#H198
मेरे गुरुवर
"कविता में गुरू के द्वारा दिया ज्ञान और शिक्षाऐं दर्शायी ं गयी है ं। "
चलना सिखाया मात ने, दौड़ना सिखाया पिता ने,
पढ़ना सिखाया आपने, लिखना सिखाया आपने
गढ़ना सिखाया आपने, खेलना सिखाया आपने,
कल्पना सिखाया आपने, दण्ड सिखाया आपने
सच्चा बनाया आपने, अच्छा बनाया आपने
डर भगाया आपने, सच दिखाया आपने
गुरु आप ही हो, डटना सिखाया आपने
आदर करना सिखाया आपने,
सम्मान से जीना सिखाया आपने
अहिंसा से जीना सिखाया आपने,
महिलाओं का सम्मान सिखाया आपने
मैं तो कच्ची मिट्टी सा था, बर्तन बनाया आपने
आप के बिना जीवन अर्थहीन होता,
अर्थ दिया है आपने
हे गुरुवर जीवन में सम्मान, दिलाया आपने
मौन रहना सिखाया आपने,
गलत के खिलाफ आवाज, उठाना सिखाया आपने,
देश के लिए जज्बा, जगाया आपने,
सदाचार सिखाया आपने,
आप हो मात- पिता ऊपर से, ईश्वर दिखाया आपने,
सदा ऋणी रहूँगा आपका,
चरण स्पर्श है आपको,
आप ही हो मेरे जनक, और गुरुवर
शत -शत नमन है आपको ||
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
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