#H196
नीच
"कविता में माँ बेटे के बीच, जीवन के डर, और अधूरी सूचना से पनपी गलतफहमियां को मार्मिक तरीके से दर्शाया गया है"
आंसू आऐ उनकी आखों में,
पर तू न रो पाया,
रोते हुए गले न लगा पाया।
क्योंकि तेरे से ऐसा न हो पाया।
तूने किसी पर न हाथ उठाया
नाही किसी को डांट खिलाया।
शायद उनको न
अच्छा महसूस कराया।
जब भूख लगी,
तब खाना न दे पाया।
कुछ ही देर में खाना आया।
पर मांगा, वो न आ पाया।
आधी सूचना ने अपना खेल खिलाया।
संयम खो जाने पर,
बीमारी ने उनको अधीर बनाया।
घर में अनावश्यक जो शोर कराया।
दिल में तूने बहुत अफसोस जताया।
तू अपने जज्बात न दिखा पाया।
इसलिए उनकी नजरों में
तू बड़ा नीच कहलाया।
पैसा लिया तुमने उनसे,
बिन पैसा उनको करवाया।
ऐसे में उनका इलाज न हो पाया।
ऐसा उन्होंने अनुमान लगाया।
लगता है तूने उन्हें फंसाया।
इस कारण तू नीच कहलाया।
पर सच तो यह है
डर के कारण इलाज न हो पाया।
गलत हो गया आपरेशन तो,
जीवन कैसा हो जायेगा।
कितना मुश्किल है,
खुद के प्यारे को,
किसी ने नीच कहलाया।
"नासमझ" न समझे
उसने यह कैसा हालात पाया।
खुद को सदा अच्छा समझा,
सदा सबके साथ अच्छा रहा।
पर आज तू नीच कहलाया।
देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 26 फरवरी 2024, ©
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