समाज का आईना
जात–पात और बारात,
तीनों दिखाते समाज की औकात।
सब करते हैं बस अपनी - अपनी बात,
किसको फुर्सत है अपनापन निभाने की ?
जात वाला जात में घुसत,
एकता की बात? बस मंच पर दोहरात।
दिलों में बँटवारा पक्का बनात,
भाईचारा बस नारों में सजात।
पात वाला पात गिनात,
खुद को ऊँचा औरों को नीचा बतात।
कोई वशिष्ठ, कोई गौड़ जतात,
मानवता को पीछे धकेल जात।
बारात में भी संस्कार दिखात,
सजे-धजे चेहरे, ढोल-नगाड़े बजात।
दहेज में गाड़ी, धन-दौलत दिखात।
अगर शराबी न हों, झगड़ालू न हो,
तो गांव का नाम रोशन कर जात।
सच यही है—
जात, पात और बारात,
कभी मिलाते, कभी कराते बँटवारा,
औकात का आईना सबको दिखात।
दिनांक 15 जुलाई 2025,©
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