Wednesday, April 23, 2025

#H434 मजबूर मरीज, मूक सरकार (Helpless Patient, Silent Government)


#H434
मजबूर मरीज, मूक सरकार (Helpless Patient, Silent Government)

डाक्टर पर्ची को तीन तक दिन चलाते
लिखा हुआ अक्सर
किसी को समझ न आता ।
सदा इसका फायदा उठाते।
"ये दवाई इनके मेडिकल से ही लेना है"
ऐसा कर मजबूर बनाते ।
ऐसी-ऐसी दवाईयाॅं  लिखते,
जो केवल इनके मेडिकल पर पाते ।
मूल्य में यह दवाईयाॅं, अत्यधिक पाते।
एम.आर. से मिलकर खूब कमीशन पाते।

सही तरीके से पर्ची न पढ़ पाने से,
बहुत से लोग गलत दवाईयाॅं खाते।
हर साल सैंकड़ों
इस कारण देश में मर जाते।

दवाईयाॅं बेचते,
अपनी मेडिकल स्टोर पर।
दवाई बेचते एम.आर.पी. पर।
मरीज को कोई छूट न देते।
मेडिकल किसी और के नाम चलाते।
सरकारी तंत्र का लाभ उठाते।

अपनी लैब पर टेस्ट कराते,
सदा अधिकतम मूल्य लगाते
एक लैब में कई - कई लैब के,
लेटर हेड और स्टैम्प पाए जाते।
भरोसा तार - तार कर जाते।
"नाॅट फोर मेडिको लीगल"
लिखकर जिम्मेदारी से बच जाते।

अपनी लैब पर ही स्कैन कराते,
इनसे न कराने वाले पर
किसी और टेस्ट का भार लगाते।
समय पर स्कैन फिल्म न देते 
कहीं - कहीं पर रिपोर्ट न देते,
रेडियोलॉजिस्ट न रखते
बस खुद ही काम चलाते।
ताकि मरीज कहीं और जगह न जाए।
मजबूरी में मरीज फंस कर रह जाते।

सरकार को इस विषय में हम
"अंधा, गूंगा और बहरा ही पाते"।
सब मालूम होने पर भी
सटीक कोई कदम न उठाते।
अस्पताल यों ही
अपनी मनमानी करते जाते।
सर्जरी की तो बात ही क्या है
अच्छे अच्छे यहाॅं लुट जाते।
हमें समझ न आया
इसको कैसे सेवा बुलाते

देवेन्द्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 23 अप्रैल 2025,©
रेटिंग 9.8/10

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