऐ जमाने वालो लगता है
तुम्हारे सितम से हमे बागी हो जाना है।
फौज में जाऐं,
अग्निवीर बन जाना है
फिर जल्दी वेरोजगार हो जाना है।
समाज में सम्मान नहीं पाना है
परिवार समय पर नहीं बन पाना है।
कैसे बस लड़ते जाना है।
अगर कम्पनियों में जाना है।
दो - तीन साल में बाहर हो जाना है।
बमुश्किल दो - चार ने पक्की नौकरी पाना है।
पूरा का पूरा, समूह बाहर हो जाना है।
यहाँ तो अग्निवीर से भी
बद्तर हालात हो जाना है।
अब प्रशिक्षू रखे जाना है।
उन्हें आईटीआई, डिप्लोमा कराया जाना है।
तीन साल बाद बाहर जाना है।
बेरोजगारी और बढ़ जाना है।
युवाओं ने अब कैसे जीवन बिताना है।
सरकार ने बजट में बताया है
पीएफ की सब्सिडी दिया जाना है।
सरकार पहला वेतन भी देना है।
सोचो इसका लाभ किसे मिलना है।
आखिर पैसा कम्पनी को मिलना है
सस्ते मजदूर मिलते जाना है।
व्यापार और आसान हो जाना है।
बजट को व्यापारिक घरानों ने अच्छा बताना है।
युवाओं को मजबूर हो जाना है।
फिर सरकार ने क्यों ढोल बजाना है।
नौकरियों को हमने बढ़ाया है।
पर कभी नौकरी की सुरक्षा जिक्र नहीं आना है।
युवाओं ने अब कैसे जीवन बिताना है।
ऐ जमाने वालो लगता है
तुम्हारे सितम से हमें बागी ही हो जाना है।
हमें तो नासमझ कहलाना है।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 24 जुलाई 2024,©
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