Monday, July 7, 2025

#H466 तरकश (Quiver)

#H466
तरकश (Quiver)

कुछ तीर बचे हैं अभी।
उम्मीद बची है अभी।
ताकत बची है अभी।
जीत के कुछ दांव बचे हैं अभी।
तरकश कंधे पर टंगी है अभी।

मनोबल बचा है अभी।
जज्बा बचा है अभी।
चुनौतियां खड़ी हैं अभी।
वीरता से लड़ा हूं अभी।
वीरगति बची है अभी।

जिंदगी के थपेड़ों से
लड़ना बचा है अभी।
लालच और मोह का जाल
मेरे भीतर बचा है अभी।
जीवन से मन कहां भरा है अभी।

तीरों से दुश्मन कहां विंधा है अभी।
रक्त शरीर में मेरे बचा है अभी।
मेरा शरीर मर भी जाएगा।
आत्मा को कोई भेद पाया है कभी?
तरकश में तीर बचे हैं अभी।

अनुभव लगाना बचा है अभी।
युवाओं से कंधे से कंधा मिलाकर
चलना बचा है अभी।
नया सीखना बचा है अभी।
जज्बा दिखाना बचा है अभी।
भीड़ से अलग चलना बचा है अभी।
लक्ष्य अब दूर नहीं —
कुछ तीर बचे हैं अभी।
जिंदगी की कहानी अधूरी नहीं है।
कहने सुनने को
बहुत कुछ बचा है अभी।

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 20 जून 2025,©
रेटिंग 9.8/10

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