#H420
जामवंत की प्रतीक्षा (Waiting for Strength Awakener)
मैं खुद से सवाल कर रहा हूॅं ।
मैं क्या कर रहा हूॅं ।
क्या मैं जी रहा हूॅं ।
या अंदर से मर गया हूॅं ।
क्या मैं सो रहा हूॅं।
या अज्ञातवास में खो गया हूॅं
क्या हनुमान हो गया हूॅं।
खुद को भूल गया हूॅं।
जामवंत का इंतजार कर रहा हूॅं।
हीरा हूॅं मैं
क्या चमक खो गया हूॅं।
या धूल में छुप गया हूॅं।
ठोकर मारने को राह में पड़ा हूॅं।
क्यों इंतजार रहा हूॅं।
मैं क्या कर रहा हूॅं ।
मैं सवाल बन गया हूॅं ।
मैं मिसाल बना गया हूॅं।
विचारों को विराम लगा।
कदम बढ़ा, रोशन हो जा।
अपना हक हासिल कर।
खुद की चमक दिखा।
जिंदा है अभी सबको बता।
मैं जिंदा हो गया हूॅं।
देवेंद्र प्रताप "नासमझ"
दिनांक 03 अप्रैल 2025,©
रेटिंग 9.8/10
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